दूरसंचार क्षेत्र: समावेशन, नवाचार, विनियमन | 03 Mar 2025

यह एडिटोरियल 03/03/2025 को द फाइनेंशियल एक्सप्रेस में प्रकाशित “Indian telecom: A global leader in the making” पर आधारित है। इस लेख में 1.18 बिलियन ग्राहकों के साथ भारत के दूरसंचार क्षेत्र की तीव्र वृद्धि के बावजूद बने हुए शहरी-ग्रामीण टेलीघनत्व अंतर को उजागर किया गया है।

प्रिलिम्स के लिये:

भारत का दूरसंचार उद्योग, OTT सेवाएँ, राइट ऑफ़ वे (RoW) नीति, 6G, FDI उदारीकरण, आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन, टेलीडेंसिटी, डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन एक्ट (DPDPA) 2023, प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव (PLI) योजनाएँ, BharatNet

मुख्य परीक्षा के लिये:

भारत में दूरसंचार क्षेत्र के विकास को प्रेरित करने वाले प्रमुख कारक, भारत में दूरसंचार क्षेत्र से संबंधित प्रमुख मुद्दे। 

भारत का दूरसंचार उद्योग 1.18 बिलियन ग्राहकों के साथ उल्लेखनीय वृद्धि का अनुभव कर रहा है, हालाँकि टेलीडेंसिटी में एक महत्त्वपूर्ण शहरी-ग्रामीण अंतर बना हुआ है। AI और स्थानीयकृत डेटा केंद्रों द्वारा समर्थित तेज़ी से 5G रोलआउट आगामी विस्तार का वादा करता है। प्रतिस्पर्द्धी मूल्य निर्धारण के बावजूद अग्रणी वैश्विक डेटा खपत दरों के साथ, इस क्षेत्र को OTT सेवाओं, डेटा सुरक्षा और बुनियादी अवसंरचना की लागत को संतुलित करने में महत्त्वपूर्ण चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। प्रौद्योगिकी से परे, उद्योग की सफलता अपने विकास प्रक्षेपवक्र को बनाए रखने के लिये कुशल जनशक्ति विकास और रणनीतिक वैश्विक साझेदारी पर निर्भर करती है।

भारत में दूरसंचार क्षेत्र के विकास को प्रेरित करने वाले प्रमुख कारक कौन-से हैं? 

