युवाओं में मादक पदार्थों का बढ़ता दुरुपयोग | 21 Dec 2024
प्रिलिम्स के लिये:संयुक्त राष्ट्र मादक पदार्थ एवं अपराध कार्यालय (UNODC), विश्व ड्रग रिपोर्ट 2024, कैनबिस, NDPC अधिनियम, NCB, मादक पदार्थों के दुरुपयोग के नियंत्रण के लिये राष्ट्रीय कोष, मादक पदार्थों की मांग में कमी के लिये राष्ट्रीय कार्य योजना मेन्स के लिये:नशीली दवा: चुनौतियाँ, पहल, मादक पदार्थों के दुरुपयोग की समस्या और संबंधित पहल। |
स्रोत: हिंदुस्तान टाइम्स
चर्चा में क्यों?
भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने युवाओं में बढ़ती मादक पदार्थों की लत पर चिंता व्यक्त करते हुए इसे एक पीढ़ीगत खतरा बताया है।
- यह चिंता पाकिस्तान से जुड़े हेरोइन तस्करी मामले में राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (NIA) की जाँच का समर्थन करने वाले फैसले के दौरान सामने आई।
- न्यायालय ने मादक पदार्थों के दुरुपयोग के बढ़ते खतरे से निपटने के लिये परिवारों, समाज और राज्य प्राधिकारियों की ओर से तत्काल सामूहिक कार्रवाई की आवश्यकता पर ज़ोर दिया।
विश्व में मादक पदार्थों के दुरुपयोग की स्थिति क्या है?
वैश्विक परिदृश्य:
- संयुक्त राष्ट्र मादक पदार्थ एवं अपराध कार्यालय (UNODC) द्वारा जारी विश्व मादक पदार्थ रिपोर्ट, 2024 के अनुसार, वैश्विक मादक पदार्थ उपयोग करने वाले लोगों की संख्या 292 मिलियन तक पहुँच गई है, जो पिछले दशक की तुलना में 20% की वृद्धि को दर्शाता है।
- मादक पदार्थों की प्राथमिकताएँ: कैनबिस सबसे व्यापक रूप से इस्तेमाल की जाने वाली दवा (228 मिलियन उपयोगकर्त्ता) है, इसके बाद ओपिओइड (60 मिलियन), ऐम्फिटेमिन (30 मिलियन), कोकीन (23 मिलियन) और एक्स्टसी (20 मिलियन) हैं।
- उभरते खतरे: रिपोर्ट में सिंथेटिक ओपिओइड के एक नए वर्ग, नेटिज़ेंस को एक महत्त्वपूर्ण खतरे के रूप में चिह्नित किया गया है, जो फेंटेनाइल से भी अधिक शक्तिशाली है, जो विशेष रूप से उच्च आय वाले देशों में ओवरडोज से होने वाली मौतों में वृद्धि में योगदान देता है।
- फेंटेनाइल एक ओपिओइड दवा है जिसका उपयोग एनाल्जेसिक (दर्द निवारक) और एनेस्थेटिक के रूप में किया जाता है।
- उपचार अंतराल: 64 मिलियन मादक पदार्थों के उपयोग संबंधी विकारों वाले 11 में से केवल 1 व्यक्ति को ही उपचार मिलता है।
- महिलाओं को अधिक बाधाओं का सामना करना पड़ता है, मादक पदार्थों के उपयोग से संबंधित विकारों से पीड़ित 18 में से केवल 1 महिला, जबकि 7 में से 1 पुरुष को ही उपचार मिल पाता है।
भारत में मादक पदार्थों का प्रचलन:
- मादक पदार्थों की लत:
- मादक पदार्थों की लत बढ़ रही है, नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (NCB) के अनुसार भारत में लगभग 100 मिलियन लोग विभिन्न नशीले पदार्थों से प्रभावित हैं।
- उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र और पंजाब जैसे राज्यों में वर्ष 2019 और 2021 के बीच नारकोटिक ड्रग्स एंड साइकोट्रोपिक सब्सटेंस एक्ट (एनडीपीएस) के तहत सबसे अधिक FIR दर्ज की गईं।
