कृषि
राष्ट्रीय कृषि संहिता
- 11 Oct 2024
- 16 min read
प्रारंभिक परीक्षा के लिये:भारतीय मानक ब्यूरो, राष्ट्रीय भवन संहिता, राष्ट्रीय विद्युत संहिता, इंटरनेट ऑफ थिंग्स, अंतर्राष्ट्रीय मानकीकरण संगठन, अंतर्राष्ट्रीय इलेक्ट्रो-तकनीकी आयोग। मुख्य परीक्षा के लिये:राष्ट्रीय कृषि संहिता, कृषि में मानकीकरण, भारत में कृषि नीतियाँ, सरकारी नीतियाँ और हस्तक्षेप। |
स्रोत: IE
चर्चा में क्यों?
भारतीय मानक ब्यूरो (BIS) संपूर्ण कृषि चक्र हेतु मानक स्थापित करने के क्रम में राष्ट्रीय कृषि संहिता (NAC) तैयार कर रहा है।
- भारत की राष्ट्रीय भवन संहिता (NBC) 2016 और भारत की राष्ट्रीय विद्युत संहिता (NEC) 2023 के आधार पर तैयार की गई इस पहल का उद्देश्य कृषि पद्धतियों को बढ़ावा देना तथा किसानों, नीति निर्माताओं एवं अन्य हितधारकों के लिये स्पष्ट दिशानिर्देश प्रदान करना है।
- NAC का मसौदा तैयार करने के साथ-साथ BIS चुनिंदा कृषि संस्थानों में मानकीकृत कृषि प्रदर्शन फार्म (SADF) स्थापित कर रहा है।
नोट: NAC को पूरा करने की संभावित समय सीमा अक्टूबर 2025 निर्धारित की गई है।
राष्ट्रीय कृषि संहिता (NAC) क्या है?
- उद्देश्य: NAC का उद्देश्य खेत की तैयारी से लेकर उपज के भंडारण तक, संपूर्ण कृषि चक्र में कृषि पद्धतियों के लिये एक मानकीकृत ढाँचा स्थापित करना है। इसका उद्देश्य उन क्षेत्रों को संबोधित करना है जो वर्तमान में मौजूदा मानकों द्वारा विनियमित नहीं हैं।
- वर्तमान में BIS ने कृषि मशीनरी और इनपुट के लिये मानक स्थापित किए हैं लेकिन कृषि पद्धतियों के विनियमन में काफी अंतर बना हुआ है।
- दायरा: NAC में फसल चयन, भूमि तैयारी, बुवाई, सिंचाई, मृदा स्वास्थ्य प्रबंधन, कटाई, कटाई के बाद की गतिविधियाँ और भंडारण सहित सभी कृषि प्रक्रियाएँ शामिल होंगी।
- इसमें उर्वरकों, कीटनाशकों और खरपतवारनाशकों जैसे इनपुट के लिये मानक भी शामिल होंगे।
- NAC के तहत प्राकृतिक कृषि, जैविक कृषि और कृषि में इंटरनेट-ऑफ-थिंग्स (IoT) प्रौद्योगिकी के उपयोग जैसी आधुनिक प्रथाओं के लिये मानकों को शामिल किया जाएगा।
- संरचना: इस सहिंता को दो भागों में विभाजित किया जाएगा:
- पहले भाग में सभी फसलों पर लागू सामान्य सिद्धांतों की रूपरेखा शामिल होगी।
- दूसरा भाग विभिन्न प्रकार की फसलों जैसे धान, गेहूँ, तिलहन और दलहन हेतु फसल-विशिष्ट मानकों पर केंद्रित होगा।
- उद्देश्य: ऐसी राष्ट्रीय संहिता बनाना जो कृषि-जलवायु क्षेत्रों, फसल प्रकारों, सामाजिक-आर्थिक विविधता और कृषि-खाद्य मूल्य शृंखला के सभी पहलुओं को शामिल करती हो।
- नीति निर्माताओं और नियामकों को उनकी योजनाओं एवं विनियमों में NAC प्रावधानों को शामिल करने में मार्गदर्शन देकर भारतीय कृषि में गुणवत्ता संस्कृति को बढ़ावा देना।
- किसानों के लिये एक व्यापक मार्गदर्शन उपलब्ध कराना, जिससे कृषि पद्धतियों में सूचित निर्णय लेने में सुविधा हो।
- स्मार्ट कृषि, स्थिरता और दस्तावेज़ीकरण सहित कृषि के क्षैतिज पहलुओं को संबोधित करना।
- हितधारकों के लिये मार्गदर्शन: NAC किसानों, कृषि विश्वविद्यालयों और नीति निर्माताओं के लिये संदर्भ के रूप में कार्य करेगी, जिससे उन्हें सूचित निर्णय लेने और अपने कार्यों में सर्वोत्तम प्रथाओं को शामिल करने में मदद मिलेगी।
- प्रशिक्षण और सहायता: इस सहिंता को अंतिम रूप दिये जाने के बाद, BIS किसानों के लिये प्रशिक्षण कार्यक्रम प्रदान करने की योजना बना रहा है ताकि उन्हें मानकों को समझने एवं प्रभावी ढंग से लागू करने में मदद मिल सके।
भारत में राष्ट्रीय कृषि संहिता तैयार करने में क्या चुनौतियाँ हैं?