  • तीव्र 5G रोलआउट और बुनियादी अवसंरचना का विस्तार: भारत विश्व स्तर पर सबसे तीव्र 5G तैनाती का अनुभव कर रहा है, जो कनेक्टिविटी को बढ़ा रहा है तथा AI-संचालित स्वचालन और IoT जैसे नए युग के अनुप्रयोगों को सक्षम कर रहा है। 
    • दूरसंचार कंपनियाँ निर्बाध हाई-स्पीड इंटरनेट सुनिश्चित करने के लिये फाइबर नेटवर्क और बेस स्टेशनों का तीव्र गति से विस्तार कर रही हैं।
      • जून, 2024 तक भारत में स्थापित 4.48 लाख 5G बेस स्टेशनों में से लगभग 3.03 लाख को फाइबरयुक्त कर दिया गया है। 
    • सरकार के राइट ऑफ वे (RoW) नीति सुधारों ने नेटवर्क विस्तार को सुव्यवस्थित किया है, जिससे प्रशासनिक विलंब कम हुआ है। 
  • स्मार्टफोन और इंटरनेट की बढ़ती पहुँच: स्मार्टफोन और डेटा प्लान के बढ़ते सामर्थ्य के कारण ग्रामीण क्षेत्रों में भी इंटरनेट की पहुँच में वृद्धि हुई है। 
    • बढ़ती डिजिटल साक्षरता और सरकार समर्थित पहल ई-कॉमर्स, फिनटेक और शिक्षा जैसे क्षेत्रों में स्मार्टफोन के उपयोग को बढ़ावा दे रही हैं।
    • भारत में वर्ष 2026 तक 1 बिलियन स्मार्टफोन उपयोगकर्त्ता होंगे, ग्रामीण क्षेत्रों में इंटरनेट-सक्षम फोन की बिक्री में वृद्धि होगी।
  • सरकारी नीति समर्थन और दूरसंचार सुधार: भारत सरकार ने स्पेक्ट्रम मूल्य निर्धारण युक्तिकरण, FDI उदारीकरण और वित्तीय राहत पैकेज सहित प्रगतिशील दूरसंचार नीतियों को लागू किया है।
    • विगत स्पेक्ट्रम नीलामियों के लिये आवश्यक बैंक गारंटी माफ करने के सरकार के निर्णय से दूरसंचार उद्योग को मदद मिलेगी, जिससे 4G और 5G नेटवर्क के विस्तार के लिये बैंकिंग संसाधनों का बेहतर उपयोग संभव होगा। 
    • दूरसंचार PLI योजना के 3 वर्षों के भीतर, इस योजना ने 3,400 करोड़ रुपए का निवेश आकर्षित किया है, दूरसंचार उपकरण उत्पादन 50,000 करोड़ रुपए की उपलब्धि को पार कर गया है। 
  • डेटा उपभोग और डिजिटल सेवाओं में वृद्धि: वीडियो स्ट्रीमिंग, गेमिंग और सोशल मीडिया के कारण भारत मोबाइल डेटा का विश्व का सबसे बड़ा उपभोक्ता बनकर उभरा है।
    • ओवर-द-टॉप (OTT) प्लेटफॉर्म और ई-कॉमर्स के उदय से इंटरनेट की मांग में काफी वृद्धि हुई है।
      • महामारी के बाद घर से काम (WFH) और हाइब्रिड कार्य मॉडल ने डेटा खपत को और भी बढ़ा दिया है।
    • भारत में OTT वीडियो उपयोगकर्त्ताओं की संख्या वर्ष 2024 और वर्ष 2029 के दौरान 28.89% बढ़कर 634.31 मिलियन तक पहुँचने की उम्मीद है।
  • स्वदेशी दूरसंचार विनिर्माण और अनुसंधान एवं विकास में वृद्धि: आत्मनिर्भर भारत के लिये किये गए प्रयासों ने घरेलू दूरसंचार उपकरण विनिर्माण को मज़बूत किया है, जिससे आयात पर निर्भरता कम हुई है। 
    • सरकार सेमीकंडक्टर, 5G बुनियादी अवसंरचना और नेटवर्क गियर के स्थानीय उत्पादन को प्रोत्साहित कर रही है। 
    • भारत 6G और AI-संचालित नेटवर्क सहित भविष्य की दूरसंचार प्रौद्योगिकियों के लिये अनुसंधान और विकास (R&D) में भी निवेश कर रहा है। 
    • वित्त वर्ष 2023-24 में दूरसंचार उपकरण और मोबाइल का निर्यात संयुक्त रूप से 1.49 लाख करोड़ रुपए से अधिक हो गया, जो उल्लेखनीय वृद्धि दर्शाता है।
  • उपग्रह आधारित इंटरनेट सेवाओं का विस्तार: उपग्रह संचार ग्रामीण और दूरदराज़ के क्षेत्रों में कनेक्टिविटी में क्रांतिकारी बदलाव ला रहा है, जहाँ स्थलीय नेटवर्क अव्यावहारिक हैं। 
    • वनवेब, स्टारलिंक और जियोस्पेसफाइबर जैसी कंपनियाँ लो अर्थ ऑर्बिट (LEO) उपग्रहों के माध्यम से हाई-स्पीड इंटरनेट प्रदान करने पर काम कर रही हैं। 
    • सरकार डिजिटल डिवाइड को समाप्त करने और दुर्गम क्षेत्रों में ब्रॉडबैंड एक्सेस को बेहतर बनाने के लिये सैटेलाइट-आधारित इंटरनेट का समर्थन कर रही है। यह लास्ट माइल कनेक्टिविटी में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।
  • शासन और सार्वजनिक सेवाओं में दूरसंचार की बढ़ती भूमिका: सरकार ई-गवर्नेंस, टेलीमेडिसिन, डिजिटल बैंकिंग और स्मार्ट शहरों के लिये दूरसंचार बुनियादी अवसंरचना का लाभ उठा रही है। 
    • आधार-आधारित मोबाइल प्रमाणीकरण और UPI लेन-देन जैसी पहल सुदृढ़ दूरसंचार नेटवर्क पर बहुत हद तक निर्भर करती हैं। 
    • ऐसे कार्यक्रमों की सफलता दर्शाती है कि किस प्रकार दूरसंचार अब सार्वजनिक सेवा वितरण का एक महत्त्वपूर्ण प्रवर्तक बन गया है।
    • जनवरी 2025 में UPI लेन-देन रिकॉर्ड ऊँचाई पर पहुँच गया, जिसमें 16.99 बिलियन से अधिक लेन-देन और ₹23.48 लाख करोड़ मूल्य थे।