- ऐल्कहॉलिज़म एक दीर्घकालिक बीमारी है जिसके कारण लोगों को शराब पीने की तीव्र इच्छा होती है और वे शराब पीने पर नियंत्रण नहीं रख पाते।
- भांग: लगभग 3.1 करोड़ लोग (2.8%) भांग का सेवन करते हैं, जिनमें से 72 लाख (0.66%) भांग से संबंधित समस्याओं का सामना कर रहे हैं।
- ओपिओइड का उपयोग: 2.06% जनसंख्या ओपिओइड का उपयोग करती है, और लगभग 0.55% (60 लाख) को ओपिओइड निर्भरता के लिये उपचार सेवाओं की आवश्यकता है।
- सीडेटिव: 1.18 करोड़ (1.08%) व्यक्ति गैर-चिकित्सीय प्रयोजनों के लिये सीडेटिव का उपयोग करते हैं।
- इनहेलेंट: इनहेलेंट का दुरुपयोग 1.7% बच्चों और किशोरों को प्रभावित करता है, जो वयस्कों में 0.58% की व्यापकता से काफी अधिक है। लगभग 18 लाख बच्चों को इनहेलेंट के दुरुपयोग की रोकथाम हेतु सहायता की आवश्यकता है।
- इंजेक्शन द्वारा मादक द्रव्यों का प्रयोग: लगभग 8.5 लाख लोग मादक द्रव्यों का इंजेक्शन द्वारा प्रयोग करते हैं, जिन्हें पीपुल हू इंजेक्ट ड्रग्स (PWID) कहा जाता है।
- शराब: सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय के भारत में मादक द्रव्यों के सेवन की सीमा और पैटर्न पर 2019 के राष्ट्रीय सर्वेक्षण के अनुसार, 10 से 75 वर्ष की आयु के 16 करोड़ लोग (14.6%) वर्तमान में शराब का सेवन करते हैं। उनमें से 5.2% शराब पर निर्भरता से पीड़ित (ऐल्कहॉलिज़म) हैं।
- मादक पदार्थों की लत बढ़ रही है, नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (NCB) के अनुसार भारत में लगभग 100 मिलियन लोग विभिन्न नशीले पदार्थों से प्रभावित हैं।
प्रमुख मादक द्रव्य उत्पादक क्षेत्र:
- गोल्डन क्रीसेंट: अफगानिस्तान, ईरान और पाकिस्तान से मिलकर बना यह क्षेत्र अफीम उत्पादन का प्राथमिक केंद्र बना हुआ है, जिसका प्रभाव जम्मू-कश्मीर, पंजाब, हिमाचल प्रदेश, राजस्थान और गुजरात जैसे भारतीय राज्यों पर पड़ता है।
- गोल्डन ट्राएंगल: लाओस, म्याँमार और थाईलैंड के इंटरसेक्शन पर स्थित यह क्षेत्र हेरोइन उत्पादन के लिये जाना जाता है जिसमें म्याँमार का विश्व के कुल हेरोइन उत्पादन में 80% का योगदान है। इसकी तस्करी के मार्ग लाओस, वियतनाम, थाईलैंड और भारत से होकर गुज़रते हैं।
मादक द्रव्य और पदार्थ के विभिन्न प्रकार क्या हैं?
प्रकार |
अभिलक्षण |
उत्तेजक |
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अवसादक: |
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हैलुसिनोजन |
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वियोजनी औषधियाँ |
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ओपियोइड |
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इनहेलेंट |
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कैनबिस |
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भारत में किन कारणों से मादक द्रव्यों का दुरुपयोग बढ़ रहा है?
