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विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी

स्वास्थ्य सेवा में रोबोटिक्स का विकास

  • 21 Jan 2025
  • 19 min read

प्रिलिम्स के लिये:

दक्ष, व्योम मित्र, मानव, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और रोबोटिक्स टेक्नोलॉजी पार्क (ARTPARK), अंतःविषयक साइबर-भौतिक प्रणालियों पर राष्ट्रीय मिशन (NM-ICPS), रोबोटिक्स और स्वायत्त प्रणाली के लिये उन्नत विनिर्माण केंद्र (CAMRAS), SSI मंत्र, ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक्स एक्ट, 1940, एंडोस्कोपिक कोरोनरी धमनी बाईपास (TECAB), मास्टर-स्लेव कंसोल मॉडल, रोबोटिक्स के तीन नियम

मेन्स के लिये:

भारत में टेली-रोबोटिक्स का अनुप्रयोग, माप और विनियमन।

स्रोत; TH

चर्चा में क्यों?

भारत ने देश की पहली स्वदेशी ‘सर्जिकल रोबोटिक सिस्टम’, SSI मंत्रा का उपयोग करके 286 किलोमीटर 286 किलोमीटर की दूरी से दो ‘रोबोटिक कार्डियक सर्जरी’ करके एक महत्त्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की।

  • ये प्रक्रियाएँ रोबोट-सहायता प्राप्त सर्जरी में एक बड़ी सफलता को दर्शाती हैं, जो उन्नत स्वास्थ्य देखभाल के लिये भौगोलिक बाधाओं को कम करती हैं।

SSI मंत्र क्या है?

  • परिचय: SSI मंत्रा भारत की पहली स्वदेशी सर्जिकल रोबोटिक प्रणाली है, जिसे टेलीसर्जरी के लिये विनियामक अनुमोदन प्राप्त हुआ है। इसे SS इनोवेशन द्वारा विकसित किया गया है।
    • इसे केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (CDSCO) द्वारा अनुमोदित किया गया, जो औषधि एवं प्रसाधन सामग्री अधिनियम, 1940 के अंतर्गत केंद्रीय नियामक प्राधिकरण है।
  • प्रमुख विशेषताएँ:
    • निम्न विलंबता: 35-40 मिलीसेकंड की विलंबता पर संचालित होता है, जिससे बिना किसी देरी के निर्बाध दूरस्थ संचालन संभव होता है।
    • उच्च परिशुद्धता सर्जरी: टोटली एंडोस्कोपिक कोरोनरी आर्टरी बाईपास (TECAB) जैसी प्रक्रियाओं के लिये डिज़ाइन किया गया है, जो सबसे जटिल हृदय सर्जरी में से एक है।
    • विनियामक अनुमोदन: टेलीसर्जरी और दूरस्थ शल्य चिकित्सा प्रशिक्षण (Tele-Proctoring) दोनों के लिये प्रमाणित पहली रोबोटिक प्रणाली के रूप में मान्यता प्राप्त है।
  • कार्य प्रणाली: यह मास्टर-स्लेव कंसोल मॉडल पर संचालित होता है, जहाँ: 
    • मास्टर सर्जन कंसोल सर्जरी को दूर से नियंत्रित करता है, जिससे प्रमुख सर्जन को सटीक गतिविधियाँ करने में मदद मिलती है। 
    • जबकि रोगी के पास स्थित स्लेव कंसोल रोबोटिक उपकरणों के माध्यम से आदेशों का निष्पादन करता है, जिससे भौगोलिक दूरी के बावजूद प्रभावी सर्जिकल देखभाल संभव हो पाती है।
  • महत्त्व: सीमित चिकित्सा सुविधाओं वाले वंचित या दूरदराज के क्षेत्रों में विशेषज्ञ शल्य चिकित्सा देखभाल तक पहुँच को सुगम बनाता है ।
    • भौगोलिक बाधाओं को दूर करते हुए यह सुनिश्चित किया जाता है कि दूरस्थ स्थानों पर भी विश्व स्तरीय शल्य चिकित्सा विशेषज्ञता उपलब्ध हो।
    • न्यूनतम आक्रामक तकनीकों के परिणामस्वरूप रिकवरी के समय में तेज़ी आती है, जटिलताएँ और आघात कम होता है तथा समग्र रोगी अनुभव में सुधार होता है।

रोबोट क्या हैं?