भारत में दूरसंचार क्षेत्र से संबंधित प्रमुख मुद्दे क्या हैं? 

  • ग्रामीण-शहरी डिजिटल डिवाइड: भारत का शहरी टेलीडेंसिटी 131.01% है, जबकि ग्रामीण टेलीडेंसिटी 58.31% है, जो गंभीर असमानता को दर्शाता है। 
    • अपर्याप्त बुनियादी अवसंरचना, कम डिजिटल साक्षरता और सामर्थ्य संबंधी बाधाएँ ग्रामीण क्षेत्रों में दूरसंचार अभिगम में बाधा डालती हैं। 
      • फाइबर नेटवर्क की धीमी गति और 5G सक्षम हैंडसेटों की सीमित स्वीकृति से समस्या और गंभीर हो गई है। 
    • जनवरी 2025 तक, सरकार के भारतनेट कार्यक्रम के तहत 6.5 लाख गाँवों में से केवल 1.99 लाख गाँवों या 30.4% गाँवों में ब्रॉडबैंड था। 
  • उच्च स्पेक्ट्रम लागत और ऋण बोझ: भारतीय दूरसंचार ऑपरेटरों को विश्व स्तर पर सबसे अधिक स्पेक्ट्रम लागत का सामना करना पड़ रहा है, जिसके कारण उन पर भारी मात्रा में ऋण का बोझ बढ़ रहा है। 
    • सरकार द्वारा लगाए गए समायोजित सकल राजस्व (AGR) बकाया ने दूरसंचार वित्त पर और दबाव बढ़ा दिया है तथा कंपनियाँ प्रतिस्पर्द्धी बने रहने के लिये संघर्ष कर रही हैं।
      • 5G और AI-संचालित नेटवर्क के लिये निरंतर बुनियादी अवसंरचना के उन्नयन की आवश्यकता वित्तीय तनाव को बढ़ाती है। 
      • वित्त वर्ष 2024 में भारत के प्रमुख दूरसंचार ऑपरेटरों का संयुक्त ऋण 4.09 लाख करोड़ रुपए था।
    • दूरसंचार कंपनियों के बीच प्राइस वॉर के कारण टैरिफ कम हो गए हैं, जिससे प्रति उपयोगकर्त्ता औसत राजस्व (ARPU) कम हो गया है।
  • वहनीयता और 5G एक्सेस: यद्यपि 5G रोल-आउट प्रगति पर है, फिर भी वहनीयता, विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में एक बाधा बनी हुई है। 
    • 5G सक्षम स्मार्टफोन अभी भी महंगे हैं, जिससे निम्न आय वाले उपयोगकर्त्ताओं के बीच इनका उपयोग सीमित हो रहा है।
      • दूरसंचार ऑपरेटरों ने 5G डेटा की कीमतों में उल्लेखनीय कमी नहीं की है, जिससे इसे बड़े पैमाने पर अंगीकरण में और भी अधिक बाधा उत्पन्न हुई है। 
    • नेटवर्क कंजेशन और स्वदेशी 5G बुनियादी अवसंरचना की कमी से लागत अकुशलता बढ़ती है।
    • GSMA इंटेलीजेंस की रिपोर्ट के अनुसार चीन, अमेरिका, जापान और यूरोप के कुछ हिस्सों में 5G एक्सेस 40% से अधिक है, जबकि भारत में यह 20% से नीचे है। 
      • किफायती डेटा के बावजूद, 10,000 रुपए से कम कीमत वाले सीमित उपकरण 2G और 4G उपयोगकर्त्ताओं को 5G में अपग्रेड करने में बाधा डालते हैं।
  • साइबर सुरक्षा और डेटा गोपनीयता जोखिम: दूरसंचार क्षेत्र में बढ़ती पैठ के साथ, साइबर खतरे, हैकिंग और डेटा उल्लंघन बढ़ रहे हैं, जिससे राष्ट्रीय सुरक्षा के लिये जोखिम उत्पन्न हो रहा है। 
    • अविश्वसनीय विदेशी दूरसंचार उपकरणों, विशेषकर चीन से आने वाले उपकरणों की उपस्थिति कमज़ोरियों को बढ़ाती है।
      • OTT सेवाएँ बड़े पैमाने पर अनियमित हैं, जिससे डेटा के दुरुपयोग की चिंता बढ़ रही है।
    • डिजिटल डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन एक्ट (DPDPA) 2023 को गोपनीयता संबंधी चिंताओं को दूर करने के लिये पेश किया गया था, लेकिन इसमें सख्त प्रवर्तन का अभाव है। 
    • भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (TRAI) को धोखाधड़ी वाले व्हाट्सएप संदेशों, SMS और कॉल के बारे में सतर्क किया गया है, जिसमें TRAI अधिकारियों का रूप धारण करके आधिकारिक संचार जैसे जाली नोटिस का उपयोग किया जाता है।
      • दूरसंचार मंत्रालय ने वर्ष 2024 में धोखाधड़ी से प्राप्त 21.7 मिलियन मोबाइल कनेक्शनों को बंद करने और साइबर अपराध से जुड़े 2.26 लाख हैंडसेट ब्लॉक करने की योजना बनाई है।
  • नियामक अनिश्चितता और OTT-ISP संघर्ष: OTT प्लेटफॉर्म (जैसे व्हाट्सएप, ज़ूम और नेटफ्लिक्स) दूरसंचार नेटवर्क का उपयोग करते हैं, लेकिन नेटवर्क बुनियादी अवसंरचना की लागत में योगदान नहीं करते हैं। 
    • दूरसंचार कंपनियों का तर्क है कि इससे अनुचित माहौल बनता है, जिससे राजस्व मॉडल प्रभावित होता है। 
    • सरकार OTT विनियमन पर विचार कर रही है, लेकिन उद्योग हितों में संतुलन बनाना एक चुनौती बनी हुई है। 
    • वैश्विक तुलना से पता चलता है कि अनियमित OTT सेवाएँ दूरसंचार संवहनीयता को प्रभावित करती हैं।
    • दूरसंचार ऑपरेटर OTT पर यूरोपीय संघ के डिजिटल कर प्रस्तावों के समान ‘उचित हिस्सेदारी’ तंत्र की मांग कर रहे हैं।
  • आयात पर निर्भरता और स्वदेशी विनिर्माण का अभाव: मेक इन इंडिया प्रयासों के बावजूद, भारत दूरसंचार उपकरणों के आयात पर, मुख्यतः चीन से, बहुत अधिक निर्भर है।
    • घरेलू सेमीकंडक्टर विनिर्माण का अभाव और विदेशी दूरसंचार सॉफ्टवेयर पर निर्भरता आत्मनिर्भरता को सीमित करती है। 
    • उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन (PLI) योजनाओं ने निवेश आकर्षित किया है, लेकिन सुदृढ़ आपूर्ति शृंखला बनाने में चुनौतियाँ बनी हुई हैं। 
    • वित्त वर्ष 2023-24 में भारत का दूरसंचार उपकरण आयात 1.53 लाख करोड़ रुपए रहा, जिसमें चीन का महत्त्वपूर्ण हिस्सा था। 
  • विदेशी निवेश चुनौतियाँ और भू-राजनीतिक जोखिम: भारतीय दूरसंचार क्षेत्र को 5G, AI और उपग्रह कनेक्टिविटी के लिये बड़े पैमाने पर विदेशी निवेश की आवश्यकता है।
    • हालाँकि, नीतिगत अनिश्चितता, प्रशासनिक विलंब और भू-राजनीतिक चिंताएँ संभावित निवेशकों को हतोत्साहित करती हैं। 
    • चीनी दूरसंचार कंपनियों (हुआवेई, ZTE) के संबंध में सरकार की सुरक्षा चिंताओं के कारण भी प्रतिबंध लगाए गए हैं, जिससे आपूर्ति शृंखला प्रभावित हुई है। 
      • भारतीय दूरसंचार कंपनियाँ विदेशी उपग्रहों पर निर्भर हैं, जो विवाद का विषय बन सकता है, जैसा कि हाल ही में देखा गया जब स्टारलिंक ने यूक्रेनी युद्ध में रूस के स्टारलिंक उपग्रहों के उपयोग को रोक दिया।
  • स्थिरता और ई-अपशिष्ट प्रबंधन मुद्दे: दूरसंचार बुनियादी अवसंरचना के तेज़ी से विस्तार से ऊर्जा की खपत और ई-अपशिष्ट उत्पादन में वृद्धि हुई है। 
    • 5G नेटवर्क 4G की तुलना में 2-3 गुना अधिक ऊर्जा की खपत करते हैं, जिससे संवहनीयता संबंधी चिंताएँ बढ़ जाती हैं। 
    • मज़बूत ई-अपशिष्ट पुनर्चक्रण तंत्र का अभाव पर्यावरणीय क्षरण को बढ़ाता है। 
    • भारत का ई-अपशिष्ट उत्पादन 5 वर्षों में 73% बढ़कर सत्र 2023-24 में 1.751 मिलियन मीट्रिक टन तक पहुँच गया, जिसमें दूरसंचार उपकरणों का प्रमुख योगदान रहा। 

