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जैव विविधता और पर्यावरण

वर्ष 2030 तक मीथेन उत्सर्जन को समाप्त करना

  • 15 May 2023
  • 15 min read

प्रिलिम्स के लिये:

मीथेन गैस, संबंधित पहल, COP-28, जलवायु परिवर्तन, शुद्ध शून्य उत्सर्जन

मेन्स के लिये:

ग्लोबल वार्मिंग पर मीथेन उत्सर्जन के प्रभाव, नई ऊर्जा प्रणालियों के संक्रमण में हाइड्रोकार्बन की भूमिका, जलवायु शमन में जलवायु प्रौद्योगिकियों का महत्त्व 

चर्चा में क्यों?  

हाल ही में COP-28 के नामित अध्यक्ष सुल्तान अहमद अल जाबेर ने तेल और गैस उद्योग से वर्ष 2030 तक मीथेन उत्सर्जन को समाप्त करने एवं वर्ष 2050 तक या उससे पहले व्यापक शुद्ध-शून्य उत्सर्जन योजनाओं के साथ संरेखित करने का आह्वान किया है क्योंकि मीथेन जलवायु परिवर्तन के विरुद्ध लड़ाई में गंभीर चिंता के रूप में उभरी है। 

  • जलवायु कार्यवाही और ऊर्जा संक्रमण में विकासशील देशों की समावेशिता एवं सक्रिय भागीदारी के महत्त्व के साथ-साथ जलवायु शमन के लिये प्रौद्योगिकियों को अपनाने पर ज़ोर दिया गया।
  • COP-28 या 28वाँ  संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन 30 नवंबर से 12 दिसंबर के बीच संयुक्त अरब अमीरात में आयोजित होने वाला है।

मीथेन: 

  • परिचय: 
    • मीथेन सबसे सरल हाइड्रोकार्बन है, जिसमें एक कार्बन परमाणु और चार हाइड्रोजन परमाणु (CH4) होते हैं।
      • यह ज्वलनशील है और इसे विश्व भर में ईंधन के रूप में उपयोग किया जाता है।
    • मीथेन शक्तिशाली ग्रीनहाउस गैस है।
    • वातावरण में अपने जीवन के पहले 20 वर्षों में मीथेन में कार्बन डाइऑक्साइड की तुलना में तापन शक्ति 80 गुना से अधिक होती है।
    • कार्बन डाइऑक्साइड की तुलना में वातावरण में इसका जीवनकाल कम होता है।
    • मीथेन के सामान्य स्रोत तेल और प्राकृतिक गैस प्रणाली, कृषि गतिविधियाँ, कोयला खनन और अपशिष्ट हैं।
  • प्रभाव: 
    • अधिक ग्लोबल वार्मिंग क्षमता:
      • अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी (IEA) की रिपोर्ट के अनुसार, जीवाश्म ईंधन संचालन सभी मानव गतिविधियों से एक-तिहाई से अधिक मीथेन उत्पन्न करता है।
      • यह ग्लोबल वार्मिंग क्षमता के मामले में कार्बन डाइऑक्साइड की तुलना में लगभग 80-85 गुना अधिक शक्तिशाली है।
        • यह अन्य ग्रीनहाउस गैसों को कम करने के लिये एक साथ काम करते हुए ग्लोबल वार्मिंग को और अधिक तेज़ी से कम करने हेतु एक महत्त्वपूर्ण लक्ष्य निर्धारित करती है।
      • मीथेन औद्योगिक क्रांति के बाद से वैश्विक तापमान में लगभग 30% की वृद्धि के लिये ज़िम्मेदार है। 
    • क्षोभमंडलीय ओज़ोन के उत्पादन को बढ़ावा: 
      • इसके बढ़ते उत्सर्जन के कारण क्षोभमंडलीय ओज़ोन वायु प्रदूषण में वृद्धि हो रही है, जिसके कारण सालाना दस लाख से अधिक लोगों की अकाल मृत्यु होती है।

मीथेन से ऊर्जा संक्रमण में हाइड्रोकार्बन की भूमिका: 

  • संक्रमण में भूमिका:  
    • हाइड्रोकार्बन ऊर्जा का एक विश्वसनीय और आसानी से उपलब्ध स्रोत प्रदान करके नई ऊर्जा प्रणालियों में बदलाव के दौरान एक संक्रमणकालीन भूमिका निभा सकते हैं।
  • सेतु ईंधन की भूमिका:  
    • ये कार्बन उत्सर्जन को कम कर ऊर्जा की मांग को पूरा करने में मदद करते हुए उच्च कार्बन जीवाश्म ईंधन एवं स्वच्छ विकल्पों के बीच एक सेतु ईंधन के रूप में काम कर सकते हैं।
  • ऊर्जा प्रणाली की स्थिरता:  
    • हाइड्रोकार्बन नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों को एकीकृत करने के प्रारंभिक चरणों के दौरान ऊर्जा प्रणाली की स्थिरता को बनाए रखने में योगदान करते हैं। 
  • मौजूदा बुनियादी ढाँचा:  
    • हाइड्रोकार्बन निकालने, संसाधित करने और वितरित करने हेतु बुनियादी ढाँचा पहले से ही स्थापित है, जिससे नई ऊर्जा प्रणालियों में सहज संक्रमण हो सकता है।
  • कार्बन तीव्रता में कमी: 
    • उत्पादन और खपत प्रक्रियाओं के दौरान स्वच्छ प्रौद्योगिकियों और प्रथाओं को लागू करके हाइड्रोकार्बन के कार्बन फुटप्रिंट को कम करने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिये।