- विविध कृषि पद्धतियाँ: भारत में जलवायु की एक विस्तृत शृंखला (15 कृषि-जलवायु क्षेत्र) के साथ मृदा के विविध प्रकार हैं, जिससे सभी के लिये एक ही मानक बनाना मुश्किल हो जाता है। NAC में इन विविधताओं को समायोजित करना चुनौतीपूर्ण हो सकता है।
- राज्य बनाम केंद्रीय क्षेत्राधिकार: भारतीय संविधान की सातवीं अनुसूची में राज्य सूची की प्रविष्टि 14 के अंतर्गत कृषि, राज्य सूची का विषय है जिससे केंद्रीय और राज्य विनियमों के बीच संभावित टकराव हो सकता है।
- राज्य के अधिकारों का सम्मान करते हुए इन कानूनों में सामंजस्य स्थापित करना प्रमुख चुनौती है।
- संसाधन की कमी: कई छोटे किसानों के पास NAC द्वारा अनुशंसित नई पद्धतियों को अपनाने के लिये संसाधनों या बुनियादी ढाँचे की कमी हो सकती है।
- इसमें आधुनिक उपकरण, गुणवत्तायुक्त बीज और कुशल सिंचाई प्रणालियों तक पहुँच शामिल है।
- स्वीकृति सुनिश्चित करने के लिये इन समूहों को निर्माण प्रक्रिया में शामिल करना आवश्यक है।
- तकनीकी बाधाएँ: हालाँकि इस संहिता का उद्देश्य प्रौद्योगिकी को बढ़ावा देना है लेकिन कई किसानों के पास आवश्यक प्रौद्योगिकी या कौशल तक पहुँच की कमी हो सकती है। संहिता के लाभों को प्राप्त करने के लिये इन कमियों को दूर करना आवश्यक है।
- डेटा और शोध अंतराल: कृषि पद्धतियों, पैदावार और बाज़ार के रुझानों पर व्यापक डेटा की कमी हो सकती है जो साक्ष्य-आधारित नीति निर्माण में बाधा डालती है। प्रभावी सहिंता हेतु इन अंतरालों को संबोधित करना महत्त्वपूर्ण है।
NAC तैयार करने में आने वाली चुनौतियों से निपटने के लिये क्या किया जा सकता है?
- अनुकूलन और लचीलापन: भारत भर में विविध कृषि-जलवायु स्थितियों को संबोधित करने के लिये NAC के भीतर क्षेत्र-विशिष्ट दिशानिर्देश विकसित करना चाहिये।
- सुनिश्चित किया जाए कि NAC छोटे खेतों से लेकर बड़े कृषि उद्यमों तक, विभिन्न कृषि आकारों एवं संसाधन स्तरों के लिये मापनीय एवं अनुकूलनीय हो।
- पर्यावरणीय विचार: इस संहिता के तहत कृषि विकास को बढ़ावा देते हुए भूमि क्षरण, जल की कमी और जलवायु परिवर्तन जैसे मुद्दों के समाधान पर ध्यान केंद्रित करना चाहिये।
- क्षमता निर्माण: NAC के संदर्भ में किसानों के लिये व्यावहारिक प्रशिक्षण कार्यक्रम विकसित करने चाहिये और वास्तविक समय पर सलाह एवं सूचना साझा करने के लिये मेघदूत जैसे मोबाइल ऐप और e-NAM तथा किसानबंदी जैसे प्लेटफॉर्म विकसित करने चाहिये।
- नीतिगत और विनियामक समर्थन: NAC के लिये एक सहायक विधायी ढाँचा स्थापित करना चाहिये ताकि इसकी प्रवर्तनीयता सुनिश्चित हो सके और अनुपालन के लिये किसानों को पुरस्कृत करने के क्रम में कर लाभ तथा मान्यता कार्यक्रम जैसी प्रोत्साहन संरचनाएँ बनाई जा सकें।
अन्य देशों में कृषि नीति
- सामान्य कृषि नीति (CAP): कृषि यूरोपीय संघ (EU) का एकमात्र क्षेत्र है जिसकी एक सामान्य नीति है, CAP, जो किसानों को सब्सिडी, प्रत्यक्ष भुगतान, आपूर्ति नियंत्रण और समग्र समर्थन प्रदान करती है।
