मार्च 2021 | 07 Apr 2021
PRS के प्रमुख हाइलाइट्स
- केंद्रीय बजट 2021-22
- वित्त विधेयक, 2021
- कोविड-19
- कोविड-19 का प्रभावी नियंत्रण और प्रबंधन
- समष्टि आर्थिक (मैक्रोइकोनॉमिक) विकास
- वर्ष 2020-21 की तीसरी तिमाही में चालू खाता घाटा
- गृह मामले
- दिल्ली राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र शासन (संशोधन) अधिनियम, 2021
- भारतीय विदेशी नागरिकता
- महिलाओं और बच्चों के खिलाफ अपराधों पर स्थायी समिति
- वित्त
- बीमा क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश
- राष्ट्रीय अवसंरचना वित्तपोषण और विकास बैंक विधियेक, 2021
- बीमा ओबंड्समैन (लोकपाल) (संशोधन) नियम, 2021
- न्यू डेवलपमेंट बैंक और एशियाई इंफ्रास्ट्रक्चर निवेश बैंक
- केंद्रीय बजट में हालिया सुधारों हेतु स्थायी समिति
- खनन
- खान और खनिज (विकास और विनियमन) संशोधन विधेयक, 2021
- कोयला संरक्षण और कोयला परिवहन इंफ्रास्ट्रक्चर
- खनिज नीलामी नियमों में संशोधन
- स्वास्थ्य
- मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेन्सी (संशोधन) बिल, 2020
- राष्ट्रीय एलाइड और हेल्थकेयर प्रोफेशंस आयोग विधेयक, 2020
- प्रधानमंत्री भारतीय जनौषधि परियोजना
- प्रधानमंत्री स्वास्थ्य सुरक्षा निधि
- महिला एवं बाल विकास
- किशोर न्याय (बच्चों की देखभाल और संरक्षण) संशोधन विधेयक, 2021
- नागरिक उड्डयन
- मानवरहित विमान प्रणाली नियम, 2021
- शिपिंग
- सामुद्रिक सहायता विधेयक, 2021
- खाद्य प्रसंस्करण
- राष्ट्रीय खाद्य प्रौद्योगिकी, उद्यमिता और प्रबंधन संस्थान विधेयक, 2019
- प्रोडक्शन लिंक्ड इनसेंटिव योजना
- खाद्य वितरण
- सार्वजनिक वितरण प्रणाली
- सामाजिक न्याय
- संविधान (अनुसूचित जातियांँ) आदेश (संशोधन) बिल संसद में पारित
- श्रम एवं रोज़गार
- वेतन संहिता (केंद्रीय सलाहकार बोर्ड) नियम, 2021
- प्रधानमंत्री रोज़गार सृजन कार्यक्रम
- सड़क परिवहन
- वाहन स्क्रैपिंग नीति
- केंद्रीय मोटर वाहन नियम
- नवीन और अक्षय ऊर्जा
- अक्षय ऊर्जा
- सोलर सेल्स और मॉड्यूल्स पर कस्टम ड्यूटी
- ऊर्जा
- बिजली वितरण कंपनियों हेतु दिशानिर्देश
- पर्यावरण
- पर्यावरण प्रभाव आकलन अधिसूचना, 2006
- विज्ञान एवं तकनीक
- राष्ट्रीय बायोटेक्नोलॉजी विकास रणनीति
- रसायन और उर्वरक
- पेट्रोरसायनों की मांग और आपूर्ति
- पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस
- बायो-ईंधन उत्पादन
- बायो-ईंधन उत्पादन
- ग्रामीण विकास
- मनरेगा: मज़दूरी दरों में संशोधन
केंद्रीय बजट 2021-22
वित्त विधेयक, 2021
वित्तीय वर्ष 2021-22 हेतु सरकार के वित्तीय प्रस्तावों को प्रभावी बनाने के लिये संसद द्वारा वित्त विधेयक 2021 पारित किया गया। इस बिल की मुख्य विशेषताएंँ निम्नलिखित हैं:
आय कर पर छूट:
- विधेयक में व्यक्तियों और निगमों हेतु आय कर की दरों में कोई परिवर्तन नहीं किया गया है।
नए सेस:
- विधेयक में कृषि और इंफ्रास्ट्रक्चर विकास संबंधी गतिविधियों को वित्तपोषित करने हेतु कृषि इंफ्रास्ट्रक्चर और विकास सेस का प्रावधान किया गया है।
- सेस को कुछ महत्त्वपूर्ण वस्तुओं पर वसूला जाएगा जिनमें सोना, चांदी, एल्कोहलिक बेवरेज़, कोयला और कपास शामिल हैं, जिन पर सेस वसूलने हेतु बेसिक कस्टम्स ड्यूटी में समान राशि की कटौती शामिल होगी।
- पेट्रोल और डीज़ल पर क्रमशः 2.5 रुपए और 4 रुपए प्रति लीटर की दर से सेस वसूला जाएगा और उनकी एक्साइज़ ड्यूटी में उतनी ही कटौती की गई है।
प्रॉविडेंट फंड्स के ब्याज पर कर:
- विधेयक में प्रावधान किया गया है कि अगर एक साल में फंड में कुल योगदान 2.5 लाख रुपए से अधिक होगा तो उसके ब्याज पर कर चुकाना होगा। अगर फंड में नियोक्ता का अंशदान शामिल नहीं है तो यह सीमा 5 लाख रुपए होगी।
आयकर प्रक्रिया की समय अवधि में कमी: आयकर एक्ट के अंतर्गत आयकर के आकलन हेतु चार वर्ष तक की समयावधि का प्रावधान है। ( अगर गैर-आकलन वाली आय 1 लाख रुपए या उससे अधिक है तो छह वर्ष)।
- यह विधेयक ऐसे मामलों की समय-सीमा को तीन वर्ष करता है ( अगर गैर-आकलन वाली आय 50 लाख रुपए या उससे अधिक है तो दस वर्ष)।
- विधेयक एलआईसी एक्ट, 1956 में निम्नलिखित हेतु संशोधन प्रस्तुत करता है:
(i) बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स का गठन।
(ii) शेयर्स जारी करना।
(iii) केंद्र सरकार को अपनी शेयर होल्डिंग को अधिकतम 51% तक कम करने की अनुमति (पहले पांँच वर्षों में 75% से कम नहीं)।
(iv) केंद्र सरकार के अतिरिक्त बाकी के शेयर होल्डर्स के वोटिंग के अधिकार को 5% तक सीमित करना। - विधेयक सिक्योरिटीज़ कॉन्ट्रैक्ट्स (रेगुलेशन) एक्ट, 1956 में संशोधन प्रस्तुत करता है ।
कोविड-19
कोविड-19 के प्रभावी नियंत्रण और प्रबंधन हेतु दिशानिर्देश
- केंद्र सरकार ने कोविड-19 महामारी की रोकथाम हेतु अनेक नीतिगत फैसलों और इससे प्रभावित नागरिकों एवं व्यवसायों को मदद करने हेतु वित्तीय उपायों की घोषणा की है।
- गृह मामलों द्वारा कोविड-19 महामारी के प्रबंधन हेतु संशोधित दिशानिर्देश जारी किये जो 1 अप्रैल, 2021 से लागू हो चुके हैं। इन दिशानिर्देशों में निम्नलिखित प्रावधान शामिल हैं:
(i) स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर्स के माध्यम से चरणबद्ध तरीके से आर्थिक गतिविधियों को खोलना।
(ii) सिर्फ कंटेनमेंट जोन्स में लॉकडाउन लगाना।
(iii) कार्यस्थलों और सार्वजनिक स्थलों पर ही कोविड-19 के प्रबंधन हेतु निर्देश। - संशोधित दिशानिर्देशों का ध्यान ‘टेस्ट-ट्रैक-ट्रीट’ प्रोटोकॉल को लागू करने पर केंद्रित है जो कि पर्याप्त बचाव सुनिश्चित करता है। ‘टेस्ट-ट्रैक-ट्रीट’ प्रोटोकॉल की निम्नलिखित मुख्य विशेषताएँ हैं:
टेस्टिंग:
(i) कोविड-19 टेस्ट हर राज्य में एक समान किये जाने चाहिये।
(ii) जिन ज़िलों में मामलों की संख्या अधिक है, वहांँ पर्याप्त टेस्टिंग की जानी चाहिये।
(iii) कुल टेस्ट्स में आरटी-पीसीआर टेस्ट्स का अनुपात बढ़ाकर कम-से-कम 70% किया जाना चाहिये।
ट्रैंकिंग और कंटेनमेंट:
- दिशानिर्देशों में कहा गया है कि पॉज़िटिव पाए जाने वाले लोगों के संपर्क में आने वाले लोगों को ट्रैक और आइसोलेट किया जाना चाहिये।
