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आंतरिक सुरक्षा

मादक पदार्थों पर UNODC की रिपोर्ट

  • 01 Jul 2024
  • 19 min read

प्रिलिम्स के लिये:

ड्रग्स और अपराध पर संयुक्त राष्ट्र कार्यालय (UNODC), विश्व ड्रग रिपोर्ट 2024, कैनबिस, NDPS अधिनियम, NCB, अनिवासी भारतीय (NRI), गोल्डन क्रिसेंट और गोल्डन ट्राइंगल, मादक पदार्थों के दुरुपयोग पर नियंत्रण के लिये राष्ट्रीय कोष, मादक पदार्थों की मांग में कमी के लिये राष्ट्रीय कार्य योजना

मेन्स के लिये:

मादक पदार्थों से संबंधित चुनौतियाँ, मादक पदार्थों के दुरुपयोग की समस्या और संबंधित पहल।

स्रोत: डाउन टू अर्थ 

चर्चा में क्यों?

हाल ही में ड्रग्स और अपराध पर संयुक्त राष्ट्र कार्यालय (United Nations Office on Drugs and Crime- UNODC) ने विश्व ड्रग रिपोर्ट 2024 जारी की, जिसमें अंतर्राष्ट्रीय मादक पदार्थ परिदृश्य में बढ़ती चिंताओं की ओर वैश्विक ध्यान आकर्षित किया गया।

रिपोर्ट की प्रमुख बिंदु क्या हैं?

  • मादक पदार्थों का बढ़ता उपयोग:
    • वर्ष 2022 में दुनिया भर में मादक पदार्थों के उपयोगकर्त्ताओं की संख्या 292 मिलियन तक पहुँच गई, जो पिछले दशक की तुलना में 20% की वृद्धि दर्शाती है।
  • मादक पदार्थ वरीयता:
    • 228 मिलियन उपयोगकर्त्ताओं के साथ कैनबिस सबसे लोकप्रिय मादक पदार्थ है, इसके बाद ओपिओइड्स, एम्फेटामाइन्स, कोकेन और एक्स्टसी का स्थान है।
  • उभरते संकट: रिपोर्ट में नाइटाजेन के बारे में चेतावनी दी गई है, जो सिंथेटिक ओपिओइड का एक नया वर्ग है जो फेंटेनाइल से भी अधिक प्रभावशाली है।
    • ये पदार्थ, विशेष रूप से उच्च आय वाले देशों में, ओवरडोज से होने वाली मौतों में वृद्धि से जुड़े हैं।
  • उपचार अंतराल:
    • मादक पदार्थों के उपयोग से संबंधित विकारों से पीड़ित 64 मिलियन लोगों में से केवल 11 में से एक को ही उपचार मिल पाता है।
  • उपचार में लिंग असमानता:
    • रिपोर्ट में उपचार की उपलब्धता में लैंगिक अंतर का उल्लेख किया गया है। मादक पदार्थों के उपयोग से जुड़ी बीमारियों से पीड़ित 18 में से केवल एक महिला को ही उपचार मिल पाता है, जबकि सात में से एक पुरुष को ही उपचार मिल पाता है।
  • भारत में ड्रग का उपयोग:
    • नशे की लत में फँसे लोगों की संख्या में तेजी से वृद्धि हुई है। नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (NCB) के आँकड़ों के अनुसार, देश में इस समय करीब 10 करोड़ लोग विभिन्न नशीले पदार्थों के आदी हैं।
    • गृह मंत्रालय के अनुसार, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र और पंजाब वर्ष 2019 और 2021 के बीच तीन वर्षों में नारकोटिक ड्रग्स एंड साइकोट्रोपिक सब्सटेंस एक्ट (NDPS एक्ट) के तहत दर्ज सबसे अधिक FIR वाले शीर्ष तीन राज्य हैं।

विश्व में प्रमुख मादक पदार्थ उत्पादक क्षेत्र कौन-से हैं?

