अंतर्राष्ट्रीय संबंध
तालिबान 2.0 का एक वर्ष
- 26 Aug 2022
- 15 min read
प्रिलिम्स के लिये:अफगानिस्तान, तालिबान, अफगानिस्तान की अवस्थिति मेन्स के लिये:भारत और उसके पड़ोस, भारत के हितों पर देशों की नीतियों और राजनीति का प्रभाव, अफगानिस्तान में संकट और इसके प्रभाव |
चर्चा में क्यों?
अगस्त 2021 में अमेरिका ने अपने सैनिकों को वापस बुला लिया और वर्तमान में तालिबान को अफगानिस्तान में शासन संभाले हुए लगभग एक वर्ष हो गया है।
- पिछले दो दशकों में भारत सहित विदेशी शक्तियों ने अफगानिस्तान को सड़कों, बाँधों, सरकारी कार्यालयों, अस्पतालों, ग्रामीण बुनियादी ढाँचे, अर्थव्यवस्था और शिक्षा के पुनर्निर्माण में सहायता की है।
तालिबान द्वारा अफगानिस्तान में शासन:
- तालिबान:
- तालिबान (पश्तो भाषा में ‘छात्र’) 1990 के दशक की शुरुआत में अफगानिस्तान से सोवियत सैनिकों की वापसी के बाद उत्तरी पाकिस्तान में उभरा एक आतंकवादी संगठन है।
- वर्तमान में यह अफगानिस्तान में सक्रिय एक इस्लामी कट्टरपंथी राजनीतिक और सैन्य संगठन है। यह काफी समय से अफगान राजनीति में एक महत्त्वपूर्ण स्थिति में था।
- तालिबान बीते लगभग 20 वर्षों से काबुल में अमेरिकी समर्थित सरकार के खिलाफ लड़ रहा है। वह अफगानिस्तान में इस्लाम के सख्त रूप को फिर से लागू करना चाहता है।
पृष्ठभूमि:
- आतंकवादी हमले:
- 11 सितंबर, 2001 को अमेरिका में हुए आतंकवादी हमलों में लगभग 3,000 लोग मारे गए थे।
- इस हमले के लगभग एक महीने बाद अमेरिका ने अफगानिस्तान (ऑपरेशन एंड्योरिंग फ्रीडम) के खिलाफ हवाई हमले शुरू कर दिये।
- अफगानिस्तान में संक्रमणकारी सरकार का दौर:
- हमलों के बाद नाटो गठबंधन सैनिकों ने अफगानिस्तान के खिलाफ युद्ध की घोषणा कर दी।
- कुछ ही समय में अमेरिका ने तालिबान शासन को उखाड़ फेंका और अफगानिस्तान में एक संक्रमणकारी सरकार की स्थापना की।
- अमेरिका बहुत पहले इस निष्कर्ष पर पहुँच गया था कि यह युद्ध अजेय है और शांति वार्ता ही इसे खत्म करने का एकमात्र उपाय है।
- शांति वार्ता:
- ‘मुरी' वार्त्ता:
- वर्ष 2015 में अमेरिका ने तालिबान और अफगान सरकार के बीच पहली बैठक में एक प्रतिनिधि भेजा था, जिसकी मेज़बानी पाकिस्तान द्वारा वर्ष 2015 में ‘मुरी/मरी’ में की गई थी।
- दोहा वार्त्ता:
- वर्ष 2020 में दोहा वार्त्ता की शुरुआत से पूर्व तालिबान ने स्पष्ट किया कि वे केवल अमेरिका के साथ प्रत्यक्ष वार्ता करेंगे, न कि काबुल सरकार के साथ।
- इस समझौते में अमेरिकी प्रशासन ने वादा किया कि वह 1 मई, 2021 तक अफगानिस्तान से सभी अमेरिकी सैनिकों को वापस बुला लेगा।
- कुछ समय बाद इस समय-सीमा को बढ़ाकर 11 सितंबर, 2021 कर दिया गया।
- ‘मुरी' वार्त्ता:
- अमेरिका की वापसी:
- अमेरिका ने दावा किया कि उसने जुलाई 2021 तक अपने 90% सैनिकों को वापस बुला लिया था और तालिबान इस समय तक अफगानिस्तान के 85% से अधिक क्षेत्र को अपने नियंत्रण में ले चुका था।
