विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी
पेरिस AI शिखर सम्मेलन 2025
- 14 Feb 2025
- 13 min read
प्रिलिम्स के लिये:आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI), पेरिस आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) एक्शन समिट 2025, हिंद प्रशांत क्षेत्र, भारत-फ्राँस संबंध मेन्स के लिये:भारत-फ्राँस संबंध, भारत और फ्राँस के बीच सहयोग के प्रमुख क्षेत्र |
स्रोत: द हिंदू
चर्चा में क्यों?
भारत के प्रधानमंत्री (PM) ने पेरिस आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) एक्शन समिट 2025 की सह-अध्यक्षता करने के लिये फ्राँस का दौरा किया।
- इसके अतिरिक्त, शिखर सम्मेलन के दौरान द्वितीय भारत-फ्राँस AI नीति गोलमेज़ सम्मेलन भी आयोजित किया गया।
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) एक्शन समिट:
- AI एक्शन समिट एक वैश्विक मंच है जिसमें विश्व के विभिन्न नेता, नीति निर्माता, प्रौद्योगिकी विशेषज्ञ और उद्योग प्रतिनिधि AI विनियमन, नैतिकता और समाज में इसकी भूमिका पर चर्चा करने हेतु शामिल होते हैं।
- पेरिस में AI एक्शन शिखर सम्मेलन, ब्लेचली पार्क शिखर सम्मेलन (UK 2023) और सियोल शिखर सम्मेलन (दक्षिण कोरिया 2024) के बाद तीसरा शिखर सम्मेलन है।
- ब्लेचली पार्क घोषणा (28 देश): इसमें सुरक्षित, मानव-केंद्रित और उत्तरदायित्वपूर्ण AI की वकालत की गई।
- सियोल शिखर सम्मेलन (27 राष्ट्र): अंतर्राष्ट्रीय सहयोग की पुष्टि की गई और AI सुरक्षा संस्थानों के एक नेटवर्क का प्रस्ताव रखा गया।
पेरिस AI एक्शन समिट 2025 के मुख्य विषय:
- लोक हित AI: सामाजिक, आर्थिक और पर्यावरणीय लाभों के लिये खुले AI बुनियादी ढाँचे का विकास करना।
- कार्य का भविष्य: निरंतर सामाजिक संवाद के माध्यम से AI का उत्तरदायित्वपूर्ण उपयोग सुनिश्चित करना।
- नवाचार एवं संस्कृति: विशेष रूप से रचनात्मक उद्योगों के लिये सतत् AI पारिस्थितिकी तंत्र का निर्माण करना।
- AI में विश्वास: AI सुरक्षा और संरक्षा पर वैज्ञानिक सहमति स्थापित करना।
- वैश्विक AI विनियमन: एक समावेशी और प्रभावी अंतर्राष्ट्रीय AI शासन ढाँचे को आकार देना।
AI शिखर सम्मेलन 2025 के मुख्य निष्कर्ष क्या हैं?
- समावेशी और सतत् कृत्रिम बुद्धिमत्ता पर संयुक्त घोषणा: अमेरिका और ब्रिटेन के (AI पर अत्यधिक विनियमन से संबंधित चिंताओं को व्यक्त करते हुए) अतिरिक्त 'लोगों और ग्रह के लिये समावेशी और सतत् कृत्रिम बुद्धिमत्ता' पर संयुक्त वक्तव्य पर भारत, चीन, यूरोपीय संघ सहित 58 देशों द्वारा हस्ताक्षर किये गए।
- पब्लिक इंटरेस्ट AI प्लेटफॉर्म और इनक्यूबेटर: पब्लिक इंटरेस्ट AI प्लेटफॉर्म और इनक्यूबेटर को सार्वजनिक-निजी AI प्रयासों को एक साथ लाने और डेटा, पारदर्शिता और वित्तपोषण में क्षमता निर्माण के माध्यम से एक विश्वासनीय AI पारिस्थितिकी तंत्र को बढ़ावा देने के लिये लॉन्च किया गया था।
- मानव-केंद्रित AI और वैश्विक प्राथमिकताएँ: शिखर सम्मेलन में नैतिक, सुरक्षित और समावेशी AI की आवश्यकता पर बल दिया गया, तथा AI-चालित असमानताओं को संबोधित करते हुए मानवाधिकारों की सुरक्षा सुनिश्चित की गई।
