टाइगर रिज़र्व में टाइगर सफारी | 14 Mar 2024
प्रिलिम्स के लिये:सर्वोच्च न्यायालय, पखराऊ में टाइगर सफारी, कॉर्बेट टाइगर रिज़र्व, केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो, राष्ट्रीय उद्यान, वन्यजीव अभयारण्य, वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972, टाइगर सफारी, राष्ट्रीय वन्यजीव बोर्ड, केंद्रीय चिड़ियाघर प्राधिकरण, राजाजी टाइगर रिज़र्व, नाहरगढ़ जैविक उद्यान, एशियाई शेर, रॉयल बंगाल टाइगर, पैंथर, लकड़बग्घा, भेड़िये, हिरण, मगरमच्छ, स्लॉथ बीयर, हिमालयी ब्लैक बीयर मेन्स के लिये:कार्बेट टाइगर रिज़र्व के बफर ज़ोन में टाइगर सफारी की स्थापना का महत्त्व। |
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस
चर्चा में क्यों?
सर्वोच्च न्यायालय ने कॉर्बेट टाइगर रिज़र्व के बफर क्षेत्र में उत्तराखंड के पखराऊ में टाइगर सफारी की स्थापना को मंज़ूरी देने के प्रति झुकाव व्यक्त किया।
- न्यायालय ने रेखांकित किया, कि सफारी पार्क केवल स्थानीय रूप से संकटग्रस्त, संघर्षरत या अनाथ बाघों के लिये हैं, चिड़ियाघरों से बचाए गए बाघों के लिये नहीं।
- अदालत ने केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) को CTR के अंदर कथित अनियमितताओं की जाँच पूरी करने के लिये तीन महीने की समय-सीमा दी गई है ।
टिप्पणी:
- वन (संरक्षण) संशोधन अधिनियम, 2023 को चुनौती देने वाले मामले से संबंधित अपने अंतरिम आदेश में, उच्चतम न्यायालय ने कहा, कि किसी भी सरकार या प्राधिकरण द्वारा चिड़ियाघर या सफारी के निर्माण को सर्वोच्च न्यायालय से अंतिम मंजूरी लेनी होगी।
टाइगर सफारी:
- परिचय:
- टाइगर सफारी बाघों को उनके प्राकृतिक आवास में देखने के लिये चलाया जाने वाला एक अभियान है।
- ये सफारियाँ सामान्यतः राष्ट्रीय उद्यान और वन्यजीव अभयारण्य जैसे संरक्षित क्षेत्रों में होती हैं, विशेषतः भारत में, जिसमे विश्व की 70% से अधिक जंगली बाघों की आबादी पाई जाती है।
- परिभाषा:
- वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 में "टाइगर सफारी" को परिभाषित नहीं किया गया है।
- इस अधिनियम में कहा गया है कि “अभयारण्य के अंदर वाणिज्यिक पर्यटक लॉज, होटल, चिड़ियाघर और सफारी पार्क का कोई भी निर्माण इस अधिनियम के तहत गठित राष्ट्रीय वन्य जीव बोर्ड की पूर्व मंज़ूरी के बिना नहीं किया जाएगा।
- वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 में "टाइगर सफारी" को परिभाषित नहीं किया गया है।
- स्थापना:
- बाघ सफारी की अवधारणा को राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण द्वारा पर्यटन के लिये वर्ष 2012 के दिशा-निर्देशों में प्रस्तुत किया गया था, जिससे बाघ अभयारण्यों के बफर क्षेत्रों में ऐसे प्रतिष्ठानों की अनुमति दी गई थी।
- वर्ष 2016 के NTCA दिशा-निर्देशों में घायल, संघर्षरत या अनाथ बाघों के लिये बाघ अभयारण्यों के बफर एवं सीमांत क्षेत्रों में "टाइगर सफारी" की स्थापना की अनुमति दी, इसमें यह शर्त रखी गई कि चिड़ियाघरों से कोई बाघ शामिल नहीं किया जाना चाहिये।
- वर्ष 2019 में NTCA ने बाघ सफारी के लिये चिड़ियाघरों से जानवरों को लाने की अनुमति दी, जिससे केंद्रीय चिड़ियाघर प्राधिकरण को इन जानवरों का चयन करने का अधिकार मिल गया।
