प्रारंभिक परीक्षा
ग्रीन स्टील नीति
- 05 Apr 2024
- 8 min read
स्रोत: द हिंदू
इस्पात मंत्रालय एक व्यापक ग्रीन स्टील/हरित इस्पात नीति विकसित कर रहा है, जिसमें संपूर्ण डीकार्बोनाइज़ेशन रणनीति के हिस्से के रूप में विनिर्माण प्रक्रिया, आवश्यक कौशल सेट और वित्तपोषण सहायता शामिल है।
ग्रीन स्टील क्या है?
- परिचय:
- ग्रीन स्टील न्यून ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन के साथ स्टील का पर्यावरण-अनुकूल उत्पादन है, जो संभवतः पारंपरिक तरीकों की तुलना में लागत को कम करता है और गुणवत्ता को बेहतर करता है।
- आवश्यकता:
- ब्लास्ट फर्नेस में कोयले की अधिक खपत: स्टील निर्माण प्रक्रिया, जिसमें ब्लास्ट फर्नेस, बुनियादी ऑक्सीजन भट्टियाँ और इलेक्ट्रिक आर्क फर्नेस शामिल हैं, मुख्य रूप से ब्लास्ट फर्नेस संचालन में कोयले व कोक की अधिक खपत के कारण, कार्बन उत्सर्जन का एक प्रमुख वैश्विक स्रोत है।
- एक अध्ययन से पता चलता है कि 21वीं सदी में स्टील की मांग बढ़ने का अनुमान है, स्टील उत्पादन के लिये न्यूनतम ग्रीनहाउस गैस (GHG) उत्सर्जन विकल्पों की तलाश करने के लिये ग्रीन स्टील एक अच्छा विकल्प प्रदान करता है।
- भारत का घरेलू इस्पात क्षेत्र देश के ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में 12% का योगदान देता है, प्रति टन कच्चे इस्पात के उत्पादन में 2.55 टन CO2 का उत्सर्जन होता है, जो वैश्विक उत्सर्जन औसत 1.9 टन CO2 से अधिक है।
- ब्लास्ट फर्नेस में कोयले की अधिक खपत: स्टील निर्माण प्रक्रिया, जिसमें ब्लास्ट फर्नेस, बुनियादी ऑक्सीजन भट्टियाँ और इलेक्ट्रिक आर्क फर्नेस शामिल हैं, मुख्य रूप से ब्लास्ट फर्नेस संचालन में कोयले व कोक की अधिक खपत के कारण, कार्बन उत्सर्जन का एक प्रमुख वैश्विक स्रोत है।
- निम्न-श्रेणी कार्बन उत्पादन विधि के रूप में:
- इसमें कार्बन उत्सर्जन को कम करने और उच्च गुणवत्ता के इस्पात के उत्पादन के लिये ग्रीन/ब्लू हाइड्रोजन, उच्च बायोमास उपयोग और कृत्रिम आयरन इकाइयों (AIU) का उपयोग करके कार्बन कैप्चर एवं भंडारण (CCS) शामिल है।
- वैश्विक पहलें:
- फर्स्ट मूवर्स कोलिएशन:
- यह स्टील जैसे औद्योगिक क्षेत्रों को डीकार्बोनाइज़ करने के लिये विश्व आर्थिक मंच की एक पहल है।
- इस कोलिएशन ने घोषणा की कि उसका विस्तार हो गया है, 55 कंपनियाँ और नौ देश अब लगभग शून्य या शून्य-कार्बन समाधानों का उपयोग करने वाले आपूर्तिकर्त्ताओं से औद्योगिक सामग्रियों तथा परिवहन का एक निश्चित अनुपात क्रय करने के लिये प्रतिबद्ध हैं।
- औद्योगिक गहन डीकार्बोनाइज़ेशन पहल (IDDI):