- स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा जारी दिशानिर्देशों के आधार पर ज़िला प्रशासनों को कंटेनमेंट ज़ोन को चिन्हित करने का अधिकार है। कंटेनमेंट ज़ोन्स में सिर्फ अनिवार्य गतिविधियों की अनुमति होगी जिन्हें स्थानीय प्रशासनों द्वारा प्रबंधित किया जाएगा।
उपचार:
(i) पॉज़िटिव पाए जाने वाले लोगों को तुरंत आइसोलेट करना।
(ii) सभी स्तरों पर स्वास्थ्यकर्मियों का क्षमता निर्माण।
(iii) सभी राज्यों में संक्रमण की रोकथाम और नियंत्रण।
वैक्सीनेशन:
- दिशानिर्देशों में कहा गया है कि विभिन्न राज्यों में वैक्सीनेशन प्रबंधन की गति एक समान नहीं है, अत: राज्य सरकारों को वैक्सीनेशन प्रबंधन पर राष्ट्रीय विशेषज्ञ समूह के सुझावों के आधार पर वैक्सीनेशन कार्य में तेज़ी लाने की सलाह दी गई है।
समष्टि आर्थिक (मैक्रोइकोनॉमिक) विकास
वर्ष 2020-21 की तीसरी तिमाही में चालू खाता घाटा
- वर्ष 2020-21 की तीसरी तिमाही (अक्तूबर-दिसंबर) में भारत के चालू खाता संतुलन में 1.7 बिलियन अमेरिकी डॉलर (जीडीपी का 0.2%) का घाटा दर्ज़ किया गया है।
- वर्ष 2019-20 की तीसरी तिमाही में 2.6 बिलियन अमेरिकी डॉलर का घाटा (जीडीपी का 0.4%) दर्ज़ किया गया था। इसकी तुलना में वर्ष 2020-21 की दूसरी तिमाही में 15.1 बिलियन अमेरिकी डॉलर का अधिशेष दर्ज़ किया गया (जीडीपी का 2.4%)।
- वर्ष 2020-21 की दूसरी तिमाही से तीसरी तिमाही में चालू खाता संतुलन में गिरावट का मुख्य कारण मर्केंडाइज व्यापार घाटे (निर्यात की तुलना में आयात का बढ़ना) में वृद्धि होना है।
- यह 2020-21 की दूसरी तिमाही में 14.8 बिलियन अमेरिकी डॉलर से तीसरी तिमाही में 34.5 बिलियन अमेरिकी डॉलर हो गया।
- वर्ष 2020-21 की तीसरी तिमाही में मर्केंडाइज व्यापार घाटा, वर्ष 2019-20 की तीसरी तिमाही के मर्केंडाइज व्यापार घाटे (36 बिलियन अमेरिकी डॉलर) से कम था।
- वर्ष 2020-21 की तीसरी तिमाही में विदेशी मुद्रा भंडार 32.5 बिलियन अमेरिकी डॉलर बढ़ गया। यह 2019-20 की तीसरी तिमाही में दर्ज वृद्धि से अधिक है (21.6 बिलियन अमेरिकी डॉलर)। यह 2020-21 की दूसरी तिमाही में दर्ज 31.6 बिलियन अमेरिकी डॉलर की वृद्धि से भी ज़्यादा है।
तिमाही-3 तिमाही-2 तिमाही-3
2019-20 2020-21 2020-21
चालू खाता -2.6 15.1 -1.7
पूंजी खाता 23.6 16.1 33.5
भूल-चूक लेनी देनी 0.6 0.4 0.7
मुद्रा भंडार में परिवर्तन 21.6 31.6 32.5
गृह मामले
दिल्ली राष्ट्रीय राजधानी राज्यक्षेत्र (संशोधन) विधेयक, 2021
- दिल्ली राष्ट्रीय राजधानी राज्यक्षेत्र (संशोधन) विधेयक, 2021 को संसद में पारित कर दिया गया। यह विधेयक दिल्ली राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र शासन अधिनियम, 1991 में संशोधन करता है।
भारतीय विदेशी नागरिकता
- गृह मंत्रालय ने नागरिकता अधिनियम, 1955 के अंतर्गत भारतीय विदेशी नागरिकता (Overseas Citizenship of India- IOC) कार्डधारकों के अधिकारों में संशोधन किया है जो नागरिकता के अधिग्रहण और निर्धारण को विनियमित करता है। संशोधित अधिकारों की मुख्य विशेषताओं में निम्नलिखित शामिल हैं:
महिलाओं और बच्चों के खिलाफ अपराधों पर स्थायी समिति
15 मार्च, 2021 को गृह मामलों से संबंधित स्थायी समिति ने ‘महिलाओं और बच्चों पर अत्याचार तथा उनके खिलाफ अपराध’ पर अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की जिसके मुख्य निष्कर्षों और सुझावों में निम्नलिखित शामिल हैं:
- अपराधों को दर्ज करना: समिति ने कहा कि अक्सर पुलिस स्टेशनों में महिलाओं और बच्चों के साथ होने वाले अपराधों को दर्ज नहीं किया जाता। अत: इसके लिये निम्नलिखित सुझाव दिये गए:
(i) पुलिस स्टेशनों में डिकॉय ऑपरेशंस करना, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि एफआईआर समय पर दर्ज की जाए।
(ii) एफआईआर के ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन की व्यवस्था करना और उसे बढ़ावा देना।
(iii) ज़ीरो एफआईआर को दर्ज करना।
(iv) एफआईआर को दर्ज करने में होने वाली देरी के कारणों को रिकॉर्ड करना।
समिति ने झूठे केस दर्ज करने वाले पुलिसकर्मियों और लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई किये जाने का सुझाव दिया। - दोष सिद्धि की दर: समिति ने कहा कि महिलाओं और बच्चों के साथ होने वाले अपराधों में दोष सिद्धि की दर बहुत निम्न है। बलात्कार और यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण अधिनियम, 2012 के अंतर्गत मामलों हेतु 1,023 फास्ट ट्रैक अदालतों को स्थापित करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है लेकिन वर्तमान में सिर्फ 597 अदालतें ही कार्यरत्त हैं, अत: इसके लिये समिति ने निम्नलिखित सुझाव दिये:
(i) यौन अपराधों हेतु ऑनलाइन इनवेस्टिगेशन ट्रैंकिंग सिस्टम को लागू करना ताकि पुलिस की जाँच को ट्रैक किया जा सके।
(ii) हर राज्य की राजधानी में कम-से-कम एक फॉरेंसिक लेबोरेट्री निर्मित करना।
(iii) एक निश्चित समयावधि में फास्ट ट्रैक अदालतें बनाना।
(iv) सरकारी वकीलों के साथ कानून का प्रवर्तन करना।
वित्त
बीमा क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश
- संसद ने बीमा (संशोधन) विधेयक, 2021 पारित किया है जो बीमा अधिनियम, 1938 में संशोधन प्रस्तुत करता है।
- यह विधेयक बीमा कारोबार के कामकाज़ हेतु फ्रेमवर्क प्रदान करता है तथा बीमा कंपनी, उसके पॉलिसी धारकों, शेयर धारकों और रेगुलेटर (इंश्योरेंस रेगुलेटरी एंड डेवलपमेंट अथॉरिटी ऑफ इंडिया) के मध्य संबंधों को रेगुलेट करता है।
- अधिनियम में प्रावधान है कि विदेशी निवेशक किसी भारतीय बीमा कंपनी में 49% तक का पूंजी निवेश कर सकते हैं तथा भारतीय कंपनी पर किसी भारतीय एंटिटी का स्वामित्व और नियंत्रण होना चाहिये। बीमा (संशोधन) विधेयक, 2021 निवेश की इस सीमा को 49% से बढ़ाकर 74% करता है तथा स्वामित्व और नियंत्रण के प्रतिबंध को हटाता है।
- हालाँकि यह विदेशी निवेश केंद्र सरकार द्वारा निर्दिष्ट अतिरिक्त शर्तों के अधीन हो सकता है।
राष्ट्रीय अवसंरचना वित्तपोषण और विकास बैंक विधेयक, 2021