- साथियों का प्रभाव: दोस्तों के साथ घुलने-मिलने, विशेष रूप से हाई स्कूल और कॉलेज में, और सामाजिक स्वीकृति प्राप्त करने की इच्छा से प्रायः मादक द्रव्यों का सेवन शुरू किया जाता है।
- शैक्षणिक तनाव और मानसिक स्वास्थ्य संबंधी समस्याएँ: शैक्षणिक रूप से उत्कृष्टता प्राप्त करने का दबाव, उच्च प्रतिस्पर्द्धा के साथ मिलकर तनाव, चिंता और अवसाद का कारण बन सकता है।
- कुछ युवा इन दबावों से निपटने के लिये मादक द्रव्यों का उपयोग करते हैं।
- सांस्कृतिक मानदंड और मीडिया का प्रभाव: मीडिया, फिल्मों और संगीत में मादक द्रव्यों के उपयोग को बढ़ावा देने से प्रायः युवा वर्ग के बीच मादक द्रव्यों के सेवन को सामान्य बना दिया जाता है, जिससे यह प्रचलन में आ जाता है या स्वीकार्य हो जाता है।
- मादक पदार्थों के दुरुपयोग से निपटने में राज्य प्राधिकारियों और स्थानीय सरकारों की सीमित भूमिका से भारत में मादक पदार्थों का उपयोग बढ़ा है।
- सामाजिक-आर्थिक कारक: गरीबी, बेरोज़गारी, शैक्षिक और मनोरंजक संसाधनों तक सीमित पहुँच के कारण मादक द्रव्यों के सेवन की संभावना बढ़ जाती है, क्योंकि युवा लोग बचने या इससे निपटने के लिये मादक पदार्थों का सहारा लेते हैं।
- पारिवारिक वातावरण: अव्यवस्थित पारिवारिक गतिशीलता, माता-पिता द्वारा मादक द्रव्यों के सेवन का दुरुपयोग, तथा भावनात्मक समर्थन का अभाव प्रायः युवाओं में मादक पदार्थों के उपयोग की उच्च दर से संबंधित हैं।
- एक सहायक पारिवारिक वातावरण इन जोखिमों को कम कर सकता है।
- विधिक व्यवस्था की खामियाँ: संगठित अपराध गिरोह विधिक व्यवस्था की खामियों का फायदा उठाते हैं, जैसे कि कमज़ोर सीमा नियंत्रण, ताकि वे मादक पदार्थ की तस्करी कर सकें। ये प्रायः अफ्रीका और दक्षिण एशिया से व्यापार मार्गों का दुरुपयोग करके मादक पदार्थ की तस्करी करते हैं।
- वर्ष 2023 में सीमा सुरक्षा बल ने भारत-पाकिस्तान सीमा पर मादक पदार्थों की ज़ब्ती में 35% की वृद्धि की सूचना दी है, जो इन मार्गों के माध्यम से अवैध मादक पदार्थों के प्रवाह को नियंत्रित करने में चल रही चुनौतियों पर प्रकाश डालता है।
- आसान उपलब्धता: मादक पदार्थों की आसान उपलब्धता, विशेषकर पंजाब में, व्यापक दुरुपयोग को जन्म देती है।
- पोस्ट ग्रेजुएट इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल एजुकेशन एंड रिसर्च (PGIMER) के वर्ष 2022 के अध्ययन के अनुसार पंजाब की लगभग 15.4% आबादी मादक पदार्थों का उपयोग करती है, और 3 मिलियन से अधिक लोग इससे प्रभावित हैं।
- सख्त कानूनों का भय: NDPS अधिनियम जैसे सख्त कानून अभियोजन के भय से परिवारों को मादक पदार्थों के दुरुपयोग का खुलासा करने से हतोत्साहित कर सकते हैं, जिससे पुनर्वास के प्रयासों में बाधा उत्पन्न हो सकती है।
- इससे न केवल व्यक्तियों को सहायता लेने से रोका जाता है, बल्कि अवैध पदार्थों आपूर्ति शृंखला को भी जारी रहने दिया जाता है, जिससे भारत में मादक पदार्थों के दुरुपयोग में वृद्धि होती है।
भारत में मादक पदार्थों के दुरुपयोग से निपटने के लिये सरकार के क्या उपाय हैं?
- विधायी उपाय:
- स्वापक औषधि और मन:प्रभावी पदार्थ (NDPS) अधिनियम, 1985: यह स्वापक औषधियों और मन:प्रभावी पदार्थों के उत्पादन, विनिर्माण और तस्करी को नियंत्रित करता है।
- औषधि एवं प्रसाधन सामग्री अधिनियम, 1940 और स्वापक औषधि एवं मन:प्रभावी पदार्थ के अवैध व्यापार की रोकथाम (PITNDPS) अधिनियम, 1988 मादक पदार्थों की तस्करी और दुरुपयोग को नियंत्रित करने एवं रोकने के लिये कानूनी ढाँचे को नियंत्रित करते हैं।