विकासशील देशों को ऊर्जा संक्रमण में शामिल करने के प्रयास: 

  • वित्तीय सहायता बढ़ाना:  
    • विकासशील देशों को स्वच्छ ऊर्जा स्रोतों और प्रौद्योगिकियों को अपनाने हेतु पर्याप्त जलवायु वित्त प्रदान करना।
  • तकनीकी हस्तांतरण:
    • किफायती और कुशल समाधानों तक पहुँच सुनिश्चित करते हुए विकसित देशों से विकासशील देशों को स्वच्छ ऊर्जा प्रौद्योगिकियों के हस्तांतरण की सुविधा प्रदान करना।
  • क्षमता निर्माण:
    • स्वच्छ ऊर्जा परियोजनाओं को लागू करने और प्रबंधित करने में विकासशील देशों की क्षमता का निर्माण करने हेतु प्रशिक्षण कार्यक्रमों एवं ज्ञान-साझाकरण पहलों में निवेश करना।
  • नीतिगत समर्थन:  
    • अक्षय ऊर्जा और ऊर्जा-कुशल प्रथाओं को अपनाने को प्रोत्साहित करने वाली सहायक नीतियों एवं विनियमों को विकसित करने तथा लागू करने में विकासशील देशों की सहायता करना।
  • सार्वजनिक-निजी साझेदारी:
    • विकासशील देशों के ऊर्जा संक्रमण का समर्थन करने में संसाधनों, विशेषज्ञता और नवाचार का लाभ उठाने हेतु सार्वजनिक एवं निजी क्षेत्रों के बीच सहयोग को बढ़ावा देना।

जलवायु शमन में जलवायु प्रौद्योगिकियों की भूमिका: 

  • नवीकरणीय ऊर्जा प्रौद्योगिकियाँ: 
    • जलवायु प्रौद्योगिकियाँ सौर, पवन, जल और भूतापीय ऊर्जा जैसे नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों की एक विस्तृत शृंखला को शामिल करती हैं।
    • ये प्रौद्योगिकियाँ स्वच्छ और टिकाऊ ऊर्जा उत्पादन को सक्षम बनाती हैं, जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता को कम करने के साथ ही कार्बन उत्सर्जन कम करती हैं।
  • ऊर्जा दक्षता प्रौद्योगिकियाँ:  
    • इमारतों, परिवहन और उद्योगों सहित विभिन्न क्षेत्रों में ऊर्जा दक्षता बढ़ाना जलवायु प्रौद्योगिकी के केंद्र में है। 
    • ऊर्जा प्रदर्शन में सुधार करने वाले स्मार्ट मीटर, ऊर्जा-कुशल उपकरण और इन्सुलेशन जैसी प्रौद्योगिकियों का निर्माण।
      • बैटरी और ऊर्जा भंडारण परिवर्तनीय नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों को एकीकृत करना संभव बनाता है तथा विश्वसनीय एवं सुरक्षित ग्रिड संचालन के लिये बैकअप ऊर्जा प्रदान करता है।
      • इन प्रौद्योगिकियों का उद्देश्य ऊर्जा की खपत और अपव्यय को कम करना है, इससे कार्बन उत्सर्जन में कमी आती है।
  • कार्बन कैप्चर, उपयोगिता और संग्रहण (CCUS):  
    • CCUS प्रौद्योगिकियाँ विद्युत संयंत्रों और औद्योगिक ईकाइयों से निकलने वाले कार्बन डाइऑक्साइड को कैप्चर करती हैं तथा उन्हें वातावरण में निष्काषित होने से रोकती हैं।
      • कैप्चर किये गए कार्बन को भूमिगत रूप से संग्रहीत किया जाता है अथवा अन्य अनुप्रयोगों में उपयोग किया जाता है, यह प्रभावी रूप से ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को कम करता है।
  • सतत् परिवहन प्रौद्योगिकियाँ:  
    • जलवायु प्रौद्योगिकियाँ इलेक्ट्रिक वाहनों, हाइड्रोजन ईंधन बैटरियों और उन्नत जैव ईंधन जैसे कम कार्बन उत्सर्जन वाले परिवहन संबंधी समाधानों के विकास एवं उन्हें अपनाने को प्रोत्साहित करती हैं।
    • ये प्रौद्योगिकियाँ ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में महत्त्वपूर्ण योगदान देने वाले परिवहन क्षेत्र से उत्सर्जन को कम करने में मदद करती हैं।
  • चक्रीय अर्थव्यवस्था प्रौद्योगिकियाँ: 
    • यह संसाधनों के उपयोग को अनुकूलित करती हैं और पुन: उपयोग, मरम्मत, पुनर्नवीनीकरण किये जाने योग्य उत्पादों तथा प्रणालियों को डिज़ाइन करके अपशिष्ट को कम करती हैं।