  • गोल्डन क्रीसेंट: इसमें अफगानिस्तान, ईरान और पाकिस्तान शामिल हैं, जो अफीम उत्पादन तथा वितरण का एक प्रमुख वैश्विक केंद्र है।
    • इसका प्रभाव जम्मू-कश्मीर, पंजाब, हिमाचल प्रदेश, राजस्थान और गुजरात जैसे भारतीय राज्यों पर प्रदर्शित होता है।
  • गोल्डन ट्राइंगल: यह लाओस, म्याँमार तथा थाईलैंड के मध्य स्थित है जो हेरोइन उत्पादन के लिये कुख्यात है (म्याँमार वैश्विक हेरोइन का 80% उत्पादन करता है)।
    • तस्करी के मार्ग लाओस, वियतनाम, थाईलैंड और भारत से होकर गुज़रते हैं।

Opiates_Consumer_Market

भारत में मादक पदार्थों के सेवन में योगदान देने वाले कारक क्या हैं?

  • गरीबी, बेरोज़गारी एवं  पलायनवाद: निम्न आय वर्ग के लोग गरीबी, बेरोज़गारी तथा  निकृष्ट जीवन स्थितियों जैसी कठोर वास्तविकताओं से अस्थायी रूप से बचने के लिये सस्ती, आसानी से उपलब्ध मादक पदार्थों का उपयोग करते हैं।
    • चेन्नई में आयोजित एक झुग्गी पुनर्वास कार्यक्रम में बताया गया कि 70% वयस्क मादक पदार्थों का उपयोग करने वालों में गरीबी से संबंधित तनाव एक प्रमुख कारण है।
  • साथियों का दबाव और सामाजिक प्रभाव: वयस्क पार्टियों में कूल दिखने के लिये मादक पदार्थों का प्रयोग करते हैं। युवा उन मशहूर हस्तियों या सोशल मीडिया के प्रभावशाली लोगों की नकल करते हैं जो मादक पदार्थों के उपयोग को फैशन के रूप में पेश करते हैं।
    • वर्ष 2023 साइबर अपराध इकाई की जाँच में पता चला कि एक नेटवर्क गोवा में फार्मा पार्टियों का विज्ञापन करने के लिये इंस्टाग्राम का उपयोग कर रहा था, जिसमें 100,000 से अधिक संभावित उपस्थित लोग शामिल थे।
  • कानूनी व्यवस्था की खामियाँ: संगठित अपराध गिरोह कानूनी व्यवस्था की खामियों का लाभ उठाते हैं, जैसे कि कमज़ोर सीमा नियंत्रण, ताकि वे ड्रग्स की तस्करी कर सकें। वे प्राय: अफ्रीका और दक्षिण एशिया से व्यापार मार्गों का दुरुपयोग करके मादक पदार्थों की तस्करी करते हैं।
    • वर्ष 2023 में, सीमा सुरक्षा बल ने भारत-पाकिस्तान सीमा पर 35% मादक पदार्थ की जब्त किये  है, जो इन मार्गों के माध्यम से अवैध मादक पदार्थों के प्रवाह को नियंत्रित करने में चल रही चुनौतियों पर प्रकाश डालता है।

मादक पदार्थों की तस्करी के संदर्भ में भारत के समक्ष विभिन्न चुनौतियाँ:

