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सामाजिक न्याय

भाँग: मादक पदार्थों की सूची से बाहर

  • 05 Dec 2020
  • 9 min read

चर्चा में क्यों?

हाल ही में संयुक्त राष्ट्र (United Nations-UN) के मादक पदार्थ आयोग (Commission on Narcotic Drugs) ने प्रतिबंधित मादक पदार्थों पर अपने 63वें सत्र में विभिन्न महत्त्वपूर्ण फैसले लेते हुए भाँग (Cannabis/Marijuana or Hemp) को मादक पदार्थों की सबसे खतरनाक श्रेणी से बाहर कर दिया है।

प्रमुख बिंदु:

  • पृष्ठभूमि:
    • जनवरी 2019 में विश्व स्वास्थ्य संगठन (World Health Organisation- WHO) ने संयुक्त राष्ट्र की संधियों में भाँग को सूचीबद्ध किये जाने के संबंध में छह सिफारिशें की थीं, जिसमें भाँग तथा गाँजे को 1961 के सिंगल कन्वेंशन ऑन नारकोटिक्स ड्रग्स के सेक्शन 4 से हटाना भी शामिल था।
      • अनुसूची IV उन दवाओं की श्रेणी है जिन्हें अन्य दवाओं की तुलना में विशेष रूप से खतरनाक माना जाता है।
    • ये प्रस्ताव मार्च 2019 में CND के सत्र में विचार हेतु रखे जाने थे, लेकिन सदस्यों ने और अधिक समय का अनुरोध करते हुए इस विषय पर होने वाले मतदान को स्थगित कर दिया था।
  • वैश्विक निर्णय:
    • पुरानी स्थिति: CND द्वारा लिया गया यह निर्णय भाँग को अनुसूची-IV से बाहर करता है, जहाँ इसे हेरोइन सहित अन्य घातक ओपियोड्स व्यसनों के साथ सूचीबद्ध किया गया था।
    • वर्तमान स्थिति: अब भाँग और भाँग की राल (चरस) दोनों को अनुसूची I में रखा जाएगा जिसके अंतर्गत पदार्थों की सबसे कम खतरनाक श्रेणी को शामिल किया जाता है।
    • देश जो इस निर्णय के पक्ष में थे: CND के 53 सदस्य देशों में से 27 देशों, जिनमें भारत, अमेरिका और अधिकांश यूरोपीय राष्ट्र शामिल हैं, ने प्रस्ताव के पक्ष में मतदान किया।
    • देश जो इस निर्णय के पक्ष में नहीं थे: चीन, पाकिस्तान और रूस सहित 25 देश इसके पक्ष में नहीं थे,जबकि यूक्रेन ने मतदान में हिस्सा नहीं लिया।
  • महत्त्व:
    • चूँकि यह अभिसमय/कन्वेंशन वर्ष 1961 में लागू किया गया था, इसलिये भाँग सख्त नियंत्रण के अधीन था, जिसके चलते चिकित्सा उद्देश्यों के लिये भी इसके उपयोग को बहुत सीमित कर दिया गया था।
    • यद्यपि भाँग का पुनर्वर्गीकरण करने का निर्णय अत्यंत महत्त्वपूर्ण है फिर भी विश्व भर में इसकी स्थिति में तब तक परिवर्तन नहीं हो सकेगा जब तक कि विभिन्न देशों द्वारा अपने मौजूदा नियमों को जारी रखा जाएगा।
    • हालाँकि यह इस प्रक्रिया को प्रभावित करेगा, क्योंकि विभिन्न राष्ट्र अपने कानूनों को तैयार करते समय अंतर्राष्ट्रीय प्रोटोकॉल का अनुसरण करते हैं।
    • इस ऐतिहासिक निर्णय के साथ CND ने भाँग की औषधीय और चिकित्सीय क्षमता को मान्यता देने हेतु विभिन्न द्वार खोल दिये हैं।
  • भारत का रुख और विनियम:
    • भारत ने कन्वेंशन/अभिसमय में सबसे खतरनाक पदार्थों की सूची से भाँग और भाँग की राल यानी चरस को हटाने के पक्ष मतदान किया है।
    • भारत के नारकोटिक ड्रग्स एंड साइकोट्रॉपिक सब्सटेंस एक्ट 1985 (Narcotics Drugs and Psychotropic Substance Act 1985) के तहत भाँग का उत्पादन, निर्माण, स्वामित्व, बिक्री, खरीद, परिवहन और उपयोग दंडनीय अपराध माना  गया है।
      • इस अधिनियम को वर्ष1985 में अधिनियमित किया गया था तथा इसने खतरनाक ड्रग्स अधिनियम 1930 का स्थान लिया।
    • नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (NCB) को इनके अवैध उपयोग और मादक पदार्थों की आपूर्ति से संबंधित मामलों में व्यक्तियों पर लगे आरोपों की जाँच करने की शक्ति प्राप्त है।