- अवसंरचना एवं विकास के वित्तपोषण हेतु राष्ट्रीय अवसंरचना वित्तपोषण और विकास बैंक (National Bank for Financing Infrastructure and Development- NBFID) विधेयक, 2021 को संसद में पारित कर दिया गया।
- एनबीएफआईडी के कार्य: एनबीएफआईडी के वित्तीय और विकासपरक उद्देश्य होंगे।
- वित्तीय उद्देश्यों में प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से उधार देना, निवेश करना या भारत में पूरी तरह या आंशिक रूप से स्थित इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स में निवेश को आकर्षित करना शामिल है।
- विकासपरक उद्देश्य में इंफ्रास्ट्रक्चर फाइनेंसिंग हेतु ब्नंड्स, ऋण और डेरेवेटिव्स के बाज़ार के विकास में मदद करना शामिल है।
बीमा ओबंड्समैन (लोकपाल) (संशोधन) नियम, 2021
वित्त मंत्रालय ने बीमा ओंबड्समैन नियम, 2017 में संशोधन हेतु बीमा ओंबड्समैन (संशोधन) नियम, 2021 को अधिसूचित किया है।
वर्ष 2017 के नियम पर्सनल बीमा, ग्रुप बीमा और सोल प्रॉपराइटरशिप तथा सूक्ष्म उद्यमियों को जारी की गई पॉलिसीज़ से संबंधित विवादों की सुनवाई हेतु बीमा ओंबड्समैन की नियुक्ति का प्रावधान करते हैं। मुख्य संशोधनों में निम्नलिखित बिंदु शामिल हैं:
- ओंबड्समैन की नियुक्ति हेतु अर्हता: बीमा ओंबड्समैन नियम, 2017 के नियम निर्दिष्ट करते हैं कि ओंबड्समैन के पद हेतु ज्यूडीशियल सेवा, सिविल सेवा या प्रशासनिक सेवा के अनुभव वाले व्यक्ति पर विचार किया जाएगा। बीमा ओबंड्समैन (लोकपाल) (संशोधन) नियम, 2021 के नियमों में अर्हता के मानदंडों में संशोधन किया गया है जो इस प्रकार हैं:
(i) व्यक्ति, ज्वाइंट सेक्रेटरी या अखिल भारतीय सेवा या सिविल सेवा के समान पद पर रहा हो, या
(ii) बीमा क्षेत्र में कम-से-कम 25 वर्ष तक सेवारत रहा हो और उसने बोर्ड ऑफ डायरेक्टर में कम-से-कम एक निचले पद पर काम किया हो। व्यक्ति इस पद हेतु तभी पात्र होगा, अगर उसकी आयु 55 से 65 वर्ष के बीच हो। - कार्यकाल: बीमा ओंबड्समैन नियम, 2017 के नियमों के अंतर्गत ओंबड्समैन को तीन वर्ष की अवधि हेतु नियुक्त किया जाता था या जब तक कि उसकी आयु 70 वर्ष न हो जाए (इसमें जो पहले हो)। जबकि नए नियमों में इस आयु सीमा को 68 वर्ष कर दिया है।
- बीमा ओंबड्समैन नियम, 2017 के नियमों में ओंबड्समैन की पुन: नियुक्ति का प्रावधान था, जबकि बीमा ओबंड्समैन (लोकपाल) (संशोधन) नियम, 2021 के नियम पुनर्नियुक्ति पर प्रतिबंध लगाते हैं।
- शिकायत का तरीका और सुनवाई: बीमा ओंबड्समैन नियम, 2017 में यह कहा गया है कि शिकायत लिखित में दर्ज कराई जाएगी।
- नए नियमों के अंतर्गत ऑनलाइन या ईमेल के जरिये शिकायत दर्ज कराई जा सकती है। नए नियमों में ऑनलाइन आवेदन हेतु शिकायत प्रबंधन प्रणाली और शिकायतों की ट्रैकिंग का प्रावधान भी है। इसके अतिरिक्त ओंबड्समैन वीडियो कांफ्रेंसिंग के ज़रिये सुनवाई कर सकता है।
- ओंबड्समैन हेतु चयन समिति: बीमा ओंबड्समैन नियम, 2017 के नियमों में ओंबड्समैन के चयन हेतु चयन समिति का प्रावधान है, जबकि बीमा ओबंड्समैन (लोकपाल) (संशोधन) नियम, 2021 के नियम चयन कमिटी के संयोजन में परिवर्तन करते हैं जैसा कि तालिका में प्रदर्शित किया गया है।
न्यू डेवलपमेंट बैंक (NDB) और एशियाई इंफ्रास्ट्रक्चर निवेश बैंक (AIIB)
वित्त मंत्रालय ने सार्वजनिक सलाह हेतु न्यू डेवलपमेंट बैंक और एशियाई इंफ्रास्ट्रक्चर निवेश बैंक से संबंधित दो ड्राफ्ट बिल्स को जारी किया।
- एनडीबी और एआईआईबी अंतर-सरकारी समझौतों के अंतर्गत गठित बैंक हैं जो सतत् आर्थिक विकास एवं अवसंरचना हेतु संसाधन जुटाते हैं।
- वर्ष 2014 में एनडीबी का गठन ब्रिक्स देशों (ब्राज़ील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका) द्वारा हस्ताक्षरित समझौते के अंतर्गत किया गया था ताकि ब्रिक्स एवं अन्य उभरती हुई अर्थव्यवस्थाओं का विकास किया जा सके।
- इसी तरह वर्ष 2014 में एशिया में अवसंरचना विकास हेतु भारत सहित 57 देशों द्वारा हस्ताक्षरित समझौते के अंतर्गत एआईआईबी की स्थापना हुई थी।
ड्राफ्ट बिल्स ADB और AIIB समझौतों के अंतर्गत भारत की प्रतिबद्धताओं के अनुसार ADB, AIIB और उसके कर्मचारियों तथा परिचालनों को कुछ प्रिविलेज और इम्युनिटीज़ देने का प्रयास करते हैं जिनमें निम्नलिखित शामिल हैं:
ज्यूडीशियल प्रक्रिया से इम्युनिटी:
- बैंक हर प्रकार की कानूनी प्रक्रिया से मुक्तहोगा, फंड्स जुटाने, गारंटी की शर्त या अंडरराइट सिक्योरिटी को खरीदने या बेचने की शक्तियों से संबंधित मामलों को छोड़कर।
- समझौतों के अनुसार, रेगुलेशंस या कॉन्ट्रैक्ट्स में निर्दिष्ट प्रक्रिया के अतिरिक्त कोई सदस्य देश या उसकी कोई एजेंसी किसी और प्रकार बैंक के खिलाफ कार्रवाई नहीं कर सकते हैं।
कर्मचारियों को इम्युनिटी:
- बैंक के सभी अधिकारी और कर्मचारी अपनी आधिकारिक क्षमता में किये गए सभी कार्यों के संबंध में कानूनी प्रक्रिया से इम्यून होंगे, सिवाय जब बैंक उस इम्युटी में छूट दे दें।
एसेट्स को इम्युनिटी:
- बैंक के एसेट्स और संपत्तियांँ किसी कार्यकारी या विधायी शक्तियों के अंतर्गत या इस संबंध में अंतिम फैसला आने से पहले तलाशी, जब्ती और कुर्की से इम्यून होंगे। उन्हें किसी प्रतिबंध, रेगुलेशंस, नियंत्रणों और स्थगन से भी छूट दी जाएगी।
कराधान से छूट:
- बैंक, उनकी संपत्तियांँ, एसेट्स, आय, परिचालन और उनके समझौतों के लेन-देन को सभी प्रकार के कराधान से छूट होगी, सिवाय किसी कर या शुल्क का भुगतान करने, रोकने या जमा करने की कोई शर्त न हो।
- यह नियम बैंकों द्वारा अपने कर्मचारियों को दिये जाने वाले वेतन और भत्तों पर भी लागू होगा, जब तक कि भारत द्वारा हस्ताक्षरित समझौते में अन्यथा न लिखा हो।
केंद्रीय बजट में सुधार हेतु एस्टिमेट्स समिति
- संसद की एस्टिमेट्स समिति (अध्यक्ष : गिरीश भालचंद्र बापट) ने ‘सरकारी व्यय के बेहतर प्रबंधन हेतु ‘हालिया बजटीय सुधार’ विषय पर अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की है। इन सुधारों में निम्नलिखित बिंदु शामिल हैं:
(i) बजटीय चक्र को आगे बढ़ाना और 1 फरवरी को केंद्रीय बजट पेश करना।
