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अंतर्राष्ट्रीय संबंध

मध्य पूर्व में आतंकवादी समूह

  • 15 Oct 2024
  • 15 min read

प्रारंभिक परीक्षा के लिये:

हिज़बुल्लाह, मध्य पूर्व, ईरान-इराक युद्ध, इस्लामिक स्टेट ऑफ इराक एंड द लेवेंट (ISIL), कुर्द।

मुख्य परीक्षा के लिये:

मध्य पूर्व में उग्रवादी समूह, इन समूहों के संदर्भ में भारत का दृष्टिकोण, प्रमुख मध्य पूर्वी देशों के प्रति भारत की विदेश नीति।

स्रोत: डेक्कन हेराल्ड

चर्चा में क्यों?

हाल ही में इज़रायल ने मध्य पूर्व के आतंकवादी समूहों में से एक, हिज़बुल्लाह पर हमला किया। इस हमले से मध्य पूर्व के कई आतंकवादी समूह चर्चा का विषय बन गए हैं।

मध्य पूर्व के विभिन्न आतंकवादी समूह कौन-कौन से हैं?

हिज़बुल्लाह

  • परिचय:
    • यह लेबनान में स्थित एक शिया मुस्लिम राजनीतिक पार्टी एवं आतंकवादी संगठन है जिसे “राज्य के अंदर एक राज्य” संचालित करने के लिये जाना जाता है। इसकी अर्द्ध-सैनिक शाखा (जिहाद काउंसिल) द्वारा लेबनान में सबसे शक्तिशाली सशस्त्र बल का संचालन किया जाता है।
    • हिज़बुल्लाह का इस्लामिक जिहाद संगठन (IZO), जिसे बाह्य सुरक्षा संगठन या यूनिट 910 भी कहा जाता है, एक अत्यधिक विभाजित इकाई है जो विदेशों में आतंकवादी कार्रवाइयों (विशेष रूप से पश्चिमी लक्ष्यों के विरुद्ध) के संचालन के लिये ज़िम्मेदार है।
    • इज़रायल और संयुक्त राज्य अमेरिका को हिज़्बुल्लाह अपना प्रमुख शत्रु मानता है।

Terror Groups linked with Iran

  • उद्देश्य: 
    • अपनी स्थापना के समय से ही इसका उद्देश्य इज़रायल को ख़त्म करना रहा है।
    • हिज़्बुल्लाह के पास राज्य जैसी सैन्य क्षमताएँ हैं जिनमें वायु रक्षा प्रणाली, मिसाइल, निर्देशित मिसाइल, रॉकेट और मानव रहित विमान प्रणाली शामिल हैं।
    • यह समूह ईरान के साथ अपनी रणनीतिक साझेदारी को बनाए रखने, सीरियाई शासन का समर्थन करने तथा लेबनान के भीतर अपनी शक्ति को मज़बूत करने पर केंद्रित है। इसके साथ ही यह इज़रायल के हितों का विरोध कर रहा है तथा मध्य पूर्व से अमेरिकी सेनाओं को बाहर निकालने का प्रयास कर रहा है।
  • प्रभाव क्षेत्र:
    • इसका प्रभाव पूरे लेबनान में है।
    • यह इराक, सीरिया और यमन में शिया आतंकवादियों को प्रशिक्षण और अन्य सैन्य सहायता प्रदान करने के लिये ईरानी अधिकारियों के साथ कार्य करता है।

Hizballah territory of Influence

  • संयुक्त राष्ट्र का रुख:
    • हिज़बुल्लाह को संयुक्त राष्ट्र एक आतंकवादी संगठन मानता है तथा इसकी सैन्य क्षमताओं के साथ क्षेत्रीय संघर्षों तथा वैश्विक आतंकवाद में संलिप्तता के कारण इसे एक बड़ा खतरा मानता है।

