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सामाजिक न्याय

विमुक्त जनजातियों से संबंधित चुनौतियाँ और विकास

  • 13 Jan 2025
  • 15 min read

प्रिलिम्स के लिये:

इदाते आयोग की रिपोर्ट, भारत में खानाबदोश, अर्द्ध खानाबदोश और विमुक्त जनजातियाँ (NTs, SNTs और DNTs), राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोगकंजर, नट, पारधी और सपेरा, छठी अनुसूची। 

मेन्स के लिये:

विमुक्त जनजातियाँ (DNT), खानाबदोश जनजातियाँ (NT) और अर्द्ध-खानाबदोश जनजातियाँ (SNT) से संबंधित मुद्दे, चुनौतियाँ और उपाय।

स्रोत: द हिंदू 

चर्चा में क्यों?

भारत में विमुक्त जनजातियों (DNT), खानाबदोश जनजातियों (NT) और अर्द्ध-खानाबदोश जनजातियों (SNT) के समक्ष अनेक चुनौतियाँ हैं, जिनमें अधिकांश राज्यों द्वारा जाति प्रमाण-पत्र देने से मना करना भी शामिल है। 

  • भारत सरकार द्वारा विमुक्त/घुमंतू/अर्द्ध-खानाबदोश (SEED) समुदायों के आर्थिक सशक्तीकरण की योजना शुरू करने के बावजूद, विभिन्न अन्य मुद्दों के कारण इन समुदायों में असंतोष बढ़ रहा है।

NTs, SNTs और DNTs के समक्ष आने वाली प्रमुख चुनौतियाँ कौन सी हैं?

  • ऐतिहासिक अन्याय: ब्रिटिश शासन के दौरान इन जनजातियों को आपराधिक जनजाति अधिनियम, 1871 के तहत आपराधिक जनजाति करार दिया गया, जिससे उन्हें पीढ़ियों तक कलंक का सामना करना पड़ा।
    • वर्ष 1952 में विमुक्त होने के बावजूद, इनके प्रति नकारात्मक दृष्टिकोण बने रहने से इनके सामाजिक तथा आर्थिक समावेश पर प्रभाव पड़ रहा है।
    • ऐतिहासिक रूप से, खानाबदोश जनजातियों एवं विमुक्त जनजातियों को कभी भी निजी भूमि या घर का स्वामित्व प्राप्त नहीं था।
  • अवर्गीकृत समुदाय: इदाते आयोग (2017) ने कुल 1,526 DNT, NT और SNT समुदायों की पहचान की।
    • इन 1,526 चिन्हित समुदायों में से 269 समुदाय अभी भी अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति या अन्य पिछड़ा वर्ग की श्रेणियों के अंतर्गत वर्गीकृत नहीं हैं।
    • इसी प्रकार इन समुदायों के कई लोग 29 राज्यों में जाति प्रमाण पत्र प्राप्त करने में असमर्थ हैं जिससे कल्याणकारी योजनाओं तक उनकी पहुँच सीमित हो जाती है।
    • कई अनुमानों के अनुसार यहाँ की जनसंख्या 25 करोड़ से अधिक है फिर भी इनमें से अनेक लोगों के पास बुनियादी पहचान का अभाव है।
  • कार्यान्वयन में कमी: इदाते आयोग की सिफारिशों (जिनमें स्थायी आयोग तथा जाति-जनगणना को शामिल करने सहित अन्य प्रावधान शामिल हैं) पर अभी तक विचार नहीं किया गया हैं।
    • देरी और लोगों तक पहुँच की कमी के कारण SEED योजना को सीमित सफलता मिली है। SC/ST/OBC योजनाओं के साथ लाभ की ओवरलैपिंग के कारण लाभार्थी की पहचान में मुश्किलें आती हैं।
  • प्रतिनिधित्व का अभाव: DNT समुदायों के लिये नेतृत्व के पदों की कमी बनी हुई है तथा खानाबदोश और अर्द्ध-खानाबदोश समुदायों (DWBDNC) के विकास व कल्याण हेतु बोर्ड में कोई पूर्णकालिक अध्यक्ष नहीं है।