कैनबिस

Cannabis-sativa

  • WHO के अनुसार, कैनबिस एक जेनेरिक शब्द है जिसका इस्तेमाल कैनाबिस सैटाइवा (Cannabis sativa) पौधे से निर्मित साइकोएक्टिव (मस्तिष्क को प्रभावित करने वाली) औषधि के मिश्रण को दर्शाने के लिये किया जाता है।
    • WHO के अनुसार, भाँग ऐसा मादक पदार्थ है जिसकी कृषि, तस्करी और अवैध उपयोग विश्व भर में व्यापक स्तर पर किया जाता है।
  • डेल्टा9 टेट्राहाइड्रोकैन्नाबिनॉल (Delta9 tetrahydrocannabinol-THC) भाँग में प्रमुख साइकोएक्टिव घटक होता है।
  • बिना परागण वाले मादा पौधों को हशीश कहा जाता है। भाँग का तेल (हशीश ऑयल) कैनाबिनोइड्स (वे यौगिक जो कि THC के समान संरचनात्मक हैं) का एक गाढ़ा घोल है जिसे भाँग के पौधे से प्राप्त कच्ची सामग्री या राल के विलायक निष्कर्षण द्वारा प्राप्त किया जाता है।
  • NDPS अधिनियम के अनुसार "भाँग के पौधे" का तात्पर्य कैनाबिस वर्ग के किसी भी पौधे से है।
  • ‘चरस’ भाँग के पौधे से निकाला गया एक अलग राल है। NDPS अधिनियम में भाँग के पौधे से प्राप्त अलग-अलग राल को शामिल किया गया है, चाहे वह कच्चा हो या संशोधित। 
    • यह अधिनियम गाँजा को भाँग के पौधे के फूल के रूप में परिभाषित करता है लेकिन यह बीज और पत्तियों को स्पष्ट रूप से बाहर करता है।
    • यह अधिनियम भाँग, चरस और गाँजा के दो रूपों में से किसी के साथ या बिना किसी के तटस्थ पदार्थ के मिश्रण या उससे तैयार किसी भी पेय को अवैध घोषित करता है।
    • कानून ने भाँग के पौधे के बीज और पत्तियों को अधिनियम के दायरे से बाहर कर दिया है, क्योंकि किनारों पर काँटेदार संरचना वाली पत्तियों में THC सामग्री नगण्य होती है।
    • ‘भाँग’, जिसे आमतौर पर होली जैसे त्योहारों के दौरान खाया जाता है, भाँग के पौधे की पत्तियों से बना एक पेस्ट है, इसलिये इसे गैर-कानूनी नहीं कहा जाता है।
    • इसी तरह CBD तेल (भाँग के पौधे की पत्तियों से प्राप्त कैनबिडिओल का संक्षिप्त रूप), NDPS अधिनियम के तहत नहीं आता।
      • NDPS अधिनियम भारत में भाँग के मनोरंजकपूर्ण उपयोग की अनुमति नहीं देता है।
      • यद्यपि ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक्स एक्ट, 1940 के तहत लाइसेंस के साथ निर्मित CBD तेल का कानूनी रूप से उपयोग किया जा सकता है लेकिन यह आमतौर पर प्रचलित नहीं है।

मादक पदार्थ आयोग (CND)

  • यह संयुक्त राष्ट्र की एक एजेंसी है, जो वैश्विक स्तर पर नशीली दवाओं से संबंधित अभिसमयों में मादक अथवा खतरनाक पदार्थों को सूचीबद्ध कर उनके नियंत्रण का दायरा तय करती है।
  • इसकी स्थापना वर्ष 1946 में की गई थी और इसका मुख्यालय वियना में स्थित है।
  • वर्ष 1961 के सिंगल कन्वेंशन ऑन नारकोटिक्स ड्रग्स की शुरुआत के बाद से भाँग के प्रति वैश्विक दृष्टिकोण में अत्यधिक बदलाव आया है, कई क्षेत्रों में भाँग का उपयोग मनोरंजन और दवा अथवा दोनों के लिये किया जाता है। 
  • वर्तमान में 50 से अधिक देशों में औषधीय उद्देश्यों के लिये भाँग के उपयोग की अनुमति दी गई है और कनाडा, उरुग्वे तथा अमेरिका के 15 राज्यों में मनोरंजन हेतु इसके उपयोग की अनुमति दी गई है।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

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