बद्र संगठन

  • परिचय: 
    • यह एक इराकी शिया इस्लामवादी और खोमेनीवादी राजनीतिक दल और अर्द्धसैनिक समूह है।
    • मूल रूप से बद्र ब्रिगेड या बद्र कोर के नाम से जाना जाने वाला यह संगठन वर्ष 1982 में इराक में इस्लामी क्रांति के लिये सर्वोच्च परिषद (SCIRI) की सैन्य शाखा के रूप में निर्मित किया गया था, जो ईरान स्थित एक शिया इस्लामी पार्टी थी।
  • उद्देश्य:
    • बद्र ब्रिगेड की स्थापना ईरानी खुफिया एजेंसी और शिया धर्मगुरु मोहम्मद बाकिर अल-हकीम के सहयोग से की गई थी, जिसका मुख्य उद्देश्य ईरान-इराक युद्ध के दौरान सद्दाम हुसैन के बाथिस्ट शासन का विरोध करना था।
    • वर्ष 2003 में इराक पर अमेरिका के नेतृत्व में आक्रमण के पश्चात्, बद्र ब्रिगेड के लड़ाकों का एक बड़ा हिस्सा इराकी सेना और पुलिस बलों में शामिल हो गया, और इराक के सुरक्षा तंत्र का एक अभिन्न अंग बन गया।
    • बद्र संगठन को वर्ष 2014 में पॉपुलर मोबिलाइजेशन फोर्सेज (PMF) के एक भाग के रूप में इस्लामिक स्टेट ऑफ इराक एंड द लेवेंट (ISIL) से लड़ने में सक्रिय भागीदारी के कारण पुनः प्रसिद्धि मिली।
    • इराक के अर्द्धसैनिक ढाँचे के भीतर इसकी भूमिका महत्त्वपूर्ण रही है, जिसने राष्ट्रीय सुरक्षा में योगदान दिया है, विशेष रूप से PMF के साथ अपने सहयोग के माध्यम से, जो इराकी सरकार की निगरानी में कार्य करता है।
  • प्रभाव क्षेत्र:
    • बगदाद और दक्षिणी इराक।
  • संयुक्त राष्ट्र का रुख:
    • संयुक्त राष्ट्र बद्र संगठन को उसके ईरान से संबंधों, सांप्रदायिक हिंसा तथा इराक के शासन और क्षेत्रीय स्थिरता पर नकारात्मक प्रभाव के कारण अस्थिरता उत्पन्न करने वाला संगठन मानता है।

इस्लामिक स्टेट ऑफ इराक एंड ऐश-शाम (ISIS)

  • परिचय: 
    • ISIS एक सलाफी-जिहादी समूह है, जो विश्व भर में विभिन्न आतंकवादी हमलों के लिये ज़िम्मेदार है, जिसके परिणामस्वरूप हज़ारों लोग मारे गए और घायल हुए हैं।
    • वर्ष 2004 में अबू मुसाब अल-जरकावी के नेतृत्व में एक इराकी चरमपंथी नेटवर्क ने अल-कायदा के साथ विलय कर इराक में अल-कायदा (AQI) का गठन किया, जिसका नेतृत्व जरकावी ने वर्ष 2006 में अपनी मृत्यु तक किया।
    • वर्ष 2010 में अबू बक्र अल-बगदादी ने इस समूह पर कब्ज़ा कर लिया और वर्ष 2011 तक पूर्वी सीरिया में इसके संचालन का विस्तार कर दिया।
    • वर्ष 2013 में AQI ने अपना नाम बदलकर ISIS कर लिया, और वर्ष 2014 में, इस समूह ने अल-कायदा से संबंध तोड़ लिये, तथा स्वयं को खिलाफत घोषित कर दिया तथा इराक और सीरिया में महत्त्वपूर्ण क्षेत्रों पर कब्ज़ा कर लिया।
    • वर्ष 2019 में एक अंतर्राष्ट्रीय गठबंधन ने सीरिया में अपने अंतिम गढ़ से ISIS को खदेड़ दिया, हालाँकि यह समूह सीरिया और इराक दोनों में गुप्त रूप से काम करना जारी रखता है।
  • उद्देश्य:
    • ISIS विभिन्न प्रकार की रणनीति अपनाता है, जिसमें इराक और सीरिया में लक्षित हत्याएँ, IED हमले, घात लगाकर हमला, सैन्य शैली के हमले, अपहरण और आत्मघाती बम विस्फोट शामिल हैं।
    • यह समूह विश्व भर में अपने अनुयायियों को आसानी से उपलब्ध हथियारों का उपयोग करके अपने देशों में अभियान चलाने के लिये प्रोत्साहित करता है।
    • यह संगठन मुख्य रूप से इराक और सीरिया में सैन्य बलों और नागरिक रक्षा समूहों को निशाना बनाता है।
    • ISIS प्रायः सरकारी कर्मियों और बुनियादी ढाँचे पर हमला करता है, साथ ही विदेशी सहायता कर्मियों और नागरिकों पर भी हमला करता है, जिनके बारे में माना जाता है कि वे इसकी विचारधारा या इस्लामी कानून की व्याख्या का विरोध कर रहे हैं।
  • प्रभाव क्षेत्र: 
    • मुख्यतः उत्तरी और पूर्वी सीरिया तथा उत्तरी इराक