- AI से संबंधित वैश्विक प्राथमिकताओं में AI पहुँच, पारदर्शिता, रोज़गार सृजन, स्थिरता और अंतर्राष्ट्रीय शासन शामिल हैं।
- इसमें डिजिटल विभाजन को कम करने, AI सुरक्षा सुनिश्चित करने, ग्रीन AI को बढ़ावा देने और वैश्विक सहयोग को बढ़ावा देने पर ज़ोर दिया गया।
- मौजूदा बहुपक्षीय AI पहलों के साथ संरेखण: शिखर सम्मेलन में वैश्विक AI पहलों के साथ संरेखण पर ज़ोर दिया गया, जिसमें संयुक्त राष्ट्र महासभा के प्रस्ताव, वैश्विक डिजिटल कॉम्पैक्ट, यूनेस्को AI नैतिकता सिफारिशें, अफ्रीकी संघ AI रणनीति और OECD, G-7 और G-20 की रूपरेखाएँ शामिल हैं।
- भारत का दृष्टिकोण: भारत ने ओपन-सोर्स और सतत् AI की वकालत की, स्वच्छ ऊर्जा और कार्यबल के कौशल विकास पर ज़ोर दिया।
- AI पर वैश्विक भागीदारी (GPAI) के वर्ष 2024 के प्रमुख अध्यक्ष के रूप में, इसका उद्देश्य GPAI को ज़िम्मेदार AI विकास के लिये केंद्रीय मंच के रूप में स्थापित करना है।
द्वितीय भारत-फ्राँस AI नीति गोलमेज सम्मेलन के मुख्य परिणाम क्या हैं ?
- परिचय:
- द्वितीय भारत-फ्राँस AI नीति गोलमेज सम्मेलन पेरिस में AI एक्शन समिट 2025 के साथ आयोजित किया गया।
- इसका आयोजन भारत के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार कार्यालय, IISc बंगलूरू, इंडियाAI मिशन और साइंसेज पो पेरिस द्वारा किया गया था।
- मुख्य निष्कर्ष:
- AI शासन और नैतिकता: ज़िम्मेदार AI, समान लाभ-साझाकरण, तकनीकी-कानूनी ढाँचे और AI सुरक्षा पर ज़ोर।
- चर्चा में AI के लिये डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना (DPI), AI फाउंडेशन मॉडल, वैश्विक AI शासन और वैश्विक चुनौतियों से निपटने में AI की भूमिका को शामिल किया गया।
- सीमा-पार AI सहयोग: डेटा संप्रभुता, अंतर-संचालनीय AI अवसंरचना और संप्रभु AI मॉडल पर ध्यान केंद्रित करना, सीमा-पार डेटा प्रवाह के लिये मध्यस्थता तंत्र की कमी को दूर करना।
- वैश्विक चुनौतियों के लिये AI: बहुभाषी मॉडल, फेडरेटेड कंप्यूटिंग और वैश्विक मुद्दों के समाधान में AI का एकीकरण।
- सतत् AI: AI के उच्च ऊर्जा पदचिह्न को कम करने के लिये ऊर्जा-कुशल AI मॉडल और कंप्यूटिंग प्रथाओं को बढ़ावा देना।
- AI शासन और नैतिकता: ज़िम्मेदार AI, समान लाभ-साझाकरण, तकनीकी-कानूनी ढाँचे और AI सुरक्षा पर ज़ोर।
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प्रधानमंत्री ने सावरकर और भारत के स्वतंत्रता संग्राम के साथ मार्सिले कनेक्शन को याद किया:
- वर्ष 1910 में, भारत लाते समय वीर सावरकर ने मार्सिले में भागने का प्रयास किया लेकिन उन्हें फिर से पकड़ लिया गया।
- उनके प्रत्यर्पण से फ्रेंको-ब्रिटिश कानूनी विवाद उत्पन्न हुआ, जिसे स्थायी मध्यस्थता न्यायालय (1911) द्वारा ब्रिटेन के पक्ष में सुलझाया गया।
- उन्हें दो आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई और अंडमान की सेलुलर जेल में कैद कर दिया गया।
AI के विकास से संबंधित कौन-सी चुनौतियाँ हैं?
