अंतर्राष्ट्रीय संबंध
पर्सपेक्टिव: भारत-यूरोपीय संघ साझेदारी
- 19 Mar 2025
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प्रिलिम्स के लिये:भारत-यूरोपीय संघ रणनीतिक साझेदारी, PSLV, चंद्रयान-3, आदित्य-L1 मिशन, गगनयान, भारत-यूरोपीय संघ मुक्त व्यापार समझौता, AI शिखर सम्मेलन पर वैश्विक भागीदारी, ग्रीन हाइड्रोजन पर अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन, यूरोपीय निवेश बैंक, ग्रीन हाइड्रोजन इकोसिस्टम, एशिया में और एशिया के साथ सुरक्षा सहयोग बढ़ाना (ESIWA+), गिनी की खाड़ी, G20, WTO, संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद मेन्स के लिये:भारत और यूरोपीय संघ (EU) के बीच सामरिक संबंध और दोनों देशों के लिये इसका महत्त्व। |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में यूरोपीय आयोग के अध्यक्ष, यूरोपियन यूनियन कॉलेज ऑफ कमिश्नर्स के एक प्रतिनिधिमंडल के साथ भारत की दो दिवसीय आधिकारिक यात्रा पर आए।
- इस यात्रा के दौरान विभिन्न क्षेत्रों में भारत-यूरोपीय संघ रणनीतिक साझेदारी को और मज़बूत करने, व्यापार को बढ़ावा देने, प्रौद्योगिकी तथा वैश्विक शासन पर सहयोग को सुदृढ़ करने के क्रम में चर्चाएँ की गईं।
भारत-यूरोपीय संघ संबंध कैसे रहे हैं?
- पृष्ठभूमि:
- भारत और यूरोपीय संघ के बीच दीर्घकालिक राजनयिक संबंध रहे हैं जिनकी शुरुआत वर्ष 1962 से हुई।
- भारत-यूरोपीय संघ शिखर सम्मेलनों द्वारा सहयोग के क्रम में बहु-स्तरीय संस्थागत ढाँचे की आधारशिला के रूप में कार्य किया गया।
- उद्घाटन शिखर सम्मेलन जून 2000 में लिस्बन में हुआ था और वर्ष 2004 में हेग में 5वें शिखर सम्मेलन के दौरान द्विपक्षीय संबंधों को सामरिक साझेदारी तक विस्तारित किया गया।
- सहयोग को गहन करने के क्रम में जुलाई 2020 में "भारत-यूरोपीय संघ रणनीतिक साझेदारी: 2025 के लिये रोडमैप" अपनाया गया था।
- भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के PSLV द्वारा दिसंबर 2024 में यूरोपीय संघ के प्रोबा-3 मिशन को सफलतापूर्वक लॉन्च किया गया। ISRO और यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी (ESA) ने चंद्रयान-3 और आदित्य-L1 मिशनों पर सहयोग करने के साथ भारत के मानव अंतरिक्ष उड़ान मिशन गगनयान पर सहयोग हेतु एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किये हैं।
- व्यापार और अर्थव्यवस्था:
- भारत और यूरोपीय संघ पिछले 15 वर्षों से मुक्त व्यापार समझौते पर बातचीत कर रहे हैं।
- यूरोपीय संघ भारत का सबसे बड़ा वस्तु व्यापार साझेदार है तथा पिछले दशक में द्विपक्षीय व्यापार में 90% की वृद्धि हुई है।
- वित्त वर्ष 2023-24 में वस्तुओं का द्विपक्षीय व्यापार 135 बिलियन अमेरिकी डॉलर रहा, जिसमें यूरोपीय संघ को भारतीय निर्यात 76 बिलियन अमेरिकी डॉलर का तथा आयात 59 बिलियन अमेरिकी डॉलर का था।