मीथेन उत्सर्जन में कटौती के लिये पहल: 

  • भारतीय: 
    • 'हरित धारा': भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) ने एंटी-मिथेनोज़ेनिक फीड सप्लीमेंट 'हरित धारा' विकसित की है, जो मवेशी मीथेन उत्सर्जन को 17-20% तक कम कर सकती है और इसके परिणामस्वरूप उच्च दूध उत्पादन भी हो सकता है। 
    • भारत ग्रीनहाउस गैस कार्यक्रम: विश्व संसाधन संस्थान (WRI) भारत (गैर-लाभकारी संगठन), भारतीय उद्योग परिसंघ (CII) तथा ऊर्जा और संसाधन संस्थान (TERI) के नेतृत्त्व में भारत GHG कार्यक्रम ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को मापने व प्रबंधित करने के लिये उद्योग-आधारित एक स्वैच्छिक ढाँचा है।  
      • यह कार्यक्रम उत्सर्जन को कम करने और भारत में अधिक लाभदायक, प्रतिस्पर्द्धी व टिकाऊ व्यवसायों एवं संगठनों को चलाने के लिये व्यापक माप तथा प्रबंधन रणनीतियों का निर्माण करता है। 
    • जलवायु परिवर्तन पर राष्ट्रीय कार्ययोजना (NAPCC): NAPCC को वर्ष 2008 में लॉन्च किया गया था जिसका उद्देश्य जनप्रतिनिधियों, सरकार की विभिन्न एजेंसियों, वैज्ञानिकों, उद्योग और समुदायों के बीच जलवायु परिवर्तन से उत्पन्न खतरे एवं इसका मुकाबला करने के लिये जागरूकता पैदा करना है। 
    • भारत स्टेज-VI मानदंड: भारत स्टेज-IV (BS-IV) के बाद भारत स्टेज-VI (BS-VI)  नवीनतम उत्सर्जन संबंधी मानदंड है।
  • वैश्विक: 
    • मीथेन अलर्ट एंड रिस्पांस सिस्टम (MARS): 
      • MARS बड़ी मात्रा में मौजूदा और भविष्य के उपग्रहों से डेटा एकीकृत करेगा, जो दुनिया में कहीं भी मीथेन उत्सर्जन की घटनाओं का पता लगाने की क्षमता रखता है तथा संबंधित हितधारकों को इस पर कार्रवाई करने के लिये सूचनाएँ भेजता है।  
    • वैश्विक मीथेन प्रतिज्ञा: 
      • वर्ष 2021 में ग्लासगो जलवायु सम्मेलन, CoP26 में लगभग 100 देश स्वैच्छिक प्रतिज्ञा में एक साथ आए थे, जिसे वैश्विक मीथेन प्रतिज्ञा के रूप में संदर्भित किया गया था, इसका उद्देश्य वर्ष 2020 के स्तर से वर्ष 2030 तक मीथेन उत्सर्जन में कम-से-कम 30% की कमी करना है।
    • ग्लोबल मीथेन इनिशिएटिव: 
      • GMI एक अंतर्राष्ट्रीय सार्वजनिक-निजी भागीदारी है जो स्वच्छ ऊर्जा स्रोत के रूप में मीथेन के उपयोग के समक्ष उत्पन्न बाधाओं को कम करने पर बल देती है।

  UPSC यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रिलिम्स:

प्रश्न 1. ‘मीथेन हाइड्रेट’ के निक्षेपों के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों में से कौन-से सही हैं? (2019) 

  1. भूमंडलीय तापन के कारण इन निक्षेपों से मीथेन गैस का निर्मुक्त होना प्रेरित हो सकता है।  
  2. ‘मीथेन हाइड्रेट’ के विशाल निक्षेप उत्तरी ध्रुवीय टुंड्रा में तथा समुद्र अधस्तल के नीचे पाए जाते हैं। 
  3.  वायुमंडल में मीथेन एक या दो दशक के बाद कार्बन डाइऑक्साइड में ऑक्सीकृत हो जाती है।  

नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये:

(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 2 और 3
(c) केवल 1 और 3
(d) 1, 2 और 3 

उत्तर: (d) 


प्रश्न 2. निम्नलिखित पर विचार कीजिये: (2019) 

  1. कार्बन मोनोआक्साइड 
  2. मीथेन  
  3. ओज़ोन 
  4. सल्फर डाइऑक्साइड 

उपर्युक्त में से कौन फसल/बायोमास अवशेषों को जलाने के कारण वातावरण में उत्सर्जित होते हैं?

(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 2, 3 और 4
(c) केवल 1 और 4
(d) 1, 2, 3 और 4 

उत्तर: (d)  

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस  

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