- संस्थागत उपाय:
- राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (NIA): यह भारत में केंद्रीय आतंकवाद विरोधी कानून प्रवर्तन एजेंसी है।
- यह मादक पदार्थों की तस्करी से निपटने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है, विशेषकर जब इसमें राष्ट्रीय सुरक्षा की चिंता शामिल हो।
- यह अंतर-राज्यीय और अंतर्राष्ट्रीय संबंधों वाले मामलों की जाँच करता है, जिसमें आतंकवाद से जुड़े मादक पदार्थों की तस्करी नेटवर्क, हथियारों की तस्करी और सीमापार से घुसपैठ शामिल हैं।
- यह अंतर्राष्ट्रीय मादक पदार्थ व्यापार को बाधित करने, अवैध शिपमेंट को ज़ब्त करने और तस्करी में शामिल संगठित आपराधिक सिंडिकेट को नष्ट करने के लिये अन्य एजेंसियों के साथ समन्वय करता है।
- राष्ट्रीय नारकोटिक्स नियंत्रण ब्यूरो (NCB):
- NCB भारत की एक नोडल ड्रग कानून प्रवर्तन और खुफिया एजेंसी है। यह राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय एजेंसियों के साथ समन्वय करती है, और सार्क ड्रग अपराध निगरानी डेस्क (SDOMD) जैसी पहलों में भाग लेती है।
- अन्य प्रवर्तन एजेंसियाँ: राजस्व खुफिया निदेशालय (DRI), सीमा शुल्क विभाग और विभिन्न कानून प्रवर्तन एजेंसियाँ मादक पदार्थों की तस्करी पर अंकुश लगाने के लिये मिलकर काम करती हैं।
- राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (NIA): यह भारत में केंद्रीय आतंकवाद विरोधी कानून प्रवर्तन एजेंसी है।
- निवारक और पुनर्वास उपाय:
- मादक पदार्थों की मांग में कमी के लिये राष्ट्रीय कार्य योजना (NAPDDR): NAPDDR योजना जागरूकता अभियानों, क्षमता निर्माण कार्यक्रमों, नशामुक्ति और पुनर्वास सेवाओं के माध्यम से मादक पदार्थों की मांग को कम करने पर केंद्रित है।
- नशा मुक्त भारत अभियान (NMBA): NMBA को विशेष रूप से स्कूली बच्चों के बीच मादक पदार्थों के हानिकारक प्रभावों के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिये शुरू किया गया था।
- निदान और NCORD पोर्टल: निदान और NCORD पोर्टल ऑनलाइन प्लेटफॉर्म हैं, जो मादक पदार्थों के अपराधियों का विस्तृत डेटाबेस बनाए रखते हैं, और मादक पदार्थों से संबंधित अपराधों और प्रवृत्तियों पर नज़र रखने में कानून प्रवर्तन एजेंसियों की सहायता करते हैं।
- विशिष्ट पहल:
- प्रोजेक्ट सनराइज (वर्ष 2016):
- प्रोजेक्ट सनराइज पूर्वोत्तर राज्यों में मादक पदार्थों का इंजेक्शन लेने वाले लोगों में HIV के बढ़ते प्रसार की समस्या से निपट रहा है।
- नशा मुक्त भारत:
- नशा मुक्त भारत एक राष्ट्रव्यापी अभियान है, जो मादक पदार्थों के उपयोग और इसके सामाजिक परिणामों को रोकने के लिये सामुदायिक पहुँच पर केंद्रित है।
- ज़ब्ती सूचना प्रबंधन प्रणाली (SIMS):
- NCB द्वारा ऑनलाइन डेटाबेस के माध्यम से मादक पदार्थों से संबंधित अपराधों और अपराधियों पर नज़र रखने के लिये सिम्स पोर्टल विकसित किया गया था।
- नशामुक्ति केंद्र:
- AIIMS में राष्ट्रीय नशा निर्भरता उपचार केंद्र (NDDTC) जैसी संस्थाओं के साथ राज्य द्वारा संचालित केंद्र (जो नशे के आदी लोगों के लिये परामर्श, चिकित्सा उपचार और सामाजिक पुनः एकीकरण की सुविधा प्रदान करते हैं) स्थापित किये गए हैं।
- प्रोजेक्ट सनराइज (वर्ष 2016):
आगे की राह
- वर्तमान कानूनों को मज़बूत करना: बेहतर प्रशिक्षण, संसाधनों एवं आधुनिक प्रौद्योगिकी के माध्यम से NDPS तथा PITNDPS अधिनियमों के कार्यान्वयन को मज़बूत बनाना चाहिये।