(ii) बजट में योजनागत व्यय और गैर-योजना व्यय का विलय।
(iii) रेल बजट और केंद्रीय बजट का विलय। - समिति के मुख्य निष्कर्षों और सुझावों में निम्नलिखित शामिल हैं:
- राज्यवार आवंटन: समिति ने सुझाव दिया कि केंद्र सरकार को केंद्रीय बजट दस्तावेज़ों में राज्यवार आवंटनों का विवरण शामिल करना चाहिये ताकि राज्यों को हस्तांतरित धनराशि में पारदर्शिता लाई जा सके।
खनन
खान और खनिज (विकास एवं विनियमन) संशोधन विधेयक 2021
खान और खनिज (विकास एवं विनियमन) संशोधन विधेयक 2021 को संसद में पारित कर दिया गया। यह विधेयक खान और खनिज (विकास एवं विनियम) विधेयक, 1957 में संशोधन करता है। विधेयक की मुख्य विशेषताएंँ निम्नलिखित हैं:
कोयला संरक्षण और कोयला परिवहन इंफ्रास्ट्रक्चर
कोयला एवं स्टील संबंधी स्थायी समिति (अध्यक्ष: राकेश सिंह) ने ‘देश में कोयला संरक्षण और कोयला परिवहन के लिये इंफ्रास्ट्रक्चर का विकास’ विषय पर अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की है। समिति के मुख्य निष्कर्ष और सुझाव निम्नलिखित हैं:
कोयले का परिवहन:
- समिति ने सुझाव दिया कि कोयले को सड़क परिवहन के माध्यम से लाने-ले जाने की पद्धति को धीरे-धीरे खत्म किया जाना चाहिये।
- समिति के अनुसार, कोल इंडिया लिमिटेड को रेल या कवर्ड कनवेयर बेल्ट्स के ज़रिये पिट हैड्स से डिस्पैच प्वाइंट्स तक कोयले के परिवहन हेतु पूरी तरह से मकैनाइज़ड प्रणाली का इस्तेमाल करना चाहिये।
खनिज नीलामी नियमों में संशोधन
- खान मंत्रालय ने खनिज (नीलामी) नियम, 2015 में संशोधन करने हेतु खनिज (नीलामी) संशोधन नियम, 2021 को अधिसूचित किया है।
- वर्ष 2015 के नियम खानों की नीलामी को विनियमित करते हैं।
- वर्ष 2021 के संशोधनों का लक्ष्य नीलाम की गई खानों में उत्पादन को जल्द शुरू करने के लिये प्रोत्साहित करना है।
- पूर्व नियमों के अंतर्गत लीज़ी को खनिजों के मूल्य का कुछ हिस्सा राज्य सरकार को देना होता है।
- नए संशोधन में प्रावधान किया गया है कि अगर लीज़ी उत्पादन शुरू करने की अधिसूचित तारीख से पहले वितरण शुरू कर देता है तो उसे अधिसूचित तारीख से पहले डिस्पैच की गई मात्रा पर केवल 50% राशि सरकार को चुकानी होगी।
स्वास्थ्य
मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेन्सी (संशोधन) विधेयक, 2020
मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेन्सी (संशोधन) विधेयक, 2020 को संसद में पारित कर दिया गया। विधेयक, मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेन्सी एक्ट, 1971 में संशोधन प्रस्तुत करता है जिसमें पंजीकृत मेडिकल प्रैक्टिशनर्स द्वारा कुछ स्थितियों में गर्भावस्था को समाप्त करने (गर्भपात करने) से संबंधित प्रावधान हैं। बिल गर्भावस्था को समाप्त करने की परिभाषा को इसमें शामिल करता है। इसका अर्थ मेडिकल या सर्जिकल तरीकों से गर्भावस्था को समाप्त करने की प्रक्रिया से है।
- मेडिकल बोर्ड का गठन: बिल के अनुसार, गर्भावस्था को समाप्त करने की ऊपरी सीमा उन मामलों में लागू नहीं होगी, जहाँ असामान्य भ्रूण (फीटस) के निदान (डायग्नोसिस) के कारण गर्भपात ज़रूरी है। इस असामान्य भ्रूण का डायग्नोसिस मेडिकल बोर्ड द्वारा किया जाएगा।
- बिल के अंतर्गत प्रत्येक राज्य सरकार एक मेडिकल बोर्ड स्थापित करेगी। इन मेडिकल बोर्ड्स की शक्तियों और कार्यों को अधिसूचित करने का अधिकार केंद्र सरकार के पास होगा।
राष्ट्रीय संबद्ध और स्वास्थ्य देख-रेख वृत्ति आयोग विधेयक, 2020
राष्ट्रीय संबद्ध और स्वास्थ्य देख-रेख वृत्ति आयोग विधेयक, 2020 को संसद में पारित कर दिया गया। विधेयक एलाइड और हेल्थकेयर प्रोफेशनल्स की शिक्षा और प्रैक्टिस को रेगुलेट तथा मानकीकृत करने का प्रयास करता है। बिल की मुख्य विशेषताओं में शामिल हैं:
- परिभाषा: विधेयक के अनुसार, ‘एलाइड हेल्थ प्रोफेशनल’ उस एसोसिएट, टेक्नीशियन या टेक्नोलॉजिस्ट को कहा जाएगा जो कि किसी बीमारी, रोग, चोट या क्षति के निदान और उपचार में सहयोग देने हेतु प्रशिक्षित हो। एलाइड हेल्थ प्रोफेशनल के लिये बिल के अंतर्गत डिप्लोमा या डिग्री होनी चाहिये। डिप्लोमा या डिग्री की अवधि कम-से-कम 2,000 घंटे होनी चाहिये (दो से चार वर्षों के दौरान)।
- एलाइड और हेल्थकेयर प्रोफेशंस: बिल एलाइड और हेल्थकेयर प्रोफेशंस की कुछ श्रेणियों को मान्यता प्राप्त श्रेणियाँ निर्दिष्ट करता है जो बिल की अनुसूची में शामिल हैं इनमें शामिल हैं- लाइफ साइंस प्रोफेशनल्स, ट्रॉमा और बर्न केयर प्रोफेशनल्स, सर्जिकल और एनेस्थीसिया से जुड़े टेक्नोलॉजी प्रोफेशनल्स, फिजियोथेरेपिस्ट्स और न्यूट्रीशन साइंस प्रोफेशनल्स।
- राष्ट्रीय एलाइड और हेल्थकेयर प्रोफेशंस आयोग: बिल राष्ट्रीय एलाइड और हेल्थकेयर प्रोफेशंस आयोग की स्थापना करता है। आयोग नीतियांँ और मानदंड बनाने, सभी रज़िस्टर्ड प्रोफेशनल्स का ऑनलाइन सेंट्रल रजिस्टर बनाने और उसे मेनटेन करने, शिक्षा और प्रशिक्षण के बुनियादी मानदंड तय करने तथा एक समान एंट्रेंस और एग्जिट परीक्षा का प्रावधान करने हेतु ज़िम्मेदार होगा।
- राज्य परिषदें: राज्य सरकार को बिल के पारित होने के छह महीने के भीतर राज्य एलाइड और हेल्थकेयर परिषदों का गठन करना होगा। राज्य परिषदें पेशेवर आचरण को लागू करने, राज्य रजिस्टरों को मेनटेन करने, संस्थानों का निरीक्षण करने और एक समान एंट्रेंस और एग्जिट परीक्षा सुनिश्चित करने हेतु ज़िम्मेदार होंगी।
- अपराध और सज़ा: राज्य रजिस्टर या राष्ट्रीय रजिस्टर में नामांकित क्वालिफाइड एलाइड और हेल्थकेयर प्रैक्टिशनर के अतिरिक्त किसी अन्य व्यक्ति को प्रैक्टिस करने की अनुमति नहीं है। इस प्रावधान का उल्लंघन करने वाले व्यक्ति को 50,000 रुपए के ज़ुर्माने का प्रावधान किया गया है।
प्रधानमंत्री भारतीय जनौषधि परियोजना
- रसायन और उर्वरक संबंधी स्थायी समिति (अध्यक्ष: कनिमोझी करुणानिधि) ने प्रधानमंत्री भारतीय जनौषधि परियोजना (Pradhan Mantri Bhartiya Janaushadhi Pariyojana- PMBJP) के कार्यान्वयन हेतु अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की है।
