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भारतीय अर्थव्यवस्था

भारतीय रेलवे का पुनरुद्धार

  • 28 Feb 2025
  • 28 min read

यह एडिटोरियल 27/02/2025 को द हिंदू में प्रकाशित “The bigger tragedy is the Railways and its systemic inertia” पर आधारित है। यह लेख भारतीय रेलवे की व्यवस्थागत विफलताओं को सामने लाता है, जहाँ संसाधनों की कमी नहीं बल्कि लापरवाही बार-बार होने वाली त्रासदियों का कारण बनती है।

प्रिलिम्स के लिये:

भारतीय रेलवे, समर्पित माल गलियारा, पीपीपी मॉडल, अमृत भारत स्टेशन योजना, वंदे भारत एक्सप्रेस विस्तार, अरुणाचल फ्रंटियर राजमार्ग, जैव शौचालय, अरुणाचल फ्रंटियर राजमार्ग, भारत गौरव ट्रेनें, क्रॉस सब्सिडी, कवच। 

मेन्स के लिये:

भारतीय अर्थव्यवस्था में भारतीय रेलवे का योगदान, भारतीय रेलवे से जुड़े प्रमुख मुद्दे

नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर हाल ही में हुई भगदड़ भारतीय रेलवे में व्यवस्थागत खामियों को उजागर करती है, जो संसाधनों की कमी से अधिक प्रशासनिक उदासीनता का परिणाम हैं। एलफिंस्टन रोड (2017) और इलाहाबाद (2013) जैसे स्टेशनों पर बार-बार हुई त्रासदियों के बावजूद, रेलवे प्रशासन बुनियादी भीड़ नियंत्रण उपायों तथा सुरक्षा प्रोटोकॉल लागू करने में असफल रहा है। भविष्य की त्रासदियों को रोकने के लिये भारत को व्यवस्थागत निष्क्रियता तुरंत दूर करनी होगी, ताकि ये घटनाएँ रोकी जा सकने वाली विफलताओं के बजाय मात्र दुर्भाग्यपूर्ण संयोग न मानी जाएँ।

भारतीय रेलवे भारतीय अर्थव्यवस्था में किस प्रकार योगदान देता है? 

