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अंतर्राष्ट्रीय संबंध

संसद टीवी विशेष: प्रधानमंत्री मोदी की पोलैंड और यूक्रेन की ऐतिहासिक यात्रा

  • 09 Sep 2024
  • 19 min read

प्रिलिम्स के लिये:

यूक्रेन, पोलैंड, रणनीतिक साझेदारी, 2024-2028 के लिये पंचवर्षीय कार्य योजना, हरित प्रौद्योगिकी, आर्थिक सहयोग के लिये संयुक्त आयोग (JCEC), सतत् प्रौद्योगिकी, स्वच्छ ऊर्जा, अंतरिक्ष अन्वेषण, आतंकवाद, अंतर्राष्ट्रीय आतंकवाद पर व्यापक अभिसमय (CCIT), रूस-यूक्रेन संघर्ष, भारत हेल्थ इनिशिएटिव फॉर सहयोग हित एंड मैत्री (BHISHM), पाथ टू पीस शिखर सम्मेलन, संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद, AN-32 विमान, भारतीय वायु सेना (IAF), यूक्रेन का स्पेटस्टेक्नोएक्सपोर्ट (STE), SU-30MKI लड़ाकू विमान, रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO), रूसी आक्रमण की निंदा का संयुक्त राष्ट्र का प्रस्ताव, S-400 वायु रक्षा, अनुच्छेद 370, ग्लोबल साउथ

मेन्स के लिये:

भारत के हितों की सुरक्षा में भारत-यूक्रेन और भारत-पोलैंड संबंधों का महत्त्व।

चर्चा में क्यों?

हाल ही में भारत के प्रधानमंत्री ने यूक्रेन और पोलैंड का दौरा किया। यह 45 वर्षों में किसी भारतीय प्रधानमंत्री की पोलैंड की पहली यात्रा थी तथा वर्ष 1992 में राजनयिक संबंधों की स्थापना के बाद यूक्रेन की पहली यात्रा थी।

पोलैंड और यूक्रेन यात्रा की मुख्य विशेषताएँ क्या हैं?