- PMBJP का लक्ष्य सस्ती दरों पर सभी को अच्छी जेनेरिक दवाएँ उपलब्ध कराना है। इस योजना के अंतर्गत देश भर में प्रधानमंत्री भारतीय जनौषधि केंद्र नामक डेडिकेटेड आउटलेट्स खोले गए हैं जिनके माध्यम से आम लोगों को जेनेरिक दवाएँ बेची जाती हैं। समिति के मुख्य निष्कर्ष और सुझाव निम्नलिखित हैं:
- योजना का कवरेज़:
- कमेटी ने कहा कि योजना का कवरेज अपर्याप्त है। वर्तमान में योजना के अंतर्गत 732 ज़िलों को कवर किया गया है, जबकि वर्ष 2020-21 में 739 ज़िलों को कवर करने का लक्ष्य था।
- कमेटी ने योजना के कार्यान्वयन की स्थिति का राज्यवार विश्लेषण करने का सुझाव दिया है जिसमें फार्मास्यूटिकल्स विभाग को ज़िला स्तरीय कवरेज की जगह ब्लॉक स्तर के कवरेज पर ध्यान केंद्रित करना चाहिये।
- इसके अतिरिक्त कमेटी ने यह सुझाव भी दिया कि ग्रामीण क्षेत्रों, सुदूर क्षेत्रों, स्लम्स और निम्न आय वर्ग के लोगों को सेवाएंँ प्रदान करने पर विशेष ध्यान दिया जाए।
प्रधानमंत्री स्वास्थ्य सुरक्षा निधि
- स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने प्रधानमंत्री स्वास्थ्य सुरक्षा निधि (Pradhan Mantri Swasthya Suraksha Nidhi-PMSSN) का गठन किया है।
- यह पब्लिक एकाउंट्स में सिंगल नॉन लैप्सेबल फंड है जिसमें स्वास्थ्य और शिक्षा सेस में स्वास्थ्य के मद में प्राप्त आय को जमा किया जाता है। एक नॉन-लैप्सेबल फंड वह होता है।
- PMSSN का विभिन्न स्वास्थ्य संबंधी कार्यक्रमों हेतु इस्तेमाल किया जाएगा जैसे:
महिला एवं बाल विकास
किशोर न्याय (बच्चों की देखभाल और संरक्षण) संशोधन विधेयक, 2021
- लोकसभा में किशोर न्याय (बच्चों की देखरेख और संरक्षण) संशोधन बिल, 2021 को पारित कर दिया गया है। बिल किशोर न्याय (बच्चों की देखभाल और संरक्षण) एक्ट, 2015 में संशोधन करता है। एक्ट में कानून से संघर्षरत बच्चों और देखरेख तथा संरक्षण की ज़रूरत वाले बच्चों से संबंधित प्रावधान हैं, जबकि इस विधेयक में बाल संरक्षण को मज़बूत करने के उपाय किये गए हैं। मुख्य संशोधनों में निम्नलिखित शामिल हैं:
नागरिक उड्डयन
मानवरहित विमान प्रणाली नियम, 2021
नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने मानवरहित विमान प्रणाली नियम, 2021 को अधिसूचित किया है। इन नियमों का लक्ष्य भारत में मानवरहित विमान प्रणालियों (Unmanned Aircraft System- UAS) को रेगुलेट करना है। UAS में ऐसे मानवरहित विमान और उससे संबंधित वस्तुएंँ (जैसे संचार प्रणालियांँ और ग्राउंड कंट्रोल स्टेशन) आती हैं जिन्हें पायलट के बिना परिचालित किया जाता है। ये नियम निम्नलिखित पर लागू होंगे:
(i) भारत में रजिस्टर्ड सभी UAS, भले ही उनकी मौजूदा लोकेशन कोई भी हो।
(ii) UAS रखने वाला या UAS के विभिन्न पहुलओं (जैसे निर्यात, आयात, मैन्युफैक्चरिंग और परिचालन) से संलग्न व्यक्ति।
(iii) भारत में या उसके ऊपर उड़ने वाले यूएएस।
नियमों की मुख्य विशेषताओं में शामिल हैं:
- मैन्युफैक्चरिंग, व्यापार, स्वामित्व और परिचालन: नियमों में निर्दिष्ट किया गया है कि नागरिक उड्डयन महानिदेशालय की अनुमति के बिना UAS (प्रोटोटाइप सहित) को न तो मैन्युफैक्चर किया जाएगा, और न ही आयात।
- आयात, मैन्युफैक्चरिंग, व्यापार, स्वामित्व और परिचालन के अधिकार की अनुमति हेतु नागरिक उड्डयन महानिदेशालय के पास आवेदन किया जाना आवश्यक होगा। यह अधिकार 10 वर्षों के लिये वैध होगा और इसे रिन्यू किया जा सकता है।
- UAS का परिचालन: निम्नलिखित के बिना देश में कोई यूएएस परिचालित नहीं किया जाएगा:
(i) मैन्युफैक्चर और उड़ान योग्यता का सर्टिफिकेट।
(ii) महानिदेशक द्वारा जारी परमिट, जिसका हस्तांतरण नहीं किया जा सकता। सर्टिफिकेट अधिकृत टेस्टिंग लेबोरेट्री के सुझावों के आधार पर दिया जाएगा।
- कुछ क्षेत्रों में मानवरहित विमान नहीं उड़ाए जाएंगे। इनमें निम्नलिखित शामिल हैं:
(i) मुंबई, दिल्ली, कोलकाता, चेन्नई, बंगलूरू और हैदराबाद के अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डों के 5 किलोमीटर दायरे के क्षेत्र।
(ii) नागरिक, निजी और रक्षा हवाई अड्डों और सैन्य केंद्रों के 3 किलोमीटर दायरे के क्षेत्र।
(iii) अंतर्राष्ट्रीय सीमाओं जिसमें नियंत्रण रेखा (एलओसी) और वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) शामिल हैं, के 25 किलोमीटर दायरे के क्षेत्र।
(iv) भारत के राष्ट्रीय उद्यानों और वन्यजीव अभयारण्यों के इर्द-गिर्द के भू-संवेदी क्षेत्र।
- कुछ क्षेत्रों में मानवरहित विमान नहीं उड़ाए जाएंगे। इनमें निम्नलिखित शामिल हैं:
- अपराध और सज़ा: नियमों में निर्दिष्ट किया गया है कि विभिन्न प्रावधानों का उल्लंघन करने वाले व्यक्तियों को जुर्माना भरना पड़ेगा (10 हज़ार रुपए से एक लाख रुपए के बीच)। जुर्माने निम्नलिखित दरों के आधार पर वसूले जाएंगे:
(i) 200%, अगर उल्लंघन किसी छोटे संगठन ने किया है (अधिकतम 50 कर्मचारियों वाले)।
(ii) 300%, अगर उल्लंघन किसी मध्यम स्तर के संगठन ने किया है (51-200 कर्मचारियों वाले)।
(iii) 400%, अगर उल्लंघन किसी बड़े संगठन ने किया है (200 से अधिक कर्मचारियों वाले)।
शिपिंग
सामुद्रिक सहायता विधेयक, 2021
नेविगेशन हेतु सामुद्रिक सहायता विधेयक, 2021 लोकसभा में पारित कर दिया गया है। यह विधेयक भारत में नेविगेशन मदद के विकास, रखरखाव और प्रबंधन हेतु फ्रेमवर्क प्रदान करने का प्रयास करता है। जो लाइटहाउस एक्ट, 1972 को समाप्त करता है। इस बिल की मुख्य विशेषताओं में शामिल हैं:
- विधेयक का दायरा: यह पूरे भारत पर लागू होता है जिसमें टेरिटोरियल वॉटर्स, कॉन्टिनेंटल शेल्फ और एक्सक्लूसिव इकोनॉमिक ज़ोन के अंतर्गत आने वाले विभिन्न मैरीटाइम ज़ोन्स शामिल हैं।
- नेविगेशन में सहायता: विधेयक के अनुसार, नेविगेशन एड वेसल (जलयान) के बाहर लगा ऐसा यंत्र, सिस्टम, या सेवा है जिसे वेसल और वेसल ट्रैफिक के सुरक्षित व कुशल संचालन के लिए डिज़ाइन एवं ऑपरेट किया जाता है।
- नेविगेशन एड्स और वेसल ट्रैफिक सेवाओं का प्रबंधन: केंद्र सरकार नेविगेशन एड्स और वेसल ट्रैफिक सेवाओं के विकास, रखरखाव और प्रबंधन के लिये ज़िम्मेदार होगी। इनके प्रबंधन से जुड़ी शक्तियों में निम्नलिखित शामिल हैं
