खाप पंचायतों में सुधार | 16 Nov 2024

प्रिलिम्स के लिये:

वैकल्पिक विवाद समाधान (ADR), जाति-आधारित परिषदें, संघर्ष समाधान, लैंगिक असमानता, संवैधानिक अधिकार, राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण (1987), मध्यस्थता और सुलह (संशोधन) विधेयक, 2021, ADR प्रणाली, मध्यस्थता, मानवाधिकार, बेरोज़गारी, शिक्षा, ग्रामीण विकास

मेन्स के लिये:

विवाद समाधान में वैकल्पिक विवाद समाधान का महत्त्व।

स्रोत: ईपीडब्लू

चर्चा में क्यों?

खाप पंचायतें प्राय: कई कारणों से समाचारों में होती हैं, जिनमें कुछ नेता बेरोज़गारी, शिक्षा और ग्रामीण विकास सहित प्रमुख सामाजिक और आर्थिक मुद्दों के समाधान के लिये प्रगतिशील सुधारों की वकालत करते हैं। 

  • खाप पंचायतों को आधुनिक बनाने और विनियमित करने के प्रयास भी किये जा रहे हैं, तथा बेहतर प्रशासन और जवाबदेही के लिये उन्हें औपचारिक वैकल्पिक विवाद समाधान (ADR)  प्रणालियों में एकीकृत किया जा रहा है।

खाप पंचायत क्या है?

  • खाप पंचायतें मुख्य रूप से उत्तर भारत, विशेषकर हरियाणा और उत्तर प्रदेश में पारंपरिक समुदाय-आधारित परिषदें हैं, जो अनौपचारिक न्यायिक निकायों के रूप में कार्य करती हैं।
  • एक गोत्र या फिर बिरादरी के सभी गोत्र मिलकर खाप पंचायत बनाते हैं। यह पाँच गाँवों की भी हो सकती है और 20-25 गाँवों की भी हो सकती है। जिस क्षेत्र में जो कोई गोत्र अधिक प्रभावशाली होता है, उसी का उस खाप पंचायत में सबसे अधिक दबदबा होता है।
  • ऐतिहासिक भूमिका: इस प्रणाली ने ग्रामीण समाजों में सामाजिक व्यवस्था बनाए रखने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई, जाति पदानुक्रम के भीतर संघर्ष समाधान के लिये एक मंच के रूप में कार्य किया और प्रथागत मानदंडों को प्राथमिकता देते हुए औपचारिक कानूनी प्रणालियों के समानांतर काम किया।
  • खाप पंचायतों से संबंधित मुद्दे :
    • पितृसत्तात्मक प्रथाएँ: वे अक्सर लैंगिक असमानता से जुड़ी होती हैं, कठोर सामाजिक मानदंडों को लागू करती हैं जो महिलाओं की स्वायत्तता को प्रतिबंधित करती हैं।
    • ऑनर किलिंग: अंतरजातीय और समान गोत्र विवाह का विरोध करने के लिये कुख्यात, कभी-कभी ऑनर किलिंग जैसे चरम मामलों को मंजूरी देना।
    • वैधता संबंधी चिंताएँ: उनके निर्णय अक्सर संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन करते हैं तथा व्यक्तिगत स्वतंत्रता, समानता और गरिमा के सिद्धांतों के साथ टकराव पैदा करते हैं।
    • जाति और सामाजिक असमानताएँ : जातिगत पदानुक्रम को बनाए रखने पर उनका ध्यान भेदभाव और बहिष्कार को मजबूत करता है।
  • लैंगिक गतिशीलता और खाप पंचायतों की उभरती भूमिकाएँ :
    • महिला खिलाड़ियों के लिये समर्थन: खापों ने सफल महिला खिलाड़ियों को सम्मानित किया है, जिससे महिलाओं में खेल संस्कृति को बढ़ावा मिला है।
    • लैंगिक न्याय: यौन उत्पीड़न के खिलाफ 2023 के पहलवानों के विरोध का समर्थन किया, जो लैंगिक-संबंधी सक्रियता की ओर एक बदलाव को चिह्नित करता है।
      • उदाहरण के लिये, हरियाणा की सबसे प्रभावशाली खापों में से एक, महम चौबीसी, न्याय, सामाजिक परिवर्तन को बढ़ावा देने और महिलाओं के मुद्दों को सुलझाने में बढ़ती भूमिका निभा रही है।