  • भारत-पोलैंड: 
    • द्विपक्षीय संबंधों का विकास: भारत और पोलैंड द्वारा अपने राजनयिक संबंधों की 70वीं वर्षगाँठ मनाए जाने के अवसर पर दोनों राष्ट्रों ने अपने द्विपक्षीय संबंधों को "रणनीतिक साझेदारी" तक बढ़ाने पर सहमति व्यक्त की, जो घनिष्ठ संबंधों तथा सहयोग बढ़ाने के लिये आपसी प्रतिबद्धता को उजागर करती है।
      • द्विपक्षीय संबंधों को रणनीतिक साझेदारी तक बढ़ाने के साथ ही दोनों देश खाद्य प्रसंस्करण, विज्ञान और प्रौद्योगिकी, रक्षा तथा सुरक्षा, ई-वाहन, कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI), हरित ऊर्जा, सांस्कृतिक सहयोग जैसे क्षेत्रों में सहयोग कर सकते हैं।
    • यूरोपीय संबंधों का विस्तार: पोलैंड की यात्रा के माध्यम से भारत जर्मनी, फ्राँस और ब्रिटेन जैसे पारंपरिक साझेदारों से परे यूरोपीय देशों के साथ संबंधों को मज़बूत करने के महत्त्व पर जोर दे रहा है।
      • मध्य यूरोप में एक उभरती हुई अर्थव्यवस्था के रूप में पोलैंड भारत के लिये व्यापार, निवेश और प्रौद्योगिकी में महत्त्वपूर्ण अवसर प्रदान करता है, जिससे आर्थिक सहयोग के लिये नए रास्ते खुल सकते हैं और पहले से असंतुलित व्यापार संबंधों में सुधार हो सकता है।
    • पाँच वर्षीय कार्य योजना: सामरिक साझेदारी से प्राप्त गति को आगे बढ़ाते हुए, दोनों पक्षों ने वर्ष 2024-2028 के लिये एक पाँच वर्षीय कार्य योजना विकसित करने और उसे लागू करने पर सहमति व्यक्त की, जिसमें द्विपक्षीय सहयोग हेतु निम्नलिखित प्राथमिकता वाले क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा:
      • राजनीतिक वार्ता और सुरक्षा: नियमित उच्च स्तरीय संपर्क, वार्षिक राजनीतिक वार्ता और सुरक्षा परामर्श स्थापित करना।
      • व्यापार और निवेश: इसका उद्देश्य व्यापार को संतुलित करना, उच्च तकनीक और हरित प्रौद्योगिकी के अवसरों का पता लगाना तथा आर्थिक सुरक्षा को बढ़ावा देना है।
        • वे व्यापार असंतुलन को दूर करने तथा व्यापार क्षेत्रों को व्यापक बनाने के लिये संयुक्त आर्थिक सहयोग आयोग (Joint Commission for Economic Cooperation- JCEC) का उपयोग करेंगे।
      • जलवायु एवं प्रौद्योगिकी: सतत् प्रौद्योगिकी, स्वच्छ ऊर्जा और अंतरिक्ष अन्वेषण पर सहयोग करना।
      • परिवहन एवं संपर्क: परिवहन अवसंरचना में सुधार और उड़ान संपर्क में वृद्धि।
      • आतंकवाद का विरोध: आतंकवाद, आतंकवाद के वित्तपोषण से लड़ने के लिये अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि करना तथा अंतर्राष्ट्रीय आतंकवाद पर व्यापक अभिसमय (Comprehensive Convention on International Terrorism- CCIT) को अपनाने की वकालत करना।
      • भारत-यूरोपीय संघ संबंध: भारत और यूरोपीय संघ, वर्तमान में चल रही भारत-यूरोपीय संघ व्यापार और निवेश वार्ताओं के शीघ्र समापन, भारत-यूरोपीय संघ व्यापार और प्रौद्योगिकी परिषद (Trade and Technology Council- TTC) के संचालन तथा नई प्रौद्योगिकियों और सुरक्षा में सामरिक साझेदारी को आगे बढ़ाने के लिये भारत-यूरोपीय संघ कनेक्टिविटी साझेदारी के कार्यान्वयन का समर्थन करेंगे।
      • सांस्कृतिक एवं लोगों के बीच संबंध: सांस्कृतिक आदान-प्रदान, शैक्षिक साझेदारी और पर्यटन को बढ़ाना।
        • दोनों पक्षों ने भारत के विभिन्न विश्वविद्यालयों में पोलिश भाषा पढ़ाने के लिये शैक्षणिक आदान-प्रदान हेतु पोलिश राष्ट्रीय एजेंसी और संबंधित भारतीय एजेंसियों के बीच एक समझौते पर काम करने पर सहमति व्यक्त की।
        • भारत ने जाम साहब स्मारक युवा आदान-प्रदान कार्यक्रम की घोषणा की, जिसके तहत संबंधों को सुदृढ़ करने के लिये प्रतिवर्ष 20 पोलिश युवाओं को भारत आमंत्रित किया जाएगा।
  • भारत-यूक्रेन:
    • रूस-यूक्रेन युद्ध पर स्पष्टीकरण: भारत के प्रधानमंत्री ने इस बात पर ज़ोर दिया कि भारत ने हमेशा शांति का समर्थन किया है और रूस-यूक्रेन संघर्ष में कभी भी तटस्थ नहीं रहा है। भारत व्यावहारिक समाधान के लिये सभी पक्षों के बीच वास्तविक जुड़ाव चाहता है।