इदाते आयोग, 2014 

  • परिचय: इसकी स्थापना वर्ष 2014 में भीकू रामजी इदाते के नेतृत्व में विमुक्त, खानाबदोश और अर्द्ध-खानाबदोश जनजातियों (DNT) की राज्यव्यापी सूची संकलित करने के लिये की गई थी।
  • अधिदेश: इनके द्वारा अनुसूचित जाति (SC), अनुसूचित जनजाति (ST) और अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) श्रेणियों से बाहर रखे गए लोगों को पहचानना एवं उनके कल्याण के लिये कल्याणकारी उपायों की सिफारिश करना, अधिदेशित किया गया था।
  • अनुशंसाएँ:
    • DNT, SNT और NT के लिये विधिक दर्ज़ा सहित एक स्थायी आयोग बनाया जाए।
    • अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति/अन्य पिछड़ा वर्ग की सूची में न पहचाने गए व्यक्तियों को अन्य पिछड़ा वर्ग श्रेणी में शामिल किया जाए।
    • अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989 में तृतीय अनुसूची को शामिल करके विधिक और संवैधानिक सुरक्षा उपायों को बढ़ाना ताकि अत्याचारों को रोका जा सके और समुदाय के सदस्यों के बीच सुरक्षा की भावना बहाल की जा सके।
    • महत्त्वपूर्ण जनसंख्या वाले राज्यों में इन समुदायों के कल्याण के लिये एक अलग विभाग की स्थापना करना।
    • DNT परिवारों की अनुमानित संख्या और वितरण का निर्धारण करने के लिये उनका गहन सर्वेक्षण किये जाने की आवश्यकता है।

नोट: विमुक्त जनजातियों (DNT) के लिये एक स्थायी आयोग की स्थापना करने के बजाय, सरकार ने सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय के तहत DWBDNC की स्थापना की, यह कहते हुए कि एक स्थायी आयोग SC, ST और OBC के लिये मौज़ूदा राष्ट्रीय आयोगों के साथ संघर्ष करेगा

DNT, NT और SNT कौन हैं?

  • परिचय: विमुक्त जनजाति शब्द का तात्पर्य उन समुदायों से है, जिन्हें कभी आपराधिक जनजाति अधिनियम, 1871 के अंतर्गत वर्गीकृत किया गया था, जिसे ब्रिटिश सरकार द्वारा लागू किया गया था।
    • वर्ष 1952 में भारत सरकार द्वारा इन अधिनियमों को समाप्त कर दिया गया, जिसके परिणामस्वरूप इन समुदायों की अधिसूचना समाप्त हो गई।
    • इनमें से कुछ समुदाय जो विमुक्त घोषित किये गये थे, वे भी खानाबदोश थे।
      • खानाबदोश और अर्द्ध-खानाबदोश समुदायों को उन लोगों के रूप में परिभाषित किया जाता है जो प्रत्येक समय एक स्थान पर रहने के बजाय एक स्थान से दूसरे स्थान पर विचरण करते रहते हैं।
    • अधिकांश DNT अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग श्रेणियों में आते हैं, कुछ DNT अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति या अन्य पिछड़ा वर्ग श्रेणियों में शामिल नहीं हैं।
  • वितरण: विमुक्त जनजातियाँ विभिन्न समुदायों को शामिल करती हैं, जिनमें से प्रत्येक की सांस्कृतिक प्रथाएँ, भाषाएँ और सामाजिक-आर्थिक स्थितियाँ अद्वितीय हैं। समुदायों में कंजर, नट, पारधी और सपेरा शामिल हैं।
    • अनुमानतः दक्षिण एशिया में विश्व की सबसे बड़ी खानाबदोश जनसंख्या है। भारत में लगभग 10% आबादी NT, SNT और DNT की है। 
    • जबकि लगभग 150 विमुक्त जनजातियाँ हैं, खानाबदोश जनजातियों की आबादी में लगभग 500 अलग-अलग समुदाय शामिल हैं। 
  • DNT, NT और SNT समुदायों के लिये प्रमुख समितियाँ/आयोग:
    • संयुक्त प्रांत (वर्तमान उत्तर प्रदेश) में आपराधिक जनजाति अन्वेषण समिति, 1947 की स्थापना की गई।
  • अनंतशयनम अयंगर समिति, 1949।
    • इस समिति की सिफारिश के आधार पर आपराधिक जनजाति अधिनियम, 1871 को निरस्त कर दिया गया।
  • काका कालेलकर आयोग (जिसे प्रथम OBC आयोग भी कहा जाता है), 1953।
  • बी.पी. मंडल आयोग, 1980
    • आयोग ने NT, SNT और DNT समुदायों के मुद्दे से संबंधित कुछ सिफारिशें भी कीं।
  • संविधान के कार्यकरण की समीक्षा के लिये राष्ट्रीय आयोग (NCRWC), 2002 ने माना कि DNT को अनुचित तरीके से अपराध प्रवण के रूप में कलंकित किया गया है और कानून एवं व्यवस्था तथा सामान्य समाज के प्रतिनिधियों द्वारा उनके साथ दुर्व्यवहार तथा शोषण किया गया है।
  • रेनके आयोग (2005): आयोग ने उस समय उनकी जनसंख्या लगभग 10 से 12 करोड़ होने का अनुमान लगाया था।

विमुक्त/घुमंतू/अर्द्ध-घुमंतू (SEED) समुदायों के आर्थिक सशक्तीकरण की योजना क्या है?