खाप पंचायत से संबंधित सर्वोच्च न्यायालय का फैसला

  • शक्ति वाहिनी बनाम भारत संघ मामला, 2018, भारत के सर्वोच्च न्यायालय का एक ऐतिहासिक निर्णय था, जिसमें ऑनर किलिंग और अंतरजातीय विवाह के मुद्दे के संबंध में निर्णय दिया था। 
  • न्यायालय ने फैसला सुनाया कि ऑनर किलिंग मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है तथा ऐसे अपराधों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की आवश्यकता पर बल दिया। 
  • इसने राज्य सरकारों को ऑनर ​​किलिंग को रोकने के लिये सक्रिय कदम उठाने का निर्देश दिया, जिसमें विशेष प्रकोष्ठों की स्थापना और अपने परिवारों से खतरे का सामना कर रहे जोड़ों (युगलों) को सुरक्षा प्रदान करना शामिल है। 

वैकल्पिक विवाद समाधान (ADR) तंत्र क्या है?

  • परिचय: 
    • ADR विवाद समाधान की एक गैर-प्रतिकूल विधि है जो पारस्परिक रूप से लाभकारी परिणामों तक पहुँचने के लिये सहकारी प्रयासों को प्रोत्साहित करती है।
    • इससे न्यायालयीय भार को कम करने में सहायता प्राप्त होती है तथा संबंधित पक्षों को एक संतोषजनक अनुभव प्राप्त होता है।
    • ADR रचनात्मक सौदेबाजी,अंतर्निहित हितों की पूर्ति और समाधान का विस्तार करने में सक्षम बनाता है।
    • ADR की आवश्यकता:
    • भारत की न्यायिक प्रणाली लंबित मामलों की बढ़ती संख्या और देरी के कारण अत्यधिक तनाव का सामना कर रही है, जिससे ADR पद्धतियों की आवश्यकता को बल मिलता है।
    • ADR गोपनीयता सुनिश्चित करता है, लागत प्रभावी है और साथ ही अनुकूलता प्रदान करता है,परिणामस्वरूप रचनात्मक समाधान और बेहतर संबंध निर्मित होते हैं।
  • ADR तंत्र के प्रकार:
    • मध्यस्थता : विवादों का समाधान मध्यस्थ न्यायाधिकरण द्वारा किया जाता है जिसका निर्णय बाध्यकारी होता है तथा इसमें सीमित न्यायिक हस्तक्षेप की गुंजाइश होती है।
    • समझौता: एक तीसरा पक्ष विवादित पक्षों को पारस्परिक रूप से संतोषजनक समझौते तक पहुँचने में मदद करता है, जिसमें सिफारिशों को स्वीकार या अस्वीकार करने का विकल्प होता है।
    • सुलह: मध्यस्थ पक्षों के बीच संवाद स्थापित करने तथा विवादों को सौहार्दपूर्ण ढंग से निपटाने में मदद करता है, तथा नियंत्रण पक्षों के पास छोड़ देता है।
    • वार्ता: एक गैर-बाध्यकारी पद्धति जिसमें पक्षकार तीसरे पक्ष की भागीदारी के बिना विवादों को सुलझाने के लिये सीधे बातचीत करते हैं।
  • भारत में ADR की स्थिति:
    • वैधानिक समर्थन: राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण (1987) और मध्यस्थता एवं सुलह अधिनियम (1996) अदालत के बाहर समझौते को बढ़ावा देते हैं।
    • दलील-सौदेबाजी: पूर्व-परीक्षण वार्ता के लिये दंड प्रक्रिया संहिता (संशोधन) अधिनियम, 2005 (अब भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता) में प्रस्तुत किया गया।
    • लोक अदालतें: अनौपचारिक जन अदालतें जो कानूनी पेचीदगियों के बिना विवादों का समाधान करती हैं।
    • हालिया घटनाक्रम: मध्यस्थता और सुलह (संशोधन) विधेयक (2021) दुरुपयोग को संबोधित करता है, और मध्यस्थता और सुलह (संशोधन) विधेयक, 2021 परिवर्तनों की सिफारिश करता है।

खाप पंचायत को औपचारिक ADR का हिस्सा बनाने के लिये क्या किया जा सकता है?