- तालिबान का अधिग्रहण:
- अगस्त 2021 में तालिबान ने अफगानिस्तान में शासन पर नियंत्रण कर लिया।
- 20 वर्ष पहले 9/11 के हमलों के मद्देनज़र उनके निष्कासन के बाद यह पहली बार है कि तालिबान लड़ाके काबुल शहर में प्रवेश कर चुके हैं, तालिबान ने पहली बार वर्ष 1996 में राजधानी पर नियंत्रण कर लिया था।
तालिबान के शासन के तहत अफगानिस्तान में वर्तमान स्थिति:
- अवलोकन:
- तालिबान ने एक पूर्व-स्थापित देश नियंत्रण कर लिया, लेकिन 32 मिलियन जनसंख्या वाले अफगानिस्तान का प्रशासन संभालने के लिये क्षमता और वित्त की आवश्यकता होती है।
- तालिबान के पास इन दोनों का अभाव है।
- अफगानिस्तान के उच्च और मध्यम वर्ग के लोग जिनके पास पर्याप्त साधन और साक्षरता है, जिनमें वहाँ के अनेक अधिकारी भी शामिल हैं, तालिबान शासन का हिस्सा नहीं बनना चाहते है तथा देश छोड़कर भाग गए हैं।
- अंतर्राष्ट्रीय समुदाय ने अभी तक शासन को औपचारिक रूप से मान्यता नहीं दी है और कई देशों में तालिबान पर यात्रा प्रतिबंध सहित अन्य प्रतिबंध लागू हैं।
- अंतर्राष्ट्रीय बैंकिंग और वित्त तक तालिबान की पहुँच सीमित है।
- तालिबान ने एक पूर्व-स्थापित देश नियंत्रण कर लिया, लेकिन 32 मिलियन जनसंख्या वाले अफगानिस्तान का प्रशासन संभालने के लिये क्षमता और वित्त की आवश्यकता होती है।
- अर्थव्यवस्था:
- मई 2022 में तालिबान ने पूरी तरह घरेलू राजस्व पर आधारित वार्षिक बजट पेश किया।
- इसने6 बिलियन अमेरिकी डॉलर के व्यय और 2.1 बिलियन अमेरिकी डॉलर के राजस्व का अनुमान लगाया है।
- व्यय के बारे में या राजस्व के अंतर को कैसे पूरा किया जाएगा, इस बारे में कोई विवरण नहीं दिया गया।
- अफगानिस्तान का अधिकांश राजस्व अब सीमा शुल्क के माध्यम से जुटाया जा रहा है।
- अफगानिस्तान पाकिस्तान को कोयले का निर्यात कर रहा है।
- संयुक्त राष्ट्र की मानवीय प्रतिक्रिया अफगानिस्तान में महत्त्वपूर्ण है।
- संयुक्त राष्ट्र तालिबान द्वारा लड़कियों की उच्च शिक्षा पर प्रतिबंध लगाए जाने तक शिक्षकों के वेतन का भुगतान कर रहा था।
- रेड क्रॉस की अंतर्राष्ट्रीय समिति (ICRC) काबुल में इंदिरा गांधी चिल्ड्रन हॉस्पिटल को वित्तपोषित कर रही है।
- अंतर्राष्ट्रीय बैंकिंग सुविधाओं की अनुपस्थिति में संयुक्त राष्ट्र ने 1 बिलियन अमेरिकी डॉलर नकद अफगानिस्तान पहुँचाया है जिससे ज़रूरतमंदों की मदद की जा सके और साझेदार एजेंसियों के माध्यम से धन हस्तांतरित किया जा सके।
- मई 2022 में तालिबान ने पूरी तरह घरेलू राजस्व पर आधारित वार्षिक बजट पेश किया।
- सुरक्षा:
- तालिबान दाएश या ISKP (इस्लामिक स्टेट खुरासान क्षेत्र) को लेकर घबराया हुआ है, जिसने काबुल में भयावह नियमितता के साथ हमले किये हैं
- संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, ISKP द्वारा ज़िम्मेदार या दावा की गई हिंसा में अगस्त 2021 के मध्य से जून 2022 के मध्य तक 2,106 लोग घायल हुए तथा 700 लोग मारे गए।
