अंतर्राष्ट्रीय संबंध
भारत के प्रधानमंत्री की यूक्रेन यात्रा
- 26 Aug 2024
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प्रिलिम्स के लिये:रूस-यूक्रेन संघर्ष, भारत हेल्थ इनिशिएटिव फॉर सहयोग, हित एंड मैत्री- BHISHM, मोबाइल अस्पताल, प्रोजेक्ट आरोग्य मैत्री, भारत की विदेश नीति, सूरजमुखी तेल, तलवार श्रेणी फ्रिगेट, रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO), अनुच्छेद 370। मेन्स के लिये:भारत-यूक्रेन संबंधों का महत्त्व और रूस एवं पश्चिमी देशों के बीच संबंधों में संतुलन |
स्रोत: द हिंदू
भारत के प्रधानमंत्री ने यूक्रेन के राष्ट्रपति के निमंत्रण पर यूक्रेन का दौरा किया। वर्ष 1991 में यूक्रेन की स्वतंत्रता के बाद से यह यूक्रेन का दौरा करने वाला पहला भारतीय राष्ट्राध्यक्ष था।
- यह यात्रा रक्षा क्षेत्र में सहयोग पर केंद्रित थी क्योंकि भारत के पास यूक्रेनी मूल के सैन्य उपकरणों का विशाल भंडार है।
भारत के प्रधानमंत्री की यूक्रेन यात्रा से मुख्य तथ्य क्या हैं?
- रूस-यूक्रेन युद्ध पर भारत के रुख का स्पष्टीकरण: भारत के प्रधानमंत्री ने इस बात पर ज़ोर दिया कि रूस-यूक्रेन संघर्ष में भारत कभी भी तटस्थ नहीं रहा है और हमेशा शांति के पक्ष में खड़ा रहा है।
- भारत संघर्ष के शीघ्र समाधान के लिये व्यावहारिक समाधान खोजने हेतु सभी हितधारकों से भागीदारी का आग्रह करता है।
- अंतर-सरकारी आयोग का गठन: भारत और यूक्रेन के बीच द्विपक्षीय वाणिज्यिक एवं आर्थिक संबंधों को पूर्व-संघर्ष स्तर पर बहाल करने तथा प्रगाढ़ करने के लिये एक अंतर-सरकारी आयोग का गठन किया गया है।
- वर्ष 2021-22 में द्विपक्षीय व्यापार 3.386 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुँच गया है।
- चार प्रमुख समझौतों पर हस्ताक्षर: दोनों देशों ने कृषि, खाद्य उद्योग, चिकित्सा उत्पाद विनियमन और सांस्कृतिक सहयोग जैसे क्षेत्रों को शामिल करने वाले चार समझौतों पर हस्ताक्षर किये।
- समझौतों का उद्देश्य कृषि और खाद्य उद्योग में सहयोग को बढ़ावा देना, चिकित्सा उत्पादों को विनियमित करना, मानवीय अनुदान सहायता प्रदान करना तथा दोनों देशों के बीच सांस्कृतिक संबंधों को मज़बूत करना है।
- यूक्रेन को भीष्म क्यूब उपहार में दिये: भारत ने यूक्रेन को चार भारत हेल्थ इनिशिएटिव फॉर सहयोग, हित एंड मैत्री (BHISHM) क्यूब उपहार में दिये, जिन्हें मोबाइल अस्पतालों के माध्यम से आपातकालीन चिकित्सा देखभाल प्रदान करने के लिये डिज़ाइन किया गया है।
- ये क्यूब्स प्रोजेक्ट आरोग्य मैत्री का हिस्सा हैं, जो महत्त्वपूर्ण चिकित्सा आपूर्ति प्रदान करने और संकट की स्थितियों में चिकित्सा सुविधाओं की तेज़ी से तैनाती सुनिश्चित करने का एक कार्यक्रम है।
- शहीदों के प्रति मार्मिक समैक्य/एकजुटता: प्रधानमंत्री ने कीव में यूक्रेन के राष्ट्रीय इतिहास संग्रहालय में शहीद बच्चों की स्मृति में आयोजित मल्टीमीडिया प्रदर्शनी का दौरा किया। युद्ध में अपनी जान गँवाने वाले बच्चों की याद में आयोजित मार्मिक प्रदर्शनी से अत्यधिक मर्माहत हुए।
- उन्होंने बच्चों की दु:खद मृत्यु पर दु:ख व्यक्त किया और सम्मान के तौर पर उनकी स्मृति में एक खिलौना अर्पित किया।
- राष्ट्रपति ज़ेलेंस्की को आमंत्रण: भारत के प्रधानमंत्री ने यूक्रेनी राष्ट्रपति को भारत यात्रा के लिये आमंत्रित किया, जो वर्ष 1991 के बाद से यूक्रेन की उनकी पहली यात्रा के दौरान एक महत्त्वपूर्ण संकेत था।
भारत-यूक्रेन संबंधों की गतिशीलता क्या है?