  • राष्ट्रीय परिवहन की रीढ़: भारतीय रेलवे देश की जीवन रेखा है, जो प्रतिदिन लाखों लोगों को किफायती और विश्वसनीय परिवहन उपलब्ध कराती है।
    • यह यात्रियों और माल दोनों की लंबी दूरियों पर आवाजाही को सुगम बनाता है तथा आर्थिक एकीकरण में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है। 
    • हर साल 8 अरब से अधिक यात्रियों को परिवहन करके, भारतीय रेलवे दुनिया के सबसे व्यस्त रेल नेटवर्क में शामिल हो गया है।
      • कोविड-19 महामारी के दौरान, भारतीय रेलवे ने अपनी रसद शक्ति का प्रदर्शन करते हुए राज्यों में मेडिकल ऑक्सीज़न पहुँचाने के लिये "ऑक्सीज़न एक्सप्रेस" ट्रेनें चलाईं।
  • आर्थिक विकास और औद्योगिक विकास: भारतीय रेलवे व्यापार, वाणिज्य और औद्योगीकरण को बढ़ावा देकर देश के आर्थिक विकास में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
    • कोयला, लौह अयस्क, सीमेंट और कृषि उपज जैसे कच्चे माल का परिवहन उद्योगों के सुचारु संचालन को सुनिश्चित करता है। 
      • कुशल रेल लॉजिस्टिक्स से आपूर्ति शृंखला लागत में कमी आएगी, जिससे भारतीय विनिर्माण और निर्यात की प्रतिस्पर्द्धात्मकता बढ़ेगी। 
      • समर्पित मालवहन गलियारा (डीएफसी) जैसी बड़ी बुनियादी ढाँचा परियोजनाओं का उद्देश्य दक्षता और आर्थिक उत्पादकता को बढ़ावा देना है।
    • सीएजी (2021-22) ने इस बात पर प्रकाश डाला कि अकेले कोयले से रेलवे की माल ढुलाई आय का लगभग 50% हिस्सा प्राप्त होता है, जिससे औद्योगिक आपूर्ति शृंखलाएँ रेल संपर्क पर अत्यधिक निर्भर हो जाती हैं। 
  • रोज़गार सृजन और आजीविका सहायता: भारतीय रेलवे वैश्विक स्तर पर सबसे बड़े नियोक्ताओं में से एक है, जो न केवल लाखों लोगों को प्रत्यक्ष रूप से रोज़गार प्रदान करता है, बल्कि सहायक उद्योगों के माध्यम से भी व्यापक आजीविका का समर्थन करता है। 
    • इसमें 1.2 मिलियन से अधिक लोग कार्यरत हैं, जिससे यह विश्व का नौवाँ सबसे बड़ा नियोक्ता बन गया है।
      • यह विभिन्न कौशल स्तरों पर स्थायी रोज़गार प्रदान करता है, जिसमें इंजीनियर, तकनीशियन, स्टेशन प्रबंधक और ट्रैक रखरखाव कर्मी शामिल हैं।
    • रेलवे बुनियादी ढाँचे का विस्तार, स्टेशन पुनर्विकास और नए रोलिंग स्टॉक का निर्माण अतिरिक्त रोज़गार के अवसर उत्पन्न करता है।
      • रेलवे में निजीकरण और पीपीपी मॉडल से परिचालन और लॉजिस्टिक्स में रोज़गार की संभावनाएँ बढ़ने की उम्मीद है।
  • ग्रामीण संपर्क और क्षेत्रीय विकास: रेलवे दूर-दराज़ और ग्रामीण क्षेत्रों को जोड़ने एवं उन्हें शहरी केंद्रों तथा बाज़ारों के साथ एकीकृत करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
    • अविकसित क्षेत्रों में बेहतर रेलवे बुनियादी ढाँचे से शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा और रोज़गार के अवसरों तक पहुँच बढ़ जाती है। 
      • पूर्वोत्तर कनेक्टिविटी परियोजना जैसे विशेष रेलवे गलियारों का उद्देश्य क्षेत्रीय विकास और राष्ट्रीय एकीकरण को बढ़ावा देना है। 
    • वित्त वर्ष 2023-24 में रेलवे ने अमृत भारत स्टेशन योजना के तहत 1,275 रेलवे स्टेशनों का पुनर्विकास करने का फैसला किया है