- आवश्यकताएँ:
- वर्ष 2012 NTCA दिशा-निर्देशों के तहत बाघ अभयारण्यों के अंदर पर्यटन दबाव को कम करने की रणनीति के रूप में सफारी पार्कों का समर्थन किया।
- ऐसे जानवरों को दूर के चिड़ियाघरों में स्थानांतरित करने का विरोध किया जा रहा है जो जंगल के लिये उपयुक्त नहीं हैं जैसे कि घायल, अनाथ या संघर्षरत जानवर।
- सफारी पार्क ऐसे जानवरों को उनके प्राकृतिक वातावरण में रखने का एक तरीका प्रदान करते हैं।
- स्थानीय समुदायों की आजीविका की आवश्यकताओं का समर्थन करने वाली गतिविधियों को समायोजित करने के लिये बफर क्षेत्रों को नामित किया गया था।
- सफारी पार्क आय सृजित करने के साथ बाघ संरक्षण हेतु स्थानीय समर्थन को बढ़ावा देने में योगदान करते हैं।
- चिंताएँ:
- चिड़ियाघर के बाघों अथवा बाघों के आवास के भीतर अन्य बंदी जंतुओं को रखने से वन्य बाघों और अन्य वन्यजीवों में बीमारी के संचरण का जोखिम होता है।
- बंदी जंतुओं को अलग-अलग स्थानों पर बंदी बनाकर रखने से उनकी बंदी स्थिति में कोई बदलाव नहीं आता है। रिज़र्व में “संरक्षित/बचाए गए” बाघों के लिये सफारी पार्क बनाना समग्र रूप से इस प्रजाति के संरक्षण की तुलना में वैयक्तिक बाघों के कल्याण पर अधिक ध्यान केंद्रित करना दर्शाता है जिससे प्राकृतिक आवास प्रबह्वित हो सकते हैं।
- सफारी पार्कों में "संरक्षित/बचाए गए" बाघों को प्रदर्शित करने की अवधारणा संकटग्रस्त जंतुओं को सार्वजनिक दृश्य से दूर रखने के मानदंड से भिन्न है।
- वर्ष 2016 के दिशा-निर्देश में इस संबंध में उल्लिखित है कि सफारी पार्कों में प्लेसमेंट से पहले प्रत्येक "संरक्षित/उपचारित जंतु" के लिये NTCA द्वारा मूल्यांकन अनिवार्य था।
- सर्वोच्च न्यायालय ने निर्णय किया कि NTCA की टाइगर सफारी को अनिवार्य रूप से बाघ अभयारण्यों के भीतर चिड़ियाघर के रूप में व्याख्या करना बाघ संरक्षण के उद्देश्य के विपरीत है।
- अभयारण्यों में बाघों के समीप पर्यटकों की संख्या को कम करने के प्रयास विफल रहे हैं क्योंकि नए सफारी मार्ग और भी अधिक पर्यटकों को आकर्षित करते हैं।
कार्बेट टाइगर रिज़र्व:
- परिचय:
- यह उत्तराखंड के नैनीताल ज़िले में अवस्थित है। वर्ष 1973 में प्रोजेक्ट टाइगर की शुरुआत कॉर्बेट नेशनल पार्क (भारत का पहला राष्ट्रीय उद्यान) में हुई थी, जो कि कॉर्बेट टाइगर रिज़र्व का एक हिस्सा है।
- इस राष्ट्रीय उद्यान की स्थापना वर्ष 1936 में हैली नेशनल पार्क के रूप में की गई थी जिसका उद्देश्य लुप्तप्राय बंगाल टाइगर का संरक्षण करना था।
- इसके मुख्य क्षेत्र में कॉर्बेट राष्ट्रीय उद्यान जबकि बफर ज़ोन में आरक्षित वन और साथ ही सोन नदी वन्यजीव अभयारण्य शामिल हैं।
- रिज़र्व का पूरा क्षेत्र पहाड़ी है और यह शिवालिक तथा बाह्य हिमालय भूवैज्ञानिक प्रांतों के अंतर्गत आता है।
- रामगंगा, सोननदी, मंडल, पालेन और कोसी, रिज़र्व से होकर बहने वाली प्रमुख नदियाँ हैं।
- यह उत्तराखंड के नैनीताल ज़िले में अवस्थित है। वर्ष 1973 में प्रोजेक्ट टाइगर की शुरुआत कॉर्बेट नेशनल पार्क (भारत का पहला राष्ट्रीय उद्यान) में हुई थी, जो कि कॉर्बेट टाइगर रिज़र्व का एक हिस्सा है।
- उत्तराखंड के अन्य प्रमुख संरक्षित क्षेत्र:
- नंदा देवी राष्ट्रीय उद्यान
- फूलों की घाटी राष्ट्रीय उद्यान