ISIS territory of Influence

  • संयुक्त राष्ट्र का रुख:
    • संयुक्त राष्ट्र ने ISIS को एक आतंकवादी संगठन और वैश्विक खतरा करार दिया है तथा इसकी क्रूर हिंसा और बड़ी संख्या में हुई मौतों की निंदा की है।
  • भारत का रुख:
    • भारत ISIS और उससे संबद्ध संगठनों की कड़ी निंदा करता है और उन पर प्रतिबंध लगाता है। 

बोको हरम

  • परिचय:
    • बोको हरम पश्चिमी प्रभाव को समाप्त करने तथा अपने कार्यक्षेत्र में सलाफी-इस्लामवादी राज्य की स्थापना करना चाहता है।
    • वर्ष 2002 में अपनी स्थापना के पश्चात् से बोको हरम अनुमानतः 50,000 मौतों और 2.5 मिलियन से अधिक लोगों के विस्थापन के लिये ज़िम्मेदार रहा है।
    • यह समूह पहले अल-कायदा और ISIS से संबद्ध था, लेकिन वर्तमान में दोनों से स्वतंत्र रूप से कार्य करता है।
    • वर्ष 2021 के पश्चात् विभिन्न सदस्य ISIS- पश्चिम अफ्रीका में चले गए या स्थानीय अधिकारियों के सामने आत्मसमर्पण कर दिया।
  • उद्देश्य:
    • बोको हरम प्रायः नागरिकों और क्षेत्रीय सुरक्षा बलों के विरुद्ध हमले करने के लिये छोटे हथियारों का इस्तेमाल करता है।
    • यह समूह फिरौती प्राप्त करने और चिकित्सा सेवाओं तक पहुँच प्राप्त करने के लिये अपहरण करता है।
    • इसने महिलाओं और बच्चों समेत अप्रशिक्षित अपहरण पीड़ितों को आत्मघाती हमलावरों के रूप में इस्तेमाल किया है।
  • प्रभाव क्षेत्र:
    • पूर्वोत्तर नाइज़ीरिया और दक्षिण-पूर्व नाइज़र के अतिरिक्त कैमरून और चाड में भी परिचालन करता है।
  • संयुक्त राष्ट्र का रुख:
    • बोको हरम को संयुक्त राष्ट्र द्वारा आतंकवादी संगठन के रूप में मान्यता दी गई है। 

कुर्दिस्तान वर्कर्स पार्टी (PKK)