    • वंदे भारत एक्सप्रेस का टियर-2 और टियर-3 शहरों तक विस्तार, सुगमता तथा क्षेत्रीय आर्थिक विकास में सुधार की दिशा में एक कदम है।
  • सतत् विकास और हरित गतिशीलता के लिये उत्प्रेरक: रेलवे, कार्बन उत्सर्जन और ईंधन खपत को कम करके सड़क तथा हवाई परिवहन के लिये एक पर्यावरणीय रूप से स्थायी विकल्प प्रदान करता है।
    • भारतीय रेलवे का लक्ष्य वर्ष 2030 तक पूर्ण विद्युतीकरण और नवीकरणीय ऊर्जा के एकीकरण के माध्यम से कार्बन तटस्थता प्राप्त करना है।
      • जुलाई 2023 तक भारतीय रेलवे द्वारा 14 राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों का 100% विद्युतीकरण कर दिया गया है।
    • ऊर्जा-कुशल इंजन, विद्युतीकृत मार्ग तथा जैव-शौचालय जैसी हरित पहल रेलवे क्षेत्र की स्थिरता में सुधार ला रही हैं। 
      • रेल माल ढुलाई सड़क परिवहन की तुलना में प्रति टन किलोमीटर लगभग 80% कम ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जित करती है, जिससे यह भारत की सतत् गतिशीलता रणनीति में एक प्रमुख भूमिका निभाती है।
  • राष्ट्रीय सुरक्षा और सामरिक गतिशीलता को मज़बूत करना: सीमावर्ती क्षेत्रों में तेज़ सैन्य परिवहन और प्रभावी रक्षा रसद सुनिश्चित करके रेलवे राष्ट्रीय सुरक्षा को सुदृढ़ करता है।
    • समर्पित रेलवे लाइनें और माल ढुलाई गलियारे आपात स्थितियों के दौरान सैन्य आपूर्ति, वाहनों तथा कर्मियों को शीघ्र जुटाने में सहायता करते हैं। 
      • सीमावर्ती क्षेत्रों, विशेषकर पूर्वोत्तर और लद्दाख में रणनीतिक रेलवे लाइनों के निर्माण से रक्षा तैयारियों में वृद्धि होती है। 
    • अरुणाचल फ्रंटियर हाईवे एक ऐतिहासिक बुनियादी ढाँचा परियोजना है, जो चीन के साथ वास्तविक नियंत्रण रेखा पर स्थित 12 ज़िलों को जोड़ती है। 
  • शहरी गतिशीलता और सड़क नेटवर्क में भीड़भाड़ कम करना: प्रमुख शहरों में मेट्रो रेल और उपनगरीय रेल प्रणालियों के विस्तार से भीड़भाड़ कम हो रही है और शहरी गतिशीलता में सुधार हो रहा है। 
    • कुशल जन परिवहन विकल्प घनी आबादी वाले क्षेत्रों में यात्रा समय, प्रदूषण और सड़क दुर्घटनाओं को कम करने में मदद करते हैं। 
      • मेट्रो, उपनगरीय और क्षेत्रीय द्रुत परिवहन प्रणालियों के एकीकरण से निर्बाध बहुविध परिवहन नेटवर्क को बढ़ावा मिल रहा है। 
    • भारत ने 1,000 किलोमीटर से अधिक परिचालन मेट्रो रेल नेटवर्क हासिल कर लिया है और चीन और अमेरिका के बाद दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी मेट्रो प्रणाली बन गई है।
      • दिल्ली और मेरठ के बीच रैपिड ट्रांजिट सिस्टम, जो वर्ष 2025 में शुरू होगा, दोनों शहरों के बीच यात्रा के समय को काफी कम कर देगा।
  • पर्यटन और सांस्कृतिक एकीकरण को बढ़ावा: भारतीय रेलवे किफायती और सुविधाजनक यात्रा प्रदान करके देश के सांस्कृतिक, ऐतिहासिक और धार्मिक स्थलों तक पहुँच को आसान बनाता है, जिससे पर्यटन को प्रोत्साहन मिलता है। 
    • भारत गौरव ट्रेन जैसी विशेष रेलगाड़ियाँ और पैलेस ऑन व्हील्स जैसी लक्जरी सेवाएं घरेलू तथा अंतर्राष्ट्रीय दोनों पर्यटकों को आकर्षित करती हैं। 
      • तीर्थ स्थलों, विरासत स्थलों और पारिस्थितिकी पर्यटन स्थलों तक बेहतर रेल संपर्क से स्थानीय अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिलता है। 