(i) नेविगेशन मदद, उनका रखरखाव, एड्स को जोड़ना, उनमें फेरबदल या उन्हें हटाना।
(ii) एड्स के निरीक्षण के लिये अधिकृत करना जो कि नेविगेशन की सुरक्षा को प्रभावित कर सकती है। - ट्रेनिंग और सर्टिफिकेशन: विधेयक में प्रावधान है कि वैध प्रशिक्षण सर्टिफिकेट के बिना किसी व्यक्ति को किसी स्थान पर नेविगेशन एड (एंसिलरी गतिविधियों सहित) या वेसल ट्रैफिक सेवा के संचालन की अनुमति नहीं होगी।
- सज़ा: विधेयक में कुछ अपराधों को परिभाषित कर सज़ा का प्रावधान किया गया है। जैसे- नेविगेशन एड या वेसल ट्रैफिक सेवा के प्रभाव को जान-बूझकर बाधित, कम या सीमित करने पर छह माह तक की सज़ा या एक लाख रुपए तक का जुर्माना हो सकता है, या दोनों दंड भुगतने पड़ सकते हैं।
खाद्य प्रसंस्करण
राष्ट्रीय खाद्य प्रौद्योगिकी, उद्यमिता और प्रबंधन संस्थान विधेयक, 2019
राष्ट्रीय खाद्य प्रौद्योगिकी, उद्यमिता और प्रबंधन संस्थान विधेयक, 2019 को राज्यसभा में पारित कर दिया गया है जो कुछ खाद्य प्रसंस्करण, उद्यमिता और प्रबंधन संस्थानों को राष्ट्रीय महत्त्व के संस्थान घोषित करता है।
जिन संस्थानों को इस विधेयक में शामिल किया गया है, वे हैं:
1. कुंडली स्थित राष्ट्रीय खाद्य प्रौद्योगिकी उद्यमिता और प्रबंधन संस्थान।
2. तंजावुर स्थित भारतीय खाद्य प्रसंस्करण प्रौद्योगिकी संस्थान।
यह विधेयक इन संस्थानों को राष्ट्रीय खाद्य प्रौद्योगिकी, उद्यमिता और प्रबंधन संस्थान घोषित करता है।
उत्पादन-लिंक्ड प्रोत्साहन योजना
- केंद्रीय कैबिनेट ने खाद्य प्रसंस्करण उद्योग हेतु उत्पादन-लिंक्ड प्रोत्साहन योजना (Production-Linked Incentive Scheme- PLI) को मंज़ूरी प्रदान कर दी है।
- योजना का लक्ष्य प्रसंस्करण क्षमता में विस्तार करने वाली खाद्य मैन्युफैक्चरिंग एंटिटीज़ को सहयोग करना और अंतर्राष्ट्रीय ब्रांडिंग के ज़रिये भारतीय ब्रांड्स को प्रोत्साहित करना है।
- योजना के अंतर्गत सरकार चार मुख्य खाद्य उत्पाद खंडों में प्लांट मशीनरी की मैन्युफैक्चरिंग को प्रोत्साहित करेगी जो निम्नलिखित हैं:
(i) रेडी टू कुक/ईट फूड्स।
(ii) प्रोसेस्ड सब्जियांँ और फल।
(iii) समुद्री उत्पाद।
(iv) मॉज़रेला चीज़। - न्यूनतम निर्दिष्ट बिक्री और वर्ष 2020-23 के दौरान न्यूनतम राशि के निवेश, जैसा कि निर्दिष्ट हो, के इच्छुक मैन्यूफैक्चरर्स इस योजना का लाभ पाने के पात्र होंगे।
- हालांँकि ये शर्तें लघु और मध्यम दर्जे के उद्यमों के इनोवेटिव/ऑर्गेनिक उत्पादों जैसे- अंडे, अंडों से बने उत्पादों और पोल्ट्री मीट पर लागू नहीं होंगी।
- योजना के अंतर्गत सरकार वर्ष 2021-22 से वर्ष 2026-27 के दौरान छह वर्ष की अवधि हेतु वार्षिक आधार पर चुनिंदा लाभार्थियों को इनसेंटिव देगी।
- छह वर्ष की अवधि के लिये योजना हेतु 10,900 करोड़ रुपए आवंटित किये गए हैं।
- विदेशों में महत्त्वपूर्ण भारतीय ब्रांड्स की ब्रांडिंग और मार्केटिंग को प्रोत्साहित करने हेतु 1,500 करोड़ रुपए प्रदान किये जाएंगे। इनमें इन-स्टोर ब्रांडिंग, शेल्फ स्पेस रेंटिंग और मार्केटिंग के लिये अनुदान दिये जाएंगे।
खाद्य वितरण
सार्वजनिक वितरण प्रणाली
19 मार्च, 2021 को खाद्य, उपभोक्ता मामले और सार्वजनिक वितरण संबंधी स्थायी समिति (अध्यक्ष: सुदीप बंदोपाध्याय) ने ‘सार्वजनिक वितरण प्रणाली का सुदृढीकरण- तकनीकी साधनों का उपयोग और एक देश एक राशन कार्ड योजना का कार्यान्वयन’ पर अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की है। भारत की सार्वजनिक वितरण प्रणाली (Public Distribution System-PDS) उचित दर की दुकानों (Fair Price Shops) के नेटवर्क के ज़रिये राज्य सरकार द्वारा चिह्नित लाभार्थियों को सबसिडी युक्त खाद्य पदार्थ प्रदान करती है। वर्ष 2019 में ‘एक राष्ट्र-एक राशन कार्ड’ (One Nation-One Ration Card-ONORC) योजना को शुरू किया गया था ताकि लाभार्थियों को देशव्यापी पोर्टेबिलिटी मिले और वे देश के किसी भी स्थान से PSD का लाभ उठा सकें। समिति के मुख्य निष्कर्षों और सुझावों में शामिल हैं:
- ONORC के कार्यान्वयन में विषमता:
- समिति ने अध्ययन किया कि विभिन्न राज्य सरकारों के कार्यान्वन में विषमताएंँ हैं। उदाहरण के लिये छत्तीसगढ़ और असम को पोर्टेबिलिटी ग्रिड को ऑनबोर्ड करना बाकी है, जबकि 32 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों ने इस प्रक्रिया को पूरा कर लिया है।
- समिति ने यह भी कहा कि राज्यों द्वारा ONORC के कार्यान्वयन और PDS के कामकाज़ पर नजर रखने हेतु गठित स्टेट विजिलेंस कमिटी की बैठकें नियमित रूप से नहीं होतीं।
- समिति ने सुझाव दिया कि केंद्र सरकार का खाद्य और सार्वजनिक वितरण विभाग राज्यों के कार्यान्वयन का निरीक्षण करे।
सामाजिक न्याय
संविधान (अनुसूचित जातियांँ) आदेश (संशोधन) विधेयक, 2021
- संविधान (अनुसूचित जातियांँ) आदेश (संशोधन) विधेयक, 2021 को संसद में पारित कर दिया गया है।
- यह विधेयक संविधान (अनुसूचित जातियांँ) आदेश, 1950 में संशोधन प्रस्तुत करता है।
- यह विधेयक राष्ट्रपति को यह अधिकार प्रदान करता है कि वह विभिन्न राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में अनुसूचित जातियों को निर्दिष्ट कर सकता है। इसके अतिरिक्त संविधान संसद को इस बात की अनुमति देता है कि वह अनुसूचित जातियों को अधिसूचित करने हेतु इस सूची में बदलाव कर सकती है।
- यह विधेयक तमिलनाडु राज्य द्वारा प्रस्तावित बदलावों को प्रभावी बनाता है।
श्रम एवं रोज़गार
वेतन संहिता (केंद्रीय सलाहकार बोर्ड) नियम, 2021
श्रम एवं रोज़गार मंत्रालय ने वेतन संहिता (केंद्रीय सलाहकार बोर्ड) नियम, 2021 को अधिसूचित किया। ये नियम सभी केंद्रीय क्षेत्र के प्रतिष्ठानों पर लागू होंगे। नियमों की मुख्य विशेषताओं में शामिल हैं:
- बोर्ड का गठन: संहिता में केंद्रीय सलाहकार बोर्ड के गठन का प्रावधान है। नियमों में निर्दिष्ट किया गया है कि बोर्ड में निम्नलिखित शामिल होंगे:
(i) नियोक्ताओं का प्रतिनिधित्व करने वाले 12 व्यक्ति।
(ii) कर्मचारियों का प्रतिनिधित्व करने वाले 12 व्यक्ति।
