नोएडा शाखा पर IAS GS फाउंडेशन का नया बैच 16 जनवरी से शुरू :   अभी कॉल करें
ध्यान दें:



डेली अपडेट्स

अंतर्राष्ट्रीय संबंध

सीरियाई गृहयुद्ध और सीरिया का भविष्य

  • 10 Dec 2024
  • 18 min read

प्रिलिम्स के लिये:

इस्लामिक उग्रवादी समूहहयात तहरीर अल-शाम, अरब स्प्रिंग, हिज़्बुल्लाह, इस्लामिक स्टेट ऑफ ईराक एंड सीरियातालिबान, संयुक्त राष्ट्र, प्रॉक्सी युद्ध, इस्लामिक सहयोग संगठन

मेन्स के लिये:

सीरियाई संघर्ष के बीच भारत के रणनीतिक हित, बहुपक्षवाद में आतंकवादी समूहों का उदय, भारत से जुड़े और/या भारत के हितों को प्रभावित करने वाले समूह और समझौते

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस 

चर्चा में क्यों? 

हाल ही में इस्लामी आतंकवादी समूह हयात तहरीर अल-शाम (HTS) के नेतृत्व में सीरियाई विद्रोहियों ने सीरिया के तीसरे सबसे बड़े शहर होम्स पर नियंत्रण का दावा किया है, जो राष्ट्रपति बशर अल-असद के शासन के लिये एक बड़ा झटका है। 

  • चल रहे गृहयुद्ध के बीच इस घटनाक्रम ने सीरिया के भविष्य को लेकर चिंताएँ बढ़ा दी हैं, क्योंकि उसे विद्रोही गुटों से बढ़ती चुनौती का सामना करना पड़ रहा है।

सीरियाई गृहयुद्ध को आकार देने वाले प्रमुख कारक क्या हैं?

  • सीरिया और गृहयुद्ध:
    • ऐतिहासिक संदर्भ: वर्ष 1971 से सीरिया पर असद परिवार का शासन रहा है, जिसमें हाफिज़ अल-असद वर्ष 2000 में अपनी मृत्यु तक सत्तावादी नेता के रूप में कार्यरत रहे। 
      • उनके बेटे बशर अल-असद ने उनका स्थान लिया और सत्ता पर परिवार की पकड़ जारी रखी।
    • अरब स्प्रिंग विद्रोह: वर्ष 2011 में अरब स्प्रिंग की लहर के बीच, असद के शासन के विरुद्ध विरोध प्रदर्शन आरंभ हो गए। 
      • अरब स्प्रिंग, लोकतंत्र समर्थक विरोधों और विद्रोहों की लहर है, जो वर्ष 2010 और वर्ष 2011 में मध्यपूर्व और उत्तरी अफ्रीका में आरंभ हुई, जिसने क्षेत्र के कुछ स्थापित सत्तावादी शासनों को चुनौती दी। 
      • शिकायतें अनेक थीं, जिसमें बढ़ती बेरोज़गारी, आर्थिक असमानता और भ्रष्टाचार शामिल थे। 
      • अलावी अल्पसंख्यक (सीरिया में एक अल्पसंख्यक मुस्लिम संप्रदाय) के प्रभुत्व वाली असद सरकार पर सुन्नी बहुसंख्यकों को हाशिये पर रखने का आरोप लगाया गया था।