- वर्ष 2023 में सेवाओं का द्विपक्षीय व्यापार 53 बिलियन अमेरिकी डॉलर का रहा, जिसमें 30 बिलियन अमेरिकी डॉलर का भारत से निर्यात और 23 बिलियन अमेरिकी डॉलर का आयात शामिल है।
- अप्रैल 2000 से सितंबर 2024 की अवधि के दौरान यूरोपीय संघ से संचयी प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) प्रवाह 117.4 बिलियन अमेरिकी डॉलर रहा, जो कुल FDI इक्विटी प्रवाह का 16.6% था।
- भारत-यूरोपीय संघ व्यापार एवं प्रौद्योगिकी परिषद (TTC) की बैठकों के साथ-साथ भारतीय मंत्रियों एवं यूरोपीय संघ आयुक्तों के बीच द्विपक्षीय चर्चाओं से आपसी सहयोग को बढ़ावा मिलने के साथ व्यापार और निवेश विविधीकरण को बढ़ावा मिला है।
- सेमीकंडक्टर, कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) और स्वच्छ ऊर्जा प्रौद्योगिकियों में चीन की प्रगति के कारण TTC और भी महत्त्वपूर्ण हो गया है।
- विज्ञान और प्रौद्योगिकी:
- विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी में द्विपक्षीय सहयोग वर्ष 2007 के विज्ञान और प्रौद्योगिकी सहयोग समझौते के ढाँचे पर केंद्रित है।
- उच्च प्रदर्शन कंप्यूटिंग (HPC) में सहयोग के क्रम में भारत-यूरोपीय संघ के बीच समझौते पर नवंबर 2022 में हस्ताक्षर किये गए थे।
- दोनों देशों ने नवंबर 2023 में सेमीकंडक्टर अनुसंधान एवं विकास सहयोग पर एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किये।
- यूरोपीय संघ ने दिसंबर 2023 में नई दिल्ली में AI शिखर सम्मेलन पर वैश्विक साझेदारी में भाग लिया।
- स्थिरता और हरित पहल:
- भारत-यूरोपीय संघ हरित हाइड्रोजन सहयोग पहल के भाग के रूप में भारत ने नवंबर 2024 में ब्रुसेल्स में यूरोपीय हाइड्रोजन सप्ताह के दौरान विशेष भागीदार देश के रूप में भूमिका निभाई।
- सितंबर 2024 में दिल्ली में ग्रीन हाइड्रोजन पर अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन में, यूरोपीय संघ एक प्रमुख भागीदार था।
- यूरोपीय निवेश बैंक ने 1 बिलियन यूरो के वित्तपोषण के साथ भारतीय हाइड्रोजन परियोजनाओं का समर्थन करने की प्रतिबद्धता जताई।
- भारतीय और यूरोपीय कंपनियाँ वर्ष 2030 तक भारत में हरित हाइड्रोजन पारिस्थितिकी तंत्र विकसित करने के उद्देश्य से हाइड्रोजन क्षेत्रों में सहयोग कर रही हैं।
- लोगों से लोगों के बीच संबंध:
- लोगों से लोगों के बीच मज़बूत होते संबंध, भारत एवं यूरोपीय संघ के संबंधों में से एक हैं।
- यूरोपीय संघ में बढ़ते भारतीय समुदाय में बड़ी संख्या में छात्र, शोधकर्त्ता और कुशल पेशेवर शामिल हैं।
- भारतीय पेशेवर वर्ष 2023-24 में जारी किये गए यूरोपीय संघ ब्लू कार्ड के सबसे बड़े प्राप्तकर्त्ता (20% से अधिक) हैं।
- रक्षा एवं सामरिक साझेदारी:
