अंतर्राष्ट्रीय संबंध
भारत-पोलैंड संबंध
- 23 Aug 2024
- 19 min read
प्रिलिम्स के लिये:अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी, अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन, आपदा रोधी बुनियादी ढाँचे के लिये गठबंधन, द्वितीय विश्व युद्ध, यूरोपीय यूनियन, योग, उत्तरी अटलांटिक संधि संगठन प्रिलिम्स के लिये:भारत-पोलैंड संबंध, रणनीतिक साझेदारी और इसके निहितार्थ |
स्रोत: पी. आई. बी.
चर्चा में क्यों?
हाल ही में भारत के प्रधानमंत्री की पोलैंड यात्रा एक महत्त्वपूर्ण उपलब्धि साबित हुई, क्योंकि भारत और पोलैंड अपने राजनयिक संबंधों की 70वीं वर्षगाँठ मना रहे हैं।
- इस ऐतिहासिक यात्रा के दौरान दोनों देशों ने अपने द्विपक्षीय संबंधों को "रणनीतिक साझेदारी" तक बढ़ाया तथा विभिन्न क्षेत्रों में सहयोग को गहरा करने की प्रतिबद्धता व्यक्त की।
प्रधानमंत्री की पोलैंड यात्रा की मुख्य विशेषताएँ क्या हैं?
- रणनीतिक साझेदारी तक उन्नयन: दोनों राष्ट्रों ने अपने द्विपक्षीय संबंधों को "रणनीतिक साझेदारी" तक बढ़ाने पर सहमति व्यक्त की, जो घनिष्ठ संबंधों और सहयोग बढ़ाने के लिये आपसी प्रतिबद्धता को उजागर करती है।
- पाँच वर्षीय कार्य योजना: सामरिक साझेदारी से प्राप्त गति को आगे बढ़ाते हुए, दोनों पक्षों ने वर्ष 2024-2028 के लिये एक पाँच वर्षीय कार्य योजना विकसित करने और उसे लागू करने पर सहमति व्यक्त की, जिसमें द्विपक्षीय सहयोग हेतु निम्नलिखित प्राथमिकता वाले क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा:
- राजनीतिक वार्ता और सुरक्षा: नियमित उच्च स्तरीय संपर्क, वार्षिक राजनीतिक वार्ता और सुरक्षा परामर्श।
- दोनों पक्षों ने निर्णय लिया कि रक्षा सहयोग के लिये संयुक्त कार्य समूह का अगला दौर 2024 में होगा।
- व्यापार और निवेश: व्यापार संतुलन, उच्च तकनीक और हरित प्रौद्योगिकी के अवसरों की खोज, तथा आर्थिक सुरक्षा बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा।
- उन्होंने सहयोग के नए क्षेत्रों की खोज करने की प्रतिबद्धता व्यक्त की और व्यापार असंतुलन को दूर करने तथा व्यापार क्षेत्र का विस्तार करने के लिये संयुक्त आर्थिक सहयोग आयोग (Joint Commission for Economic Cooperation- JCEC) का उपयोग करने पर सहमति व्यक्त की।
- JCEC दोनों देशों के वाणिज्य मंत्रियों के नेतृत्व में एक संस्थागत तंत्र है। इसमें बुनियादी ढाँचे, पर्यटन, रेलवे, खाद्य प्रसंस्करण, नवीकरणीय ऊर्जा, सूचना प्रौद्योगिकी और कृषि पर ध्यान केंद्रित करने वाले संयुक्त कार्य समूह शामिल हैं।
- उन्होंने सहयोग के नए क्षेत्रों की खोज करने की प्रतिबद्धता व्यक्त की और व्यापार असंतुलन को दूर करने तथा व्यापार क्षेत्र का विस्तार करने के लिये संयुक्त आर्थिक सहयोग आयोग (Joint Commission for Economic Cooperation- JCEC) का उपयोग करने पर सहमति व्यक्त की।