    • अंतर-सरकारी आयोग का गठन: भारत और यूक्रेन के बीच द्विपक्षीय व्यापार तथा  आर्थिक संबंधों को पूर्व-संघर्ष स्तर पर बहाल करने तथा बढ़ाने के लिये एक अंतर-सरकारी आयोग की स्थापना की गई है, जिसमें वर्ष 2021-22 में द्विपक्षीय व्यापार 3.386 बिलियन अमरीकी डॉलर तक पहुँच जाएगा। 
    • समझौतों पर हस्ताक्षर: कृषि, खाद्य उद्योग, चिकित्सा उत्पाद विनियमन और सांस्कृतिक सहयोग को शामिल करने वाले चार प्रमुख समझौतों पर हस्ताक्षर किये गए। इन समझौतों का उद्देश्य इन क्षेत्रों में सहयोग को बढ़ावा देना और राष्ट्रों के बीच संबंधों को मज़बूत करना है।
    • भीष्म क्यूब्स उपहार में दिये गए: भारत ने यूक्रेन को चार भारत स्वास्थ्य सहयोग हित और मैत्री पहल (भीष्म) क्यूब्स उपहार में दिये, जिन्हें आरोग्य मैत्री परियोजना के हिस्से के रूप में मोबाइल अस्पतालों के माध्यम से आपातकालीन चिकित्सा देखभाल प्रदान करने हेतु डिज़ाइन किया गया है।
    • अंतर्राष्ट्रीय भागीदारी: वाइब्रेंट गुजरात ग्लोबल समिट 2024 और रायसीना डायलॉग 2024 जैसे आयोजनों में यूक्रेन की भागीदारी की सराहना की गई।
    • अंतर्राष्ट्रीय कानून: दोनों नेताओं ने संप्रभुता के सम्मान सहित अंतर्राष्ट्रीय कानून को बनाए रखने के लिये प्रतिबद्धता जताई। वे द्विपक्षीय वार्ता की आवश्यकता पर सहमत हुए।
    • शांति शिखर सम्मेलन: शांति शिखर सम्मेलन 2024 में भारत की भूमिका का यूक्रेन द्वारा स्वागत किया गया और शांति पर संयुक्त विज्ञप्ति को भविष्य के प्रयासों के आधार के रूप में देखा गया।
    • खाद्य सुरक्षा: उन्होंने वैश्विक खाद्य सुरक्षा और कृषि उत्पादों की निर्बाध आपूर्ति, विशेष रूप से एशिया एवं अफ्रीका के लिये, के महत्त्व पर प्रकाश डाला।
    • सहयोग को व्यापक बनाना: दोनों पक्षों ने व्यापार, कृषि, फार्मास्यूटिकल्स और प्रौद्योगिकी में सहयोग बढ़ाने पर चर्चा की तथा हरित ऊर्जा एवं विनिर्माण में नई साझेदारी की संभावनाएँ तलाशीं।
    • IGC: आर्थिक संबंधों को मजबूत करने के लिये व्यापार, आर्थिक, वैज्ञानिक, तकनीकी, औद्योगिक और सांस्कृतिक सहयोग (IGC) पर भारतीय-यूक्रेनी अंतर-सरकारी आयोग पर प्रकाश डाला गया। वर्तमान समीक्षाओं तथा आगामी सत्रों की सराहना की गई।
    • रक्षा सहयोग: दोनों पक्षों ने संयुक्त परियोजनाओं और साझेदारी के माध्यम से रक्षा संबंधों को मज़बूत करने पर सहमति व्यक्त की, सैन्य-तकनीकी सहयोग पर संयुक्त कार्य समूह की दूसरी बैठक की योजना बनाई।
    • पूर्व रक्षा सहयोग:
      • सोवियत युग के उपकरण: भारत के पास सोवियत युग के रक्षा उपकरणों का एक महत्त्वपूर्ण भंडार है, जिसमें भारतीय नौसेना के युद्धपोतों के लिये गैस टरबाइन इंजन और भारतीय वायु सेना (IAF) द्वारा प्रयोग किये जाने वाले AN-32 विमान शामिल हैं।
      • भारतीय वायु सेना: जून 2009 में भारत ने यूक्रेन के स्पेट्सटेक्नोएक्सपोर्ट (STE) के साथ अपने 105 AN-32 विमानों को अपग्रेड करने हेतु 400 मिलियन अमरीकी डालर का सौदा किया, जिससे उनका जीवनकाल 40 वर्ष बढ़ गया और उनकी एवियोनिक्स में सुधार हुआ।
      • भारतीय नौसेना: यूक्रेन गोवा शिपयार्ड लिमिटेड में दो एडमिरल ग्रिगोरोविच-क्लास फ्रिगेट बनाने हेतु आवश्यक घटक प्रदान करता है। 30 से अधिक भारतीय युद्धपोत यूक्रेन के ज़ोर्या मैशप्रोक्ट के इंजनों पर निर्भर हैं। 
      • रक्षा व्यापार: वर्ष 2019 में बालाकोट हवाई हमले के बाद भारतीय वायुसेना ने अपने SU-30MKI लड़ाकू विमानों के लिये यूक्रेन से तत्काल R-27 हवा से हवा में मार करने वाली मिसाइलें खरीदीं। इसके अलावा एयरो इंडिया 2021 में यूक्रेन ने नए हथियारों और मौजूदा भारतीय सैन्य उपकरणों के रखरखाव के लिये 70 मिलियन अमरीकी डालर के समझौतों पर हस्ताक्षर किये। 
    • सांस्कृतिक आदान-प्रदान: उन्होंने सांस्कृतिक सहयोग कार्यक्रम के पूरा होने का स्वागत किया और दोनों देशों में लोगों के बीच आदान-प्रदान पर ज़ोर देते हुए सांस्कृतिक उत्सवों की योजना बनाई।