भारतीय रेलवे से जुड़े प्रमुख मुद्दे क्या हैं? 

  • वित्तीय स्थिति में लगातार गिरावट: भारतीय रेलवे को राजस्व अधिशेष में गिरावट, अतिरिक्त बजटीय संसाधनों (ईबीआर) पर बढ़ती निर्भरता और अस्थिर परिचालन लागत  के कारण गंभीर वित्तीय समस्या का सामना करना पड़ रहा है।
    • बढ़ता व्यय और घटता राजस्व आंतरिक संसाधन सृजन को बाधित कर रहा है, जिससे दीर्घकालिक स्थिरता खतरे में पड़ रही है।
      • इसके अतिरिक्त, माल ढुलाई आय के माध्यम से यात्री किराये में भारी क्रॉस-सब्सिडी ने मूल्य निर्धारण तंत्र को विकृत कर दिया है, जिससे माल परिवहन कम प्रतिस्पर्द्धी हो गया है।
    • सीएजी (2021-22) की रिपोर्ट के अनुसार, रेलवे का परिचालन अनुपात 107.39% के रिकॉर्ड स्तर पर पहुँच गया, यानी ₹100 की कमाई के लिये ₹107.39 खर्च हुए। यदि पेंशन और परिसंपत्ति नवीनीकरण व्यय को शामिल किया जाए, तो यह अनुपात बढ़कर 109.36% हो जाता है।
  • अवसंरचना संबंधी कमियाँ: बार-बार होने वाली ट्रेन दुर्घटनाएँ, जैसे पटरी से उतरना, भगदड़ और टक्करें, अवसंरचना रखरखाव एवं सुरक्षा निरीक्षण में गंभीर कमियों को उजागर करती हैं।
    • अप्रचलित ट्रैक, पुरानी सिग्नलिंग प्रणाली और अत्यधिक भीड़भाड़ वाले स्टेशन रेल दुर्घटनाओं के जोखिम को बढ़ाते हैं।
    • परिसंपत्तियों के प्रतिस्थापन में देरी सुरक्षा जोखिमों को बढ़ाती है, जिससे लाखों दैनिक यात्रियों की सुरक्षा खतरे में पड़ जाती है।
      • सीएजी (2021-22) ने पुरानी परिसंपत्तियों के नवीनीकरण में 34,318.79 करोड़ रुपए के बकाये का उल्लेख किया है।
      • जून 2023 में ओडिशा के बालासोर में हुई तिहरी रेल दुर्घटना ने रेलवे सुरक्षा और सिग्नलिंग प्रणालियों की गंभीर कमज़ोरियों को सामने लाया।
    • रेल दुर्घटनाओं को रोकने के लिये विकसित ‘कवच’ टक्कर रोधी प्रणाली का क्रियान्वयन अपेक्षाकृत धीमा रहा है, जिससे इसकी पहुँच अभी तक केवल सीमित मार्गों तक ही रह गई है।
  • भीड़ प्रबंधन और स्टेशन अवसंरचना का अभाव: प्रमुख रेलवे स्टेशनों पर अत्यधिक भीड़ और भीड़ नियंत्रण उपायों की कमी, विशेष रूप से त्योहारों व बड़े आयोजनों के दौरान, यात्रियों की सुरक्षा के लिये गंभीर जोखिम उत्पन्न करती है।
    • उचित बैरिकेडिंग, एकदिशीय आवागमन योजना और आपातकालीन प्रतिक्रिया तंत्र के अभाव में भगदड़ की संभावना बढ़ जाती है।
    • फरवरी 2025 में नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर अंतिम क्षणों में ट्रेन की घोषणा से भगदड़ मच गई, जिससे कई लोगों की जान चली गई और कई अन्य घायल हो गए।
  • माल ढुलाई राजस्व में स्थिरता और बाज़ार प्रतिस्पर्द्धा: माल ढुलाई परिचालन, जो यात्रियों के घाटे की भरपाई करता है, को अकुशलता और उच्च टैरिफ के कारण सड़क तथा हवाई परिवहन से बढ़ती प्रतिस्पर्द्धा का सामना करना पड़ता है। 
    • रेल माल ढुलाई की गति धीमी बनी हुई है, अंतिम मील कनेक्टिविटी की कमी है और यह मुख्य रूप से कोयले जैसी थोक वस्तुओं पर निर्भर है, जिससे राजस्व स्रोतों का विविधीकरण बाधित हो रहा है।
      • नवीकरणीय ऊर्जा की ओर बदलाव से कोयला परिवहन की मांग कम हो सकती है, जिससे माल ढुलाई से होने वाली आय पर और अधिक प्रभाव पड़ सकता है।
    • सरकारी रिकॉर्ड बताते हैं कि माल परिवहन में रेल की हिस्सेदारी वर्ष 1951 में 8.5% से लगातार घट कर वर्ष 1991 में 60% हो गई तथा वर्ष 2022 में यह केवल 27% रह गई।
  • पर्यावरण और स्थिरता संबंधी चुनौतियाँ: विद्युतीकरण प्रयासों के बावजूद, भारतीय रेलवे कई क्षेत्रों में डीज़ल इंजनों पर निर्भर है, जिससे वायु प्रदूषण और कार्बन उत्सर्जन में वृद्धि हो रही है। 
    • 100% विद्युतीकरण का प्रयास धीमा है तथा बुनियादी ढाँचे के विकास और विद्युत खरीद में देरी हो रही है। 
      • स्टेशनों और रेलगाड़ियों के अंदर अपशिष्ट प्रबंधन अपर्याप्त है, जिससे स्वच्छता तथा स्थिरता के लक्ष्य प्रभावित हो रहे हैं।
    • भारत का परिवहन क्षेत्र देश के ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में 12% का योगदान देता है, जबकि रेलवे का योगदान लगभग 4% है। 
  • पिछड़ी हाई-स्पीड रेल और बुलेट ट्रेन परियोजनाएँ: महत्त्वाकांक्षी मुंबई-अहमदाबाद बुलेट ट्रेन परियोजना को भूमि अधिग्रहण संबंधी बाधाओं, वित्तपोषण में विलंब और राजनीतिक विरोध का सामना करना पड़ रहा है, जिससे भारत की हाई-स्पीड रेल योजनाएँ पिछड़ रही हैं।
    • वंदे भारत जैसे अर्द्ध-उच्च गति गलियारों का धीमा विस्तार और ट्रैक उन्नयन की कमी पारंपरिक मार्गों पर गति वृद्धि को बाधित कर रही है।
    • मुंबई को अहमदाबाद से जोड़ने वाली बुलेट ट्रेन परियोजना वर्ष 2022 तक तैयार हो जाएगी, एक दशक बाद भी यह केवल 30% ही पूरी हुई है तथा संशोधित समय सीमा अब वर्ष 2028 है।
  • रेलवे सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों का कुप्रबंधन और वित्तीय व्यवहार्यता संबंधी मुद्दे: कई रेलवे सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम लाभप्रदता में गिरावट, कुप्रबंधन और अकुशलता से जूझ रहे हैं, जिससे भारतीय रेलवे के विकास में उनका योगदान सीमित हो रहा है। 
    • जबकि वित्तपोषण और पर्यटन क्षेत्र में कुछ सार्वजनिक उपक्रमों ने अच्छा प्रदर्शन किया है, वहीं निर्माण एवं लॉजिस्टिक्स क्षेत्र में अन्य के रिटर्न में गिरावट देखी गई है। 
      • इक्विटी पर घटता रिटर्न और ऋण पर बढ़ती निर्भरता, गहरे संरचनात्मक मुद्दों को उजागर करती है।
    • सीएजी (2021-22) ने बताया कि रेलवे पीएसयू के लिये इक्विटी पर रिटर्न वर्ष 2017-18 में 9.17% से घटकर वर्ष 2019-20 में 7.53% हो गया। 

