लखनऊ शाखा पर IAS GS फाउंडेशन का नया बैच 23 दिसंबर से शुरू :   अभी कॉल करें
ध्यान दें:



डेली अपडेट्स

जैव विविधता और पर्यावरण

मन्नार की खाड़ी में कोरल ब्रीच

  • 20 Mar 2023
  • 9 min read

प्रिलिम्स के लिये:

प्रवाल भित्ति, मन्नार की खाड़ी समुद्री राष्ट्रीय उद्यान, समुद्री शैवाल प्रजातियाँ, तमिलनाडु का प्रस्तावित समुद्री शैवाल पार्क, वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972।

मेन्स के लिये:

भारत में समुद्री शैवाल उत्पादन, प्रवाल से संबंधित मुद्दे।

चर्चा में क्यों?

हाल ही में मन्नार की खाड़ी समुद्री राष्ट्रीय उद्यान का निर्माण करने वाले 21 निर्जन द्वीपों में से एक कुरुसादाई (तमिलनाडु) के पास मृत प्रवाल भित्तियाँ देखी गई हैं।

  • इस क्षति के पीछे प्राथमिक कारण कप्पाफाइकस अल्वारेज़ी है, सीवीड प्रजाति (समुद्री शैवाल) को व्यावसायिक कृषि हेतु लगभग दो दशक पहले पेश किया गया था। 

Lethal-Spread

सीवीड:  

  • परिचय: 
    • सीवीड समुद्री शैवाल और पौधों की कई प्रजातियों को दिया गया नाम है जो नदियों, समुद्रों एवं महासागरों जैसे जल निकायों में उगते हैं।
    • वे आकार में भिन्न होते हैं जो सूक्ष्म से लेकर बड़े जंगलों के रूप में जल के नीचे हो सकते हैं।
    • सीवीड दुनिया भर में तटों पर पाया जाता है, लेकिन एशियाई देशों में यह अधिक उगता है। 
  • महत्त्व:  
    • सीवीड के कई लाभ हैं, जिसमें औषधीय प्रयोजनों हेतु पोषण का स्रोत, एंटी-इंफ्लेमेटरी और एंटी-माइक्रोबियल एजेंट शामिल हैं।
    • यह विनिर्माण में उपयोग के माध्यम से आर्थिक विकास, अतिरिक्त पोषक तत्त्वों का अवशोषण और पारिस्थितिक तंत्र को संतुलित कर जैव संकेतक के रूप में कार्य करता है।
    • यह अतिरिक्त लौह एवं  भारी धातुओं को अवशोषित और अन्य समुद्री जीवों को ऑक्सीजन तथा पोषक तत्त्वों की आपूर्ति करता है। 
  • भारत में सीवीड उत्पादन: 
    • भारत ने वर्ष 2021 में लगभग 34,000 टन सीवीड की खेती की और केंद्र ने वर्ष 2025 तक सीवीड का उत्पादन बढ़ाकर 11.85 मिलियन टन करने हेतु 600 करोड़ रुपए आवंटित किये।
    • वर्तमान में तमिलनाडु के रामनाथपुरम के 18 गाँवों में लगभग 750 किसान सीवीड मुख्य रूप से कप्पाफाइकस की खेती में लगे हुए हैं, साथ ही तमिलनाडु के प्रस्तावित सीवीड पार्क में भी इसकी खेती किये जाने की संभावना है।
    • राष्ट्रीय अनुसंधान संस्थान और कंपनियाँ कप्पाफाइकस की खेती में वृद्धि हेतु कार्यरत हैं ताकि लाभ एवं आजीविका में सुधार हो सके, इसके अलावा भारत के कप्पा-कैरेजीनन के आयात को कम किया जा सके।
  • कप्पाफाइकस अल्वारेज़ी समुद्री शैवाल प्रजातियों का प्रभाव:  
    • कप्पाफाइकस अल्वारेज़ी समुद्री शैवाल प्रजातियाँ तमिलनाडु में मन्नार की खाड़ी समुद्री राष्ट्रीय उद्यान के 21 द्वीपों में से छह द्वीपों में विस्तारित हैं और इसने कुरुसादाई के पास पाए जाने वाले प्रवाल भित्तियों को काफी क्षति पहुँचाई है।
    • इसने हवाई में नारियल द्वीप, वेनेज़ुएला में क्यूबागुआ द्वीप, तंजानिया में ज़ांज़ीबार और पनामा तथा कोस्टा रिका में अल्मीरांटे एवं क्रिस्टोबल को भी काफी नुकसान पहुँचाया है।
    • अंतर्राष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ ने कप्पाफाइकस अल्वारेज़ी को विश्व की 100 सबसे आक्रामक प्रजातियों में से एक के रूप में सूचीबद्ध किया है।