भारत-पोलैंड और भारत-यूक्रेन संबंधों की चुनौतियाँ क्या हैं?

  • भारत-पोलैंड:
    • सीमित आर्थिक जुड़ाव: क्षमता के बावजूद द्विपक्षीय व्यापार अपेक्षाकृत कम बना हुआ है। दोनों देशों में प्रत्यक्ष हवाई संपर्क की कमी और बाज़ार के अवसरों के बारे में सीमित जागरूकता मज़बूत आर्थिक संबंधों में बाधा डालती है।
    • भू-राजनीतिक विचार: यूरोपीय संघ और नाटो (NATO) के प्रति पोलैंड की प्रतिबद्धताएँ कभी-कभी भारत की स्वतंत्र विदेश नीति के रुख से टकराती हैं, विशेषकर रूस के साथ संबंधों के मामले में। इससे कूटनीतिक तनाव उत्पन्न हो सकता है।
    • सांस्कृतिक और भाषायी बाधाएँ: महत्त्वपूर्ण सांस्कृतिक अंतर एवं भाषायी बाधाएँ व्यापार करने और दूसरों के साथ संवाद करना कठिन बना देती हैं। एक-दूसरे की संस्कृतियों तथा व्यावसायिक प्रथाओं के विषय में सीमित समझ है।   
  • भारत-यूक्रेन:
    • रूस-यूक्रेन संघर्ष: चल रहे रूस-यूक्रेन संघर्ष ने यूक्रेन और उसके पश्चिमी सहयोगियों के साथ भारत के संबंधों को तनावपूर्ण बना दिया है
      • भारत ने रूस के आक्रमण पर तटस्थ रुख बनाए रखा है तथा कूटनीति का समर्थन करते हुए प्रत्यक्ष निंदा से परहेज किया है।
    • प्रतिबंध और व्यापार: भारत ने रूस के विरुद्ध पश्चिमी प्रतिबंधों में शामिल न होने का विकल्प चुना है तथा उसने रियायती रूसी ईंधन की खरीद बढ़ा दी है।
      • इसने रूस के व्यवहार की निंदा करने वाले संयुक्त राष्ट्र के प्रस्तावों से भी बड़े पैमाने पर दूरी बनाए रखी है।
    • आपूर्ति शृंखला में व्यवधान: संघर्ष ने आवश्यक रक्षा उपकरणों की आपूर्ति शृंखला को बाधित कर दिया है।
      • उदाहरण के लिये, भारतीय वायु सेना के AN-32 विमान के आधुनिकीकरण में यूक्रेनी सुविधाओं में व्यवधान के कारण देरी हुई है। इसके अतिरिक्त रूस ने भारत को दो S-400 एयर डिफेंस स्क्वाड्रन की डिलीवरी अगस्त, 2026 तक के लिये टाल दी है।    
    • कश्मीर मुद्दा:
      • कश्मीर पर यूक्रेन की टिप्पणियों ने तनाव उत्पन्न कर दिया है। वर्ष 2019 में यूक्रेन ने भारत द्वारा अनुच्छेद 370 को निरस्त करने पर चिंता व्यक्त की थी, जिसे भारत ने अपने आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप माना था।
    • राजनयिक तनाव:
      • विदेश नीति की भिन्न प्राथमिकताओं, विशेषकर रूस के साथ भारत के रणनीतिक सहयोग तथा रूसी परिचालन के प्रति यूक्रेन के विरोध के कारण दोनों देशों के बीच राजनयिक संबंध तनावपूर्ण हो गए हैं।