    • गृहयुद्ध में वृद्धि: अरब स्प्रिंग की शुरुआत शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शनों के हिंसक दमन के साथ हुई, जिसके परिणामस्वरूप सशस्त्र संघर्ष हुआ। 
      • यहाँ विदेशी ताकतों के समर्थन से कई विद्रोही गुट उभरे, जिनका लक्ष्य असद को सत्ता से हटाना था। अंततः सीरिया में असद के शासन का पतन हो गया।
  • विद्रोही गुटों का उदय:
    • हयात तहरीर अल-शाम: दमिश्क, अलेप्पो, होम्स और हमा समेत सीरिया के अधिकांश हिस्सों पर कब्ज़ा करने और नियंत्रण करने के लिये ज़िम्मेदार प्राथमिक समूह हयात तहरीर अल-शाम (HTS) है, जो मूल रूप से सीरिया में अल-कायदा की शाखा है।
      • इस समूह का लक्ष्य सुन्नी-इस्लामी शासन स्थापित करना है, यह असद का प्रमुख विरोधी रहा है।
    • सीरियन डेमोक्रेटिक फोर्सेज (SDF): कुर्द (ईरानी जातीय समूह) के नेतृत्व वाली मिलिशिया, SDF मुख्य रूप से सीरिया की कुर्द आबादी के लिये स्वायत्तता और अधिकारों को सुरक्षित करने पर केंद्रित है। 
      • यद्यपि वे असद के प्रत्यक्ष शत्रु नहीं हैं, फिर भी वे व्यापक विपक्षी ताकतों का हिस्सा हैं।
    • फ्री सीरियन आर्मी (FSA): तुर्किये द्वारा समर्थित यह गुट मुख्य रूप से कुर्द अलगाववाद की चिंताओं के कारण असद शासन और कुर्द बलों दोनों का विरोध करता है।
  • विदेशी प्रभाव
    • रूस और ईरान: ये देश असद के प्राथमिक सहयोगी रहे हैं, जो उसे सैन्य सहायता और रणनीतिक समर्थन प्रदान करते रहे हैं।
    • अमेरिका और तुर्किये: दोनों ने असद विरोधी गुटों का समर्थन किया है, लेकिन तुर्किये की मुख्य चिंता सीरिया के भीतर कुर्द का प्रभाव है।
    • इजराइल: फिलिस्तीन के प्रति सीरिया के ऐतिहासिक समर्थन को देखते हुए, इजराइल ने असद की सेनाओं के खिलाफ हमले किये हैं, जिससे भू-राजनीतिक गतिशीलता और अधिक जटिल हो गई है।
  • असद शासन का पतन: बशर अल-असद का शासन रूस, ईरान और हिजबुल्लाह जैसे प्रमुख सहयोगियों से बाहरी समर्थन पर बहुत अधिक निर्भर था। हालाँकि, समय के साथ, भू-राजनीतिक गतिशीलता में बदलाव के कारण ये गठबंधन कमज़ोर हो गए। 
    • वर्ष 2023 में इजरायल-हमास संघर्ष के दौरान सीरिया में इजरायल के हवाई हमलों ने असद की सैन्य ताकत को कमज़ोर कर दिया। रूस ने अपना ध्यान यूक्रेन में युद्ध पर केंद्रित कर लिया तथा ईरान ने सीरिया में महत्त्वपूर्ण सैन्यकर्मियों को खोने के बाद इसमें अपनी भागीदारी कम कर दी।