भारतीय रेलवे को पुनर्जीवित करने के लिये क्या उपाय अपनाए जा सकते हैं? 

  • वित्तीय स्थिरता और राजस्व अनुकूलन: भारतीय रेलवे को अतिरिक्त बजटीय उधार पर निर्भरता कम करके एक स्थायी वित्तीय मॉडल की ओर बढ़ना चाहिये।
    • गतिशील किराया मूल्य निर्धारण, रेलवे भूमि परिसंपत्तियों का मुद्रीकरण तथा स्टेशन विकास में निजी क्षेत्र की भागीदारी (बिबेक देबरॉय समिति के अनुसार) से राजस्व प्रवाह में वृद्धि हो सकती है।
    • माल ढुलाई शुल्क को तर्कसंगत बनाने और अंतिम-मील कनेक्टिविटी समाधान से रेल कार्गो अधिक प्रतिस्पर्द्धा बन जाएगा।
  • सुरक्षा संवर्द्धन और बुनियादी ढाँचे का आधुनिकीकरण: रेलवे को दुर्घटनाओं को कम करने और परिचालन दक्षता में सुधार करने के लिये ट्रैक नवीनीकरण, पुल सुदृढ़ीकरण और स्टेशनों पर भीड़भाड़ कम करने को प्राथमिकता देनी चाहिये।
    • कवच जैसी स्वचालित ट्रेन नियंत्रण प्रणालियों और केंद्रीकृत यातायात नियंत्रण के व्यापक कार्यान्वयन से मानवीय त्रुटियों में काफी कमी आ सकती है।
    • एआई-आधारित पूर्वानुमानित रखरखाव के साथ सिग्नलिंग बुनियादी ढाँचे को उन्नत करने से वास्तविक समय की निगरानी में वृद्धि होगी। 
    • बेहतर स्टेशन डिज़ाइन, समर्पित होल्डिंग ज़ोन और स्वचालित प्रवेश-निकास प्रणाली सहित प्रभावी भीड़ प्रबंधन रणनीतियों को प्राथमिकता के साथ लागू किया जाना चाहिये।
  • तकनीकी उन्नति और डिजिटलीकरण: एआई-संचालित पूर्वानुमानित रखरखाव, IoT-आधारित परिसंपत्ति निगरानी और ब्लॉकचेन-सक्षम माल ट्रैकिंग को लागू करने से दक्षता तथा विश्वसनीयता को बढ़ावा मिल सकता है। 
    • वास्तविक समय यात्री सूचना प्रणालियों, स्मार्ट टिकटिंग समाधानों और एकीकृत गतिशीलता ऐप्स की पहुँच का विस्तार करने से ग्राहक अनुभव में सुधार होगा।
    • रेलवे वर्कशॉपों को स्वचालन और रोबोटिक्स के साथ उन्नत करने से रोलिंग स्टॉक रखरखाव को अनुकूलित किया जा सकेगा। 
      • एकीकृत डिजिटल प्लेटफॉर्म के तहत वित्तीय और परिचालन डाटा का पूर्ण एकीकरण रेलवे प्रशासन को सुव्यवस्थित करेगा।
  • माल ढुलाई क्षेत्र में सुधार और मल्टीमॉडल लॉजिस्टिक्स एकीकरण: भारतीय रेलवे को कोयले से परे कंटेनरीकृत कार्गो, ऑटोमोबाइल लॉजिस्टिक्स और एक्सप्रेस माल ढुलाई सेवाओं का उपयोग करके अपनी माल ढुलाई में विविधता लानी चाहिये।
    • समर्पित मालवाहक गलियारों (डीएफसी) का बंदरगाहों, राजमार्गों और अंतर्देशीय जलमार्गों तक निर्बाध संपर्क के साथ विस्तार किया जाना चाहिये। 
    • माल ढुलाई शुल्क को तर्कसंगत बनाने और टर्मिनल हैंडलिंग समय को कम करने से रेल परिवहन उद्योगों के लिये लागत प्रभावी हो जाएगा। 