  • परिभाषा: रोबोट स्वचालित, स्व-नियंत्रित मशीनें हैं जो न्यूनतम मानवीय हस्तक्षेप के साथ कार्य करने को सक्षम बनती हैं। 
    • यह एक बहुविषयक क्षेत्र है जिसमें पदार्थ विज्ञान, कंप्यूटर विज्ञान, इलेक्ट्रॉनिक्स, यांत्रिकी आदि सम्मिलित हैं।
  • रोबोट के भाग: इसमें अंत-प्रभावक/एंड इफेक्टोर्स (मानव हाथों के समान), मैनिपुलेटर्स (बाहों के समान), एक्चुएटर्स , कंट्रोलर (नियंत्रक) और सेंसर्स शामिल हैं ।
  • रोबोट के प्रकार:
    • गतिशीलता पर आधारित:
      • स्थिर: उदाहरणार्थ, असेंबली रोबोट।
      • मोबाइल/चलित: पहिए या पैर वाले रोबोट (व्हिल्ड एंड लेग्ड रोबोट)।
    • क्षमता-आधारित:
      • प्रकार I: मनुष्यों से बेहतर कार्य करना (जैसे, काटना)।
      • प्रकार II: मानव की सुरक्षा के लिये खतरनाक कार्य करना (जैसे, अंतरिक्ष अन्वेषण)।
  • आकार-आधारित:
    • मैकेनिकल रोबोट: औद्योगिक रोबोट।
    • एनिमल रोबोट्स: रोबो डॉग: AIBO, सोनी द्वारा विकसित।
    • मानव सदृश रोबोट:
      • गाइनोइड रोबोट: महिला जैसी दिखने वाली रोबोट, जैसे सोफिया।
      • एंड्रॉइड रोबोट: पुरुष जैसे दिखने वाले रोबोट।
  • रोबोटिक्स के नियम : आइज़ैक असिमोव के रोबोटिक्स के तीन नियम रोबोट-मानव अंतःक्रियाओं के लिये एक नैतिक ढाँचा तैयार करते हैं।
    • रोबोट द्वारा किसी मनुष्य को नुकसान नहीं पहुँचना चाहिये।
    • रोबोट मानव आदेशों द्वारा संचालित होना चाहिये जब तक कि इसका प्रथम नियम के साथ संघर्ष न होता हो।
    • रोबोट द्वारा अपने अस्तित्व की रक्षा स्वयं करनी चाहिये जब तक कि वह पहले दो नियमों के साथ संघर्षरत न हो।
  • नोट: असिमोव के ज़िरोथ नियम में कहा गया है कि रोबोट व्यक्तिगत हितों से ऊपर मानवता के कल्याण पर केंद्रित होना चाहिये तथा मानवता को नुकसान पहुँचाने से इसे रोकना चाहिए। 
    • ये नैतिक, गैर-बाध्यकारी कानून मानव को नुकसान पहुँचाने वाले सैन्य उद्देश्यों के लिये रोबोटों के उपयोग को हतोत्साहित करते हैं।

रोबोट के विभिन्न अनुप्रयोग क्या हैं?