- भारत और यूरोपीय संघ विशेष रूप से समुद्री सुरक्षा और हिंद-प्रशांत क्षेत्र में अपने रक्षा सहयोग को बढ़ा रहे हैं।
- चीन की बढ़ती समुद्री क्षमताओं एवं आक्रामक नीतियों को देखते हुए यह विशेष रूप से महत्त्वपूर्ण है।
- दोनों के बीच पहला संयुक्त नौसैनिक अभ्यास अक्तूबर 2023 में गिनी की खाड़ी में आयोजित किया गया था।
- दोनों पक्षों ने वैश्विक सुरक्षा, प्राकृतिक आपदाओं, समुद्री डकैती तथा आतंकवाद-निरोध पर सहयोग को बढ़ावा दिया है।
- भारत के चल रहे सैन्य आधुनिकीकरण और किसी भी एक आपूर्तिकर्ता पर निर्भरता कम करने के प्रयासों के मद्देनजर, यूरोपीय देश रक्षा साझेदार के रूप में प्रमुख भूमिका निभा सकते हैं।
- वैश्विक नेतृत्व एवं भू-राजनीतिक बदलाव:
- यूरोपीय संघ, भारत के व्यापार विविधीकरण के दृष्टिकोण से समन्वय बिठाते हुए चीन पर अपनी आर्थिक निर्भरता कम कर रहा है।
- बढ़ते ट्रांसअटलांटिक तनाव के बीच, यूरोपीय संघ द्वारा स्वतंत्र विदेश नीति पहलों को बढ़ावा देने से भारत का कूटनीतिक प्रभाव बढ़ रहा है।
- दोनों साझेदार G20, विश्व व्यापार संगठन एवं संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद जैसी बहुपक्षीय संस्थाओं में नियम-आधारित वैश्विक व्यवस्था का समर्थन करते हैं।
भारत-यूरोपीय संघ संबंधों में क्या चुनौतियाँ हैं?
- उच्च तकनीक क्षेत्र में अपनी क्षमता का कम उपयोग:
- भारत और यूरोपीय संघ ने अभी भी जैव प्रौद्योगिकी,नैनोटेक्नोलॉजी और जीनोमिक्स जैसे उभरते क्षेत्रों में सहयोग का पूरा लाभ नहीं उठाया है। हालाँकि, नौकरशाही बाधाओं एवं वित्तपोषण की कमी से संयुक्त अनुसंधान और विकास प्रयासों की प्रगति में बाधा बनी हुई है।
- मुक्त व्यापार समझौता (FTA) वार्ता का सफल न होना:
- भारत और यूरोपीय संघ 15 वर्षों से अधिक समय से FTA पर बातचीत कर रहे हैं लेकिन बाज़ार पहुँच, बौद्धिक संपदा अधिकार (IPR) एवं श्रम मानकों जैसे मुद्दों पर मतभेद बने हुए हैं। इसके साथ ही विनियामक बाधाओं एवं टैरिफ संरचना से इसकी प्रगति धीमी बनी हुई है।
- प्रौद्योगिकी हस्तांतरण और डिजिटल विनियमन:
- भारत प्रौद्योगिकी हस्तांतरण में यूरोपीय संघ से अधिक समर्थन चाहता है लेकिन डेटा गोपनीयता, डिजिटल संप्रभुता और साइबर सुरक्षा नियमों से संबंधित चिंताओं से इसमें बाधा उत्पन्न होती है।
- यूरोपीय संघ के सख्त सामान्य डेटा संरक्षण विनियमन (GDPR) से यूरोपीय बाज़ारों में परिचालन करने वाले भारतीय व्यवसायों के लिये चुनौतियाँ उत्पन्न होती हैं।
- जलवायु एवं ऊर्जा नीति में मतभेद:
- यूरोपीय संघ के कार्बन सीमा समायोजन तंत्र (CBAM) से भारतीय निर्यात प्रभावित (विशेष रूप से इस्पात और सीमेंट जैसे ऊर्जा-गहन क्षेत्रों में) हो सकता है।
- हरित ऊर्जा नीतियों एवं वित्तपोषण संरचनाओं में अंतर के कारण समन्वय संबंधी चुनौतियाँ उत्पन्न होती हैं।
- वीज़ा एवं आवागमन संबंधी बाधाएँ:
- लोगों के बीच मज़बूत संबंधों के बावजूद, यूरोपीय संघ में भारतीय पेशेवरों के लिये वीज़ा प्रतिबंध तथा कार्य परमिट संबंधी चुनौतियाँ, चिंता का विषय बनी हुई हैं।
आगे की राह
- मुक्त व्यापार समझौते (FTA) पर वार्ता में तीव्रता लाना:
- व्यापार उदारीकरण के लिये अनुकूल, चरणबद्ध दृष्टिकोण अपनाने के साथ संवेदनशील क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करना चाहिये।
- बाज़ार पहुँच को आसान बनाने के क्रम में पारस्परिक मान्यता समझौतों के माध्यम से विनियामक संरेखण को बढ़ावा देना चाहिये।
- रचनात्मक संवाद के माध्यम से बौद्धिक संपदा अधिकार और श्रम मानकों पर सहयोग को मज़बूत करना चाहिये।
- प्रौद्योगिकी सहयोग को बढ़ावा देना:
- प्रौद्योगिकी हस्तांतरण के लिये समर्पित ढाँचे की स्थापना के साथ डिजिटल सुरक्षा पर यूरोपीय संघ की चिंताओं का समाधान करते हुए संतुलित पहुँच सुनिश्चित करने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिये।
- कृत्रिम बुद्धिमत्ता, अर्द्धचालक एवं साइबर सुरक्षा जैसी उभरती प्रौद्योगिकियों में भारत-यूरोपीय संघ सहयोग को मज़बूत करना चाहिये।
- डेटा-साझाकरण समझौतों को सुगम बनाना चाहिये, जिससे निजता संरक्षण (GDPR अनुपालन) को व्यावसायिक नवाचार आवश्यकताओं के साथ संतुलित किया जा सके।
- जलवायु एवं ऊर्जा नीति संबंधी चिंताओं का समाधान:
- हरित ऊर्जा समाधानों के कार्यान्वयन हेतु एक संयुक्त रोडमैप विकसित करने के साथ नवीकरणीय ऊर्जा निवेश पर ध्यान देना चाहिये।
- भारतीय निर्यात पर प्रतिकूल प्रभाव को रोकने के क्रम में यूरोपीय संघ के CBAM में छूट या समायोजन की दिशा में कार्य करना चाहिये।
- हरित हाइड्रोजन एवं कार्बन-तटस्थ पहलों के लिये वित्तपोषण और प्रौद्योगिकी-साझाकरण को बढ़ावा देना चाहिये।
- वीज़ा और गतिशीलता ढाँचे में सुधार:
- ज्ञान साझाकरण को सुविधाजनक बनाने के क्रम में भारतीय पेशेवरों तथा छात्रों के लिये वीज़ा प्रक्रियाओं और कार्य परमिट को सुव्यवस्थित करना चाहिये।
- यूरोपीय संघ ब्लू कार्ड कार्यक्रम की पहुँच का विस्तार करने के साथ कुशल भारतीय श्रमिकों के लिये प्रतिबंधों को कम करना चाहिये।
- प्रतिभा गतिशीलता को बढ़ावा देने के क्रम में Erasmus+ और होराइजन यूरोप (अनुसंधान तथा नवाचार हेतु यूरोपीय संघ का प्रमुख वित्तपोषण कार्यक्रम) के तहत शैक्षिक एवं अनुसंधान सहयोग को मज़बूत करना चाहिये।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, पिछले वर्ष के प्रश्न (PYQ)प्रिलिम्स:प्रश्न. भारत और यूरोपीय संघ के बीच द्विपक्षीय व्यापार वार्ता के संदर्भ में यूरोपीय आयोग और यूरोपीय परिषद के बीच क्या अंतर है? (2010)
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?(a) केवल 1
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