- फूलों की घाटी राष्ट्रीय उद्यान और नंदा देवी राष्ट्रीय उद्यान एक साथ यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल हैं।
- राजाजी राष्ट्रीय उद्यान
- गंगोत्री राष्ट्रीय उद्यान
राजाजी राष्ट्रीय उद्यान
- परिचय:
- पृष्ठभूमि: उत्तराखंड में तीन अभयारण्यों अर्थात् राजाजी, मोतीचूर एवं चीला को एक बड़े संरक्षित क्षेत्र में मिला दिया गया और प्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानी सी. राजगोपालाचारी के नाम पर वर्ष 1983 में राजाजी राष्ट्रीय उद्यान का नाम दिया गया; लोकप्रिय रूप से "राजाजी" के नाम से जाने जाते हैं।
- विशेषताएँ:
- यह क्षेत्र एशियाई हाथियों के निवास स्थान की उत्तर पश्चिमी सीमा है।
- वन प्रकारों में साल वन, नदी तटीय वन, चौड़ी पत्ती वाले मिश्रित वन, झाड़ियाँ और घास वाले वन शामिल हैं।
- वर्ष 2015 में इसे टाइगर रिज़र्व घोषित किया गया था।
- यह शीतकाल में वन गुज्जर जनजातियों का निवास स्थान है।
आगे की राह
- रोग संचरण जोखिमों को संबोधित करना: बंदी जानवरों को बाघ के आवासों में लाने से पहले उनकी कड़ी स्वास्थ्य जाँच और संगरोध प्रोटोकॉल लागू करना।
- कल्याण तथा संरक्षण को संतुलित करना: दिशा-निर्देश एवं प्रबंधन योजनाओं को विकसित करना जो प्रजातियों के संरक्षण को प्राथमिकता दें और जानवरों के कल्याण पर विचार करते हुए प्राकृतिक आवासों में व्यवधान को कम करें।
- निरीक्षण तथा मूल्यांकन को बढ़ाना: वर्ष 2016 के दिशा-निर्देशों में उल्लिखित सतर्क दृष्टिकोण के आधार पर निगरानी एवं मूल्यांकन तंत्र को मज़बूत करना और साथ ही यह भी सुनिश्चित करना कि राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (NTCA) सफारी पार्कों में उनके प्लेसमेंट को मंज़ूरी देने से पहले प्रत्येक "संरक्षित एवं उपचारित जानवरों" का गहन मूल्यांकन करता है।
- संरक्षण लक्ष्यों के साथ संरेखित करना: संरक्षण संगठनों, सरकारी एजेंसियों तथा कानूनी अधिकारियों के बीच संवाद को बढ़ावा देना ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि नीतियाँ एवं प्रथाएँ नैतिक मानकों को बनाए रखते हुए दीर्घकालिक संरक्षण प्रयासों का समर्थन करती हैं।
- सतत् पर्यटन प्रबंधन: बाघ अभयारण्यों पर पर्यटकों की भीड़ के प्रभाव को कम करने के लिये स्थायी पर्यटन प्रथाओं को लागू करें। आगंतुक यातायात को अधिक प्रभावी ढंग से प्रबंधित करने हेतु आगंतुक कोटा, विविध पर्यटक गतिविधियों और बेहतर बुनियादी ढाँचे जैसे विकल्पों का पता लगाएँ।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रिलिम्स:प्रश्न.1 निम्नलिखित जोड़ियों पर विचार कीजिये: (2013) राष्ट्रीय उद्यान - उद्यान से होकर बहने वाली नदी
उपर्युक्त युग्मों में से कौन-सा/से सही सुमेलित है/हैं? (a) 1 और 2 उत्तर: (d) प्रश्न.2 निम्नलिखित बाघ आरक्षित क्षेत्रों में "क्रांतिक बाघ आवास (Critical Tiger Habitat)" के अंतर्गत सबसे बड़ा क्षेत्र किसके पास है? (2020) (a) कॉर्बेट उत्तर: C मेन्स:प्रश्न. "विभिन्न प्रतियोगी क्षेत्रों और साझेदारों के मध्य नीतिगत विरोधाभासों के परिणामस्वरूप पर्यावरण के 'संरक्षण तथा उसके निम्नीकरण की रोकथाम' अपर्याप्त रही है।" सुसंगत उदाहरणों सहित टिप्पणी कीजिये। (2018) |