- अमेरिका द्वारा काबुल के एक इलाके में अल-कायदा नेता अयमान अल-जवाहिरी की हत्या ने तालिबान की असुरक्षा को और बढ़ा दिया है।
- तालिबान दाएश या ISKP (इस्लामिक स्टेट खुरासान क्षेत्र) को लेकर घबराया हुआ है, जिसने काबुल में भयावह नियमितता के साथ हमले किये हैं
- अफगान जनसंख्या और तालिबान:
- हालाँकि नागरिकों के प्रति तालिबान के बीस साल पहले के रवैये में कोई बदलाव नहीं आया है लेकिन अभी तक सीधे तौर पर क्रूरता की सूचना नहीं मिली है।
- पुरुषों और महिलाओं दोनों के लिये एक ड्रेस कोड निर्धारित किया गया है, लेकिन इसे कड़ाई से लागू नहीं किया जा रहा है।
- तालिबान द्वारा स्कूल में कक्षा 6 से आगे की लड़कियों की शिक्षा पर प्रतिबंध लगाने और महिलाओं के लिये काम करना मुश्किल बनाने के लिये "शिक्षा, रोज़गार और रोटी" की मांग करने वाली महिलाओं द्वारा विरोध प्रदर्शन किया गया।
- इसे हवा में फायरिंग कर गार्डों ने तितर-बितर किया।
- संयुक्त राष्ट्र ने 160 गैर-न्यायिक हत्याओं, 178 मनमाने ढंग से हिरासत में लिये जाने, पूर्व सरकार और सैन्य अधिकारियों के उत्पीड़न और दुर्व्यवहार के 56 मामलों की सूचना दी है।
- गुटबाजी की रिपोर्ट, और तालिबान के हक्कानी और कंधार कोर के बीच कथित असंगति ने सरकार के टूटने तथा गृह युद्ध के एक और चक्र की संभावना के बारे में अटकलों को हवा दी है।
- हालाँकि नागरिकों के प्रति तालिबान के बीस साल पहले के रवैये में कोई बदलाव नहीं आया है लेकिन अभी तक सीधे तौर पर क्रूरता की सूचना नहीं मिली है।
तालिबान शासन के बाद भारत का अफगानिस्तान के प्रति रुख:
- तालिबान के अधिग्रहण के बाद, भारत अपनी नीति में एक रणनीतिक प्राथमिकता के रूप में अफगानिस्तान की स्थिति को बहाल करने और जमीनी पर व्यावहारिक बाधाओं के बीच विभाजित इस दुविधा के बीच फंँस गया है।
- वर्तमान में, भारत अफगानिस्तान के साथ संभावित जुड़ाव के तीन व्यापक तरीकों का आकलन कर रहा है:
- मानवीय सहायता प्रदान करना।
- अन्य भागीदारों के साथ संयुक्त आतंकवाद विरोधी प्रयास की खोज करना।
- तालिबान से बातचीत करना।
- इन सभी का अंतिम लक्ष्य लोगों से लोगों के बीच संपर्क बहाल करना और पिछले दो दशकों में अफगानिस्तान में दिल्ली की विकासात्मक सहायता से प्राप्त लाभ के दावों से पीछे हटने से रोकना है।
- भारत ने सभी 34 अफगान प्रांतों में 400 से अधिक प्रमुख बुनियादी ढाँचा परियोजनाएँ शुरू की हैं और व्यापार और द्विपक्षीय संबंधों को बढ़ाने के लिये रणनीतिक समझौतों पर हस्ताक्षर किये हैं।
- वर्ष 2002 से 2021 तक भारत ने अफगानिस्तान में विकास सहायता में 4 बिलियन अमेरिकी डॉलर खर्च किये, हाई-विजिबिलिटी प्रोजेक्ट्स जैसे राजमार्ग, अस्पताल, संसद भवन, ग्रामीण स्कूल और विद्युत ट्रांसमिशन लाइनों का निर्माण किया।