आगे की राह

  • संतुलित रुख: भारत को रूस-यूक्रेन संघर्ष पर अपना रुख सावधानीपूर्वक तय करना चाहिये तथा रूस के साथ अपने रणनीतिक संबंधों को संतुलित करते हुए यूक्रेन की संप्रभुता के प्रति चिंता दिखानी चाहिये।
  • सामरिक स्वायत्तता: सामरिक स्वायत्तता और गुटनिरपेक्षता पर ज़ोर देने से भारत को ऐसे भू-राजनीतिक संघर्षों में उलझने से बचने में सहायता मिल सकती है, जो उसके राष्ट्रीय हितों के अनुरूप नहीं हैं।
  • मानवीय सहायता: चिकित्सा सहायता और पुनर्निर्माण सहायता जैसी मानवीय सहायता के माध्यम से यूक्रेन के साथ संबंधों को बढ़ाने से संबंध सुदृढ़ हो सकते हैं।
  • मध्यस्थता के प्रयास: भारत, रूस और यूक्रेन के बीच मध्यस्थता के अवसरों की तलाश कर सकता है तथा संघर्ष समाधान में सहायता हेतु दोनों देशों के साथ अपने सकारात्मक संबंधों का लाभ उठा सकता है।
  • वैश्विक दक्षिण एकजुटता: शांति और विकास के लिये गठबंधन स्थापित करने हेतु ग्लोबल साउथ देशों के साथ जुड़ने से यूक्रेन जैसी स्थितियों से निपटने में भारत की स्थिति मज़बूत हो सकती है।
  • उन्नत सहयोग: भारत और पोलैंड खाद्य प्रसंस्करण, इलेक्ट्रिक वाहन, हरित ऊर्जा तथा सांस्कृतिक सहयोग सहित कई प्रमुख क्षेत्रों में सहयोग बढ़ा सकते हैं।
  • सामरिक साझेदारी: संयुक्त सैन्य अभ्यास और प्रौद्योगिकियों का हस्तांतरण के माध्यम से पोलैंड के साथ रक्षा सहयोग बढ़ाना, विश्व मंच पर साझेदारी को मज़बूत करने के लिये आतंकवाद और संयुक्त राष्ट्र सुधार जैसी वैश्विक चुनौतियों पर अपनी स्थिति को संरेखित करना।
  • भू-राजनीतिक तालमेल/सहक्रियता: भारत के यूरोपीय संघ की सदस्यता का लाभ उठाकर भारत अपने यूरोपीय बाज़ार तक पोलैंड की पहुँच बढ़ाना, अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर विदेश नीति के उद्देश्यों को संरेखित करना और ऊर्जा सुरक्षा जैसे साझा हितों पर सहयोग करना।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ)  

प्रिलिम्स:

प्रश्न. निम्नलिखित में से कौन-सा देश मोल्दोवा के साथ सीमा साझा करता है? (2008)

  1. यूक्रेन
  2. रोमानिया
  3. बेलारूस

नीचे दिये गए कूट का उपयोग करके सही उत्तर चुनिये:

(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 2 और 3
(c) केवल 1 और 3
(d) 1, 2 और 3

उत्तर: (a)


मेन्स: 

प्रश्न. भारत-रूस रक्षा समझौतों की तुलना में भारत-अमेरिका रक्षा समझौतों की क्या महत्ता है? हिंद-प्रशांत महासागरीय क्षेत्र में स्थायित्व के संदर्भ में चर्चा कीजिये। (2020)

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