हयात तहरीर अल-शाम 

  • हयात तहरीर अल-शाम (Hayat Tahrir al-Sham- HTS)  की स्थापना वर्ष 2011 में सीरिया में अल-कायदा की शाखा, जबात अल-नुसरा के रूप में हुई थी। वर्ष 2016 में यह अलग होकर जबात फ़तेह अल-शाम (Jabhat Fateh al-Shaam- JFS) बन गया, जिसका उद्देश्य शाम या लेवेंट (मध्य पूर्व का उप-क्षेत्र जो भूमध्य सागर के पास स्थित है, जिसमें जॉर्डन, सीरिया, लेबनान, इज़राइल और फिलिस्तीन शामिल हैं) की मुक्ति है।
  • वर्ष 2017 तक कई अन्य समूहों के साथ विलय के बाद JFS, HTS बन गया।

सीरिया के प्रति भारत का दृष्टिकोण क्या है?

  • ऐतिहासिक संबंध: भारत ने साझा ऐतिहासिक और सभ्यतागत संबंधों के आधार पर बशर अल-असद के सीरिया के साथ लंबे समय से मैत्रीपूर्ण संबंध बनाए रखे हैं। 
    • ऐतिहासिक रूप से सीरिया नेहरू-समर्थित गुटनिरपेक्ष आंदोलन (Non-Aligned Movement- NAM) का एक महत्त्वपूर्ण सदस्य रहा है।
    • सीरिया और मध्य-पूर्व के प्रमुख देशों के साथ भारत के स्थिर संबंध मुस्लिम बहुल देशों में पाकिस्तान द्वारा किएय जाने वाले दुष्प्रचार का मुकाबला करने के लिये महत्त्वपूर्ण हैं।
  • हालिया सामरिक सहभागिता: मुस्लिम बहुल देश सीरिया ने कश्मीर मुद्दे पर भारत के रुख का लगातार समर्थन किया है, जबकि इस्लामिक सहयोग संगठन (OIC) के कई अन्य देश, विशेषकर पाकिस्तान, प्रायः इसका विरोध करते हैं।
    • भारत ने तिशरीन विद्युत संयंत्र और हामा लौह एवं इस्पात संयंत्र जैसी परियोजनाओं में निवेश किया है।
    • भारत ने ऑपरेशन दोस्त के तहत फरवरी 2023 में जनित भूकंप के बाद सीरिया को मानवीय सहायता प्रदान की थी।
    • 2024 के अंत में, भारत द्विपक्षीय संबंधों को सुदृढ़ करते हुए भारत-सीरिया विदेश कार्यालय परामर्श के छठे दौर की मेज़बानी करेगा।
  • संकट के बीच अवधान: भारत ने सीरिया की एकता, संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता को बनाए रखने की आवश्यकता पर बल देते हुए एक शांतिपूर्ण, समावेशी, सीरियाई नेतृत्व वाली राजनीतिक प्रक्रम के अनुसरण का आह्वान किया है।
    • इसके साथ ही भारत ने चल रहे संघर्ष में अलावी, ड्रूज़, कुर्द और ईसाइयों सहित अल्पसंख्यकों की सुरक्षा पर भी चिंता व्यक्त की है।
    • भारतीय विदेश मंत्रालय ने सीरिया में भारतीयों के लिये चेतावनी जारी की है तथा यथसंभव उन्हें वापसी करने का की सलाह दी है, क्योंकि राजधानी में स्थिति गंभीर होती जा रही है।
  • भारत-सीरिया संबंधों का भविष्य: क्षेत्रीय मिलिशिया के साथ तुर्किये का सहयोग सीरिया के साथ भारत के संबंधों को प्रभावित कर सकता है। इसके अतिरिक्त, पाकिस्तान के साथ उसके घनिष्ठ संबंध और कश्मीर के मामलों पर भारत के प्रति तुर्किये का विरोध उनके संबंधों को और जटिल बनाता है।
    • सीरिया में असद के पश्चातवर्ती परिवर्तन के लिये अमेरिका का समर्थन तथा भारत के साथ उसकी घनिष्ठ रणनीतिक सहभागिता, सीरिया-भारत संबंधों पर सकारात्मक प्रभाव डाल सकती है।
    • इस बीच, असद का प्रमुख सहयोगी ईरान, भारत के साथ सुदृढ़ संबंध बनाए हुए है, विशेष रूप से आर्थिक और सामरिक सहयोग के क्षेत्रों में। 
    • सीरिया के आंतरिक मामलों पर भारत का तटस्थ रुख कूटनीतिक स्थिति स्थापकता सुनिश्चित कर सकता है, इससे उसे भविष्य की किसी भी सरकार के साथ सकारात्मक सहभागिता करने और साझा हितों और क्षेत्रीय स्थिरता पर आधारित संबंध विकसित करने की अनुमति मिलेगी।

सीरियाई विद्रोह के निहितार्थ क्या हैं?