  • स्वास्थ्य क्षेत्र: रोबोटिक प्रोस्थेटिक्स (जिसमें उन्नत रोबोटिक अंग और बाह्यकंकाल, अपंग व्यक्तियों की गतिशीलता तथा कार्यक्षमता बढ़ाने पर केंद्रित हैं) से जीवन की गुणवत्ता में सुधार होता है।
  • रोबोटिक सर्जरी: इससे तीव्र रिकवरी और उच्च परिशुद्धता मिलती है।
  • चिकित्सा सेवा रोबोट: स्वच्छता, रोगी की निगरानी और टेलीमेडिसिन जैसे कार्यों में रोबोट सहायक होता है।
  • वातावरण को कीटाणुरहित करने के लिये UV-C प्रकाश या हाइड्रोजन पेरोक्साइड वाष्प का उपयोग करने से स्वच्छ वातावरण सुनिश्चित होता है।
  • उद्योग: रोबोट का उपयोग इलेक्ट्रॉनिक्स, ऑटोमोटिव और धातु उद्योगों में व्यापक रूप से किया जाता है तथा चीन इसके उपयोग में अग्रणी है। 
  • भारत में वर्ष 2023 में लगभग 8,500 रोबोट शामिल किये गए जो विगत वर्ष की तुलना में 59% की वृद्धि दर्शाते हैं।
  • रक्षा क्षेत्र: युद्ध में रोबोट या तो स्वायत्त हत्या मशीनों के रूप में कार्य कर सकते हैं (उदाहरण के लिये, इज़रायल का REX मार्क II) या रसद, बारूदी सुरंग का पता लगाने और निगरानी में सैनिकों की सहायता कर सकते हैं।
  • कृषि: कृषि संबंधी रोबोट फसल प्रबंधन तथा परिशुद्ध कृषि जैसे कार्यों में मदद करते हैं। भारत में एग्रीबोट जैसे रोबोट का विकास चल रहा है।
  • आपदा प्रबंधन: रोबोट का उपयोग जटिल कार्यों में किया जा सकता है (उदाहरण के लिये, सीवर की सफाई के लिये बैंडिकूट रोबोट)।
  • अंतरिक्ष क्षेत्र: रोबोटिक प्रणालियाँ अंतरिक्ष मिशनों हेतु अभिन्न अंग हैं, जैसे चंद्रयान-3 पर प्रज्ञान रोवर और नासा का मार्स रोवर।

भारत में रोबोटिक्स की वर्तमान स्थिति क्या है?

  • वर्तमान स्थिति: वर्ष 2016 और 2021 के बीच भारत में औद्योगिक रोबोटों का परिचालन स्टॉक दोगुना हो गया है। विश्व रोबोटिक्स रिपोर्ट 2024 के अनुसार, वार्षिक औद्योगिक रोबोट प्रतिस्थापन के मामले में भारत वैश्विक स्तर पर 7वें स्थान पर है।
    • हालाँकि, कुछ विकसित देशों की तुलना में भारत का रोबोटिक्स पारिस्थितिकी तंत्र धीमी गति से विकसित हुआ है।
  • भारत में निर्मित रोबोट: भारत ने कई उल्लेखनीय रोबोट विकसित किये हैं जैसे
    • दक्ष (रक्षा क्षेत्र): यह स्टेयर क्लिमबिंग और IED से निपटने की क्षमताओं वाला स्वचालित मोबाइल प्लेटफॉर्म है।
    • व्योममित्र (अंतरिक्ष): यह गगनयान मिशन के लिये इसरो का ह्यूमनॉइड रोबोट है।
    • मानव (तकनीकी): यह ध्वनि प्रसंस्करण और इंटरैक्टिव क्षमताओं वाला भारत का पहला 3डी-मुद्रित मानव रोबोट है।
  • सरकारी पहल:
    • राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति, 2017: इसके तहत स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर बनाने में प्रौद्योगिकी की भूमिका को मान्यता देने के साथ रोबोटिक्स और अन्य उन्नत समाधानों पर बल दिया गया है।
    • रोबोटिक्स पर राष्ट्रीय रणनीति का मसौदा (2023): इसका उद्देश्य स्वास्थ्य सेवा एवं अन्य क्षेत्रों में रोबोटिक्स के विकास को बढ़ावा देने के लिये रोबोटिक्स इनोवेशन यूनिट (RIU) की स्थापना करना है। भारत सरकार ने रोबोटिक्स विकास को बढ़ावा देने के लिये कई शोध केंद्र स्थापित किये हैं:
    • आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और रोबोटिक्स टेक्नोलॉजी पार्क (ARTPARK) और राष्ट्रीय अंतःविषय साइबर-भौतिक प्रणाली मिशन (NM-ICPS) के तहत AI और रोबोटिक्स का लाभ उठाने पर बल दिया गया है।
    • रोबोटिक्स एवं स्वायत्त प्रणालियों के लिये उन्नत विनिर्माण केंद्र (CAMRAS) का उद्देश्य आयातित रोबोटिक्स प्रणालियों पर भारत की निर्भरता को कम करना है।
    • IIT दिल्ली में I-HUB फाउंडेशन फॉर कोबोटिक्स (IHFC) के तहत स्वास्थ्य सेवा, मेडिकल सिमुलेटर और ड्रोन अनुप्रयोगों से संबंधित विभिन्न परियोजनाएँ शुरू की गई हैं।
  • इसरो और रोबोटिक्स: भारत की अंतरिक्ष एजेंसी इसरो, भविष्य के मानव मिशनों के लिये मानव जैसे रोबोट विकसित कर रही है। व्योममित्र नामक महिला रोबोट अंतरिक्ष यात्री को वर्ष 2024 के भारत के गगनयान प्रोजेक्ट के तहत शामिल किया गया।