मन्नार की खाड़ी:  

  • मन्नार की खाड़ी (Gulf of Mannar) पूर्वी भारत और पश्चिमी श्रीलंका के बीच हिंद महासागर का एक प्रवेश-द्वार है।
    • यह उत्तर-पूर्व में रामेश्वरम (द्वीप), एडम्स (राम) ब्रिज (शोलों की एक शृंखला) और मन्नार द्वीप से घिरी हुई है।
  • इसमें कई नदियाँ मिलती हैं जिसमें तांब्रपर्णी (भारत) और अरुवी (श्रीलंका) शामिल हैं।
  •  यह खाड़ी मोतियों के भंडार और शंख के लिये विख्यात है। 

मन्नार की खाड़ी समुद्री राष्ट्रीय उद्यान:  

  • समुद्री राष्ट्रीय उद्यान की स्थापना वर्ष 1982 में वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 के प्रावधानों के तहत की गई थी। इस राष्ट्रीय उद्यान का कुल क्षेत्रफल लगभग 162.89 वर्ग कि.मी. है।
  • उपलब्ध प्रमुख पारिस्थितिक तंत्र में प्रवाल भित्तियाँ, मैंग्रोव, मडफ्लैट्स, खाड़ियाँ, समुद्री घास, समुद्री शैवाल, ज्वारनदमुख, रेतीले समुद्र तट, खारे घास के मैदान, दलदली क्षेत्र और चट्टानी किनारे शामिल हैं।   

निष्कर्ष:

प्रवाल समुद्री जीवों के लिये महत्त्वपूर्ण आवास प्रदान करते हैं, तूफानों से सुरक्षा और मत्स्यपालन तथा पर्यटन के माध्यम से आजीविका प्रदान करते हैं। इसलिये मन्नार की खाड़ी समुद्री राष्ट्रीय उद्यान और उसके पारिस्थितिकी तंत्र की रक्षा के लिये कप्पाफाइकस अल्वारेज़ी समुद्री शैवाल के प्रसार को रोकना आवश्यक है।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, पिछले वर्ष के प्रश्न  

प्रिलिम्स: 

प्रश्न 1. निम्नलिखित स्थितियों में से किस एक में “जैवशैल प्रौद्योगिकी"(बायोरॉक टेक्नोलॉजी) की बातें होती हैं? (2022)

(a) क्षतिग्रस्त प्रवाल भित्तियों की बहाली
(b) पादप अवशिष्टों का उपयोग कर भवन निर्माण सामग्री का विकास
(c) शेल गैस के अन्वेषण/निष्कर्षण के लिये क्षेत्रों की पहचान
(d) वनों/संरक्षित क्षेत्रों में जंगली पशुओं के लिये लवण-लेहिकाएँ (साल्ट लिक्स) उपलब्ध कराना

उत्तर: (a)


प्रश्न 2. निम्नलिखित समूहों में से किनमें ऐसी जातियाँ होती हैं, जो अन्य जीवों के साथ सहजीवी संबंध बना सकती हैं?

  1. नाइडेरिया
  2. कवक (फंजाई)
  3. आदिजंतु (प्रोटोजोआ )

नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये: 

(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 2 और 3
(c) केवल 1 और 3
(d) 1, 2 और 3

उत्तर: (d)


प्रश्न 3. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये:

  1. विश्व की सर्वाधिक प्रवाल भित्तियाँ उष्णकटिबंधीय सागर में मिलती हैं।
  2. विश्व की एक-तिहाई से अधिक प्रवाल भित्तियाँ ऑस्ट्रेलिया, इंडोनेशिया और फिलीपींस के राज्य-क्षेत्रों में स्थित हैं।
  3. उष्णकटिबंधीय वर्षा वनों की अपेक्षा प्रवाल भित्तियाँ कहीं अधिक संख्या में जंतु संघों का परपोषण करती हैं।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? 

(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 3
(c) केवल 1 और 3
(d) 1, 2 और 3

उत्तर: (d)


प्रश्न 4. निम्नलिखित में से किसमें प्रवाल भित्तियाँ हैं? (2014)

  1. अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह
  2. कच्छ की खाड़ी
  3. मन्नार की खाड़ी
  4. सुंदरबन

नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये:

(a) केवल 1, 2 और 3
(b) केवल 2 और 4
(c) केवल 1 और 3
(d) 1, 2, 3 और 4

उत्तर: (a)


मेन्स:

प्रश्न. उदाहरण सहित प्रवाल जीवन प्रणाली पर ग्लोबल वार्मिंग के प्रभाव का आकलन कीजिये। (2019)

स्रोत: डाउन टू अर्थ

close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2