  • सीमा की संवेदनशीलता एवं सार्वजनिक स्वास्थ्य जोखिम: इससे भारत-म्याँमार सीमा (जो दुर्गम इलाकों और घने जंगलों से घिरी हुई है) पर सुरक्षा संबंधी चुनौतियाँ उत्पन्न होती हैं।
    • भारत से होकर अवैध नशीली दवाओं का प्रवाह, राष्ट्रीय सुरक्षा एवं सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिये जोखिम है।
  • सामाजिक-आर्थिक प्रभाव: उत्तर पूर्वी क्षेत्रों में गरीबी, बेरोज़गारी तथा निरक्षरता के कारण मादक पदार्थों  से संबंधित आपराधिक गतिविधियों में स्थानीय लोग संलिप्त रहते हैं।
    • कुछ स्थानीय जनजातियाँ एवं निवासी आर्थिक आवश्यकता या गलत सहानुभूति के कारण इस प्रक्रिया में भागीदार बन सकते हैं।
  • वैश्विक मादक पदार्थों आपूर्ति के केंद्र: गोल्डन क्रिसेंट एवं गोल्डन ट्राइंगल क्षेत्र, सामूहिक रूप से विश्व की लगभग 90% मादक पदार्थों की आपूर्ति करते हैं।
    • भारत की इन क्षेत्रों से निकटता नशीली दवाओं की तस्करी के जोखिम को बढ़ाती है।
  • तस्करी की विकसित होती तकनीकें: इससे कानून प्रवर्तन हेतु नवीन चुनौतियाँ प्रस्तुत होती हैं। पंजाब में हाल की घटनाओं में सीमा-पार मादक पदार्थों  एवं हथियारों की तस्करी के लिये ड्रोन के इस्तेमाल को देखा गया।
  • उभरता हुआ कोकीन बाज़ार: भारत कोकीन का लोकप्रिय गंतव्य बन गया है, जो दक्षिण अमेरिकी कार्टेल द्वारा नियंत्रित है। इन कार्टेलों ने जटिल नेटवर्क स्थापित किये हैं जिनमें निम्नलिखित शामिल हैं: 
    • कनाडा, ऑस्ट्रेलिया, सिंगापुर, हाॅन्गकाॅन्ग तथा विभिन्न यूरोपीय देशों के अनिवासी भारतीय (NRIs)
    • भारत के स्थानीय ड्रग डीलर एवं गैंगस्टर। 

स्वापक औषधि और मन:प्रभावी पदार्थ अधिनियम, 1985

  • यह अधिनियम मादक औषधि और मनोदैहिक पदार्थों के विनिर्माण, परिवहन और उपभोग को नियंत्रित करता है। 
  • इस अधिनियम के तहत कुछ अवैध गतिविधियों के वित्तपोषण जैसे कि भांग की खेती एवं मादक औषधि का विनिर्माण के साथ उनसे संबंधित व्यक्तियों को शरण देना एक प्रकार का अपराध है। 
  • इस अपराध के दोषी पाए जाने वाले व्यक्तियों को 10 से 20 वर्ष के कठोर कारावास के साथ कम-से-कम 1 लाख रुपए के ज़ुर्माने से दंडित किया जाएगा। 
  • यह मादक पदार्थों तथा मनोदैहिक पदार्थों के अवैध व्यापार से अर्जित या उपयोग की गई संपत्ति को ज़ब्त करने का भी प्रावधान करता है।
  • यह कुछ मामलों (जब कोई व्यक्ति बार-बार अपराधी पाया जाता है) में मृत्युदंड का भी प्रावधान करता है।
  • इस अधिनियम के तहत वर्ष 1986 में नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो का भी गठन किया गया था।

मादक पदार्थों के खतरे से निपटने हेतु पहल: 