- इन परियोजनाओं ने भारत के लिये सद्भावना का व्यापक और गहरा संबंध स्थापित किया है जिसका कोई अन्य देश दावा नहीं कर सकता है।
- काबुल के 2 मिलियन निवासियों को पीने का जल उपलब्ध कराने के लिये शहतूत बाँध को अधूरा छोड़ दिया गया था।
- वर्ष 2002 से 2021 तक भारत ने अफगानिस्तान में विकास सहायता में 4 बिलियन अमेरिकी डॉलर खर्च किये, हाई-विजिबिलिटी प्रोजेक्ट्स जैसे राजमार्ग, अस्पताल, संसद भवन, ग्रामीण स्कूल और विद्युत ट्रांसमिशन लाइनों का निर्माण किया।
भारत के लिये अफगानिस्तान का महत्त्व:
- आर्थिक और रणनीतिक हित:
- अफगानिस्तान तेल और खनिज समृद्ध मध्य एशियाई गणराज्यों का प्रवेश द्वार है।
- अफगानिस्तान भू-रणनीतिक दृष्टि से भी भारत के लिये महत्त्वपूर्ण है क्योंकि अफगानिस्तान में जो भी सत्ता में रहता है, वह भारत को मध्य एशिया (अफगानिस्तान के माध्यम से) से जोड़ने वाले भू- मार्गों को नियंत्रित करता है।
- ऐतिहासिक सिल्क रोड के केंद्र में स्थित अफगानिस्तान लंबे समय से एशियाई देशों के बीच वाणिज्य का केंद्र था, जो उन्हें यूरोप से जोड़ता था तथा धार्मिक, सांस्कृतिक और वाणिज्यिक संपर्कों को बढ़ावा देता था।
- विकास परियोजनाएंँ: इस देश के लिये बड़ी निर्माण योजनाएँ भारतीय कंपनियों को बहुत सारे अवसर प्रदान करती हैं।
- तीन प्रमुख परियोजनाएंँ: अफगान संसद, जेराज़-डेलाराम राजमार्ग और अफगानिस्तान-भारत मैत्री बाँध (सलमा बाँध) के साथ-साथ सैकड़ों छोटी विकास परियोजनाओं (स्कूलों, अस्पतालों और जल परियोजनाओं) में 3 बिलियन अमेरिकी डॅालर से अधिक की भारत की सहायता ने अफगानिस्तान में भारत की स्थिति को मज़बूत किया है।
- सुरक्षा हित:
- भारत इस क्षेत्र में सक्रिय पाकिस्तान समर्थित आतंकवादी समूह (जैसे हक्कानी नेटवर्क) से उत्पन्न राज्य प्रायोजित आतंकवाद का शिकार रहा है। इस प्रकार अफगानिस्तान में भारत की दो प्राथमिकताएंँ हैं:
- पाकिस्तान को अफगानिस्तान में मित्रवत सरकार बनाने से रोकने के लिये।
- अलकायदा जैसे जिहादी समूहों की वापसी से बचने के लिये, जो भारत में हमले कर सकता है।
- भारत इस क्षेत्र में सक्रिय पाकिस्तान समर्थित आतंकवादी समूह (जैसे हक्कानी नेटवर्क) से उत्पन्न राज्य प्रायोजित आतंकवाद का शिकार रहा है। इस प्रकार अफगानिस्तान में भारत की दो प्राथमिकताएंँ हैं:
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQs)प्रिलिम्स के लिये: निम्नलिखित देशों पर विचार कीजिये: (2022)
उपर्युक्त में से किसकी सीमाएँ अफगानिस्तान से लगती हैं? (a) केवल 1, 2 और 5 उत्तर: (c) व्याख्या: अतः विकल्प C सही है। प्रश्न. वर्ष 2014 में अफगानिस्तान से अंतर्राष्ट्रीय सुरक्षा सहायता बल (ISAF) की प्रस्तावित वापसी क्षेत्र के देशों के लिये बड़े खतरों भरा है। इस तथ्य के आलोक में परीक्षण कीजिये कि भारत के समक्ष भरपूर चुनौतियाँ है तथा उसे अपने सामरिक महत्त्व के हितों की रक्षा करने की आवश्यकता है। (मुख्य परीक्षा, 2013) |