विमुक्त जनजातियों को SC, ST और OBC के रूप में पुनर्वर्गीकृत करना | 31 Jan 2025

प्रिलिम्स के लिये:

SC/ST/OBC स्थिति के लिये मानदंड, संविधान (अनुसूचित जातियाँ) आदेश 1950, भारत के रजिस्ट्रार जनरल, विमुक्त जनजातियाँ (DNT), घुमंतू जनजातियाँ (NT), अर्द्ध-घुमंतू जनजातियाँ (SNT), विमुक्त, घुमंतू और अर्द्ध-घुमंतू समुदायों के लिये विकास और कल्याण बोर्ड (DWBDNC)।

मेन्स के लिये:

अनुसूचित जातियों और जनजातियों से संबंधित मुद्दे, सरकारी नीतियाँ और हस्तक्षेप, भारत में विमुक्त, खानाबदोश और अर्द्ध-खानाबदोश जनजातियों की स्थिति।

स्रोत: द हिंदू

चर्चा में क्यों?

भारतीय मानव विज्ञान सर्वेक्षण (AnSI) और जनजातीय अनुसंधान संस्थानों (TRI) द्वारा किये गए एक नृजातीय अध्ययन में विभिन्न राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की SC, ST और OBC सूचियों में 179 विमुक्त जनजातियों (DNT), घुमंतू जनजातियाँ (NT) और अर्द्ध-घुमंतू जनजातियों (SNT) को शामिल करने की सिफारिश की गई है।

  • अगस्त 2022 का अध्ययन नीति आयोग पैनल की समीक्षा के अधीन है और अंतिम अनुमोदन की प्रतीक्षा कर रहा है।

जनजातीय अनुसंधान संस्थान (TRI)

  • परिचय: TRI जनजातीय मामलों के मंत्रालय के तहत अनुसंधान निकाय हैं, जो राज्य स्तर पर काम करते हैं। संपूर्ण भारत में 28 TRI हैं।
  • प्राथमिक फोकस:
    • ज्ञान एवं अनुसंधान: जनजातीय विकास के लिये थिंक टैंक के रूप में कार्य करना।
    • सांस्कृतिक विरासत: जनजातीय संस्कृति और परंपराओं का संरक्षण और संवर्द्धन करना।
    • साक्ष्य-आधारित योजना: जनजातीय विकास नीतियों और कानूनों के लिये राज्य सरकारों को डेटा और अंतर्दृष्टि प्रदान करना।
    • क्षमता निर्माण: जनजातीय लोगों और जनजातीय समुदायों के साथ काम करने वाली संस्थाओं के कौशल और क्षमताओं को बढ़ाना।

भारतीय मानवविज्ञान सर्वेक्षण (AnSI)

  • AnSI वर्ष 1945 में स्थापित एक सरकारी वित्त पोषित अनुसंधान संगठन है जो भारत की सांस्कृतिक, जैविक और भाषाई विविधता का अध्ययन करता है।
  • कार्य: अनुसंधान डेटा का संग्रहण, संरक्षण और उसका प्रकशन करना और इसके अतिरिक्त क्षेत्र सर्वेक्षण करना तथा अंतर्राष्ट्रीय अनुसंधान निकायों के साथ सहयोग करना।
  • मुख्यालय: यह कोलकाता, पश्चिम बंगाल में स्थित है।

उपर्युक्त जनजातियों पर किये गए अध्ययन संबंधी प्रमुख बिंदु कौन-से हैं?

  • नये परिवर्द्धन: कुल 179 अनुशंसित समुदायों में से 46 समुदायों को OBC में, 29 समुदायों को SC में और 10 समुदायों को ST में शामिल किये जाने का प्रस्ताव किया गया है। 
    • त्तर प्रदेश, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, मध्य प्रदेश और राजस्थान सबसे अधिक प्रभावित हैं, तथा सबसे अधिक नए परिवर्धन उत्तर प्रदेश के लिये किये गए।
  • पता न लगा पाने की समस्या: 63 समुदायों का पता नहीं लगाया जा सका, जिससे यह सुझाव मिलता है कि वे समुदाय समीकृत हो गए हैं अथवा नाम में परिवर्तन कर लिया है अथवा पलायन कर गए हैं। 
    • यह वर्गीकरण प्रक्रिया के समक्ष चुनौती है तथा ऐसे समुदायों की पहचान करने में चिंता उत्पन्न होती है जिनमें महत्त्वपूर्ण सामाजिक एकीकरण हुआ है।
  • मौजूदा समुदायों का वर्गीकरण: अध्ययन में 9 मौजूदा समुदायों के वर्गीकरण को सही करने का भी सुझाव दिया गया है, जिन्हें राज्य या केंद्रीय सूचियों में या तो गलत वर्गीकृत किया गया था या अपर्याप्त रूप से सूचीबद्ध किया गया था।

भारत में SC/ST/OBC सूची में परिवर्तन की प्रक्रिया क्या है?