(iii) 11 स्वतंत्र व्यक्ति (दो संसद सदस्य और वेतन एवं श्रम क्षेत्र के चार पेशेवर लोग सहित)।
(iv) राज्य सरकारों के पांँच प्रतिनिधि। - इसके अतिरिक्त कुल सदस्यों में से एक-तिहाई महिला सदस्यों का होना अनिवार्य है तथा स्वतंत्र सदस्यों की संख्या कुल सदस्यों की एक-तिहाई से कम होनी चाहिये। बोर्ड के कार्य संपादन के दौरान किसी स्थिति में बराबर वोट होने पर अध्यक्ष का वोट कास्टिंग वोट के रूप में कार्य करेगा।
- बोर्ड के कार्य: संहिता में प्रावधान है कि बोर्ड के सदस्य विभिन्न मुद्दों पर केंद्र सरकार को सलाह देंगे जिनमें शामिल हैं:
(i) न्यूनतम वेतन का निर्धारण।
(ii) महिलाओं हेतु रोज़गार के अवसरों में वृद्धि।- नियमों में कहा गया है कि बोर्ड केंद्र सरकार को वर्किंग जर्नलिस्ट्स और सेल्स प्रमोशन कर्मचारियों के न्यूनतम वेतन के निर्धारण के संबंधित मुद्दों पर भी सलाह देगा।
- बोर्ड की बैठकें: बोर्ड का अध्यक्ष कम-से-कम 15 दिन का नोटिस देकर, किसी भी समय जो उसे उचित लगे, बोर्ड की बैठक आहूत करा सकता है। इसके अतिरिक्त अगर न्यूनतम आधे सदस्य उससे बैठक करने का अनुरोध करते हैं तो उसे अनुरोध की तारीख से 30 दिनों के भीतर बैठक करानी होगी।
- किसी कार्य से संबंधित बैठक में न्यूनतम एक-तिहाई सदस्य और नियोक्ता एवं कर्मचारियों, प्रत्येक के कम-से-कम एक प्रतिनिधि सदस्य को मौजूद होना चाहिये।
प्रधानमंत्री रोज़गार सृजन कार्यक्रम
- 15 मार्च, 2021 को पब्लिक एकाउंट्स समिति (अध्यक्ष: अधीर रंजन चौधरी) ने प्रधानमंत्री रोज़गार सृजन कार्यक्रम (Prime Minister Employment Generation Program-PMEGP) के कार्यान्वयन पर अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत कर दी है।
और पढ़े.. - यह रिपोर्ट वर्ष 2008 से वर्ष 2016 के दौरान भारत के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (Comptroller & Auditor General of India-CAG) की ऑडिट रिपोर्ट पर आधारित है। रिपोर्ट के मुख्य निष्कर्षों और सुझावों में निम्नलिखित शामिल हैं:
- नोडल बैंक्स: समिति ने कहा कि PMEGP के अंतर्गत धनराशि संवितरित करने वाला एक नोडल बैंक प्रस्तावित किया गया है ताकि यह सुनिश्चित हो कि दावों की प्रोसेसिंग शीघ्र हो और धनराशि निष्क्रिय न पड़ी रहे।
- समिति ने सुझाव दिया कि PMEGP के अंतर्गत दावों को वैलिडेट करने से पहले नोडल बैंक धनराशि को मंज़ूरी न दे, यह सुनिश्चित करने हेतु पर्याप्त जांँच कराई जाए।
- समिति के अनुसार, वर्ष 2020 तक बैंक ने 154 करोड़ रुपए संवितरित नहीं किये थे। उसने निर्धारित समयावधि का पालन करने का सुझाव दिया ताकि यह सुनिश्चित हो कि धनराशि लंबे समय तक बकाया न रहे।
सड़क परिवहन
वाहन स्क्रैपिंग नीति
सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय द्वारा वाहन स्क्रैपिंग नीति जारी की गई है जिसका लक्ष्य अनफिट और प्रदूषण फैलाने वाले वाहनों को चरणबद्ध तरीके से हटाने हेतु एक प्रणाली तैयार करना है। नीतियों की मुख्य विशेषताओं में निम्नलिखित बिंदु शामिल हैं:
नवीन और अक्षय ऊर्जा
अक्षय ऊर्जा
वर्ष 2022 तक 175 गीगावॉट (GW) अक्षय ऊर्जा का लक्ष्य प्राप्त करने की कार्ययोजना पर ऊर्जा संबंधी स्थायी समिति (अध्यक्ष: राजीव रंजन सिंह) ने अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की। समिति के मुख्य निष्कर्षों और सुझावों में निम्नलिखित शामिल हैं:
- सौर ऊर्जा: वर्ष 2010 में देश में सौर ऊर्जा को बढ़ावा देने हेतु राष्ट्रौय सौर मिशन की शुरुआत की गई थी।
- मिशन के अंतर्गत केंद्र सरकार का लक्ष्य वर्ष 2022 तक 100 GW की ग्रिड से जुड़ी सौर ऊर्जा क्षमता हासिल करना है।
- पवन ऊर्जा: देश में 36 GW और 32 GW की अपतटीय पवन ऊर्जा क्षमता गुजरात तथा तमिलनाडु तट पर विद्यमान है।
- समिति ने सुझाव दिया कि मंत्रालय को भारत के अन्य तटीय राज्यों में पवन ऊर्जा क्षमता का पता लगाना चाहिये।
- परियोजनाओं का वित्तपोषण: समिति ने उल्लेख किया कि 58 GW की अक्षय ऊर्जा परियोजनाओं की स्थापना हेतु अगले दो वर्षों में 2.6 लाख करोड़ रुपए की आवश्यकता होगी।
- समिति ने सुझाव दिया कि नवीन और अक्षय ऊर्जा मंत्रालय को आगामी अक्षय ऊर्जा परियोजनाओं हेतु दीर्घकालिक ऋण जुटाना चाहिये।
सोलर सेल्स और मॉड्यूल्स पर बेसिक कस्टम ड्यूटी
- 1 अप्रैल, 2022 से आयातित सोलर सेल्स और मॉड्यूल्स पर क्रमशः 25% और 40% की दर से बेसिक कस्टम्स ड्यूटी लगाई जाएगी।
- इसका लक्ष्य घरेलू सोलर मैन्यु फैक्चरिंग उद्योगों को बढ़ावा देना है।
ऊर्जा
बिजली वितरण कंपनियों हेतु दिशा-निर्देश
ऊर्जा मंत्रालय ने वितरण कंपनियों (डिस्कॉम्स) हेतु दिशा-निर्देश जारी किये हैं। दिशा-निर्देशों की मुख्य विशेषताओं में निम्नलिखित शामिल हैं:
- PPA को जारी रखना या उससे बाहर आना: दिशा-निर्देशों में निर्दिष्ट किया गया है कि राज्य डिस्कॉम्स 25 वर्ष के बाद पावर परचेज़ एग्रीमेंट (PPA) को जारी रख सकते हैं या उससे बाहर निकल सकते हैं। 25 वर्ष के बाद बिजली हासिल करने का पहला अधिकार उस डिस्कॉम के पास होगा जिसके साथ पीपीए पर हस्ताक्षर किये गए हैं।
- पीपीए की अवधि समाप्त होने के बाद बाहर निकलने के इच्छुक डिस्कॉम को बिजली उत्पादक स्टेशनों को छह महीने का अग्रिम नोटिस देना होगा। जिन डिस्कॉम ने 25 वर्ष की अवधि पूरी कर ली है, वे छह महीने की नोटिस अवधि देकर बाहर निकल सकते हैं।
- गैर आवंटित बिजली: गैर आवंटित बिजली वह होती है जिसे किसी विशेष डिस्कॉम को आवंटित नहीं किया गया है।
- इसे मौजूदा डिस्कॉम के बीच आवंटित बिजली को अनुपात में वितरित किया जाता है। डिस्कॉम्स किसी भी गैर-आवंटित बिजली के एग्रीमेंट से पीछे हट सकता है। गैर-आवंटित बिजली की व्यवस्था से आंशिक रूप से हटने की अनुमति नहीं है।
- उत्पादक स्टेशनों द्वारा उपलब्ध बिजली की बिक्री: डिस्कॉम्स के PPA से हटने पर उत्पादक कंपनी उपलब्ध बिजली निम्नलिखित को बेच सकती है:
(i) प्रतिस्पर्द्धी बिडिंग प्रक्रिया के ज़रिये पीपीए के इच्छुक खरीदार।
(ii) पावर एक्सचेंज मार्केट्स में।
(iii) उपलब्ध बिजली को फिर से आवंटित करके मौजूदा डिस्कॉम्स को।
पर्यावरण