भारत अपने दूरसंचार क्षेत्र में सुधार और पुनरुद्धार के लिये क्या उपाय अपना सकता है? 

  • ग्रामीण कनेक्टिविटी और डिजिटल समावेशन को बढ़ाना: ग्रामीण-शहरी डिजिटल डिवाइड को समाप्त करने के लिये वंचित क्षेत्रों में फाइबर-ऑप्टिक नेटवर्क, उपग्रह-आधारित इंटरनेट और मोबाइल टावर अवसंरचना का विस्तार करना महत्त्वपूर्ण है।
    • सरकार को सब्सिडी और व्यवहार्यता अंतर वित्तपोषण के माध्यम से निजी दूरसंचार कंपनियों को दूरस्थ क्षेत्रों में निवेश करने के लिये प्रोत्साहित करना चाहिये। 
    • सार्वजनिक-निजी भागीदारी (PPP) को मज़बूत करने से लास्ट माइल कनेक्टिविटी में तेज़ी आ सकती है। 
    • BharatNet और सार्वभौमिक सेवा दायित्व (डिजिटल भारत निधि) जैसी पहलों को स्पष्ट कार्यान्वयन रोडमैप के साथ तेज़ी से आगे बढ़ाया जाना चाहिये। 
    • किफायती 5G स्मार्टफोन और कम लागत वाली डेटा योजनाएँ सुनिश्चित करने से डिजिटल समावेशन को और भी बढ़ावा मिलेगा।
  • स्पेक्ट्रम मूल्य निर्धारण और लाइसेंसिंग मानदंडों को युक्तिसंगत बनाना: भारत की उच्च स्पेक्ट्रम लागत और जटिल लाइसेंसिंग कार्यढाँचा दूरसंचार ऑपरेटरों पर बोझ डालता है, जिससे वित्तीय स्थिरता प्रभावित होती है। 
    • सरकार को वित्तीय दबाव को कम करने के लिये श्रेणीबद्ध मूल्य निर्धारण तंत्र अपनाना चाहिये तथा दीर्घकालिक भुगतान लचीलापन लागू करना चाहिये।
    • स्पेक्ट्रम आवंटन में राजस्व अधिकतमीकरण की अपेक्षा उपयोग दक्षता को प्राथमिकता दी जानी चाहिये।
    • विनियामक अनुमोदन को सरल बनाना तथा राज्यों में एक समान मार्गाधिकार (RoW) नीतियाँ सुनिश्चित करना, बुनियादी अवसंरचना के क्रियान्वयन में तेज़ी ला सकता है।
      • अधिक उदार विनियामक वातावरण नवाचार और निवेश को बढ़ावा देगा।
  • साइबर सुरक्षा और डेटा संरक्षण को मज़बूत करना: चूँकि दूरसंचार नेटवर्क संवेदनशील व्यक्तिगत और राष्ट्रीय सुरक्षा डेटा का प्रबंधन करते हैं, इसलिये एक मज़बूत साइबर सुरक्षा कार्यढाँचा आवश्यक है। 
    • सरकार को दूरसंचार ऑपरेटरों के लिये एंड-टू-एंड एन्क्रिप्शन, AI-संचालित धोखाधड़ी का पता लगाने और नियमित साइबर सुरक्षा ऑडिट को अनिवार्य बनाना चाहिये।
    • शून्य-विश्वास सुरक्षा मॉडल के कार्यान्वयन से विदेशी दूरसंचार विक्रेताओं और साइबर खतरों से होने वाले जोखिम कम हो जाएंगे। 
    • डिजिटल व्यक्तिगत डेटा संरक्षण अधिनियम (DPDPA) को स्पष्ट डेटा स्थानीयकरण और गोपनीयता सुरक्षा उपायों के साथ प्रभावी ढंग से लागू किया जाना चाहिये। 