  • समावेशन के मानदंड:
    • अनुसूचित जाति (SC): ऐतिहासिक रीति-रिवाज़ या अस्पृश्यता से उत्पन्न सामाजिक, शैक्षिक और आर्थिक पिछड़ापन।
    • अनुसूचित जनजातियाँ (ST): आदिम लक्षणों के संकेत, विशिष्ट संस्कृति, बड़े पैमाने पर समुदाय के साथ संपर्क करने में संकोच, भौगोलिक अलगाव, पिछड़ापन।
    • अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC): सामाजिक, शैक्षिक और आर्थिक पिछड़ापन, साथ ही सरकारी सेवाओं में अपर्याप्त प्रतिनिधित्व।
  • प्रक्रिया:
    • प्रारंभ और जाँच: किसी समुदाय को SC/ST/OBC सूची में शामिल किये जाने अथवा बाहर करने के लिये प्रस्ताव पर कार्य सबसे पहले राज्य सरकारों/संघ राज्य क्षेत्रों द्वारा शुरू किया जाता है, जिसे बाद में भारत के रजिस्ट्रार जनरल (RGI) और NCSC या NCST द्वारा समर्थित किया जाता है। 
      • केंद्रीय OBC सूची में शामिल करने के लिये NCBC अधिनियम, 1993 की धारा 9 के अनुसार राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग (NCBC) की सिफारिशों की आवश्यकता होती है।
      • SC/ST श्रेणी में शामिल करने की प्रक्रिया संविधान के अनुच्छेद 341 (SC के लिये) और अनुच्छेद 342 (ST के लिये) द्वारा शासित होती है।
      • प्रस्ताव की सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय द्वारा जाँच की जाती है, जो RGI के इनपुट के साथ सामाजिक-आर्थिक कारकों और ऐतिहासिक आँकड़ों के आधार पर इसका मूल्यांकन करता है।
      • सूचियों में संशोधन प्रस्ताव की समीक्षा और केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा अनुमोदन के अधीन हैं।
  • संसदीय प्रक्रिया: SC/ST/OBC सूची में प्रस्तावित परिवर्तनों को औपचारिक रूप देने के लिये संसद में एक संवैधानिक संशोधन विधेयक पेश किया जाता है।
    • विधेयक को विशेष बहुमत, अर्थात उपस्थित और मतदान करने वाले सदस्यों के दो-तिहाई बहुमत के साथ-साथ सदन की कुल संख्या के 50% से अधिक सदस्यों का समर्थन, से पारित कराने की आवश्यकता होती है।
  • राष्ट्रपति की स्वीकृति और कार्यान्वयन: संसद के दोनों सदनों द्वारा पारित होने के बाद, विधेयक को राष्ट्रपति की स्वीकृति के लिये भेजा जाता है। राष्ट्रपति द्वारा स्वीकृति दिये जाने के बाद, SC/ST/OBC में संशोधन आधिकारिक रूप से लागू हो जाते हैं।

भारत के रजिस्ट्रार जनरल (RGI):

  • गृह मंत्रालय के अधीन वर्ष 1961 में स्थापित, भारत के महापंजीयक सर्वेक्षण, जिसमें जनगणना और भारतीय भाषाई सर्वेक्षण शामिल हैं, की देखरेख करता है। 

भारत में SC, ST और OBC से संबंधित संवैधानिक प्रावधान क्या हैं?