    • प्रधानमंत्री गति शक्ति योजना के तहत, रेल, सड़क और बंदरगाहों को जोड़ने वाले एकीकृत राष्ट्रीय लॉजिस्टिक्स ग्रिड को तेज़ी से विकसित किया जाना चाहिये, ताकि माल परिवहन की दक्षता और निर्बाध आवाजाही सुनिश्चित की जा सके।
  • हाई-स्पीड रेल और सेमी-हाई-स्पीड विस्तार: राकेश मोहन समिति (2010) की सिफारिशों के आधार पर, मुंबई-अहमदाबाद बुलेट ट्रेन परियोजना के कार्यान्वयन में तेज़ी लाई जानी चाहिये, साथ ही उच्च मांग वाले मार्गों पर अतिरिक्त हाई-स्पीड कॉरिडोर की योजना बनाई जानी चाहिये।
    • समर्पित उच्च गति वाली मालवाहक लाइनों सहित ट्रैक उन्नयन परियोजनाओं को प्राथमिकता दी जानी चाहिये।
    • उच्च गति वाले रोलिंग स्टॉक का स्वदेशी विनिर्माण खरीद लागत को कम करेगा और मेक इन इंडिया प्रयासों को बढ़ावा देगा।
    • उच्च गति रेल परियोजनाओं के तीव्र कार्यान्वयन के लिये भूमि अधिग्रहण, वित्तपोषण मॉडल और प्रौद्योगिकी हस्तांतरण समझौतों को सुव्यवस्थित किया जाना चाहिये।
  • रेलवे स्टेशन आधुनिकीकरण और शहरी गतिशीलता एकीकरण: स्टेशनों को मेट्रो नेटवर्क, बस टर्मिनलों और हवाई अड्डों से निर्बाध कनेक्टिविटी के साथ मल्टीमॉडल ट्रांजिट हब में परिवर्तित किया जाना चाहिये। 
    • बुनियादी ढाँचे का उन्नयन, जैसे कि ऊँचा प्रवेश द्वार, स्वचालित टिकट प्रणाली तथा भीड़-भाड़ रहित यात्री आवागमन क्षेत्र आवश्यक हैं। 
    • उपनगरीय और क्षेत्रीय रेल नेटवर्क के विस्तार से महानगरों में भीड़भाड़ कम होगी तथा  आवागमन के लिये तीव्र विकल्प उपलब्ध होंगे। 
    • स्टेशन पुनर्विकास परियोजनाओं में तेज़ी लाने के लिये भारतीय रेलवे स्टेशन विकास निगम (आईआरएसडीसी) को मज़बूत किया जाना चाहिये
  • सतत् और हरित रेलवे पहल: नवीकरणीय ऊर्जा एकीकरण के साथ 100% विद्युतीकरण प्राप्त करने से जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता कम होगी और कार्बन उत्सर्जन कम होगा। 
    • रेलवे स्टेशनों, कार्यशालाओं और खाली भूमि क्षेत्रों में सौर और पवन ऊर्जा प्रतिष्ठानों का विस्तार करने से ऊर्जा स्थिरता बढ़ेगी।
    • डीज़ल इंजन के विकल्प के रूप में हाइड्रोजन चालित और बैटरी चालित इंजनों का प्रयोग किया जाना चाहिये।
    • कार्बन क्रेडिट तंत्र और हरित वित्तपोषण को मज़बूत करने से दीर्घकालिक स्थिरता लक्ष्यों को समर्थन मिलेगा। 
  • निजी क्षेत्र की भागीदारी में वृद्धि: बिबेक देबरॉय समिति की सिफारिशों के बाद, भारतीय रेलवे को निजी क्षेत्र की भागीदारी के लिये और अधिक अवसर खोलने चाहिये।
    • रोलिंग स्टॉक खरीद, रेलवे खानपान और लॉजिस्टिक्स पार्कों में निजी निवेश से सेवा की गुणवत्ता एवं दक्षता में वृद्धि होगी। 
    • उच्च मांग वाले मार्गों के लिये प्रतिस्पर्द्धी बोली से वित्तीय व्यवहार्यता में सुधार हो सकता है तथा सरकार पर परिचालन संबंधी बोझ कम हो सकता है।