- ऐतिहासिक यात्रा: श्री नरेंद्र मोदी वर्ष 1992 में राजनयिक संबंध स्थापित होने के बाद से यूक्रेन की यात्रा करने वाले पहले भारतीय प्रधान मंत्री हैं। वर्ष 1991 में सोवियत संघ के पतन के बाद यूक्रेन को स्वतंत्रता मिलने के बाद भारत उसे मान्यता देने वाले देशों में से एक था।
- पारंपरिक विदेश नीति से प्रस्थान: ऐतिहासिक रूप से भारत ने सोवियत संघ (रूस के पूर्ववर्ती) के साथ घनिष्ठ संबंध बनाए रखे और यूक्रेन के साथ उसका कम जुड़ाव था।
- यह यात्रा यूरोप के साथ संबंधों को बढ़ाने की भारत की व्यापक रणनीति का हिस्सा है, जो यूरोप के चार बड़े देशों यानी रूस, जर्मनी, फ्राँस और ब्रिटेन के साथ संबंधों पर केंद्रित विगत संकीर्ण फोकस से परे आगे बढ़ रही है।
- यह यात्रा भारत की विदेश नीति में एक महत्त्वपूर्ण बदलाव को दर्शाती है, जो मध्य और पूर्वी यूरोप के साथ व्यापक जुड़ाव को दर्शाती है।
- द्विपक्षीय संबंधों में नए अवसर: विदेश मंत्री और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार के यूक्रेनी समकक्षों के साथ उच्च स्तरीय वार्ता में वृद्धि हुई है।
- सामरिक हित: गैस टर्बाइन और विमान जैसी रक्षा प्रौद्योगिकी में यूक्रेन की विशेषज्ञता भारत में सहयोग एवं संयुक्त विनिर्माण के अवसर प्रदान करती है।
- आर्थिक अवसर: विश्व की कृषि शक्तियों में से एक के रूप में यूक्रेन की शक्ति से आने वाले वर्षों में इसकी सामरिक प्रमुखता में वृद्धि होगी।
- युद्ध-पूर्व यूक्रेन भारत के लिये सूरजमुखी तेल के सबसे बड़े स्रोतों/निर्यातकों में से एक था।
- स्वतंत्र विदेश नीति: यूक्रेन के साथ भारत का समन्वय रूस के साथ उसके संबंधों को कमज़ोर नहीं करती है, जो भारत की तटस्थ नीति को दर्शाती है।
भारत के रक्षा क्षेत्र के लिये यूक्रेन क्यों महत्त्वपूर्ण है?