- जलवायु एवं प्रौद्योगिकी: सतत् प्रौद्योगिकी, स्वच्छ ऊर्जा और अंतरिक्ष अन्वेषण पर सहयोग।
- दोनों पक्षों ने अंतरिक्ष और वाणिज्यिक अंतरिक्ष पारिस्थितिकी प्रणालियों के सुरक्षित, सतत् तथा संरक्षित उपयोग को बढ़ावा देने एवं मानव व रोबोट अन्वेषण को बढ़ावा देने के लिये एक सहयोग समझौते पर सहमति व्यक्त की।
- पोलैंड ने अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी में शामिल होने की भारत की महत्वाकांक्षा को स्वीकार किया।
- भारत ने वैश्विक पर्यावरण और आपदा संबंधी चुनौतियों से निपटने हेतु पोलैंड को अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन (International Solar Alliance- ISA) और आपदा रोधी अवसंरचना गठबंधन (Coalition for Disaster Resilient Infrastructure- CDRI) में शामिल होने के लिये प्रोत्साहित किया।
- आर्थिक और सामाजिक विकास के लिये साइबर सुरक्षा के महत्त्वपूर्ण महत्त्व को स्वीकार करते हुए दोनों पक्ष सूचना और संचार प्रौद्योगिकी (Information and communications technology- ICT) से संबंधित क्षेत्रों में घनिष्ठ संपर्क और आदान-प्रदान बढ़ाएंगे।
- परिवहन एवं संपर्क: परिवहन अवसंरचना को बढ़ाना तथा उड़ान संपर्क में वृद्धि करना।
- आतंकवाद विरोधी प्रयास: दोनों नेताओं ने सभी प्रकार के आतंकवाद से निपटने के लिये अपनी प्रतिबद्धता दोहराई तथा संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्तावों के कार्यान्वयन के महत्त्व पर ज़ोर दिया।
- उन्होंने अंतर्राष्ट्रीय आतंकवाद पर व्यापक अभिसमय (Comprehensive Convention on International Terrorism- CCIT) को शीघ्र अपनाने पर सहमति व्यक्त की।
- भारत-यूरोपीय संघ: भारत और यूरोपीय संघ, वर्तमान में चल रही भारत-यूरोपीय संघ व्यापार और निवेश वार्ताओं के शीघ्र समापन, भारत-यूरोपीय संघ व्यापार और प्रौद्योगिकी परिषद (TTC) के संचालन, नई प्रौद्योगिकियों और सुरक्षा में सामरिक साझेदारी को आगे बढ़ाने के लिये भारत-यूरोपीय संघ कनेक्टिविटी साझेदारी के कार्यान्वयन का समर्थन करेंगे।
- सांस्कृतिक एवं लोगों के बीच संबंध: सांस्कृतिक आदान-प्रदान, शैक्षिक साझेदारी और पर्यटन को सुदृढ़ करना।
- राजनीतिक वार्ता और सुरक्षा: नियमित उच्च स्तरीय संपर्क, वार्षिक राजनीतिक वार्ता और सुरक्षा परामर्श।
- स्मारक यात्राएँ और ऐतिहासिक श्रद्धांजलि:
- डोबरी महाराजा स्मारक: भारत के प्रधानमंत्री ने वारसॉ में डोबरी महाराजा स्मारक पर श्रद्धांजलि अर्पित की।
- यह स्मारक नवानगर (गुजरात में जामनगर) के जाम साहब श्री दिग्विजयसिंहजी रणजीतसिंहजी जडेजा के प्रति पोलिश लोगों और सरकार के सम्मान और कृतज्ञता को दर्शाता है, जिन्होंने द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान एक हज़ार से अधिक पोलिश बच्चों को आश्रय प्रदान किया था, जिसके कारण उन्हें पोलैंड में "डोबरी (अच्छा) महाराजा" की उपाधि मिली थी।
- कोल्हापुर स्मारक: भारत के प्रधानमंत्री ने कोल्हापुर स्मारक का भी दौरा किया।