      • समुत्थानशील दूरसंचार नेटवर्क बनाने के लिये सरकार, दूरसंचार कंपनियों और साइबर सुरक्षा विशेषज्ञों के बीच सहयोग आवश्यक है।
  • OTT सेवाओं को विनियमित करना और उचित राजस्व साझाकरण सुनिश्चित करना: व्हाट्सएप, ज़ूम और नेटफ्लिक्स जैसे OTT प्लेटफॉर्म दूरसंचार नेटवर्क का उपयोग करते हैं, लेकिन बुनियादी अवसंरचना की लागत में योगदान नहीं करते हैं, जिससे डिजिटल पारिस्थितिकी तंत्र में असंतुलन उत्पन्न होता है। 
    • भारत को एक निष्पक्ष राजस्व-साझाकरण तंत्र शुरू करना चाहिये, जहाँ OTT दूरसंचार अवसंरचना विकास में योगदान दे सकें। 
    • OTT और दूरसंचार सेवा प्रदाताओं के बीच विनियामक समानता सुनिश्चित करने से समान अवसर सृजित हो सकते हैं। 
    • एक पारदर्शी नीति कार्यढाँचे को निवल शुन्यता को नियंत्रित करना चाहिये तथा साथ ही उचित नेटवर्क उपयोग शुल्क की अनुमति भी देनी चाहिये। 
      • दूरसंचार-OTT सहयोग को प्रोत्साहित करने से नवाचार को बढ़ावा मिलेगा तथा दोनों क्षेत्रों के लिये स्थायी राजस्व सुनिश्चित होगा।
  • स्वदेशी दूरसंचार विनिर्माण और अनुसंधान एवं विकास को बढ़ावा देना: विदेशी दूरसंचार उपकरणों पर निर्भरता कम करने के लिये 5G गियर, सेमीकंडक्टर और नेटवर्क बुनियादी अवसंरचना के लिये एक सुदृढ़ घरेलू विनिर्माण पारिस्थितिकी तंत्र की आवश्यकता है। 
    • सरकार को उत्पादन-लिंक्ड प्रोत्साहन (PLI) योजनाओं का विस्तार करना चाहिये, कर लाभ प्रदान करना चाहिये और दूरसंचार स्टार्टअप्स के लिये कम ब्याज दर पर ऋण उपलब्ध कराना चाहिये।
    • IIT, NIT और निजी अनुसंधान प्रयोगशालाओं के साथ सहयोग के माध्यम से स्वदेशी 5G एवं 6G अनुसंधान को सुदृढ़ करने से नवाचार को बढ़ावा मिल सकता है। 
      • ओपन RAN (O-RAN) की तैनाती को प्रोत्साहित करने से आत्मनिर्भर दूरसंचार पारिस्थितिकी तंत्र को बढ़ावा मिलेगा और वैश्विक प्रतिस्पर्द्धात्मकता बढ़ेगी।
  • वित्तीय संकट से निपटना और दूरसंचार क्षेत्र की व्यवहार्यता सुनिश्चित करना: सरकार को समायोजित सकल राजस्व (AGR) बकाया पर राहत सहित दीर्घकालिक वित्तीय पुनर्गठन योजना बनानी चाहिये। 
    • समेकन और रणनीतिक विलय को प्रोत्साहित करने से प्रतिस्पर्द्धा सुनिश्चित करते हुए वित्तीय स्थिरता में सुधार हो सकता है। 
    • दूरसंचार शुल्कों के लिये न्यूनतम मूल्य निर्धारण लागू करने से उपभोक्ताओं को नुकसान पहुँचाए बिना राजस्व को बनाए रखने में मदद मिलेगी। 