- सोवियत युग के उपकरण: भारत के पास सोवियत युग के रक्षा उपकरणों का एक महत्त्वपूर्ण भंडार है जिनका अभी भी परिचालन हो रहा है, जिसमें भारतीय नौसेना के युद्धपोतों के लिये गैस टरबाइन इंजन और भारतीय वायु सेना (IAF) द्वारा संचालित An-32 विमान शामिल हैं।
- भारतीय वायु सेना: जून 2009 में भारत ने यूक्रेन के स्पेट्सटेक्नोएक्सपोर्ट (STE) के साथ 105 AN-32 विमानों के अपने बेड़े को अपग्रेड करने, उनके जीवनकाल को 40 वर्ष तक बढ़ाने और उनके एवियोनिक्स में सुधार करने के लिये 400 मिलियन अमरीकी डॉलर के समझौते पर हस्ताक्षर किये।
- भारतीय वायुसेना हमारी उत्तरी सीमा पर तैनात सेना के जवानों के हवाई रखरखाव, एयर कार्गो ड्रॉप-ऑफ और पैरा ड्रॉप-ऑफ के लिये AN-32 पर बहुत अधिक निर्भर है।
- भारतीय नौसेना: यूक्रेन गोवा शिपयार्ड लिमिटेड (GSL) में दो एडमिरल ग्रिगोरोविच-क्लास फ्रिगेट के निर्माण के लिये महत्त्वपूर्ण घटकों की आपूर्ति कर रहा है।
- इसका प्रभाव विशेष रूप से भारतीय नौसेना पर पड़ा है, क्योंकि इसके 30 से अधिक अग्रणी युद्धपोत यूक्रेन की ज़ोर्या मैशप्रोएक्ट (Zorya-Mashproekt) द्वारा निर्मित इंजनों से संचालित होते हैं।
- यूक्रेन की सरकारी स्वामित्व वाली ज़ोर्या मैशप्रोएक्ट तलवार श्रेणी के फ्रिगेट/युद्धपोतों द्वारा इस्तेमाल किये जाने वाले गैस टर्बाइनों के संयुक्त निर्माण के लिये भारतीय निजी क्षेत्र की कंपनियों के साथ वार्ता कर रही है।
- रक्षा व्यापार: वर्ष 2019 में बालाकोट हवाई हमले के बाद IAF ने अपने SU-30MKI लड़ाकू विमानों के लिये यूक्रेन से R-27 एयर-टू-एयर मारक मिसाइलों की आपातकालीन खरीद की।
- फरवरी 2021 में एयरो इंडिया में यूक्रेन ने 70 मिलियन अमरीकी डॉलर के चार समझौतों पर हस्ताक्षर किये जिसमें नए आयुधों की बिक्री के साथ-साथ भारतीय सैन्य सेवा में मौजूदा आयुधों का रखरखाव और उन्नयन शामिल है।
- भारतीय रक्षा उद्योग को बढ़ावा: भारतीय रक्षा उपकरण बाज़ार में अपनी उपस्थिति को प्रबल करने के प्रयासों के अलावा यूक्रेन का लक्ष्य भारत से कुछ सैन्य हार्डवेयर खरीदना है।
- यूक्रेन ने अनुसंधान और विकास में संभावित सहयोग के लिये रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) के साथ भी चर्चा की।
भारत-यूक्रेन संबंधों में क्या समस्याएँ हैं?
- रूस-यूक्रेन युद्ध: चल रहा रूस-यूक्रेन युद्ध यूक्रेन और उसके पश्चिमी भागीदारों के साथ भारत के संबंधों में लगातार समस्याएँ उत्पन्न कर रहा है।
- भारत ने यूक्रेन पर रूस के आक्रमण पर तटस्थ रुख बनाए रखा है, कूटनीति और संवाद का समर्थन करते हुए मास्को की सीधी निंदा से परहेज़ किया है।
- भारत ने रूस पर पश्चिमी देशों के प्रतिबंधों में शामिल होने से मना कर दिया है और रियायती मूल्य पर रूसी ईंधन खरीदना शुरू कर दिया है।
- भारत ने संयुक्त राष्ट्र महासभा के उस प्रस्ताव पर मतदान से काफी हद तक परहेज़ किया है, जिसमें यूक्रेन पर रूस के आक्रमण की निंदा की गई थी।
- आपूर्ति शृंखला में रुकावटें: युद्ध ने महत्त्वपूर्ण रक्षा उपकरणों की आपूर्ति शृंखलाओं को बाधित कर दिया। उदाहरण के लिये, यूक्रेनी कारखानों पर संघर्ष के प्रभाव के कारण भारतीय वायु सेना के An-32 विमान के उन्नयन में देरी हुई है।
