विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी
लद्दाख में भू-तापीय उर्जा
- 25 Aug 2022
- 13 min read
प्रिलिम्स के लिये:भू-तापीय ऊर्जा, लद्दाख की भौगोलिक अवस्थिति। मेन्स के लिये:भू-तापीय ऊर्जा, इसके उपयोग और लाभ, भारत के लिये भू-तापीय ऊर्जा का महत्त्व। |
चर्चा में क्यों ?
सरकार द्वारा संचालित अन्वेषक तेल और प्राकृतिक गैस निगम (ONGC) भारत-चीन वास्तविक सीमा रेखा पर चुमार सड़क से दूर लद्दाख में स्थित पूगा घाटी में विद्युत उत्पन्न करने के लिये भू-तापीय ऊर्जा संयंत्र की स्थापना करेगा।
पूगा परियोजना:
- पूगा घाटी:
- पूगा घाटी साल्ट लेक घाटी से लगभग 22 किलोमीटर दूर लद्दाख के दक्षिण-पूर्वी भाग में चांगथांग घाटी में स्थित है।
- यह अत्यंत महत्त्वपूर्ण क्षेत्र है जो अपनी प्राकृतिक सुंदरता और भू-तापीय गतिविधियों के लिये जाना जाता है।
- पूगा घाटी अपने सल्फर युक्त ऊष्ण झरने/हॉट सल्फर स्प्रिंग्स ( Hot Sulphur Springs) के लिये भी जानी जाती है।
- भू-तापीय उर्जा परियोजना:
- यह भारत की पहली भू-तापीय ऊर्जा परियोजना है जो 14,000 फीट की ऊँचाई पर दुनिया की सबसे ऊँची परियोजना भी होगी।
- ONGC ने परियोजना के लिये अपने पहले कुएँ की खुदाई भी शुरू कर दी है और यह प्रति घंटे 100 टन भू-तापीय ऊर्जा के निर्वहन दर के साथ 100 C० पर उच्च दबाव वाली वाष्प उर्जा उत्पन्न कर सकती है, जिसे परियोजना के लिये एक अच्छा संकेत माना जाता है।
- विभिन्न चरण:
- पायलट परियोजना के तौर पर कंपनी पहले चरण में एक मेगावाट विद्युत् संयंत्र संचालन के लिये 1,000 मीटर गहरे कुओं की खुदाई करेगी।
- दूसरे चरण में भू-तापीय जलाशय की गहन खोज और एक उच्च क्षमता प्रदर्शन संयंत्र की परिकल्पना की गई है।
- तीसरे चरण में भू-तापीय संयंत्र का वाणिज्यिक विकास शामिल होगा।
- संभावित लाभ:
- यह सौर या पवन ऊर्जा के व्यापक क्षेत्र के क्षितिज का विस्तार करके लद्दाख की देश की स्वच्छ ऊर्जा क्षेत्र में से एक के रूप में उभरने की क्षमता को बढ़ावा देगा।
- पायलट परियोजना के तहत यह संयंत्र सुमडो और आसपास के क्षेत्रों में तिब्बती चरवाहा शरणार्थी बस्तियों की आस-पास की बस्तियों को विद्युत् और उष्मन की ज़रूरतें प्रदान करेगा।
- एक बड़ा संयंत्र दूर-दराज की बस्तियों और पूर्वी क्षेत्र में बड़े रक्षा प्रतिष्ठानों के लिए 24X7 आपूर्ति प्रदान करेगा, जिससे जनरेटर चलाने के लिये डीज़ल पर उनकी निर्भरता कम होगी।
- यह संयंत्र दक्षिण-पश्चिम में पास के मैदानों में 15-गीगावाट सौर/पवन परियोजना हेतु एक स्थिरक के रूप में एक महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।
- भू-तापीय ऊर्जा की स्थिति:
- राष्ट्रीय:
- भारतीय भू-गर्भीय सर्वेक्षण ने देश में लगभग 340 भू-तापीय उष्ण झरनों की पहचान की है। उनमें से अधिकांश का सामान्य तापमान 370C° से 900C° की सीमा में हैं, जो प्रत्यक्ष उष्मीय अनुप्रयोगों के लिये उपयुक्त है।
- इन स्थलों पर विद्युत उत्पादन की क्षमता लगभग 10,000 मेगावाट है।
- देश में उष्ण झरनों को सात भू-तापीय क्षेत्रों में बाँटा गया है:
- हिमालय, सहारा घाटी, खंभात बेसिन, सोन-नर्मदा-ताप्ती लिनियामेंट बेल्ट, पश्चिमी तट, गोदावरी बेसिन और महानदी बेसिन।
- कुछ प्रमुख स्थान जहाँ भू-तापीय ऊर्जा के आधार पर एक विद्युत् संयंत्र स्थापित किया जा सकता है:
- हिमाचल प्रदेश में मणिकर्ण
- महाराष्ट्र में जलगाँव
- उत्तराखंड में तपोवन
- पश्चिम बंगाल में बकरेश्वर
- गुजरात में तुवा
- भारतीय भू-गर्भीय सर्वेक्षण ने देश में लगभग 340 भू-तापीय उष्ण झरनों की पहचान की है। उनमें से अधिकांश का सामान्य तापमान 370C° से 900C° की सीमा में हैं, जो प्रत्यक्ष उष्मीय अनुप्रयोगों के लिये उपयुक्त है।
- वैश्विक:
- गीगावाट-आकार की भू-तापीय क्षमताएँ:
- अमेरिका:
- भू-तापीय विद्युत् उत्पादन के मामले में अमेरिका दुनिया में प्रथम स्थान पर है।
- इंडोनेशिया:
- इंडोनेशिया दूसरा सबसे बड़ा भू-तापीय विद्युत् उत्पादक देश था।
- फिलीपींस
- तुर्की
- न्यूज़ीलैंड
- अमेरिका:
- मेक्सिको और इटली के पास 900 मेगावाट भू-तापीय उर्जा से अधिक क्षमता है, जबकि केन्या के पास 800 मेगावाट से अधिक है, इसके बाद आइसलैंड, जापान और अन्य देशों का स्थान है।
- गीगावाट-आकार की भू-तापीय क्षमताएँ:
- राष्ट्रीय:
भू-तापीय ऊर्जा
- परिचय:
- भू-तापीय ऊर्जा पृथ्वी से निकलने वाली ऊष्मा है। इस ऊर्जा का इस्तेमाल इमारतों को गर्म करने और विद्युत् उत्पादन में किया जाता है।
- जियोथर्मल शब्द ग्रीक शब्द जियो (पृथ्वी) और थर्म (ऊष्मा) से आया है, और भू-तापीय ऊर्जा एक नवीकरणीय ऊर्जा स्रोत है क्योंकि पृथ्वी के भीतर लगातार ऊष्मा उत्पन्न होती रहती है।
- स्रोत:
- पृथ्वी में गहरे बसे गर्म पानी या भाप के जलाशयों तक ड्रिलिंग द्वारा पहुँचा जाता है।
- पृथ्वी की सतह के नीचे स्थित भू-तापीय जलाशय अधिकांशतः पश्चिमी अमेरिका, अलास्का और हवाई में स्थित हैं।
- पृथ्वी की सतह के पास की उथली जमीन 50-60 F° का अपेक्षाकृत स्थिर तापमान बनाए रखती है।
- प्रयोग:
- जलाशयों से गर्म पानी और भाप का उपयोग जनरेटर चलाने तथा उपभोक्ताओं के लिये विद्युत् का उत्पादन करने के लिये किया जा सकता है।
- भू-तापीय उर्जा से उत्पन्न ऊष्मा के अन्य अनुप्रयोग सीधे भवनों, सड़कों, कृषि और औद्योगिक संयंत्रों में विभिन्न उपयोगों के लिये किये जाते हैं।
- घरों और अन्य इमारतों में गर्मी प्रदान करने के लिये ऊष्मा का उपयोग सीधे भूमि से भी किया जा सकता है।
- लाभ:
- नवीकरणीय स्रोत:
- उचित जलाशय प्रबंधन के माध्यम से, ऊर्जा निष्कर्षण की दर को जलाशय के प्राकृतिक ताप पुनर्भरण दर के साथ संतुलित किया जा सकता है।
- निरंतर आपूर्ति:
- भू-तापीय विद्युत संयंत्र मौसम की स्थिति का ध्यान दियेे बिना लगातार विद्युत का उत्पादन करते हैं।
- कम आयात निर्भरता:
- ईंधन आयात किये बिना विद्युत उत्पादन के लिये भू-तापीय संसाधनों का उपयोग किया जा सकता है।
- छोटे पदचिह्न (Small Footprint):
- भू-तापीय विद्युत संयंत्र सुगठित होते हैं और कोयला (3642 वर्ग मीटर) पवन (1335 वर्ग मीटर) या सेंटर स्टेशन (3237 वर्ग मीटर) के साथ सोलर फोटो वोल्टिक की तुलना में प्रति GWH (404 वर्ग मीटर) कम भूमि का उपयोग करते हैं।
- स्वच्छ ऊर्जा:
- आधुनिक क्लोज-लूप भू-तापीय विद्युत संयंत्र ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन नहीं या कम करते हैं; उत्सर्जित GHG (50 g CO2 eq/kWhe) का जीवन चक्र सोलर फोटो वोल्टिक से चार गुना कम और प्राकृतिक गैस से 6-20 गुना कम प्रभावी है।
- भू-तापीय विद्युत संयंत्र सबसे पारंपरिक पीढ़ी की प्रौद्योगिकियों की तुलना में ऊर्जा उत्पादन में औसतन कम जल की खपत करते हैं।
- नवीकरणीय स्रोत:
- हानि:
- यदि अनुचित तरीके से दोहन किया जाता है तो यह कभी-कभी प्रदूषक पैदा हो सकता है।
- पृथ्वी पर अनुचित ड्रिलिंग खतरनाक खनिजों और गैसों का पृथ्वी की गहराई में उत्सर्जन कर सकती है।
तेल और प्राकृतिक गैस निगम (ONGC):
- ONGC सार्वजनिक क्षेत्र की एक पेट्रोलियम कंपनी है।
- पंडित जवाहरलाल नेहरू के नेतृत्त्व में 1955 में भारतीय भू-गर्भीय सर्वेक्षण के अधीन तेल एवं गैस प्रभाग के रूप में ONGC का शिलान्यास किया गया था।
- विदित हो कि 14 अगस्त, 1956 को इसे तेल एवं प्राकृतिक गैस आयोग का नाम दिया गया और 1994 में तेल एवं प्राकृतिक गैस आयोग को एक निगम में रूपांतरित कर दिया गया था।
- वर्ष 1997 में इसे भारत सरकार द्वारा नवरत्न का, जबकि वर्ष 2010 में महारत्न का दर्ज़ा दिया गया है।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्षों के प्रश्न (PYQs)प्रश्न: निम्नलिखित पर विचार कीजिये: (2013)
उपर्युक्त में से कौन पृथ्वी की सतह पर गतिशील परिवर्तन लाने के लिये ज़िम्मेदार हैं? (a) केवल 1, 2, 3 और 4 उत्तर: (d) व्याख्या:
अतः विकल्प (d) सही है। |