      • पारदर्शी नीतियों के माध्यम से दीर्घकालिक प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) प्रवाह को सुविधाजनक बनाने से पूंजी प्रवाह को मज़बूती मिलेगी।
  • फाइबरीकरण और 5G अवसंरचना विस्तार में तेज़ी लाना: सरकार को RoW शुल्क और प्रशासनिक बाधाओं को कम करके ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में फाइबर तैनाती को प्रोत्साहित करना चाहिये। 
    • नगर-स्तरीय बुनियादी अवसंरचना के साझाकरण को प्रोत्साहित करने से संसाधनों का अनुकूलन हो सकता है और लागत कम हो सकती है। 
    • दूरसंचार ऑपरेटरों को स्मार्ट बुनियादी अवसंरचना के विकास के लिये ऊर्जा-कुशल और AI-संचालित नेटवर्क प्रबंधन प्रणालियों को एकीकृत करना चाहिये।
      • सार्वजनिक क्षेत्र और निजी क्षेत्र के बीच सहयोग को मज़बूत करने से भारत के डिजिटल परिवर्तन में तेज़ी आ सकती है।
  • सैटेलाइट आधारित इंटरनेट और लास्ट माइल कनेक्टिविटी को बढ़ावा देना: सैटेलाइट ब्रॉडबैंड दूरस्थ क्षेत्रों, आपदा-प्रवण क्षेत्रों और उच्च तुंगता वाले इलाकों में दूरसंचार अभिगम में क्रांतिकारी परिवर्तन ला सकता है। 
    • सरकार को उपग्रह आधारित संचार के लिये एक समर्पित नीतिगत कार्यढाँचा बनाना चाहिये, ताकि सुचारू स्पेक्ट्रम आवंटन एवं नियामक अनुमोदन सुनिश्चित हो सके। 
    • उपग्रह और फाइबर-ऑप्टिक नेटवर्क को एकीकृत करके राष्ट्रव्यापी डिजिटल समावेशन के लिये एक हाइब्रिड दूरसंचार मॉडल बनाया जा सकता है। 
      • ISRO, निजी फर्मों और वैश्विक उपग्रह ऑपरेटरों के बीच साझेदारी से निर्बाध तैनाती सुनिश्चित होगी।
  • AI, ब्लॉकचेन और उभरती प्रौद्योगिकियों का लाभ उठाना: AI-संचालित समाधान दूरसंचार में नेटवर्क दक्षता, पूर्वानुमानित रखरखाव और धोखाधड़ी का पता लगाने में सुधार कर सकते हैं।
    • ब्लॉकचेन-आधारित ग्राहक सत्यापन प्रणाली को लागू करने से SIM से संबंधित धोखाधड़ी और पहचान की चोरी पर अंकुश लग सकता है। 
    • दूरसंचार कंपनियों को AI-संचालित चैटबॉट और स्वचालित ग्राहक सेवा लागू करने के लिये प्रोत्साहित करने से उपयोगकर्त्ता अनुभव में सुधार होगा। 
    • AI-सक्षम नेटवर्क अनुकूलन डाउनटाइम को कम कर सकता है और बैंडविड्थ आवंटन को बढ़ा सकता है। 
      • नए दूरसंचार नवाचारों के परीक्षण के लिये एक नियामक सैंडबॉक्स बनाने से 5G और 6G की तैनाती में तेज़ी आ सकती है।