- उच्च ऊर्जा उपभोग: AI की बढ़ती ऊर्जा मांग से वर्ष 2030 तक डेटा केंद्रों का विद्युत उपभोग 1-2% से 3-4% तक बढ़ सकता है और यह संभवतः वैश्विक ऊर्जा खपत का 21% तक पहुँच सकता है।
- ऊर्जा की बढ़ती मांग के कारण कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन में अपेक्षित वृद्धि के परिणामस्वरूप 125-140 बिलियन अमेरिकी डॉलर की "सामाजिक लागत" का अनुमान है।
- IEA के अनुसार ChatGPT क्वेरी में गूगल सर्च की तुलना में 10 गुना अधिक ऊर्जा का उपभोग होता है।
- AI डेटा सेंटर भारत की कुल वर्तमान खपत (1,580 टेरावाट-घंटे: आर्थिक समीक्षा 2024-25) जितना विद्युत उपभोग कर सकते हैं।
- जन-केंद्रित AI बनाम AI-केंद्रित विकास का मुद्दा: जन-केंद्रित AI (नैतिक, समावेशी और मानव-केंद्रित) को AI-केंद्रित विकास (स्वचालन-संचालित) के साथ संतुलित करना एक प्रमुख चुनौती है क्योंकि AI पर अत्यधिक निर्भरता से नौकरी खोने के साथ डेटा गोपनीयता के मुद्दे और डिजिटल विभाजन का खतरा रहता है।
- असुरक्षित और कम लागत वाले AI मॉडल: DeepSeek जैसे असुरक्षित और कम लागत वाले AI मॉडल से डेटा उल्लंघन, फेक न्यूज़, डीपफेक और साइबर सुरक्षा खतरों का जोखिम पैदा होता है।
- कमज़ोर नियामक निगरानी एवं नैतिक सुरक्षा उपायों के कारण पूर्वाग्रह एवं सुरक्षा संबंधी चिंताएँ बढ़ जाती हैं, जिसके कारण मज़बूत AI शासन की आवश्यकता पर प्रकाश पड़ता है।
भारत के समक्ष जनरेटिव AI से संबंधित चुनौतियाँ क्या हैं?
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आगे की राह
- धारणीय AI अवसंरचना: AI संबंधी कार्बन फुटप्रिंट को कम करने के लिये ऊर्जा-कुशल AI मॉडल, नवीकरणीय ऊर्जा संचालित डेटा केंद्र एवं अनुकूलित एल्गोरिदम को बढ़ावा देना चाहिये।
- स्थिरता के लिये ग्रीन कंप्यूटिंग और AI-संचालित स्मार्ट ग्रिड को प्रोत्साहित करना चाहिये।
- नैतिक और समावेशी AI नीतियाँ: AI में समानता, पारदर्शिता और जवाबदेहिता को बढ़ावा देना चाहिये।
- जन-केंद्रित और AI-केंद्रित के बीच संतुलन बनाने के क्रम में डेटा गोपनीयता, पूर्वाग्रह शमन और एल्गोरिदम संबंधी निष्पक्षता को मज़बूत करना चाहिये।
- AI विनियमन और सुरक्षा को मज़बूत करना: साइबर खतरों, फेक न्यूज़ और डीपफेक का मुकाबला करने के क्रम में AI मॉडल (विशेष रूप से DeepSeek जैसे असुरक्षित मॉडलों) पर सख्त निगरानी रखनी चाहिये।
- क्षमता निर्माण और कार्यबल तत्परता: कुशल कार्यबल का निर्माण करने और रोज़गार विस्थापन को कम करने के लिये AI शिक्षा, कौशल कार्यक्रमों एवं अनुसंधान संस्थानों को मज़बूत करना चाहिये।
- सार्वजनिक कल्याण के लिये AI: जोखिम को न्यूनतम करते हुए आर्थिक एवं सामाजिक प्रगति को बढ़ावा देने के क्रम में स्वास्थ्य सेवा, कृषि, शासन और आपदा प्रबंधन में AI का उपयोग करना चाहिये।
दृष्टि मुख्य परीक्षा प्रश्न: प्रश्न: भारत में AI के कार्यान्वयन से संबंधित प्रमुख चुनौतियों पर चर्चा करते हुए उन्हें दूर करने हेतु नीतिगत उपाय बताइये। |
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रिलिम्स:प्रश्न. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2016)
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? (a) केवल 1 उत्तर: (a) |