स्वास्थ्य सेवा में रोबोटिक्स को अपनाने में क्या चुनौतियाँ हैं?

  • उच्च प्रारंभिक लागत: कई स्वास्थ्य देखभाल सुविधाएँ, विशेषकर सीमित संसाधनों वाली सुविधाएँ, SSI मंत्रा जैसे रोबोटिक प्रणालियों की खरीद और रखरखाव की उच्च लागत के कारण वित्तीय समस्याओं का सामना करती हैं। 
    • उच्च आरंभिक लागत, साथ ही निरंतर रखरखाव और उपभोग्य सामग्रियों के कारण छोटे या ग्रामीण अस्पतालों के लिये इसे अपनाना कठिन हो जाता है, जिससे स्वास्थ्य देखभाल में असमानताएँ बढ़ जाती हैं।
  • प्रशिक्षण और कौशल अंतराल: रोबोटिक सर्जरी सिस्टम को संचालित करने के लिये सर्जनों और मेडिकल स्टाफ के लिये विशेष प्रशिक्षण की आवश्यकता होती है। रोबोटिक सिस्टम के लिये सेटअप समय दुर्घटनाओं जैसे आपातकालीन मामलों में चुनौतियाँ उत्पन्न करता है।
    • तीव्र सीखने की प्रक्रिया तथा प्रशिक्षित पेशेवरों की वैश्विक कमी के कारण, विशेष रूप से विकासशील देशों में, इसे अपनाने में देरी हो रही है।
  • नैतिक चिंताएँ: टेलीसर्जरी से जवाबदेही और रोगी सुरक्षा संबंधी चिंताएँ उत्पन्न होती हैं, क्योंकि त्रुटियों के कारण सर्जन, संस्थान या सिस्टम प्रदाता के बीच ज़िम्मेदारी धुंधली हो सकती है, जबकि कनेक्टिविटी विफलता जैसे तकनीकी मुद्दे परिणामों और विश्वास से समझौता कर सकते हैं।
  • रोगी विश्वास: रोगी दूरस्थ सर्जरी पर भरोसा करने में झिझक सकते हैं, क्योंकि उन्हें डर होता है कि कमरे में सर्जन की अनुपस्थिति से उनकी सुरक्षा को खतरा हो सकता है। 

  • रोज़गार हानि: स्वचालन के कारण रोज़गार की हानि होती है, विशेष रूप से विनिर्माण क्षेत्र में, अनुमान है कि स्वचालन के कारण 300 मिलियन रोज़गार खत्म हो सकते हैं।
  • साइबर सुरक्षा जोखिम: बढ़ी हुई कनेक्टिविटी से रोबोट साइबर हमलों के प्रति संवेदनशील हो जाते हैं, जैसा कि वर्ष 2017 के वानाक्राई (WannaCry) रैनसमवेयर हमले में देखा गया था।

