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राष्ट्रीय संबद्ध और स्वास्थ्य देख-रेख वृत्ति आयोग विधेयक, 2020

  • 26 Mar 2021
  • 6 min read

चर्चा में क्यों?

हाल ही में ‘राष्ट्रीय संबद्ध और स्वास्थ्य देख-रेख वृत्ति आयोग विधेयक, 2020’ को लोकसभा ने सर्वसम्मति से पारित किया है।

  • इस विधेयक का उद्देश्य ‘संबद्ध और स्वास्थ्य सेवा पेशेवरों’ की शिक्षा और कार्यों को विनियमित और मानकीकृत करना है।
  • देश में संबद्ध पेशेवरों का बड़ा समूह है और यह विधेयक उनकी भूमिकाओं को गरिमा प्रदान करके इस क्षेत्र को विनियमित करने का प्रयास कर रहा है।

प्रमुख बिंदु:

संबद्ध स्वास्थ्य पेशेवर:

  • यह विधेयक ‘संबद्ध स्वास्थ्य पेशेवर’ को किसी भी बीमारी, चोट या हानि के निदान और उपचार करने के लिये एक प्रशिक्षित सहयोगी, तकनीशियन या प्रौद्योगिकीविद् के रूप में परिभाषित करता है।
  • ऐसे पेशेवर के पास डिप्लोमा या डिग्री होनी चाहिये।
    • डिग्री/डिप्लोमा की अवधि कम-से-कम 2,000 घंटे (दो से चार वर्ष की अवधि में) होनी चाहिये।

स्वास्थ्य पेशेवर:

  • एक ‘स्वास्थ्य पेशेवर’ की परिभाषा में एक वैज्ञानिक, चिकित्सक या अन्य पेशेवर शामिल होते हैं, जो अध्ययन, सलाह, शोध, पर्यवेक्षण करते हैं, या निवारक, उपचारात्मक, पुनर्वास, चिकित्सकीय विज्ञापन संबंधी स्वास्थ्य सेवाएँ प्रदान करते हैं। 
  • ऐसे पेशेवर के पास डिप्लोमा या डिग्री होनी चाहिये।
    • इस डिग्री की अवधि कम से कम 3,600 घंटे (तीन से छह वर्ष की अवधि में) होनी चाहिये।

संबद्ध एवं स्वास्थ्य देख-रेख वृत्ति:

  • यह विधेयक मान्यता प्राप्त श्रेणियों के रूप में ‘संबद्ध और स्वास्थ्य व्यवसायों’ की कुछ श्रेणियों को निर्दिष्ट करता है।   
  • विधेयक की अनुसूची में इसका उल्लेख किया गया है। इन व्यवसायों में जीवन विज्ञान संबंधी पेशेवर, ट्रॉमा और बर्निंग केयर संबंधी पेशेवर, सर्जिकल और एनेस्थीसिया प्रौद्योगिकी संबंधित पेशेवर, फिज़ियोथेरेपिस्ट और पोषण विज्ञान संबंधी पेशेवर शामिल हैं।
  • केंद्र सरकार ‘संबद्ध और स्वास्थ्य पेशेवरों के लिये राष्ट्रीय आयोग’ से परामर्श के बाद इस अनुसूची में संशोधन कर सकती है।

    राष्ट्रीय संबद्ध और स्वास्थ्य देख-रेख वृत्ति आयोग: यह विधेयक राष्ट्रीय संबद्ध और स्वास्थ्य देख-रेख वृत्ति आयोग के गठन का प्रावधान करता है।

    • संरचना:
      • इसमें एक अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, केंद्र सरकार के विभिन्न विभागों/मंत्रालयों का प्रतिनिधित्व करने वाले पाँच सदस्य, स्वास्थ्य सेवा महानिदेशालय का एक प्रतिनिधि, विभिन्न चिकित्सा संस्थानों से तीन उप निदेशक या चिकित्सा अधीक्षक रोटेशनल आधार पर नियुक्त होंगे और अन्य सदस्यों में राज्य परिषदों का प्रतिनिधित्व करने वाले 12 अंशकालिक सदस्य नियुक्त होंगे।
    • कार्य: संबद्ध और स्वास्थ्य पेशेवरों के संबंध में आयोग निम्नलिखित कार्य करेगा:
      • सभी पंजीकृत पेशेवरों का एक ऑनलाइन केंद्रीय रजिस्टर बनाना और उसे बनाए रखना।
      • शिक्षा, पाठ्यक्रम, करिकुलम, स्टाफ योग्यता, परीक्षा, प्रशिक्षण, विभिन्न श्रेणियों के लिये देय अधिकतम शुल्क के बुनियादी मानकों को तय करना।
    • पेशेवर परिषद:
      • यह आयोग संबद्ध और स्वास्थ्य व्यवसायों की हर मान्यता प्राप्त श्रेणी के लिये एक व्यावसायिक परिषद का गठन करेगा।
      • व्यावसायिक परिषद में एक अध्यक्ष और चार से लेकर 24 तक सदस्य होंगे, जो मान्यता प्राप्त श्रेणी में प्रत्येक व्यवसाय का प्रतिनिधित्व करेंगे। 
      • आयोग अपने किसी भी कार्य को इस परिषद को सौंप सकता है।

    राज्य परिषद:

    • विधेयक के पारित होने के छह महीने के भीतर राज्य सरकारें ‘राज्य से संबद्ध स्वास्थ्य परिषद’ का गठन करेंगी।
    • यह राष्ट्रीय आयोग के कामकाज का पूरक होगा और राज्य रजिस्टर को बनाए रखेगा।

    संस्थानों की स्थापना के लिये अनुमति:

    • राज्य परिषद की पूर्व अनुमति निम्नलिखित के लिये आवश्यक होगी:
      • एक नई संस्था स्थापित करने के लिये।
      • नए पाठ्यक्रम, प्रवेश क्षमता में वृद्धि या मौजूदा संस्थानों में छात्रों के नए बैच के प्रवेश हेतु।
    • यदि अनुमति नहीं ली जाती है, तो ऐसी संस्थाओं से किसी छात्र को दी गई कोई भी योग्यता (डिग्री, डिप्लोमा) विधेयक के तहत मान्यता प्राप्त नहीं होगी। 

    अपराध और दंड:

    • राज्य रजिस्टर या राष्ट्रीय रजिस्टर में नामांकित व्यक्तियों के अलावा किसी को भी एक योग्य सहयोगी और स्वास्थ्य देखभाल व्यवसायी के रूप में कार्य करने की अनुमति नहीं है। 
    • जो भी व्यक्ति इस प्रावधान का उल्लंघन करेगा, उसे 50,000 रुपए के जुर्माने से दंडित किया जाएगा। ।

    स्रोत-द हिंदू

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