  • सीरिया और मध्य पूर्व पर प्रभाव:
    • हयात तहरीर अल शाम (HTS) का प्रभाव: अल्पसंख्यकों के प्रति समावेशिता के HTS के दावों के बावजूद, इसका हिंसक इतिहास और कट्टरपंथी विचारधारा यह चिंता जनित करती है कि सीरिया का भविष्य तालिबान शासित अफगानिस्तान के समान हो सकता है।
      • सीरिया की जातीय और सांप्रदायिक विविधता, जिसमें सुन्नी अरब, अलावाइट्स, कुर्द, शिया और ईसाई शामिल हैं, देश को एक शासन मॉडल के तहत एकीकृत करने के प्रयासों को जटिल बनाती है।
      • यदि HTS इस्लामिक स्टेट ऑफ इराक एंड सीरिया (ISIS) की भाँति कट्टरपंथी मार्ग अपनाता है, तो इससे उग्रवाद की एक नई शक्ति अस्तित्व में आ सकती है।
    • क्षेत्रीय अस्थिरता: पड़ोसी देशों को प्रभावित करते हुए तथा क्षेत्रीय तनाव को बढ़ाते हुए इस विद्रोह से मध्य पूर्व की स्थिति अस्थिर हुई है। 
      • विभिन्न अंतर्राष्ट्रीय अभिकर्त्ताओं की संलिप्तता से सीरिया छद्म युद्धों का युद्धक्षेत्र बन गया है।
      • सीरिया में विद्रोह से, विशेष रूप से तुर्किये-सीरियाई सीमा पर निवास करने वाला कुर्द वर्ग प्रभावित हुआ है 
        • तुर्किये द्वारा कुर्द समूहों को सुरक्षा हेतु खतरा माना जाता है तथा अस्थिरता के कारण विस्थापन एवं संघर्ष बढ़ने से इस क्षेत्र में और भी अधिक असंतुलन हो सकता है।
  • वैश्विक प्रभाव: 
    • मानवीय संकट: इस संघर्ष के कारण लाखों सीरियाई लोग विस्थापित होने से आधुनिक इतिहास में सबसे बड़ा शरणार्थी संकट उत्पन्न हुआ है। 
      • संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट के अनुसार लगभग 5.5 मिलियन सीरियाई शरणार्थी मुख्य रूप से तुर्किये, लेबनान, जॉर्डन और यूरोप में रहते हैं।
    • आतंकवाद और उग्रवाद: सीरिया में अराजकता से ISIS जैसे चरमपंथी समूहों को प्रभाव बढ़ाने का अवसर मिलने से वैश्विक सुरक्षा के समक्ष खतरा उत्पन्न हुआ है।
    • आर्थिक प्रभाव: इस संघर्ष से इस क्षेत्र में व्यापार मार्गों के साथ आर्थिक गतिविधियाँ बाधित हुई हैं। इससे वैश्विक स्तर पर तेल की कीमतों पर भी प्रभाव (क्योंकि मध्य पूर्व में अस्थिरता अक्सर ऊर्जा बाज़ार में उतार-चढ़ाव का कारण बनती है) पड़ा है।
      • सीरिया में अस्थिरता से खाड़ी क्षेत्र (जो भारत की ऊर्जा सुरक्षा और व्यापार के लिये महत्वपूर्ण है) प्रभावित हो सकता है।
    • मानवाधिकार उल्लंघन: इस युद्ध में व्यापक स्तर पर मानवाधिकारों का उल्लंघन (जिसमें रासायनिक हथियारों का उपयोग, नागरिकों को निशाना बनाना तथा बुनियादी ढाँचे को नष्ट करना शामिल है) देखा गया है। 

निष्कर्ष

असद शासन का पतन सीरियाई गृहयुद्ध का प्रमुख आयाम है लेकिन यहाँ पर शांति अभी भी अनिश्चित बनी हुई है। HTS के सत्ता में आने के साथ ही सीरिया का भविष्य विदेशी प्रभाव एवं आंतरिक विभाजन सहित विभिन्न चुनौतियों के प्रति संवेदनशील है। भारत को अपने नागरिकों एवं हितों की सुरक्षा करते हुए सीरिया के साथ अपने ऐतिहासिक संबंधों को सावधानीपूर्वक संतुलित करना चाहिये।

दृष्टि मुख्य परीक्षा प्रश्न:

प्रश्न: सीरियाई संघर्ष के निहितार्थ एवं भारत के सामरिक हितों पर इसके संभावित प्रभावों पर चर्चा कीजिये।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रिलिम्स:

प्रश्न. निम्नलिखित युग्मों पर विचार कीजिये: (2018)  

कभी-कभी समाचारों में चर्चित शहर:       देश 

  1. अलेप्पो                                      सीरिया
  2.  किरकुक                                     यमन 
  3.  मोसुल                                        फिलिस्तीन
  4.  मज़ार-ए-शरीफ                             अफगानिस्तान

उपर्युक्त युग्मों में से कौन-से सही सुमेलित हैं?

(a) केवल 1 और 2 
(b) केवल 1 और 4
(c) केवल 2 और 3 
(d) केवल 3 और 4 

उत्तर: (b)  


प्रश्न. दक्षिण-पश्चिम एशिया का निम्नलिखित में से कौन-सा एक देश भूमध्य सागर तक नहीं फैला है? (2015) 

(a) सीरिया
(b) जॉर्डन
(c) लेबनान
(d) इज़रायल

उत्तर: (b) 


प्रश्न.'गोलन हाइट्स' के नाम में जाना जाने वाला क्षेत्र निम्नलिखित में से किससे संबंधित घटनाओं के संदर्भ में यदा-कदा समाचारों में दिखाई देता है?(2015)

(a) मध्य एशिया
(b) मध्य-पूर्व
(c) दक्षिण-पूर्व एशिया
(d) मध्य अफ्रीका

उत्तर: (b)  


प्रश्न. योम किप्पुर युद्ध किन पक्षों/देशों के बीच लड़ा गया था? (2008) 

(a) तुर्किये और ग्रीस
(b) सर्ब और क्रोट्स
(c) मिस्र और सीरिया के नेतृत्त्व में इज़रायल और अरब देश
(d) ईरान और इराक 

उत्तर: (c)

close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2