- यह स्मारक द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान महिलाओं और बच्चों सहित लगभग 5,000 पोलिश शरणार्थियों को आश्रय प्रदान करने के लिये कोल्हापुर रियासत की उदारता को समर्पित है।
- कोल्हापुर राज्य (1710-1949) भारत की एक मराठा रियासत थी। वर्ष 1949 में कोल्हापुर रियासत को बॉम्बे प्रेसीडेंसी में मिला दिया गया था।
- मोंटे कैसिनो की लड़ाई का स्मारक: भारत के प्रधानमंत्री ने द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान पोलैंड, भारत और अन्य देशों के सैनिकों के साझा बलिदान को मान्यता देते हुए इस स्मारक पर पुष्पांजलि अर्पित की।
- यह स्मारक पोलिश द्वितीय कोर के सैनिकों की याद में बनाया गया है, जिन्होंने द्वितीय विश्व युद्ध के सबसे खूनी युद्धों में से एक, मोंटे कैसिनो के युद्ध में लड़ाई लड़ी थी।
- अज्ञात सैनिक की समाधि: इस पूजनीय स्थल पर श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए भारत के प्रधानमंत्री ने सेवा के दौरान शहीद हुए पोलिश सैनिकों को श्रद्धांजलि दी, जो भारत और पोलैंड के बीच एकजुटता को दर्शाता है।
- यह स्मारक उन सभी सैनिकों को समर्पित है, जो अपनी मातृभूमि के लिये लड़ते हुए गुमनाम रूप से मारे गए। इसकी स्थापना वर्ष 1925 में उन लोगों के सम्मान में की गई थी जिन्होंने प्रथम विश्व युद्ध और पोलिश-सोवियत युद्ध में पोलैंड की रक्षा की थी।
- डोबरी महाराजा स्मारक: भारत के प्रधानमंत्री ने वारसॉ में डोबरी महाराजा स्मारक पर श्रद्धांजलि अर्पित की।
प्रधानमंत्री की पोलैंड यात्रा का क्या महत्त्व है?
- विदेश नीति का पुनर्निर्धारण: पोलैंड की यात्रा करके भारत ने पारंपरिक देशों (जर्मनी, फ्राँस और ब्रिटेन) से परे यूरोपीय देशों के साथ संबंधों को सुदृढ़ता के महत्त्व को रेखांकित किया है।
- मध्य यूरोप में एक बढ़ती हुई अर्थव्यवस्था होने के नाते पोलैंड भारत के लिये व्यापार, निवेश और प्रौद्योगिकी जैसे क्षेत्रों में अनेक अवसर प्रदान करता है।
- इससे आर्थिक सहयोग के लिये नए रास्ते खुलने तथा व्यापार संबंधों में संतुलन आने की उम्मीद है, जो पहले से असंतुलित थे।
- स्वास्थ्य सेवा सहयोग: पोलैंड में स्वास्थ्य सेवा पेशेवरों की आवश्यकता भारत के लिये एक महत्त्वपूर्ण अवसर प्रदान करती है।
- इस क्षेत्र में संभावित सहयोग, जिसमें पोलैंड में भारतीय डॉक्टरों के काम करने की संभावना भी शामिल है, पोलैंड में स्वास्थ्य पेशेवरों की कमी को दूर कर सकता है तथा द्विपक्षीय सहयोग को बढ़ा सकता है।
- भू-राजनीतिक संदर्भ: यूक्रेन में चल रहे संघर्ष में पोलैंड की भूमिका को देखते हुए यह यात्रा रणनीतिक रूप से महत्त्वपूर्ण है।
- यूक्रेन के प्रति पोलैंड का समर्थन तथा मध्य यूरोप में इसकी रणनीतिक स्थिति, इसे इस क्षेत्र में भारत के लिये एक प्रमुख साझेदार बनाती है।
भारत-पोलैंड संबंधों की मुख्य विशेषताएँ क्या हैं?