पर्यावरण प्रभाव आकलन अधिसूचना, 2006
पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने पर्यावरण प्रभाव आकलन अधिसूचना, 2006 में संशोधन किया है। यह अधिसूचना विभिन्न परियोजनाओं जैसे- बांँध, खान, हवाई अड्डा और राजमार्ग के सामाजिक और पर्यावरणीय प्रभाव को रेगुलेट करती है। मुख्य संशोधनों में निम्नलिखित बिंदु शामिल हैं:
- पूर्व पर्यावरणीय मंज़ूरियों से छूट: 2006 की अधिसूचना के अनुसार, परियोजनाओं की कुछ श्रेणियों (मौजूदा परियोजनाओं के विस्तार या आधुनिकीकरण तथा मौजूदा मैन्युफैक्चरिंग इकाई में उत्पाद मिश्रण में कोई परिवर्तन सहित) को संबंधित अथॉरिटी (पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय या राज्य/केंद्रशासित प्रदेश की पर्यावरण प्रभाव आकलन अथॉरिटी) से पूर्व पर्यावरणीय मंज़ूरी लेनी होती है।
- संशोधन कुछ मौजूदा मैन्युफैक्चरिंग इकाइयों को पूर्व पर्यावरणीय मंज़ूरी से छूट देते हैं जो अपनी उत्पादन क्षमता बढ़ा रहे हैं उन्हें यह छूट दी जा सकती है अगर:
(i) उत्पादन क्षमता में वृद्धि से प्रदूषण और अधिक नहीं बढ़ता।
(ii) संबंधित मैन्युफैक्चरिंग इकाई केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को एमिशन क्वालिटी के कम-से-कम 95% अप टाइम के साथ ऑनलाइन सतत् निगरानी प्रणाली लागू करती है।
- संशोधन कुछ मौजूदा मैन्युफैक्चरिंग इकाइयों को पूर्व पर्यावरणीय मंज़ूरी से छूट देते हैं जो अपनी उत्पादन क्षमता बढ़ा रहे हैं उन्हें यह छूट दी जा सकती है अगर:
- जन सुनवाई से छूट: जन सुनवाई पूर्व पर्यावरणीय मंज़ूरी प्राप्त करने की प्रक्रिया में सार्वजनिक परामर्श चरण के घटकों में से एक है। यह परामर्श इस उद्देश्य से दिया जाता है ताकि परियोजना को डिज़ाइन करते समय स्थानीय रूप से प्रभावित व्यक्तियों और अन्य हितधारकों की चिंताओं पर विचार किया जा सके और उन्हें दूर किया जा सके।
विज्ञान एवं तकनीक
राष्ट्रीय बायोटेक्नोलॉजी विकास रणनीति
बायोटेक्नोलॉजी विभाग द्वारा राष्ट्रीय बायोटेक्नोलॉजी विकास रणनीति 2021-25 को जारी किया गया। इस रणनीति का उद्देश्य बायोटेक्नोलॉजी अनुसंधान, नवाचार और उद्योग में भारत को विश्व स्तर पर प्रतिस्पद्धी बनाना है। रणनीतिक दस्तावेज़ में कहा गया है कि भारत में बायोटेक्नोलॉजी उद्योग की वृद्धि मुख्य रूप से वैक्सीन और जेनेटिक इंजीनियरिंग (किसी जीव के जेनेटिक मेकअप में बदलाव) का इस्तेमाल करके दवाएंँ बनाने पर केंद्रित है। रणनीति का उद्देश्य इसे 2025 तक 150 बिलियन USD करना है।
रणनीति में निम्नलिखित मुख्य क्षेत्रों को चिह्नित किया गया है:
(i) अनुसंधान शैक्षिक साझेदारी।
(ii) उच्च जोखिम वाले विज्ञान के लिये वेंचर कैपिटल।
(iii) उद्योग द्वारा अनुंधान और विकास पर व्यय।
(iv) अनुसंधान और कमर्शियलाइज़ेशन के बीच संबंध।
(v) अंतर्राष्ट्रीय मानदंडों के अनुरूप गुणवत्ता आश्वासन।
इसके अलावा यह रणनीति निम्नलिखित कदमों को प्रस्तावित करती है जिसमें शामिल हैं:
- केंद्रित बायोटेक्नोलॉजी मिशन।
- आयात प्रतिस्थापन और मुख्य उत्पादों के निर्यात में वृद्धि सुनिश्चित करना।
- जीन एडिटिंग, बायोलॉजिकल डेटा की शेयरिंग पर नीतियांँ स्पष्ट करने जैसी उभरती हुई तकनीकों के लिये रेगुलेटरी दिशा-निर्देश बनाना।
- महामारी के लिये राष्ट्रीय बायोसेफ्टी और बायोसिक्योरिटी नेटवर्क बनाना।
- बायोटेक्नोलॉजी के क्षेत्र में दक्षता विकास को बढ़ावा देना और रोज़गारपरकता बढ़ाना।
रसायन और उर्वरक
पेट्रोरसायन की मांग और आपूर्ति
रसायन एवं उर्वरक संबंधी स्थायी समिति (अध्यक्ष: कनिमोझी करुणानिधि) ने ‘पेट्रोरसायनों की मांग और उपलब्धता’ पर अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की है। समिति के मुख्य निष्कर्षों और सुझावों में निम्नलिखित शामिल हैं:
- पेट्रोरसायन हेतु विशिष्ट कार्ययोजना: समिति ने सुझाव दिया कि प्रत्येक पेट्रोकेमिकल की मांग और उपलब्धता का अलग-अलग अध्ययन किया जाना चाहिये और उनके उत्पादन को बढ़ाने हेतु उचित कदम उठाए जाने चाहिये ताकि उनकी मांग को घरेलू स्तर पर पूरा किया जा सके।
- जहाँ भी आवश्यक हो घरेलू उत्पादकों के हितों की रक्षा के लिये कस्टम्स ड्यूटी बढ़ाई जानी चाहिये।
पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस
बायो-ईंधन उत्पादन
पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस संबंधी स्थायी समिति (अध्यक्ष: रमेश विधूड़ी) ने बायो-ईंधन के उत्पादन पर अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की है। समिति के मुख्य निष्कर्षों और सुझावों में निम्नलिखित शामिल हैं:
- राष्ट्रीय नीति: समिति ने कहा कि भारत 80% से अधिक कच्चा तेल आयात करता है। वर्ष 2018 की राष्ट्रीय बायो ईंधन नीति को बिजली और परिवहन क्षेत्रों में बायो ईंधन के इस्तेमाल को बढ़ावा देने के लिये तैयार किया गया था।
- नीति के अंतर्गत सरकार बायोमास और कृषि अवशेषों तथा उत्पादों को बायो ईंधन बनाने के कच्चे माल के रूप में इस्तेमाल करेगी।
- इसका उद्देश्य किसानों को अच्छी कमाई प्रदान करना और कचरा प्रबंधन से संबंधित चुनौतियों को हल करना है।
- इन अनेक लक्ष्यों पर विचार करते हुए समिति ने सुझाव दिया कि नीति की आवर्ती समीक्षा होनी चाहिये ताकि समय-समय पर उत्पन्न समस्याओं को दूर किया जा सके और शब्दशः उसका कार्यान्वयन सुनिश्चित हो।
ग्रामीण विकास
मनरेगा: राज्यवार मज़दूरी दरों में संशोधन
- ग्रामीण विकास मंत्रालय ने महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोज़गार गारंटी एक्ट, 2005 के अंतर्गत अकुशल मैनुअल श्रमिक हेतु राज्यवार मज़दूरी दर में संशोधन किया है।
- यह अधिसूचना 1 अप्रैल, 2021 से लागू होगी।
- इससे पहले मार्च 2020 में मज़दूरी दरों में संशोधन किया गया था।
- मज़दूरी दरों में सबसे अधिक बढ़ोतरी मेघालय में देखी गई है। वहाँ मज़दूरी दर में 23 रुपए की वृद्धि हुई है, जो वर्ष 2020 में 203 रुपए प्रतिदिन से बढ़कर वर्ष 2021 में 226 रुपए प्रतिदिन हो गई है। केरल में मज़दूरी दर में कोई बढ़ोतरी नहीं की गई है, यहाँ वर्ष 2020 से वर्ष 2021 में 291 रुपए प्रतिदिन की मज़दूरी दर कायम है।