निष्कर्ष: 

भारत का दूरसंचार क्षेत्र एक महत्त्वपूर्ण मोड़ पर है, जो विनियामक, वित्तीय और तकनीकी चुनौतियों के साथ तेज़ी से विस्तार को संतुलित कर रहा है। स्वदेशी दूरसंचार विनिर्माण को मज़बूत करना तथा OTT प्लेटफॉर्मों एवं दूरसंचार ऑपरेटरों के बीच उचित राजस्व साझाकरण सुनिश्चित करना आवश्यक है। रणनीतिक सुधारों और निवेशों के साथ, भारत सभी के लिये डिजिटल समावेशन सुनिश्चित करते हुए एक वैश्विक दूरसंचार महाशक्ति के रूप में अपनी स्थिति को सुदृढ़ कर सकता है।

दृष्टि मेन्स प्रश्न: 

प्रश्न. OTT प्लेटफॉर्म के उदय ने दूरसंचार सेवा प्रदाताओं के साथ उचित राजस्व-साझाकरण पर बहस छेड़ दी है। चुनौतियों पर चर्चा कीजिये और एक संतुलित नियामक कार्यढाँचे का सुझाव दीजिये।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ)  

प्रिलिम्स 

प्रश्न 1. निम्नलिखित में से कौन-सा/से भारत सरकार का/के ‘‘डिजिटल इंडिया’’ योजना का/के उद्देश्य है/हैं? (2018)

  1. भारत की अपनी इंटरनेट कंपनियों का गठन, जैसा कि चीन ने किया। 
  2. एक नीतिगत ढाँचे की स्थापना जिससे बड़े आँकड़े एकत्रित करने वाली समुद्रपारीय बहु-राष्ट्रीय कंपनियों को प्रोत्साहित किया जा सके कि वे हमारी राष्ट्रीय भौगोलिक सीमाओं के अंदर अपने बड़े डेटा केंद्रों की स्थापना करें। 
  3. हमारे अनेक गाँवों को इंटरनेट से जोड़ना तथा हमारे बहुत से विद्यालयों, सार्वजनिक स्थलों एवं प्रमुख पर्यटक केंद्रों में वाई-फाई (Wi-Fi) लाना।

नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये:

(a) केवल 1 और 2 
(b) केवल 3
(c) केवल 2 और 3 
(d) 1, 2 और 3

उत्तर: (b)