  • प्रोजेक्ट सनराइज़: स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा वर्ष 2016 में उत्तर-पूर्वी राज्यों में बढ़ते HIV के प्रसार से निपटने हेतु विशेष रूप से मादक पदार्थों के इंजेक्शन का प्रयोग करने वाले लोगों में इसके प्रयोग को रोकने हेतु  'प्रोजेक्ट सनराइज़' (Project Sunrise) को शुरू किया गया था।
  • नशा मुक्त भारत: सरकार द्वारा ‘नशा मुक्त भारत अभियान’ (Nasha Mukt Bharat Abhiyan) की घोषणा की गई है जो सामुदायिक आउटरीच कार्यक्रमों पर केंद्रित है।
  • नार्को-समन्वय केंद्र: नवंबर 2016 में नार्को-समन्वय केंद्र (Narco-Coordination Centre- NCORD) का गठन किया गया और राज्य में ‘नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो’ की मदद के लिये ‘वित्तीय सहायता योजना’ का पुनरुद्धार किया गया।
  •  ज़ब्ती सूचना प्रबंधन प्रणाली: नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो को एक नया सॉफ्टवेयर विकसित करने हेतु धनराशि उपलब्ध कराई गई है अर्थात् ज़ब्ती सूचना प्रबंधन प्रणाली (Seizure Information Management System- SIMS), जिससे ड्रग अपराधों एवं अपराधियों का ऑनलाइन डेटाबेस तैयार हो सकेगा।
  • राष्ट्रीय ड्रग दुरुपयोग सर्वेक्षण: सरकार AIIMS के नेशनल ड्रग डिपेंडेंस ट्रीटमेंट सेंटर (National Drug Dependence Treatment Centre) की मदद से सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय के माध्यम से भारत में मादक पदार्थों के दुरुपयोग के आकलन हेतु एक राष्ट्रीय ड्रग सर्वेक्षण (National Drug Abuse Survey ) भी कर रही है।

आगे की राह

  • व्यापक रणनीति: जागरूकता बढ़ाने हेतु समुदाय-आधारित कार्यक्रमों के लिये UNODC द्वारा अनुशंसित रोकथाम, उपचार और कानूनी प्रवर्तन शामिल हैं।
    • रोकथाम:
      •  राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (NCPCR) तथा नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (NCB) द्वारा आयोजित राष्ट्रीय समीक्षा एवं परामर्श में 'मादक पदार्थों और मादक द्रव्यों के दुरुपयोग को रोकने के साथ ही अवैध तस्करी से निपटने के लिये संयुक्त कार्य योजना' पर ध्यान केंद्रित किया गया।
      • मीडिया अभियान कमज़ोर आबादी को लक्षित कर रहे हैं।
      • स्कूलों एवं कार्यस्थलों में शीघ्र हस्तक्षेप की रणनीतियाँ।
    • उपचार:
      • लोगों को मादक पदार्थों के उपयोग से बचने में सहायता प्रदान करने के लिये जानकारी एवं क्षमताएँ विकसित करना। ये पहल, जो सीधे-सादे "जस्ट से नो (Just Say No)" अभियान से परे हैं, में शामिल हैं:
        • मादक पदार्थों के प्रभावों और जोखिमों के बारे में सटीक जानकारी।
        • सहकर्मी दबाव एवं तनाव से निपटने की रणनीतियाँ।
        • निर्णय लेने के कौशल तथा आत्म-सम्मान का निर्माण।
        • व्यापक पुनर्प्राप्ति सहायता सेवाएँ प्रदान करना।
        • मादक पदार्थों के दुरुपयोग के उपचार से जुड़े कलंक को मनोचिकित्सा सहायता द्वारा कम करना।
    • कानूनी प्रवर्तन:
      • मादक पदार्थों के शिपमेंट को रोकने के लिये सीमा सुरक्षा को मज़बूत करना।
      • एजेंसियों (इंटरपोल) तथा देशों (गोल्डन क्रीसेंट तथा गोल्डन ट्राइंगल) के बीच खुफिया जानकारी साझा करने में सुधार करना।
      • उच्च स्तरीय मादक पदार्थ तस्करों और उनके वित्तीय नेटवर्क को लक्ष्य बनाना।
  • प्रौद्योगिकी का उपयोग:
    • स्कूलों में मादक पदार्थों तथा मादक द्रव्यों के सेवन के बारे में जागरूकता के लिये त्रैमासिक गतिविधियाँ संचालित करने हेतु नया पोर्टल 'प्रहरी' लॉन्च किया जाएगा।
      • एक ऑनलाइन रिपोर्टिंग प्रणाली विकसित करना जहाँ मादक पदार्थों के दुरुपयोग एवं तस्करी गतिविधियों की रिपोर्ट की जा सके। मादक पदार्थों की तस्करी के नेटवर्क की पहचान करने और उन पर नज़र रखने के लिये बिग डेटा, एनालिटिक्स एवं AI का उपयोग करना।
  • मानवीय दृष्टिकोण:3
    • मादक पदार्थों से संबंधित मामलों से निपटने में दंडात्मक उपायों की सीमाओं को देखते हुए, अधिक सुधारात्मक दृष्टिकोण अपनाने के लिये कानून में संशोधन की आवश्यकता है।
    • जब मादक पदार्थों के उपयोग को मानवाधिकारों और सार्वजनिक स्वास्थ्य के नज़रिये से देखा जाता है, तब व्यसन से प्रभावित लोगों के प्रति समझ तथा करुणा को बढ़ावा मिलता है।
    • संसाधनों को कारावास से पुनर्वास की ओर पुनर्निर्देशित करने से व्यक्तियों तथा समुदायों में बेहतर परिणाम प्राप्त किये जा सकते हैं।

