आंतरिक सुरक्षा
आधुनिक युद्ध में UAV
- 22 Mar 2025
- 11 min read
प्रिलिम्स के लिये:मानव रहित हवाई वाहन (UAV), होर्मुज जलडमरूमध्य, MQ-9 रीपर ड्रोन, इंद्रजाल, MSME, AI, रोबोटिक्स, स्वार्म टेक्नोलॉजी । मेन्स के लिये:आधुनिक युद्ध में UAV की भूमिका, भारत के लिये UAV से संबंधित चिंताएँ और आगे की राह। |
स्रोत: द हिंदू
चर्चा में क्यों?
ओकिनावा (जापानी द्वीप) के निकट दो चीनी मानवरहित हवाई वाहनों (UAV) के देखे जाने से सैन्य और निगरानी अभियानों में UAV की बढ़ती भूमिका पर चिंता व्यक्त की गई है।
लड़ाकू विमानों की तुलना में ड्रोन के क्या लाभ हैं?
- लागत प्रभावशीलता: ड्रोन की खरीद और परिचालन व्यय (ईंधन, रखरखाव और रसद) कम है।
- एक MQ-9 रीपर ड्रोन की कीमत 32 मिलियन अमेरिकी डॉलर है, जबकि एक F-35 की कीमत 80 मिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक है।
- कम मानवीय जोखिम: ड्रोन पायलट के जोखिम को कम करते हैं, जिससे वे शत्रुतापूर्ण वातावरण में उच्च जोखिम वाले मिशनों के लिये आदर्श बन जाते हैं। उदाहरण के लिये,
- यूएस-ईरान 2019: ईरान ने होर्मुज जलडमरूमध्य के ऊपर एक अमेरिकी ड्रोन को मार गिराया। संघर्ष के बावजूद, अमेरिका ने जवाबी कार्रवाई नहीं की।
- सतत् निगरानी: ड्रोन लंबे समय तक युद्ध के मैदान पर रह सकते हैं, जिससे वास्तविक समय की खुफिया जानकारी मिलती है तथा निर्णय लेने के लिये स्थितिजन्य जागरूकता में सुधार होता है।
- AI संचालित ड्रोन स्वायत्त रूप से कार्य करते हैं, तथा कम मानवीय हस्तक्षेप के साथ लक्ष्यों की शीघ्र पहचान कर उन पर हमला करते हैं।
- परिचालन: ड्रोन समन्वित हमलों के लिये समूह में काम कर सकते हैं, जिनका उपयोग टोही, निगरानी तथा सटीक हमलों के लिये किया जा सकता हैं।
- नागोर्नो-करबाख संघर्ष में, UAV, विशेष रूप से तुर्की बायरकटार और अज़रबैजान के कामिकेज़ ड्रोन ने अर्मेनियाई सेना को कमज़ोर करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई, जिससे आर्मेनिया की हार हुई।
- असममित युद्ध के लिये उपयुक्तता: ड्रोन विद्रोह और आतंकवाद निरोध में अत्यधिक प्रभावी हैं, जिनके द्वारा न्यूनतम क्षति के साथ सटीक हमला किया जा सकता है।
- अमेरिका और तुर्की ने मध्य पूर्व और अफ्रीका में आतंकवादियों के सफाए के लिये इनका इस्तेमाल किया है।
- निम्न सैन्य आवश्यकताएँ: ड्रोनों को एयरबेस, ईंधन भरने वाले टैंकर या पायलट सहायता प्रणाली जैसी व्यापक बुनियादी संरचना की आवश्यकता नहीं होती है।
- उदाहरण के लिये, रूस ने यूक्रेन की सुरक्षा को कमज़ोर करने के लिये आसानी से ईरानी शाहेद-136 ड्रोन तैनात कर दिये।
UAV के उपयोग से संबंधित चिंताएँ क्या हैं?
- संघर्ष को बढ़ावा देना: ड्रोन युद्ध के जोखिम और लागत को कम करते हैं, जिससे राज्यों के लिये सैनिकों को तैनात किये बिना सैन्य कार्यवाहियों में शामिल होना आसान हो जाता है। उदाहरण के लिये, यूक्रेन युद्ध में अमेरिकी ड्रोन का उपयोग।
- गैर-राज्य अभिकर्त्ताओं का सशक्तिकरण: ड्रोन गैर-राज्य अभिकर्त्ताओं को राज्य की सेनाओं के साथ प्रतिस्पर्द्धा करने में सक्षम बनाते हैं। उदाहरणार्थ,
- क्षेत्रीय तनाव में वृद्धि: चीन, तुर्की और इज़रायल के नेतृत्व में बढ़ता ड्रोन बाज़ार, हथियारों की दौड़ और संघर्ष को बढ़ावा दे रहा है।
- उदाहरण के लिये, पाकिस्तानी क्षेत्र से अफगानिस्तान में अमेरिकी ड्रोन हमलों का बदला लेने के परिणामस्वरूप पाकिस्तान में आतंकवाद बढ़ गया है।
- अस्वीकार्यता और छद्म युद्ध: ड्रोन राष्ट्रों को बिना किसी प्रत्यक्ष आरोप के हमले करने की अनुमति देते हैं, जिससे संभावित अस्वीकार्यता बनी रहती है।
- यह सहयोगियों या विद्रोही समूहों को ड्रोन की आपूर्ति करके संघर्षों में अप्रत्यक्ष भागीदारी को सक्षम बनाता है , जिससे छद्म युद्धों को बढ़ावा मिलता है ।
- दीर्घकालीन युद्ध: मध्य पूर्व में अमेरिकी अभियानों जैसे ड्रोन हमलों से नागरिकों की मौत ने सार्वजनिक आक्रोश और कट्टरपंथ को बढ़ावा दिया है, जिससे हिंसा का चक्र जारी है।
भारत के विरुद्ध प्रतिद्वंद्वियों द्वारा UAV का उपयोग करने के क्या प्रभाव हैं?