  • वैकल्पिक विवाद समाधान (ADR) को बढ़ावा देना: संवैधानिक सिद्धांतों के अनुरूप ढाँचे के भीतर मध्यस्थ भूमिकाओं को वैध बनाकर खाप पंचायतों को औपचारिक ADR प्रणाली में एकीकृत किया जा सकता है।
    • खाप नेताओं को मध्यस्थता और पंचनिर्णय तकनीकों पर प्रशिक्षण प्रदान किया जा सकता है ताकि विवादों के निष्पक्ष समाधान हेतु उनकी क्षमता में वृद्धि की जा सके।
  • विधिक विनियमन: खाप पंचायत की गतिविधियों के दायरे और सीमाओं को परिभाषित करने के लिये कानून तैयार कर या सुनिश्चित किया जा सकता है कि इनके निर्णय भारतीय कानूनों और मानवाधिकारों के अनुरूप हों।
    • उनके कार्यों की निगरानी के लिये निरीक्षण तंत्र स्थापित किये जाने चाहिये तथा ऑनर किलिंग या जबरन विवाह रद्द करने जैसी असंवैधानिक प्रथाओं पर रोक लगाई जानी चाहिये।
  • विकास पर ध्यान केंद्रित करना: कुछ खाप नेता प्रगतिशील रुख का समर्थन करते हैं तथा बेरोज़गारी, शिक्षा और ग्रामीण विकास जैसी सामाजिक व आर्थिक चुनौतियों का समाधान करना चाहते हैं।
    • खाप पंचायतों को आधुनिक बनाने या विनियमित करने के प्रयास जारी हैं, जिसमें उन्हें औपचारिक विवाद समाधान प्रणालियों में एकीकृत करना भी शामिल है।
  • जागरूकता और जवाबदेही: संवैधानिक अधिकारों और कानूनी प्रणाली के महत्त्व पर समुदायों को शिक्षित करने के लिये सार्वजनिक जागरूकता अभियान चलाए जाने चाहिये।
    • खाप पंचायतों को उन कार्यों के लिये जवाबदेह ठहराया जाना चाहिये जो न्याय अथवा समानता की भावना को कमज़ोर करते हैं।
  • औपचारिक संस्थाओं के साथ सहयोग: समावेशी निर्णय लेने वाले ढाँचे का निर्माण करने के लिये खाप पंचायतों और स्थानीय शासन निकायों के बीच साझेदारी को सरल बनाया जा सकता है।
    • यह सुनिश्चित करने के लिये कि निर्णय कानूनी रूप से सही हैं, इन पंचायतों में न्यायपालिका के प्रतिनिधियों को शामिल किया जा सकता है।

निष्कर्ष

परंपरागत होने के बावजूद खाप पंचायतों को वैकल्पिक विवाद समाधान के प्रभावी उपकरण के रूप में कार्य करने के लिये विकसित किया जाना चाहिये चाहिये। अपनी प्रथाओं को संवैधानिक मूल्यों के साथ जोड़कर, सामुदायिक विकास को बढ़ावा देकर तथा सुधारों को अपनाकर, वे ग्रामीण शासन में सकारात्मक योगदान देते हुए सांस्कृतिक महत्त्व को कायम रख सकते हैं। खापों को ADR निकायों में परिवर्तित करने के लिये कानूनी विनियमन, सामुदायिक जागरूकता की आवश्यकता है तथा समाज में न्याय, समता एवं सद्भाव सुनिश्चित करने हेतु इनकी निगरानी भी आवश्यक होगी।

दृष्टि मेन्स प्रश्न:

प्रश्न: वैकल्पिक विवाद समाधान (ADR) के क्या लाभ हैं? खाप पंचायतों को ADR प्रणाली में शामिल करने से भारत की न्यायिक प्रणाली पर बोझ कम करने में कैसे मदद मिलेगी?

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रिलिम्स:

प्रश्न: राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2013)

  1. इसका उद्देश्य समान अवसरों के आधार पर समाज के कमजोर वर्गों को निशुल्क एवं सक्षम विधिक सेवाएँ उपलब्ध कराना है।
  2. यह देश-भर में विधिक कार्यक्रमों और योजनाओं को लागू करने के लिये राज्य विधिक सेवा प्राधिकरणों को निर्देश जारी करता है।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

(a) केवल 1 
(b) केवल 2
(c) 1 और 2 दोनों 
(d) न तो 1 और न ही 2

उत्तर: (c)


मेन्स:

प्रश्न. खाप पंचायतें संविधानेतर प्राधिकरणों के तौर पर प्रकार्य करने, अक्सर मानवाधिकार उल्लंघनों की कोटि में आने वाले निर्णयों को देने के कारण खबरों में बनी रही हैं। इस संबंध में स्थिति को ठीक करने के लिये विधानमंडल, कार्यपालिका और न्यायपालिका द्वारा की गई कार्रवाइयों पर समालोचनात्मक चर्चा कीजिये। (2015)