निष्कर्ष: 

भारतीय रेलवे भारत के परिवहन और आर्थिक बुनियादी ढाँचे की रीढ़ है, लेकिन संरचनात्मक अक्षमताएँ, वित्तीय दबाव तथा सुरक्षा में कमियाँ इसके पूर्ण क्षमता प्राप्त करने में बाधा बनी हुई हैं। बुनियादी ढाँचे की कमियों को दूर करना, भीड़ प्रबंधन को बढ़ाना और वित्तीय स्थिरता को प्राथमिकता देना दीर्घकालिक अनुकूलन के लिये महत्त्वपूर्ण है। प्रौद्योगिकी का लाभ उठाना, माल ढुलाई संचालन को मज़बूत करना और हरित गतिशीलता को बढ़ावा देना रेलवे को एक आधुनिक एवं कुशल इकाई में बदल सकता है।

दृष्टि मेन्स प्रश्न: 

प्रश्न: भारतीय रेलवे की वित्तीय स्थिति लंबे समय से चिंता का विषय बनी हुई है, जिसमें राजस्व अधिशेष में गिरावट और यात्री किरायों पर माल ढुलाई से भारी क्रॉस-सब्सिडी शामिल है। रेलवे की वित्तीय स्थिरता सुनिश्चित करने के लिये एक प्रभावी रोडमैप क्या हो सकता है?

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रश्न. भारतीय रेलवे द्वारा उपयोग किये जाने वाले जैव-शौचालय के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2015)

  1. जैव-शौचालय में मानव अपशिष्ट का अपघटन एक कवक इनोकुलम द्वारा शुरू किया जाता है। 
  2. इस अपघटन में अमोनिया और जलवाष्प एकमात्र अंतिम उत्पाद हैं जो वायुमंडल में निर्मुक्त होते हैं।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2 दोनों
(d) न तो 1 और न ही 2

उत्तर: D

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