  • मौलिक अधिकार:
    • अनुच्छेद 17 और 23 अस्पृश्यता और मानव तस्करी पर रोक लगाते हैं तथा अनुसूचित जातियों के लिये सुरक्षा सुनिश्चित करते हैं।
      • अनुच्छेद 15(4) शैक्षणिक संस्थाओं में उन्नति के लिये विशेष प्रावधान की अनुमति देता है।
      • अनुच्छेद 16(4) सार्वजनिक रोज़गार में आरक्षण का प्रावधान करता है ।
      • राजनीतिक प्रतिनिधित्व: अनुच्छेद 330, अनुच्छेद 332
    • अनुच्छेद 340, अनुच्छेद 341 और अनुच्छेद 342:
      • अनुच्छेद 340: राष्ट्रपति को पिछड़े वर्गों की जाँच करने और कल्याणकारी उपायों की सिफारिश करने के लिये एक आयोग नियुक्त करने का अधिकार है।
      • अनुच्छेद 341: राष्ट्रपति को किसी राज्य या केंद्रशासित प्रदेश के लिये अनुसूचित जातियों को निर्दिष्ट करने का अधिकार देता है।
      • अनुच्छेद 342: इसके तहत राष्ट्रपति को किसी राज्य या केंद्रशासित प्रदेश के लिये अनुसूचित जनजातियों को निर्दिष्ट करने का अधिकार दिया गया है।
    • अनुच्छेद 46: अनुच्छेद 46 के तहत राज्य को अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों एवं समाज के अन्य कमज़ोर वर्गों के शैक्षिक एवं आर्थिक हितों को बढ़ावा देने का निर्देश दिया गया है।
  • अनुच्छेद 338 और 338A: इसमें SC/ST के हितों की रक्षा के लिये NCSC और NCST की स्थापना का प्रावधान है।
  • राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग (NCBC): इसे अनुच्छेद 338B के तहत 102वें संविधान संशोधन अधिनियम (2018) के माध्यम से स्थापित किया गया।
  • अनुसूचित जनजातियों के लिये विशेष प्रशासन: पाँचवीं अनुसूची और छठी अनुसूची

दृष्टि मुख्य परीक्षा प्रश्न:

भारत में अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों और अन्य पिछड़े वर्गों के सामाजिक-आर्थिक उत्थान के लिये उपलब्ध संवैधानिक सुरक्षा उपाय एवं योजनाएँ क्या हैं?

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रिलिम्स:

प्र. यदि किसी विशिष्ट क्षेत्र को भारत के संविधान की पाँचवी अनुसूची के अधीन लाया जाए, तो निम्नलिखित कथनों में कौन-सा एक कथन इसके परिणाम को सर्वोत्तम रूप से दर्शाता है? (2022)

(a) इससे जनजातीय लोगों की ज़मीनें गैर-जनजातीय लोगों के अंतरित करने पर रोक लगेगी।
(b) इससे उस क्षेत्र में एक स्थानीय स्वशासी निकाय का सृजन होगा।
(c) इससे वह क्षेत्र संघ राज्य क्षेत्र में बदल जाएगा।
(d) जिस राज्य के पास ऐसे क्षेत्र होंगे, उसे विशेष कोटि का राज्य घोषित किया जाएगा क्षेत्रों वाले राज्य को विशेष श्रेणी का राज्य घोषित किया जाएगा।

उत्तर: (a)


प्र. भारत के संविधान की किस अनुसूची के तहत खनन के लिये निजी पार्टियों को आदिवासी भूमि के हस्तांतरण को शून्य और शून्य घोषित किया जा सकता है? (2019)

(A) तीसरी अनुसूची
(B) पाँचवी अनुसूची
(C) नौवीं अनुसूची
(D) बारहवीं अनुसूची

उत्तर: (B)


मेन्स:

प्रश्न. वर्ष 2001 में आर.जी.आई. ने कहा कि दलित जो इस्लाम या ईसाई धर्म में परिवर्तित हो गए हैं, वे एक भी जातीय समूह नहीं हैं क्योंकि वे विभिन्न जाति समूहों से संबंधित हैं। इसलिये उन्हें अनुच्छेद 341 के खंड (2) के अनुसार अनुसूचित जाति (SC) की सूची में शामिल नहीं किया जा सकता है, जिसमें शामिल करने हेतु एकल जातीय समूह की आवश्यकता होती है। (2014)

प्रश्न. क्या राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग (NCSC) धार्मिक अल्पसंख्यक संस्थानों में अनुसूचित जातियों के लिये संवैधानिक आरक्षण के क्रियान्वयन का प्रवर्तन करा सकता है? परीक्षण कीजिये। (2018)