- राजनीतिक संबंध: वर्ष 1954 में दोनों देशों के बीच राजनयिक संबंध स्थापित हुए तथा वर्ष 1957 में वारसॉ में भारत का दूतावास खोला गया। दोनों देश शुरू में उपनिवेशवाद, साम्राज्यवाद और नस्लवाद के खिलाफ थे।
- साम्यवादी युग (1944 से 1989) के दौरान संबंध घनिष्ठ थे तथा राज्य व्यापार संगठनों के माध्यम से कई उच्च-स्तरीय यात्राएँ और व्यापारिक बातचीत हुई।
- वर्ष 1989 में पोलैंड के लोकतंत्र में परिवर्तन के बाद व्यापार में कठोर मुद्रा व्यवस्था की ओर बदलाव हुआ, जो दोनों देशों के व्यापार के बढ़ते स्तर को दर्शाता है क्योंकि दोनों अर्थव्यवस्थाएँ आकार में बढ़ रही थीं।
- वर्ष 2004 में पोलैंड के यूरोपीय यूनियन में शामिल होने से द्विपक्षीय संबंध और सुदृढ़ हुए, जिससे यह मध्य यूरोप में भारत का प्रमुख आर्थिक साझेदार बन गया।
- समझौते: भारत और पोलैंड ने अपने द्विपक्षीय संबंधों को सुदृढ़ करने के लिये पिछले कुछ वर्षों में कई महत्त्वपूर्ण समझौते किये हैं। उल्लेखनीय रूप से शुरुआती समझौतों में सांस्कृतिक सहयोग (वर्ष 1957), दोहरे कराधान से बचाव (वर्ष 1989), विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी में सहयोग (वर्ष 1993), संगठित अपराध एवं अंतर्राष्ट्रीय आतंकवाद का मुकाबला तथा प्रत्यर्पण (वर्ष 2003) शामिल हैं।
- हाल के समझौते आपराधिक मामलों में पारस्परिक कानूनी सहायता संधि और राजनयिक परिवारों के लिये लाभकारी व्यवसाय (वर्ष 2022) पर केंद्रित हैं।
- आर्थिक और वाणिज्यिक संबंध:
- पोलैंड मध्य और पूर्वी यूरोप में भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक और निवेश भागीदार बना हुआ है। द्विपक्षीय व्यापार वर्ष 2013 में 1.95 बिलियन अमरीकी डॉलर से 192% बढ़कर वर्ष 2023 में 5.72 बिलियन अमरीकी डॉलर हो गया है, जिसमें व्यापार संतुलन बहुत हद तक भारत के पक्ष में है।
- पोलैंड को भारतीय निर्यात: वस्त्र, क्षारीय धातु, रसायन, मशीनरी और यांत्रिक उपकरण, विद्युत एवं विद्युत-तकनीकी उपकरण, पत्थर के सामान, सिरेमिक उत्पाद व अन्य।
- भारत में पोलिश आयात: मशीनरी, खनिज उत्पाद, रसायन, ऑप्टिकल (मापन एवं जाँच उपकरण) आदि।
- निवेश: पोलैंड में भारतीय निवेश 3 बिलियन अमरीकी डॉलर से अधिक है, जिसमें IT, फार्मास्यूटिकल्स और विनिर्माण सहित विभिन्न क्षेत्रों में भारतीय फर्म शामिल हैं।
- भारत में पोलिश निवेश लगभग 685 मिलियन अमरीकी डॉलर है, जो स्वच्छ प्रौद्योगिकियों और इलेक्ट्रिक बसों सहित विभिन्न क्षेत्रों में शामिल है।
- पोलैंड मध्य और पूर्वी यूरोप में भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक और निवेश भागीदार बना हुआ है। द्विपक्षीय व्यापार वर्ष 2013 में 1.95 बिलियन अमरीकी डॉलर से 192% बढ़कर वर्ष 2023 में 5.72 बिलियन अमरीकी डॉलर हो गया है, जिसमें व्यापार संतुलन बहुत हद तक भारत के पक्ष में है।