दृष्टि मेन्स प्रश्न:

प्रश्न: मादक पदार्थों की तस्करी की चुनौतियाँ, विशेष रूप से भारत जैसे क्षेत्रों में, सीमा प्रबंधन के मुद्दों के साथ कैसे जुड़ी हुई हैं और इन जटिलताओं को दूर करने के लिये क्या रणनीतियाँ अपनाई जा रही हैं?

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रिलिम्स: 

प्रश्न. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2019)

  1. भ्रष्टाचार के विरुद्ध संयुक्त राष्ट्र कन्वेंशन [यूनाइटेड नेशन्स कन्वेंशनअगेंस्ट करप्शन (UNCAC)] का 'भूमि, समुद्र और वायुमार्ग से प्रवासियों की तस्करी के विरुद्ध एक प्रोटोकॉल' होता है।  
  2. UNCAC अब तक का सबसे पहला विधितः बाध्यकारी सार्वभौम भ्रष्टाचार-विरोधी लिखत है।  
  3. राष्ट्र-पार संगठित अपराध के विरुद्ध संयुक्त राष्ट्र कन्वेंशन [यूनाइटेड नेशन्स कन्वेंशन अगेंस्ट ट्रांसनेशनल क्राइम (UNTOC) की विशिष्टता ऐसे एक विशिष्ट अध्याय का समावेशन है, जिसका लक्ष्य उन संपत्तियों को उनके वैध स्वामियों को लौटाना है, जिनसे वे अवैध तरीके से ले ली गई थीं।  
  4. मादक द्रव्य और अपराध विषयक संयुक्त राष्ट्र कार्यालय [यूनाइटेड नेशन्स ऑफिस ऑन ड्रग्स एंड क्राइम (UNODC)] संयुक्त राष्ट्र के सदस्य राज्यों द्वारा UNCAC तथा UNTOC दोनों के कार्यान्वयन में सहयोग करने के लिये अधिदेशित है।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-से सही हैं?

(a) केवल 1 और 3
(b) केवल 2, 3 और 4
(c) केवल 2 और 4
(d) 1, 2, 3 और 4

उत्तर: (c)


मेन्स:

प्रश्न. विश्व के दो सबसे बड़े अवैध अफीम उत्पादक राज्यों से भारत की निकटता ने भारत की आंतरिक सुरक्षा चिंताओं को बढ़ा दिया है। नशीली दवाओं के अवैध व्यापार एवं बंदूक बेचने, गुपचुप धन विदेश भेजने और मानव तस्करी जैसी अवैध गतिविधियों के बीच कड़ियों को स्पष्ट कीजिये। इन गतिविधियों को रोकने के लिये क्या-क्या प्रतिरोधी उपाय किये जाने चाहिये? (2018)

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