समुद्री घास का संरक्षण | 13 Mar 2025
प्रिलिम्स के लिये:समुद्री घास, कार्बन पृथक्करण, ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन, ग्लोबल वार्मिंग, महासागरीय धाराएँ, संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम, महासागरीय अम्लीकरण, मन्नार की खाड़ी। मेन्स के लिये:समुद्री घास का महत्त्व और उससे संबंधित चिंताएँ। |
स्रोत: डाउन टू अर्थ
चर्चा में क्यों?
नेचर में प्रकाशित एक अध्ययन में बताया गया है कि समुद्री घासों की संख्या में प्रतिवर्ष 1-2% की दर से कमी आ रही है तथा मानवीय गतिविधियों के कारण लगभग 5% प्रजातियाँ खतरे में हैं, जिससे जैवविविधता को संरक्षित करने के क्रम में वर्ष 2030 तक 30% समुद्री घासों को संरक्षित करने की आवश्यकता पर प्रकाश पड़ता है।
समुद्री घास क्या हैं?
- परिचय: समुद्री घास जलमग्न, फूलदार समुद्री जलीय पौधे हैं जो खाड़ी और लैगून जैसे उथले तटीय जल में उगते हैं।
- इनकी फूल और पत्तियों से जल के अंदर घने घास के मैदान बनते हैं।
- वर्गीकरण: समुद्री घास एलिसमैटेलिस गण से संबंधित है और लगभग 60 प्रजातियों के साथ 4 कुल में वर्गीकृत है।
- कुछ महत्त्वपूर्ण समुद्री घासें हैं सी काऊ ग्रास (Cymodocea serrulata), थ्रेडी समुद्री घास (Cymodocea rotundata), नीडल सी ग्रास (Syringodium isoetifolium), फ्लैट-टिप्ड सी ग्रास (Halodule uninervis) आदि।
- प्रमुख विशेषताएँ:
- स्थलीय पौधों की तरह, समुद्री घास द्वारा प्रकाश संश्लेषण किया जाता है और इससे समुद्री जैवविविधता के साथ महासागरीय ऑक्सीजन के स्तर में वृद्धि होती है।
- समुद्री घास में लैंगिक और अलैंगिक दोनों तरह का निषेचन मिलता है।
- समुद्री घास के लिये खतरा:
- प्रदूषण: औद्योगिक, कृषि और शहरी अपशिष्ट समुद्री घास के मैदानों को नष्ट कर देते हैं।
- तटीय विकास: पर्यटन और बुनियादी ढाँचागत परियोजनाएँ नाजुक पारिस्थितिकी तंत्र को क्षति पहुँचाती हैं।
- जलवायु परिवर्तन: बढ़ते तापमान और महासागरीय अम्लीकरण से समुद्री घास का अस्तित्व खतरे में पड़ गया है।
- कमज़ोर प्रवर्तन: मौजूदा कानूनों के बावजूद, संरक्षण प्रयासों का सख्त क्रियान्वयन नहीं हो पा रहा है।
समुद्री घास संरक्षण की स्थिति क्या है?
- वर्तमान स्थिति: समुद्री घास समुद्र तल के 0.1% भाग को कवर करती है, लेकिन यह समुद्री जीवन, प्रमुख मत्स्य पालन को बढ़ावा देती है, तथा उष्णकटिबंधीय और समशीतोष्ण तटीय क्षेत्रों में पनपती है।
- भारत में समुद्री घास: भारत के समुद्री घास के मैदान 516.59 वर्ग किमी में फैले हैं, जो प्रति वर्ष प्रति वर्ग किमी 434.9 टन CO₂ एकत्र करते हैं, जिनका प्रमुख संकेंद्रण मन्नार की खाड़ी, पाक खाड़ी, अंडमान और निकोबार, लक्षद्वीप और कच्छ की खाड़ी में है।
- संरक्षण प्रयास:
- भारत की पहल
- वर्ष 2011-2020: मन्नार की खाड़ी और पाक खाड़ी में 14 एकड़ समुद्री घास को पुनर्स्थापित किया गया (85-90% सफलता दर)।
- पाक खाड़ी में प्रत्यारोपण के लिये बाँस के फ्रेम और नारियल की रस्सियों का उपयोग करते हुए समुदाय-नेतृत्व वाली परियोजनाएँ।
- वैश्विक प्रयास:
- समुद्री घास वाले 23.9% क्षेत्र समुद्री संरक्षित क्षेत्रों (MPA) के अंतर्गत आते हैं। वर्जीनिया, USA में सफल पुनर्स्थापन (1,700 हेक्टेयर ज़ोस्टेरा मरीना)।
- भारत की पहल
समुद्री घास का क्या महत्त्व है?
