प्रयागराज शाखा पर IAS GS फाउंडेशन का नया बैच 29 जुलाई से शुरू
  संपर्क करें
ध्यान दें:

डेली अपडेट्स


प्रारंभिक परीक्षा

ऊर्जा संचयन और विद्युत उत्पादन हेतु सामग्री

  • 26 Jul 2024
  • 5 min read

स्रोत : पीआई बी

चर्चा में क्यों ?

हाल ही में, वैज्ञानिकों ने एक नया अध्ययन किया है जो आरंभिक धातुओं नामक सामग्रियों के एक नए वर्ग में रासायनिक बंधन को नियंत्रित करने वाले इलेक्ट्रॉनिक तंत्र को उजागर करता है, जिसमें समूह IV चाल्कोजनाइड्स की एक एकल 2D परत के भीतर मेटावेलेंट बॉन्डिंग (MVB) पर ध्यान केंद्रित किया गया है। 

अध्ययन के मुख्य बिंदु क्या हैं?

  • परिचय:
    • यह अध्ययन जवाहरलाल नेहरू उन्नत वैज्ञानिक अनुसंधान केंद्र (JNCASR) में सैद्धांतिक विज्ञान इकाई में आयोजित किया गया था।
  • जाँच - परिणाम:
    • इस अध्ययन में पाया गया कि समूह IV चाल्कोजनाइड्स पदार्थ गर्म करने या ठंडा होने पर 100 नैनोसेकंड से भी कम समय में काँच जैसी अनाकार संरचना से क्रिस्टलीय रूप में परिवर्तित हो सकते है ।
  • महत्त्व:
    • नई सामग्री के विभिन्न क्षेत्रों जैसे कुशल ऊर्जा संचयन और विद्युत उत्पादन में अनुप्रयोग हो सकते हैं।
    • साथ ही, यह शोध क्वांटम सामग्रियों के उभरते क्षेत्र से जुड़ता है जो भारत के राष्ट्रीय क्वांटम प्रौद्योगिकी मिशन में मदद करेगा।
  • संबंधित शब्द:
    • प्रारंभिक धातुएँ:
      • वे धातुओं के समान विद्युत चालकता प्रदर्शित करती हैं, जिनमें अर्धचालकों की विशेषता वाली उच्च तापविद्युत दक्षता और असामान्य रूप से कम तापीय चालकता होती है, जो गुणों का एक ऐसा समूह बनाती है जिसे पारंपरिक रासायनिक बंधन अवधारणाओं द्वारा समझाया नहीं जा सकता है।
    • चाल्कोजनाइड्स: 
      • चाल्कोजनाइड्स ऐसे यौगिक हैं जिनमें कम से कम एक चाल्कोज़न तत्त्व आयन (जैसे सल्फर, सेलेनियम और टेल्यूरियम) और कम से कम एक धातु तत्त्व होता है। 
        • समूह IV चाल्कोजनाइड्स में आकर्षक गुण होते हैं जो उन्हें तकनीकी अनुप्रयोगों के लिये उपयुक्त बनाते हैं। 
      • चाल्कोजनाइड्स अपनी उच्च विद्युत चालकता और प्रभावी थर्मल-टू-इलेक्ट्रिकल ऊर्जा रूपांतरण के कारण ऊर्जा संचयन और विद्युत  उत्पादन में महत्त्वपूर्ण हैं। 
      • चाल्कोजनाइड्स का उपयोग पहले से ही कंप्यूटर फ्लैश मेमोरी में किया जाता है, जो क्रिस्टलीय और अनाकार अवस्थाओं के बीच संक्रमण के दौरान ऑप्टिकल गुणों को बदलने की उनकी क्षमता का लाभ उठाते हैं।
    • मेटावेलेंट बॉन्डिंग:
      •  रसायन विज्ञान में परमाणुओं की वैलेंस/संयोजी शेल में आठ इलेक्ट्रॉनों को प्राथमिकता देने की प्रवृत्ति जिसे चिरसम्मत अष्टक नियम (Classical Octet Rule) कहा जाता है, को चुनौती देने वाले बंधन में धातुओं और ग्लास दोनों में बंधन बनाने के गुण होते हैं।

National Quantum Mission

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ)  

प्रिलिम्स 

प्रश्न.  CFL और LED लैंप में क्या अंतर है?  (2011)

  1. प्रकाश उत्पन्न करने के लिये CFL में पारद वाष्प और फॉस्फोर का प्रयोग किया जाता है जबकि LED लैंप में अर्द्धचालक पदार्थ का प्रयोग किया जाता है।
  2. CFL की औसत आयु LED लैंप की तुलना में बहुत लंबा होता है
  3. LED लैंप की तुलना CFL कम ऊर्जा कुशल है।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

(a) केवल 1
(b) केवल 2 और 3
(c) केवल 1 और 3
(d) 1, 2 और 3

उत्तर: (c)


प्रश्न. भारत में सौर ऊर्जा उत्पादन के सन्दर्भ में, निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2018) 

  1. भारत प्रकाश-वोल्टीय इकाइयों में प्रयोग में आने वाले सिलिकॉन वेफर्स का विश्व में तीसरा सबसे बड़ा उत्पादक देश है।
  2. सौर ऊर्जा शुल्क का निर्धारण भारतीय सौर ऊर्जा निगम के द्वारा किया जाता है।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2 दोनों
(d) न तो 1, न ही 2

उत्तर: (d)

close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2