- यह सरकारों को पर्यावरणीय डेटा की रिपोर्ट करने और निर्माण परियोजनाओं में न्यूनतम-उत्सर्जन एवं लगभग-शून्य उत्सर्जन वाले सीमेंट/कंक्रीट व स्टील का उपयोग करने के लिये प्रोत्साहित करता है, जिसमें अमेरिका सहित नौ देश शामिल हो गए हैं तथा अपनी प्रतिज्ञाओं को बताने के लिये तैयार हैं।
- स्टील ज़ीरो और कंक्रीट ज़ीरो:
- क्लाइमेट ग्रुप की स्टील ज़ीरो और कंक्रीट ज़ीरो पहल क्रमशः 25 और 22 कंपनियों के साथ कॉर्पोरेट साझेदार हैं, जो नेट-ज़ीरो स्टील तथा नेट-ज़ीरो उत्सर्जन कंक्रीट तथा प्रभावी रूप से सीमेंट को इसके प्रमुख घटक के रूप में उपयोग करने के लिये प्रतिबद्ध हैं।
- यूरोपीय संघ:
- 2030 तक यूरोपीय संघ द्वारा लगभग 50 हरित और निम्न-कार्बन इस्पात परियोजनाओं की मेज़बानी करने का अनुमान है, जो आंशिक रूप से यूरोपीय संघ की कार्बन सीमा समायोजन तंत्र जैसी नीतियों द्वारा संचालित है।
- स्वीडन:
- हाइब्रिड ने वोल्वो को पहले कोयला-मुक्त "ग्रीन स्टील" की आपूर्ति की, जबकि H2 ग्रीन स्टील स्वीडन में एक स्थायी हाइड्रोजन सुविधा के साथ जीवाश्म ईंधन-मुक्त स्टील प्लांट का निर्माण कर रही है, ये दोनों ही पर्यावरण के अनुकूल स्टील उत्पादन के लिये प्रयास कर रहे हैं।
- फर्स्ट मूवर्स कोलिएशन:
- भारत की पहलें:
- इस्पात मंत्रालय पूर्ण डीकार्बोनाइज़ेशन पर ध्यान देने के साथ एक ग्रीन स्टील/हरित इस्पात नीति विकसित कर रहा है, जिसमें प्रक्रिया परिभाषा, आवश्यक कौशल और वित्तपोषण शामिल हैं।
- इसकी परिभाषा सहित हरित इस्पात निर्माण के विभिन्न तौर-तरीकों को निर्धारित करने के लिये पहले से ही 13-विषम कार्यबलों का गठन किया जा चुका है।
- हाल ही में स्टील बनाने में बायोचार या बायोमास (ब्लास्ट फर्नेस में एक विकल्प के रूप में) का उपयोग करने के विकल्प का पता लगाने के लिये 14वीं टास्क फोर्स की स्थापना की गई थी, जिससे विनिर्माण प्रक्रिया के दौरान कार्बन उत्सर्जन में कमी आएगी।
- भारत अपनी स्वयं की शुद्ध-हाइड्रोजन-आधारित DRI (direct reduction of iron) तकनीक की खोज कर रहा है, जिसकी परियोजना रिपोर्ट वर्तमान में जाँच के अधीन है और हाइड्रोजन-आधारित DRI सुविधा के लिये एक कंसोर्टियम-आधारित पायलट पर भी विचार कर रहा है।
- नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय ने इस्पात निर्माण में हाइड्रोजन के उपयोग को प्रायोगिक तौर पर शुरू करने के लिये ₹455 करोड़ आवंटित किये हैं।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रिलिम्स:प्रश्न. 'आठ मूल उद्योगों के सूचकांक (इंडेक्स ऑफ एट कोर इंडस्ट्रीज़)' में निम्नलिखित में से किसको सर्वाधिक महत्त्व दिया गया है? (2015) (a) कोयला उत्पादन उत्तर: (b) प्रश्न. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2009)
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? (a) केवल 1 उत्तर: c |