  • परिचय: 
    • कुर्दिस्तान वर्कर्स पार्टी (PKK), जिसे कोंगरा-गेल के नाम से भी जाना जाता है, एक उग्रवादी मार्क्सवादी-लेनिनवादी कुर्द अलगाववादी संगठन है जिसकी स्थापना वर्ष 1978 में एकीकृत, स्वतंत्र कुर्दिस्तान की स्थापना के उद्देश्य से की गई थी।
    • PKK कुर्द अधिकारों और मान्यता को बढ़ावा देने के लिये ईरान, इराक, सीरिया और तुर्की में कुर्द क्षेत्रों पर नियंत्रण करना चाहता है।
      • समूह का उद्देश्य अर्द्ध स्वायत्त कुर्द क्षेत्रों का एक संघ बनाना है।
    • ऐतिहासिक रूप से PKK ने अपना मुख्यालय इराक में स्थापित किया है तथा मुख्य रूप से तुर्की के कुर्द-बहुल दक्षिण-पूर्वी क्षेत्र में तुर्की हितों को लक्ष्य बनाया है।
    • दक्षिण-पूर्वी तुर्की में तुर्की सुरक्षा बलों ने PKK की अधिकांश गतिविधियों को इराक और सीरिया की ओर हस्तांतरित कर दिया है।
  • उद्देश्य:
    • PKK अपने अभियानों में गुरिल्ला युद्ध और आतंकवादी रणनीति का संयोजन अपनाता है।
    • यह समूह विभिन्न प्रकार के शस्त्रों और विधियों का उपयोग करता है, जिनमें IED, कार बम, ग्रेनेड, छोटे हथियार, मोर्टार, आत्मघाती बम विस्फोट और अपहरण संबंधी गतिविधियाँ शामिल हैं।
    • PKK मुख्य रूप से उत्तरी इराक और सीरिया में तुर्की और तुर्की समर्थित बलों के साथ-साथ दक्षिण-पूर्वी तुर्की में तुर्की कर्मियों और बुनियादी ढाँचे पर हमले करता है।
    • यह समूह अपने हमलों में मानव रहित हवाई वाहनों और ह्यूमन-पोर्टेबल एयर डिफेंस सिस्टम का भी उपयोग करता है।
  • प्रभाव क्षेत्र:
    • उत्तरी इराक और दक्षिण-पूर्वी तुर्की।
    • संबद्ध समूह उत्तरी सीरिया, उत्तरी इराक और पश्चिमी ईरान में सक्रिय हैं।

Kurdistan territory of Influence

  • संयुक्त राष्ट्र का रुख:
    • संयुक्त राष्ट्र ने PKK की कार्रवाइयों को व्यापक आतंकवाद-रोधी चर्चाओं के भाग के रूप में देखा है, तथा इसकी आतंकवादी गतिविधियों को मुख्य रूप से तुर्की के हितों के विपरीत माना है।
    • इस समूह को प्रायः क्षेत्रीय अस्थिरता और तुर्की की सुरक्षा नीतियों पर इसके प्रभाव के संदर्भ में देखा जाता है।
  • भारत का रुख:
    • भारत के पास PKK को लक्षित करने के लिये कोई विशेष नीति नहीं है। हालाँकि वह अलगाववादी आंदोलनों द्वारा उत्पन्न चुनौतियों को परिचित है। 

दृष्टि मुख्य परीक्षा प्रश्न:

प्रश्न: मध्य पूर्व में आतंकवादी संगठन किस प्रकार क्षेत्रीय शांति और सुरक्षा के लिये खतरा हैं? चर्चा कीजिये। 

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ)  

प्रारंभिक:

प्रश्न. 'हैंड-इन-हैंड 2007' एक संयुक्त आतंकवाद विरोधी सैन्य प्रशिक्षण भारतीय और निम्नलिखित में से किस देश की सेना के अधिकारियों द्वारा आयोजित किया गया था? (वर्ष 2008)

(a) चीन 
(b) जापान
(c) रूस 
(d) यू एस ए

उत्तर: (a)


मुख्य:

Q. आतंकवादी गतिविधियों और परस्पर अविश्वास ने भारत-पाकिस्तान संबंधों को धूमिल बना दिया है। खेलों और सांस्कृतिक आदान-प्रदानों जैसी मृदु शक्ति किस सीमा तक दोनों देशों के बीच सद्भाव उत्पन्न करने में सहायक हो कर सकती हैं। उपयुक्त उदाहरणों के साथ चर्चा कीजिये। (2015)

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