भारतीय अर्थव्यवस्था
एक राष्ट्र एक राशन कार्ड योजना
- 17 Sep 2019
- 5 min read
चर्चा में क्यों?
केंद्रीय उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्रालय (Ministry of Consumer Affairs, Food and Public Distribution) ने 30 जून, 2020 तक पूरे देश में ‘एक राष्ट्र-एक राशन कार्ड’ (One nation-one ration card) योजना लागू करने की घोषणा की है।
एक राष्ट्र एक-राशन कार्ड योजना क्या है?
- इस योजना के तहत सार्वजानिक वितरण प्रणाली के अंतर्गत आने वाले लाभार्थी (विशेषकर प्रवासी) देश के किसी भी भाग में,खाद्यान्न प्राप्त करने में सक्षम हो पाएंगे।
- इसके माध्यम से केंद्र सरकार द्वारा संचालित योजनाओं का ही फायदा लिया जा सकेगा। यदि कोई राज्य अपने स्तर पर अपने नागरिकों के लिये किसी प्रकार की खाद्य सुरक्षा योजना चला रहा है तो अन्य राज्य के नागरिक इसका फायदा नहीं ले पाएंगे।
- वर्तमान में आंध्र प्रदेश, गुजरात, हरियाणा, झारखंड, कर्नाटक, केरल, महाराष्ट्र, राजस्थान, तेलंगाना और त्रिपुरा ऐसे 10 राज्य हैं, जहाँ खाद्यान्न वितरण का 100 प्रतिशत कार्य PoS मशीनों के ज़रिये हो रहा है।
- इन राज्यों में सार्वजनिक वितरण की सभी दुकानों को इंटरनेट से जोड़ा जा चुका है तथा यहाँ लाभार्थी सार्वजनिक वितरण की किसी भी दुकान से अनाज प्राप्त कर सकते हैं ।
योजना का महत्त्व
- इस योजना के माध्यम से देश के सभी नागरिकों को एक कार्ड से पूरे देश में कहीं भी राशन उपलब्ध हो सकेगा तथा राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम, 2013 के तहत सभी लोगों को अनाज की उपलब्धता सुनिश्चित हो सकेगी।
- इस योजना से गरीब, मज़दूर और ऐसे लोग लाभान्वित होंगे जो जीविका, रोज़गार या किसी अन्य कारण से एक राज्य से दूसरे राज्य में प्रवास करते हैं।
- इसका उद्देश्य विभिन्न राज्यों से लाभ उठाने के लिये एक से अधिक राशन कार्ड रखने वालों पर रोक लगाना है।
चुनौतियाँ-
- सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) के लिये हर राज्य के अपने नियम हैं। यदि ‘वन नेशन-वन राशन कार्ड ’ योजना लागू की जाती है, तो यह योजना पहले से ही दूषित सार्वजनिक वितरण प्रणाली में भ्रष्टाचार को और अधिक बढ़ावा देगी।
- कुछ राज्यों ने इसका विरोध करते हुए कहा कि यह संघवाद के खिलाफ़ है।
- इससे लागत बढ़ने की संभावना है।
- राशन की दुकानों पर अधिक भीड़ के कारण स्टॉक ख़त्म हो सकता है तथा लाभार्थियों को परेशानी हो सकती है।
आगे की राह
- खाद्यानों की खरीद के समय से लेकर इसके वितरण तक पारदर्शिता को बनाए रखने एवं भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने हेतु सूचना प्रौद्योगिकी के इस्तेमाल पर फोकस किया जाना चाहिये।
- यह आवश्यक है कि FCI और राज्यों के बीच ऑनलाइन सूचना का निर्बाध प्रवाह हो और इसलिये उन्हें समेकित किये जाने की आवश्यकता है जिससे कि पूरे देश में खरीद एवं वितरण की सटीक सूचना उपलब्ध हो।
- ऐसी सभी गुणात्मक एवं मात्रात्मक सूचना के संग्रहण के लिये एक प्रणाली बनाई जानी चाहिये, जिसे ‘अन्न वितरण’ पोर्टल एवं विशेष रूप से डिज़ाइन किये गए डैश बोर्डों के ज़रिये एक्सेस किया जा सकें।
पॉइंट ऑफ सेल
(Point of Sale, PoS)
- पॉइंट ऑफ सेल/बिक्री का एक बिंदु (PoS) वह स्थान होता है, जहाँ ग्राहक द्वारा वस्तुओं या सेवाओं हेतु भुगतान किया जाता है। यहाँ पर बिक्री कर भी देय हो सकता है।
- यह कोई बाह्य स्टोर हो सकता है जहाँ पर भुगतान के लिये कार्ड पेमेंट या वर्चुअल सेल्स पॉइंट, जैसे- कंप्यूटर या मोबाइल इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस का उपयोग किया जाता है।
डिपो ऑनलाइन सिस्टम (DoS)
- FCI के संचालन के प्रबंधन हेतु डिपो/गोदाम हैं जिनमें अनाजों का भंडारण किया जाता है।
- डिपो ऑनलाइन प्रणाली का मुख्य उद्देश्य भारत में खाद्य वितरण आपूर्ति शृंखला को 'डिजिटल इंडिया' की दृष्टि से संरेखित करना है।