- सांस्कृतिक और शैक्षणिक संबंध: पोलैंड में इंडोलॉजी अध्ययन की एक पुरानी परंपरा है, जहाँ पोलिश विद्वान 19वीं शताब्दी से संस्कृत का पोलिश में अनुवाद करते आ रहे हैं। कई पोलिश विश्वविद्यालयों में इंडोलॉजी का अध्ययन किया जाता है।
- पोलैंड में योग का भी एक लंबा इतिहास है, जहाँ 3,00,000 से अधिक अभ्यासकर्त्ता और कई योग केंद्र व शिक्षक हैं।यहाँ अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस उत्साह के साथ मनाया जाता है।
- पोलैंड में द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान पोलिश शरणार्थियों को बचाने के लिये नवानगर के जाम साहब दिग्विजयसिंहजी रंजीतसिंहजी जडेजा को श्रद्धांजलि दी जाती है।
- पोलैंड में कई स्थानों का नाम भारतीय नेताओं के नाम पर रखा गया है और वारसॉ विश्वविद्यालय में महात्मा गांधी की एक प्रतिमा स्थापित की गई है।
- भारतीय समुदाय: पोलैंड में भारतीय समुदाय की संख्या लगभग 25,000 है, जिसमें व्यापारी, पेशेवर और छात्र शामिल हैं, तथा भारतीय रेस्तराँ की भी उल्लेखनीय उपस्थिति है।
पोलैंड के बारे में मुख्य तथ्य
- स्थान: मध्य यूरोप में स्थित पोलैंड की सीमा जर्मनी, चेक गणराज्य, स्लोवाकिया, यूक्रेन, बेलारूस, लिथुआनिया और रूस (कैलिनिनग्राद एक्सक्लेव) से लगती है। इसकी उत्तरी सीमा (440 किमी लंबी) बाल्टिक सागर तट से लगती है।
- राजधानी: वारसॉ (पोलिश में: वारसॉ(Warszawa))
- भूगोल: बाल्टिक सागर तट के रेतीले समुद्र तट, केंद्रीय तराई क्षेत्र और कार्पेथियन तथा सुडेटन पर्वत की बर्फ से ढकी चोटियाँ। 1,300 से अधिक झीलों का स्थान।
- अंतर्राष्ट्रीय संगठन: पोलैंड उत्तर अटलांटिक संधि संगठन (NATO), संयुक्त राष्ट्र (UN), अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF), संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक और सांस्कृतिक संगठन (यूनेस्को), विश्व व्यापार संगठन (WTO), सहयोग और विकास संगठन (OECD) और कई अन्य संगठनों का सदस्य है।
- सरकार और अर्थव्यवस्था: संसदीय गणतंत्र व्यवस्था है, जिसमें सरकार का मुखिया प्रधानमंत्री और राज्य का मुखिया राष्ट्रपति होता है।
- मुख्य उद्योगों में खनन, इस्पात निर्माण और मशीनरी उत्पादन शामिल हैं; 1980 के दशक से साम्यवाद से मुक्त बाज़ार अर्थव्यवस्था में संक्रमण हुआ है।
- कम मज़दूरी और उच्च बेरोज़गारी की चुनौतियों के बावजूद वर्ष 2004 में यूरोपीय संघ में शामिल होने के बाद से तेजी से विकास हुआ है।
- पर्यावरण:
- प्रमुख नदियाँ: विस्तुला और ओडर
- जैव विविधता: बियालोविज़ा वन में विश्व की सबसे बड़ी यूरोपीय बाइसन आबादी का आवास स्थान है; ब्राउन बेयर, जंगली घोड़े, चामोइस बकरियाँ, यूरेशियन लिंक्स और ग्रे वूल्व्स के आवास स्थान है।
दृष्टि मेन्स प्रश्न: प्रश्न: भारत-पोलैंड द्विपक्षीय संबंधों को "रणनीतिक साझेदारी" तक बढ़ाने के महत्त्व पर चर्चा कीजिये। यह साझेदारी दोनों देशों की विदेश नीतियों और अंतर्राष्ट्रीय संबंधों को कैसे प्रभावित करती है? |