  • परिचय: सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय द्वारा फरवरी 2022 में विमुक्त, घुमंतू, अर्द्ध-घुमंतू समुदायों के आर्थिक सशक्तीकरण के लिये योजना शुरू की गई थी।
  • उद्देश्य और घटक: इसका उद्देश्य इन छात्रों को सिविल सेवा, चिकित्सा, इंजीनियरिंग, MBA आदि जैसे व्यावसायिक पाठ्यक्रमों में प्रवेश के लिये निःशुल्क प्रतियोगी परीक्षा कोचिंग प्रदान करना है।
  • विशेषताएँ: इसके तहत वर्ष 2021-22 से आगामी पाँच वर्षों की अवधि में 200 करोड़ रुपए का व्यय सुनिश्चित किया गया है।
    • DWBDNC को इस योजना के कार्यान्वयन का कार्य सौंपा गया है।

विमुक्त/घुमंतू/अर्द्ध-घुमंतू समुदायों के लिये भारत द्वारा क्या प्रयास किये गए हैं?

  • DNT के लिये डॉ. अंबेडकर प्री-मैट्रिक और पोस्ट-मैट्रिक छात्रवृत्ति: यह केंद्र प्रायोजित योजना वर्ष 2014-15 में ऐसे DNT छात्रों के कल्याण के लिये शुरू की गई थी जो SC, ST या OBC के अंतर्गत नहीं आते हैं।
  • DNT बालक और बालिकाओं के लिये छात्रावास निर्माण की नानाजी देशमुख योजना: 2014-15 में शुरू की गई यह केंद्र प्रायोजित योजना राज्य सरकारों/संघ राज्य क्षेत्र प्रशासनों/केंद्रीय विश्वविद्यालयों के माध्यम से कार्यान्वित की जाती है।
    • इस कार्यक्रम का लक्ष्य उन DNT छात्रों को छात्रावास आवास उपलब्ध कराना है जो SC, ST या OBC श्रेणी में नहीं आते हैं।

आगे की राह

  • नीति कार्यान्वयन: शीघ्र कार्रवाई कर अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति/अन्य पिछड़ा वर्ग ढाँचे के भीतर DNT समुदायों का वर्गीकरण करना। नियमित जाति वर्गीकरण के साथ-साथ जाति प्रमाण पत्र जारी किये जाने चाहिये। जैसे SC-DNT, ST-DNT।
    • SEED योजना का सुदृढ़ीकरण: सक्रिय गैर-सरकारी संगठन (NGO) की भागीदारी और जागरूकता अभियान के माध्यम से जनसंपर्क में सुधार किया जाना चाहिये।
      • पात्रता प्रक्रियाओं को सरल बनाया जाना चाहिये ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि सभी पात्र परिवारों को शिक्षा, आवास और आजीविका सहायता प्राप्त हो सके।
    • पहचान और प्रतिनिधित्व: इन समुदायों की वास्तविक जनसंख्या और सामाजिक-आर्थिक स्थिति जानने के लिये जाति-आधारित जनगणना आयोजित की जानी चाहिये।
      • आरक्षित नेतृत्व भूमिकाओं के माध्यम से नीति निर्माण में सामुदायिक प्रतिनिधित्व को प्रोत्साहित किया जाना चाहिये।
  • संस्थागत सुधार: DNT कल्याण की देखरेख के लिये स्पष्ट अधिदेश के साथ एक स्थायी आयोग की स्थापना की आवश्यकता है। शिकायतों के समाधान के लिये ज़िला स्तरीय शिकायत समितियों का गठन सुनिश्चित किया जाना चाहिये।

दृष्टि मेन्स प्रश्न:

प्रश्न. विमुक्त और घुमंतू जनजाति समुदायों के समक्ष विद्यमान सामाजिक-आर्थिक चुनौतियों का समालोचनात्मक परीक्षण कीजिये और उनके उत्थान के लिये नीतिगत उपायों का सुझाव दीजिये।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रिलिम्स:

प्रश्न. भारत के 'चांगपा' समुदाय के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2014)

  1. वे मुख्य रूप से उत्तराखंड राज्य में रहते हैं। 
  2. वे पश्मीना बकरियों को पालते हैं जिनसे उन्नत ऊन प्राप्त होता है।
  3. इन्हें अनुसूचित जनजाति की श्रेणी में रखा गया है।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

(a) केवल 1 
(b) केवल 2 और 3 
(c) केवल 3 
(d) 1, 2 और 3 

उत्तर: (b) 


मुख्य:

प्रश्न. स्वतंत्रता के बाद अनुसूचित जनजातियों (ST) के प्रति भेदभाव को दूर करने के लिये, राज्य द्वारा की गई दो प्रमुख विधिक पहलें क्या हैं? (2017)

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