प्रारंभिक परीक्षा
भारतीय नौसेना फ्रिगेट तुशील: P1135.6 श्रेणी
हाल ही में P1135.6 श्रेणी का 7वाँ भारतीय नौसेना युद्धपोत, जिसका नाम तुशील (Tushi) है, रूस के कैलिनिनग्राद (Kaliningrad) के यंतर शिपयार्ड से लॉन्च किया गया।
- भारत और रूस ने अक्तूबर 2016 में चार अतिरिक्त P1135.6 श्रेणी के जहाज़ों के निर्माण के लिये एक समझौते (रूस और भारत प्रत्येक द्वारा दो-दो) पर हस्ताक्षर किये थे।
प्रमुख बिंदु
- भारतीय नौसेना के लिये रूस द्वारा डिज़ाइन और निर्मित जहाज़ को औपचारिक रूप से 'तुशील' (Tushil) नाम दिया गया है।
- तुशील एक संस्कृत शब्द है जिसका अर्थ रक्षक शील्ड/ढाल है।
- प्रोजेक्ट 1135.6 को तलवार श्रेणी के नाम से भी जाना जाता है जो एक गाइडेड-मिसाइल फ्रिगेट श्रेणी का है।
- ये संशोधित क्रिवाक III श्रेणी के फ्रिगेट हैं जो रूसी एडमिरल ग्रिगोरोविच श्रेणी के फ्रिगेट का मुख्य आधार भी हैं।
- भारत में तलवार श्रेणी के छह युद्धपोत सेवा में हैं।
- यह जहाज़ अत्याधुनिक भारतीय और रूसी हथियारों एवं सेंसर से युक्त एक शक्तिशाली संयोजन है, जिसे एक एकल इकाई के रूप में तथा एक नौसेना टास्क फोर्स में कंसोर्ट के रूप में लिटोरल (Littoral) और समुद्र में संचालित करने के लिये निर्मित किया गया है।
- वे रडार से बचने और जल में उत्पन्न हलचल का पता लगाने के लिये "स्टेल्थ तकनीक" (Stealth Technology) का प्रयोग करते हैं।
- स्टेल्थ तकनीक एक निम्न अवलोकन योग्य तकनीक है जो विमान, लड़ाकू जेट, जहाज़ों, पनडुब्बियों, उपग्रहों, मिसाइलों आदि में कई तकनीकों का उपयोग करके रडार, इन्फ्रारेड, सोनार आदि प्रौद्योगिकियों से लगभग अदृश्य रहने में सक्षम है।
- यह भारत और रूस के बीच सैन्य तकनीकी सहयोग की लंबे समय से चली आ रही परंपरा पर प्रकाश डालता है।
- ये हिंद महासागर क्षेत्र (IOR) में सक्रिय भारतीय नौसेना को और अधिक शक्ति प्रदान करेंगे।
प्रारंभिक परीक्षा
महासागर अनुसंधान पोत- ‘सागर निधि’
हाल ही में केंद्रीय पृथ्वी विज्ञान मंत्री ने भारतीय उपमहाद्वीप के पायनियर महासागर अनुसंधान पोत (ORV) जहाज़- ‘सागर निधि’ का दौरा किया।
- इससे पूर्व ‘पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय’ (MoES) ने चेन्नई में भारत का पहला मानवयुक्त महासागर मिशन ‘समुद्रयान’ लॉन्च किया था।
प्रमुख बिंदु
- ‘सागर निधि’:
- इसे देश के समुद्री अनुसंधान कार्यक्रम के लिये वर्ष 2008 में कमीशन किया गया था।
- ‘सागर पूर्वी’ और ‘सागर पश्चिमी’ के बाद यह तीसरा शोध पोत है।
- यह पोत भू-वैज्ञानिक, मौसम विज्ञान और समुद्र विज्ञान संबंधी अनुसंधान करने में सक्षम है तथा 45 दिनों तक 10,000 समुद्री मील (19,000 किमी.) तक की क्षमता के लिये डिज़ाइन किया गया है।
- यह पहला भारतीय ध्वजांकित अनुसंधान जहाज़ है, जो सर्वाधिक कठोर प्राकृतिक परिस्थितियों को सहने में भी सक्षम है और 11 तूफानों का सामना करते हुए 66°S अक्षांश [अंटार्कटिक जल] तक पहुँचा है।
- पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के पास वर्तमान में 6 जहाज़ हैं- सागर निधि, सागर मंजूषा, सागरकन्या, सागर संपदा, सागर तारा और सागर अन्वेषिका, जिनका उपयोग समुद्र के अवलोकन सहित कई महासागर अध्ययनों एवं अनुप्रयोगों के लिये किया जाता है।
- इसे देश के समुद्री अनुसंधान कार्यक्रम के लिये वर्ष 2008 में कमीशन किया गया था।
- महत्त्व
- ‘ब्लू इकॉनमी’ को बढ़ावा देने और समुद्री संसाधनों की खोज एवं दोहन में भागीदारी हेतु ‘डीप ओशन मिशन’ के कार्यान्वयन के लिये यह अनुसंधान पोत काफी महत्त्वपूर्ण है।
- इसका उपयोग सुनामी निगरानी प्रणाली और अपेक्षाकृत दूरी से संचालित वाहनों को लॉन्च करने, खानों एवं गैस हाइड्रेट्स की पहचान करने के लिये किया जाता है।
- इसका उपयोग भविष्य के गैस हाइड्रेट्स के ईंधन पर समुद्री अध्ययन करने और जीवन की उत्पत्ति एवं जीर्ण बीमारियों (एक वर्ष या उससे अधिक समय तक चलने वाली बीमारियों) के इलाज के बारे में वैज्ञानिक साक्ष्य की खोज के लिये भी किया जाएगा।
पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय (MoES)
- इस मंत्रालय का प्राथमिक कार्य मौसम, जलवायु, महासागर और भूकंपीय सेवाएँ प्रदान करना तथा जीवित एवं निर्जीव संसाधनों का दोहन करना है।
- यह प्रासंगिक महासागर प्रौद्योगिकी और विशिष्ट आर्थिक क्षेत्र (EEZ) के महासागर सर्वेक्षण व खनिजों एवं ऊर्जा के लिये गहरे महासागरों के विकास कार्य में भी संलग्न है।
- राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान चेन्नई को समुद्र के जीवित एवं निर्जीव संसाधनों के सतत् दोहन हेतु प्रौद्योगिकियों को विकसित करने का अधिकार है।
विविध
Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 01 नवंबर, 2021
राष्ट्रीय एकता दिवस
भारत में प्रतिवर्ष 31 अक्तूबर को सरदार वल्लभभाई पटेल के जन्मदिवस को ‘राष्ट्रीय एकता दिवस’ के रूप में मनाया जाता है। यह वर्ष 2014 में पहली बार 'भारत के लौह पुरुष' सरदार वल्लभभाई पटेल को श्रद्धांजलि देने के उद्देश्य से मनाया गया था। वर्ष 2018 में भारत सरकार ने सरदार वल्लभभाई पटेल के सम्मान में गुजरात में ‘स्टैच्यू ऑफ यूनिटी’ का अनावरण किया था। गौरतलब है कि यह विश्व की सबसे ऊँची प्रतिमा है। सरदार पटेल का जन्म 31 अक्तूबर, 1875 को नाडियाड, गुजरात में हुआ था। भारत राष्ट्र को एक संघ बनाने तथा भारतीय रियासतों के एकीकरण में उन्होंने महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई। ध्यातव्य है कि स्वतंत्रता के समय विभिन्न रियासतों को भारतीय संघ में शामिल होने के लिये राज़ी करने में सरदार पटेल की मुख्य भूमिका थी। बारडोली की महिलाओं ने उन्हें ‘सरदार’ की उपाधि दी, जिसका अर्थ ‘प्रमुख या नेता’ होता है। भारत को एकीकृत और एक स्वतंत्र राष्ट्र बनाने में उनके महान योगदान के लिये उन्हें भारत की एकजुटता के वास्तविक सूत्रधार के रूप में जाना जाता है। उन्होंने आधुनिक अखिल भारतीय सेवा प्रणाली की स्थापना की, जिसके कारण उन्हें ‘भारतीय सिविल सेवकों के संरक्षक’ के रूप में भी याद किया जाता है।
इंदिरा गांधी