- सुरक्षा संबंधी खतरे में वृद्धि: पाकिस्तान और चीन के साथ भारत की सीमाओं पर बढ़ते ड्रोन हमले, हथियारों और मादक पदार्थों की तस्करी के कारण सैन्य और आंतरिक सुरक्षा के लिये खतरा पैदा करते हैं।
- AI संचालित ड्रोन कश्मीर में पाकिस्तान और लद्दाख में चीन के लिये निगरानी बढ़ा रहे हैं, जिससे भारत की सामरिक गोपनीयता को चुनौती मिल रही है।
- सैन्य विषमता: चीन कृत्रिम बुद्धि (AI) आधारित निगरानी और हमलों के साथ ड्रोन युद्ध में अग्रणी है, जबकि पाकिस्तान बेहतर टोही और युद्ध के लिये चीनी UAV का उपयोग करता है।
- भारत द्वारा इंद्रजाल (AI-संचालित एंटी-ड्रोन सिस्टम) विकसित करने के बावजूद, यह चीन की तुलना में काउंटर-ड्रोन क्षमताओं में पीछे है।
- साइबर सुरक्षा जोखिम: सीमा के पास भारतीय ड्रोन हैकिंग की घटनाएँ साइबर सुरक्षा जोखिमों पर प्रकाश डालती हैं। इलेक्ट्रॉनिक युद्ध को मज़बूत बनाना एक चुनौती बनी हुई है।
- विदेशी ड्रोन पर निर्भरता: MQ-9B जैसे आयातित ड्रोन पर भारत की निर्भरता से आपूर्ति शृंखला में व्यवधान उत्पन्न होने का खतरा है तथा सैन्य आत्मनिर्भरता सीमित हो जाती है।
भारत अपनी UAV क्षमताओं का सुदृढ़ीकरण किस प्रकार कर सकता है?
- ड्रोन-रोधी उपाय: खतरों का पता लगाने और उन्हें बेअसर करने के लिये इंद्रजाल जैसी प्रणालियों को सुदृढ़ बनाने तथा जैमिंग और हैकिंग प्रतिउपायों में निवेश करने की आवश्यकता है।
- सीमा पार खतरों का निवारण करने के लिये हिमालय की विषम जलवायु परिस्थितियों में ड्रोन बैटरी की दक्षता और स्थिरता में सुधार किया जाना चाहिये।
- दुश्मन के ड्रोन को रोकने के लिये रक्षा बलों द्वारा ईगल प्रशिक्षण का विस्तार किया जाना चाहिये।
- देशज रूप से ड्रोन का विकास: घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा देने, सार्वजनिक-निजी भागीदारी को सुदृढ़ बनाने और वित्त पोषण एवं प्रोत्साहन के साथ ड्रोन स्टार्टअप और MSME का समर्थन करने की आवश्यकता है।
- ड्रोन रोटर्स को बीच उड़ान में उलझाने, प्रणोदन को अक्षम करने और उन्हें नीचे लाने के लिये ड्रोन जाल के विकास को बढ़ावा देना चाहिये।
- अनुसंधान एवं विकास निवेश: कृत्रिम बुद्धिमत्ता, रोबोटिक्स, पायलट प्रशिक्षण, और स्वायत्त ड्रोन, स्वार्म प्रौद्योगिकी और उच्च उन्नतांश वाले UAV पर अनुसंधान में निवेश करने की आवश्यकता है।
निष्कर्ष:
सैन्य और निगरानी अभियानों में UAV का बढ़ता उपयोग से रणनीतिक लाभ और साथ ही सुरक्षा खतरे प्रस्तुत होते हैं। हालाँकि भारत को विरोधियों की ओर से ड्रोन के बढ़ते हमलों का सामना करना पड़ रहा है किंतु काउंटर-ड्रोन सिस्टम का सुदृढ़ीकरण करना, स्वदेशी विकास को बढ़ावा देना और एआई-संचालित ड्रोन तकनीक में निवेश करना राष्ट्रीय सुरक्षा को बढ़ाने और सैन्य प्रतिस्पर्द्धा को बनाए रखने के लिये महत्त्वपूर्ण है।
दृष्टि मेन्स प्रश्न: प्रश्न: सीमा पार खतरों के निवारण हेतु भारत अपनी ड्रोन-रोधी क्षमताओं का सुदृढ़ीकरण किस कर सकता है? |
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रिलिम्स:प्रश्न. निम्नलिखित गतिविधियों पर विचार कीजिये: (2020)
तकनीक के वर्तमान स्तर पर उपर्युक्त गतिविधियों में से किसे ड्रोन के प्रयोग से सफलतापूर्वक संपन्न किया जा सकता है? (a) केवल 1 और 2 उत्तर: (d) मेन्स:प्रश्न. दुर्गम क्षेत्र एवं कुछ देशों के साथ शत्रुतापूर्ण संबंधों के कारण सीमा प्रबंधन एक कठिन कार्य है। प्रभावशाली सीमा प्रबंधन की चुनौतियों एवं रणनीतियों पर प्रकाश डालिये। (2016) |