आगे की राह

  • लागत प्रभावी रोबोटिक्स: सरकारी सहायता, सब्सिडी और निजी क्षेत्रों के साथ सहयोग तथा लागत प्रभावी रोबोटिक्स समाधानों में नवाचार इन प्रणालियों को अधिक किफायती बना सकते हैं।
    • अस्पताल समय के साथ लागत वितरित करने के लिये पट्टे के विकल्प या वित्तपोषण योजनाओं पर विचार कर सकते हैं।
  • अंतराल को कम करना: मेडिकल स्कूलों और प्रशिक्षण केंद्रों को रोबोटिक सर्जरी प्रशिक्षण को अपने पाठ्यक्रम में शामिल करना चाहिये और ऑनलाइन प्लेटफॉर्म और वर्चुअल प्रशिक्षण का उपयोग करके विशेष शिक्षा तक वैश्विक पहुँच प्रदान की जा सकती है।
  • नैतिक चिंताओं का प्रबंधन: टेलीसर्जरी में जवाबदेही को परिभाषित करने के लिये स्पष्ट रूपरेखा और विनियमन स्थापित किये जाने की आवश्यकता है, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि सभी हितधारक (सर्जन, अस्पताल, सिस्टम प्रदाता) ज़िम्मेदारियों को साझा करें।
    • तकनीकी विफलताओं के प्रभाव को न्यूनतम करने तथा दूरस्थ सर्जरी के दौरान निरंतर रोगी सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिये बैकअप सिस्टम और फेल-सेफ विकसित करना।
  • नौकरी के नुकसान को कम करना: कौशल उन्नयन और पुनर्कौशल कार्यक्रम तथा मानव-रोबोट सहयोग मॉडल को बढ़ावा देना, जहाँ रोबोट दोहराए जाने वाले कार्यों को संभालते हैं, जबकि मनुष्य निर्णय लेने और रोगी की देखभाल पर ध्यान केंद्रित करते हैं।
  • साइबर सुरक्षा जोखिमों का समाधान: एन्क्रिप्शन, बहु-कारक प्रमाणीकरण, नियमित सॉफ्टवेयर अपडेट और स्वास्थ्य देखभाल संस्थानों और साइबर सुरक्षा विशेषज्ञों के बीच सहयोग से रोबोट और चिकित्सा डेटा को संभावित साइबर खतरों से सुरक्षित रखने में मदद मिलेगी।
    • स्वास्थ्य सेवा में रोबोटिक प्रणालियों के लिये मानकीकृत साइबर सुरक्षा ढाँचे का विकास करने से जोखिमों को कम करने और प्रणाली की विश्वसनीयता बढ़ाने में मदद मिल सकती है।

दृष्टि मेन्स प्रश्न: 

प्रश्न: भारत ने अत्याधुनिक रोबोटिक्स तकनीक विकसित करने में महत्त्वपूर्ण प्रगति की है, लेकिन उसे कई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। रोबोटिक्स क्षेत्र में इस अंतर के मुख्य कारण क्या हैं, उपाय सुझाइये। 

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रिलिम्स: 

प्रश्न. अटल इनोवेशन मिशन किस के अंतर्गत स्थापित किया गया है? (2019)

(a) विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग
(b) श्रम और रोज़गार मंत्रालय
(c) नीति आयोग
(d) कौशल विकास और उद्यमिता मंत्रालय

उत्तर: C 


मेन्स: 

प्रश्न. COVID-19 महामारी ने दुनिया भर में अभूतपूर्व तबाही मचाई है। हालाँकि संकट पर जीत हासिल करने के लिये तकनीकी प्रगति का आसानी से लाभ उठाया जा रहा है। महामारी के प्रबंधन में प्रौद्योगिकी ने किस प्रकार सहायता की? विस्तृत विवरण दें। (वर्ष 2020)

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