- कार्बन पृथक्करण: समुद्री घासें समुद्री कार्बनिक कार्बन का 11% संग्रहित करती हैं और प्रतिवर्ष 83 मिलियन टन वायुमंडलीय कार्बन को अवशोषित करती हैं, जो वर्षावनों की तुलना में 35 गुना अधिक तेज़ी से कार्बन का पृथक्करण करती हैं।
- जैवविविधता हॉटस्पॉट: यह समुद्री प्रजातियों का पोषण करता है, जिसमें संकटग्रस्त डुगोंग (समुद्री गाय) और ग्रीन टर्टल शामिल हैं, तथा स्क्विड और कटलफिश जैसी व्यावसायिक रूप से महत्त्वपूर्ण प्रजातियों को भी संरक्षित करता है।
- पारिस्थितिक महत्त्व: समुद्री घासस्थलों में 750 मछली प्रजातियाँ और 121 विलोपोन्मुखी समुद्री प्रजातियों पाई जाती हैं, जिनमें संकटापन्न डुगोंग (समुद्र गौ), हरे कछुए, स्क्विड और कटलफिश शामिल हैं।
- ये पारिस्थितिकी तंत्र वैश्विक मत्स्यपालन में 20% का योगदान देते हैं।
- तटीय संरक्षण: वे तलछट का प्रग्रहण कर जल की स्पष्टता में सुधार करते हैं, भूमि-आधारित प्रदूषकों का निस्यंदन करते हैं, और अपनी मूल तंत्रों के साथ समुद्र तल को स्थिर कर तटीय अपरदन की रोकथाम करते हैं।
- आजीविका और मत्स्य पालन: समुद्री घास मछलियों के लिये सुरक्षित प्रजनन स्थल प्रदान करती है और समुद्री जीवों को तीव्र धाराओं और परभक्षियों से बचाती है, तथा मत्स्य पालन और वैश्विक खाद्य सुरक्षा के लिये आवश्यक पारिस्थितिकी तंत्र का निर्माण करती है।
आगे की राह
- नीतिगत ढाँचे में एकीकरण: नीतिगत समर्थन, वित्त पोषण और संधारणीय प्रबंधन प्रथाएँ सुनिश्चित करने हेतु समुद्री घास संरक्षण को भारत की राष्ट्रीय जैवविविधता कार्य योजना में शामिल किया जाना चाहिये।
- समुद्री संरक्षित क्षेत्रों (MPA) का विस्तार: समुद्री घास पारिस्थितिकी तंत्र की रक्षा और पुनर्स्थापना के लिये MPA को भारत के अनन्य आर्थिक क्षेत्र (EEZ) के 2.5% से आगे विस्तारित किया जाना चाहिये।
- जलवायु रणनीति में मान्यता: जलवायु प्रतिबद्धताओं और कार्बन तटस्थता लक्ष्यों का समर्थन करने के लिये भारत की ब्लू कार्बन पहल में समुद्री घास को मान्यता दी जानी चाहिये।
- मूल्यांकन और वैश्विक सहयोग: इस संदर्भ में वैश्विक सहयोग महत्त्वपूर्ण है क्योंकि समुद्री घास से कार्बन पृथक्करण, तटीय संरक्षण और जैवविविधता संरक्षण के माध्यम से जलवायु शमन में सहायता मिलती है। IUCN को विलोपन को रोकने और संरक्षण प्रयासों को बढ़ाते हुए शीघ्र हस्तक्षेप के साथ उनकी स्थिति का आकलन करना चाहिये।
दृष्टि मेन्स प्रश्न: Q. समुद्री घासस्थलों के पारिस्थितिक महत्त्व और मानवीय गतिविधियों के कारण उनके समक्ष विद्यमान चुनौतियों की विवेचना कीजिये। भारत में उनके संरक्षण के उपायों का सुझाव दीजिये। |
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रिलिम्स:प्रश्न. ब्लू कार्बन क्या है? (2021) (a) महासागरों और तटीय पारिस्थितिकी प्रणालियों द्वारा प्रगृहीत कार्बन उत्तर:(a) |