- दंडात्मक उपायों के साथ-साथ पुनर्वास को एकीकृत करने, प्रवर्तन को मज़बूत करने एवं स्थानीय, राज्य तथा केंद्रीय अधिकारियों के बीच समन्वय में सुधार करने के लिये NDPS अधिनियम पर पुनर्विचार करने की आवश्यकता है।
- एकीकृत नीति दृष्टिकोण: सरकार को एकीकृत नीतियाँ विकसित करनी चाहिये जिससे मादक पदार्थों के दुरुपयोग के मूल कारणों को हल किया जा सके जिसमें स्वास्थ्य, शिक्षा एवं सामाजिक कल्याण जैसे क्षेत्र शामिल हों।
- दवा प्रवृत्तियों एवं हस्तक्षेप कार्यक्रमों की प्रभावशीलता पर नजर रखने के लिये निरंतर अनुसंधान आवश्यक है, जिससे डेटा-आधारित नीति समायोजन संभव हो सके।
- नशामुक्ति केंद्र और शिविर: ज़िला स्तर पर नशामुक्ति केंद्रों की स्थापना के साथ सरकारी एजेंसियों द्वारा पुनर्वास शिविरों के आयोजन से प्रभावित व्यक्तियों को सहायता मिल सकती है।
- दीर्घकालिक सुधार के साथ बीमारी के दोबारा होने की रोकथाम के लिये देखभाल के बाद परामर्श एवं पुनर्वास प्रयास आवश्यक हैं।
- शिक्षा एवं जागरूकता: स्कूलों को अपने पाठ्यक्रम में मादक पदार्थों के सेवन के बारे में शिक्षा को शामिल करना चाहिये तथा विद्यार्थियों को छोटी उम्र से ही मादक पदार्थों के सेवन के जोखिम एवं परिणामों के बारे में बताना चाहिये।
- नागरिक समाज एवं धार्मिक नेता स्कूलों तथा समुदायों में जागरूकता कार्यक्रमों के माध्यम से मादक पदार्थों के दुरुपयोग को रोकने, स्वस्थ विकल्पों को बढ़ावा देने तथा एथलीटों एवं अभिनेताओं जैसे रोल मॉडल को शामिल करने में महत्त्वपूर्ण योगदान दे सकते हैं।
- अंतर्राष्ट्रीय सहयोग: प्रभावी सूचना साझाकरण एवं तस्करी विरोधी उपायों के लिये पड़ोसी देशों तथा UNODC और इंटरपोल जैसे अंतर्राष्ट्रीय संगठनों के साथ संबंधों को मज़बूत करना चाहिये।
- प्रौद्योगिकी का उपयोग: मादक पदार्थों की तस्करी के नेटवर्क पर नज़र रखने तथा अवैध मादक पदार्थों के उत्पादन वाले क्षेत्रों की निगरानी करने के लिये AI, बिग डेटा एवं ड्रोन का उपयोग करना चाहिये। मादक पदार्थों से संबंधित गतिविधियों के लिये ऑनलाइन रिपोर्टिंग सिस्टम स्थापित करना चाहिये।
निष्कर्ष
संविधान के अनुच्छेद 47 में लोक स्वास्थ्य में सुधार के क्रम में हानिकारक पदार्थों के निषेध का आह्वान किया गया है। मादक पदार्थों के खतरे से प्रभावी ढंग से निपटने के लिये भारत को मज़बूत विनियमन एवं उन्नत विधिक तंत्र के साथ राज्यों के बीच बेहतर समन्वय की आवश्यकता है। इसके साथ ही इसकी रोकथाम, इसमें शामिल लोगों के पुनर्वास तथा सख्त प्रवर्तन पर केंद्रित एक व्यापक राष्ट्रीय नीति तैयार करना आवश्यक है।
दृष्टि मुख्य परीक्षा प्रश्न: प्रश्न: भारत में मादक पदार्थों के दुरुपयोग के मुद्दे पर चर्चा कीजिये। मादक पदार्थों के दुरुपयोग की समस्या से निपटने हेतु कुछ उपाय बताइये। |
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQs)प्रिलिम्सप्रश्न. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2019) 1. भ्रष्टाचार के विरुद्ध संयुक्त राष्ट्र कन्वेंशन [यूनाइटेड नेशंस कन्वेंशन अगेंस्ट करप्शन (UNCAC)] का ‘भूमि, समुद्र और वायुमार्ग से प्रवासियों की तस्करी के विरुद्ध एक प्रोटोकॉल’ होता है। उपर्युक्त में से कौन-से कथन सही हैं? (a) केवल 1 और 3 उत्तर: (c) मेन्सQ. संसार के दो सबसे बड़े अवैध अफीम उगाने वाले राज्यों से भारत की निकटता ने भारत की आंतरिक सुरक्षा चिंताओं को बढ़ा दिया है। मादक पदार्थों के अवैध व्यापार एवं बंदूक बेचने, गुपचुप धन भेजने और मानव तस्करी जैसी अवैध गतिविधियों के बीच कड़ियों को स्पष्ट कीजिये। इन गतिविधियों को रोकने के लिये क्या-क्या प्रतिरोधी उपाय किये जाने चाहिये? (2018) |