31 अक्तूबर, 2021 को पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की पुण्यतिथि मनाई गई। देश के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू की पुत्री इंदिरा गांधी का जन्म 19 नवंबर, 1917 को प्रयागराज (इलाहाबाद) में हुआ था। इंदिरा गांधी एकमात्र महिला हैं, जिन्होंने भारत के प्रधानमंत्री के रूप में कार्य किया है। ध्यातव्य है कि इंदिरा गांधी अपने पिता जवाहरलाल के बाद सबसे लंबे समय तक सेवा देने वाली देश की दूसरी प्रधानमंत्री थीं। वर्ष 1959 में उन्हें काॅन्ग्रेस पार्टी का अध्यक्ष बनाया गया और वर्ष 1964 में प्रधानमंत्री नेहरू की मृत्यु के बाद उन्होंने लाल बहादुर शास्त्री के नेतृत्त्व में एक कैबिनेट मंत्री के रूप में कार्य किया, किंतु लाल बहादुर शास्त्री की आकस्मिक मृत्यु के बाद वर्ष 1966 में वे देश की 5वीं प्रधानमंत्री बनीं। वर्ष 1975 में उनके कार्यकाल के दौरान भारत में आपातकाल लागू किया गया, जो कि भारतीय लोकतंत्र के इतिहास का एक ‘काला अध्याय’ माना जाता है। आपातकाल की समाप्ति के बाद हुए चुनावों में वे हार गईं, जिसके बाद वर्ष 1980 में हुए चुनावों में एक बार फिर सत्ता में आईं। प्रधानमंत्री के तौर पर इंदिरा गांधी के दूसरे कार्यकाल के दौरान अमृतसर के स्वर्ण मंदिर पर ‘ऑपरेशन ब्लू स्टार’ को अंजाम दिया गया। 31 अक्तूबर, 1984 को उनके दो सिख अंगरक्षकों द्वारा उनकी हत्या कर दी गई। इंदिरा गांधी को उनके प्रभावशाली व्यक्तित्व के लिये जाना जाता था और उन्होंने बांग्लादेश के गठन में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
‘लॉन्ग रेंज बम’ का परीक्षण
हाल ही में ‘रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन’ (DRDO) और भारतीय वायुसेना (IAF) ने स्वदेशी रूप से विकसित ‘लॉन्ग रेंज बम’ (LRB) का सफलतापूर्वक परीक्षण किया है। इस ‘लॉन्ग रेंज बम’ को DRDO प्रयोगशालाओं के समन्वय से तेलंगाना स्थित DRDO की प्रयोगशाला- ‘रिसर्च सेंटर इमरत’ (RCI) द्वारा डिज़ाइन और विकसित किया गया है। ‘रिसर्च सेंटर इमरत’ प्रयोगशाला ‘एवियोनिक्स सिस्टम’ के अनुसंधान व विकास में शामिल है। ध्यातव्य है कि इससे पूर्व ओडिशा के तट पर ‘एपीजे अब्दुल कलाम द्वीप’ से ‘अग्नि-5 मिसाइल’ का सफलतापूर्वक परीक्षण किया गया था। यह मिसाइल उच्च सटीकता के साथ 5,000 किलोमीटर की दूरी तक लक्ष्य को भेदने में सक्षम है।
फेसबुक का नाम परिवर्तन
दिग्गज सोशल मीडिया कंपनी फेसबुक ने हाल ही में अपना नाम बदलकर ‘मेटा’ (Meta) करने की घोषणा की है। इस संबंध में जारी अधिसूचना के मुताबिक, यह नया नाम सोशल मीडिया से परे कंपनी की बढ़ती महत्त्वाकांक्षाओं को दर्शाता है। फेसबुक ने वर्चुअल तकनीक के क्षेत्र में भी अपने कार्य का विस्तार किया है। यह परिवर्तन फेसबुक, इंस्टाग्राम और व्हाट्सएप जैसे प्लेटफॉर्म पर लागू नहीं होता है, बल्कि यह केवल ‘पैरेंट कंपनी’ पर लागू होता है। फेसबुक के मुख्य कार्यकारी अधिकारी मार्क जुकरबर्ग ने घोषणा की है कि ‘मेटावर्स’ के माध्यम से एक ऐसे वर्चुअल विश्व का निर्माण किया जाएगा, जहाँ लोग वर्चुअल वातावरण में गेम खेल सकेंगे, काम कर सकेंगे और संवाद कर सकेंगे।