- रूस ने भारत को एस-400 ट्रायम्फ वायु रक्षा प्रणाली के शेष दो स्क्वाड्रन की डिलीवरी अगस्त 2026 तक के लिये टाल दी है।
- कश्मीर पर यूक्रेन का रुख: कश्मीर मुद्दे पर यूक्रेन की सामयिक टिप्पणियाँ और रुख दोनों देशों के बीच टकराव का स्रोत रहे हैं।
- वर्ष 2019 में भारत द्वारा अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के बाद यूक्रेन ने जम्मू और कश्मीर की स्थिति पर चिंता व्यक्त की, जिसे भारत ने अपने आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप के रूप में देखा।
- कूटनीतिक विसंगतियाँ: विदेश नीति प्राथमिकताओं और वैश्विक संरेखण में अंतर ने कभी-कभी भारत-यूक्रेन संबंधों में घर्षण उत्पन्न किया है।
- रूस के साथ भारत की रणनीतिक साझेदारी यूक्रेन के रूसी कार्यों के विरोध के विपरीत है, जिससे कूटनीतिक संतुलन की स्थिति उत्पन्न होती है, जो द्विपक्षीय संबंधों को जटिल बनाती है।
आगे की राह
- रूस-यूक्रेन संघर्ष पर संतुलित दृष्टिकोण: भारत को रूस-यूक्रेन संघर्ष पर अपना रुख सावधानीपूर्वक बनाए रखना चाहिये।
- रूस के साथ अपने सामरिक संबंध बनाए रखते हुए, भारत को यूक्रेन की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता के प्रति भी चिंता व्यक्त करनी चाहिये।
- सामरिक स्वायत्तता और गुटनिरपेक्षता: भारत को अपनी सामरिक स्वायत्तता और गुटनिरपेक्षता की नीति पर ज़ोर देना जारी रखना चाहिये।
- ऐसा करने से वह ऐसे भू-राजनीतिक संघर्षों में फँसने से बच सकता है जो सीधे तौर पर उसके राष्ट्रीय हितों की पूर्ति नहीं करते।
- मानवीय सहायता एवं समर्थन: भारत मानवीय सहायता एवं समर्थन प्रदान करके यूक्रेन के साथ अपने संबंधों को बढ़ा सकता है।
- इसमें चिकित्सा सहायता, पुनर्निर्माण सहायता और युद्धग्रस्त क्षेत्रों के पुनर्निर्माण के लिये तकनीकी विशेषज्ञता शामिल हो सकती है।
- मध्यस्थता और शांति पहल: यदि अवसर मिला तो भारत रूस और यूक्रेन के बीच मध्यस्थता की पेशकश कर सकता है, क्योंकि दोनों देशों के साथ उसके अच्छे संबंध हैं।
- इससे भारत एक ज़िम्मेदार वैश्विक अभिकर्त्ता के रूप में स्थापित होगा और संघर्ष का शांतिपूर्ण समाधान खोजने में मदद मिलेगी।
- वैश्विक दक्षिण एकजुटता का लाभ उठाना: भारत को अन्य ग्लोबल साउथ देशों के साथ मिलकर एक गठबंधन बनाना चाहिये जो यूक्रेन जैसे संघर्ष क्षेत्रों में शांति और विकास को बढ़ावा देना।
दृष्टि मेन्स प्रश्न: प्रश्न. रूस-यूक्रेन युद्ध के आलोक में भारत और यूक्रेन के बीच सहयोग के संभावित क्षेत्रों की जाँच कीजिये। |
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ)प्रिलिम्सप्रश्न. निम्नलिखित देशों पर विचार कीजिये: (2023)
उपरोक्त में से कितने देशों की सीमाएँ यूक्रेन की सीमा के साथ स्थलीय साझी हैं? (a) केवल दो उत्तर: (a) प्रश्न: निम्नलिखित में से कौन-सा देश मोल्दोवा के साथ सीमा साझा करता है? (2008)
नीचे दिये गए कूट का उपयोग करके सही उत्तर चुनिये: (a) केवल 1 और 2 उत्तर: (a) |