- ग्रोइंग फॉरवर्ड 2 (GF2): यह कनाडा के कृषि और कृषि-खाद्य क्षेत्र के लिये पाँच वर्षीय संघीय-प्रांतीय-क्षेत्रीय नीतिगत ढाँचा है। यह नवाचार, प्रतिस्पर्द्धात्मकता और बाज़ार विकास पर केंद्रित है।
मानकीकृत कृषि प्रदर्शन फार्म (SADF)
- SADF फार्म भारतीय मानकों के अनुरूप विभिन्न कृषि पद्धतियों और नवीन प्रौद्योगिकियों के परीक्षण और कार्यान्वयन के लिये प्रयोगात्मक स्थल के रूप में कार्य करेंगे।
- ये फार्म विस्तार अधिकारियों, कृषकों और औद्योगिक पेशेवरों को मानकीकृत कृषि पद्धतियों के बारे में जानने के लिये एक मंच प्रदान करेंगे, जिसे BIS द्वारा वित्तीय सहायता प्रदान की जाएगी।
भारत की राष्ट्रीय भवन संहिता क्या है?
- NBC एक आदर्श संहिता है, जो भवन निर्माण में शामिल सभी अभिकरणों के लिये व्यापक दिशानिर्देश प्रदान करती है।
- इसे सर्वप्रथम वर्ष 1970 में प्रकाशित किया गया, वर्ष 1983 में संशोधित किया गया तथा वर्ष 2005 में संशोधित किया गया। वर्तमान संस्करण, NBC वर्ष 2016, भवन निर्माण के परिवर्तित परिदृश्य को ध्यान में रखकर प्रस्तुत किया गया था।
- NBC 2016 के प्रमुख प्रावधान: प्रभावी परियोजना निष्पादन हेतु पेशेवरों की भागीदारी पर बल देते हैं और एक सुव्यवस्थित, एकल-खिड़की अनुमोदन प्रक्रिया की सुविधा देते हैं जो ईज़ ऑफ डूइंग बिजनेस को बढ़ावा देने के साथ-साथ डिज़िटलीकरण को बढ़ावा देता है।
- दिव्यांग व्यक्तियों की सुविधा हेतु अनुकूलित आवश्यकताओं को संशोधित किया गया है। विशेष रूप से जटिल इमारतों और ऊँची इमारतों के लिये उन्नत अग्नि और जीवन सुरक्षा उपाय शामिल किये गए हैं।
- यह संहिता आपदाओं से सुरक्षा के लिये आधुनिक संरचनात्मक मानकों को शामिल करती है तथा निर्माण में स्थिरता को बढ़ावा देने के लिये नवीन सामग्रियों और प्रौद्योगिकियों के उपयोग को प्रोत्साहित करती है।
भारत की राष्ट्रीय विद्युत संहिता (NEC) या नेशनल इलेक्ट्रिकल कोड क्या है?
- NEC BIS द्वारा गठित एक सर्व-समावेशी विद्युत स्थापना संहिता है, जो संपूर्ण देश में विद्युत स्थापना संबंधी प्रथाओं को विनियमित करने के लिये दिशानिर्देश प्रदान करती है।
- NEC को मूलतः वर्ष 1985 में तैयार किया गया था तथा समकालीन अंतर्राष्ट्रीय प्रथाओं के अनुरूप इसे वर्ष 2011 और 2023 में संशोधित किया गया था।
- NEC 2023 के मुख्य प्रावधान: विद्युत के झटके, आग और ओवरकरंट के विरुद्ध सुरक्षात्मक उपायों पर ध्यान केंद्रित करते हैं। ये आपात स्थितियों के लिये स्टैंडबाय पॉवर स्रोतों के डिज़ाइन, चयन और रखरखाव को संबोधित करते हैं।
- ये दिशानिर्देश कृषि परिवेश में विद्युतीय खराबी के विरुद्ध सुरक्षा सुनिश्चित करते हैं तथा जल और संक्षारक पदार्थों जैसे बाह्य कारकों को ध्यान में रखते हैं।
- इसके अतिरिक्त, ये संकटयुक्त परिवेश की संभावना के आधार पर खतरनाक क्षेत्रों को वर्गीकृत करते हैं और उनके अनुरूप दिशानिर्देश प्रदान करते हैं, साथ ही सुरक्षा और गुणवत्ता पर बल देते हुए सौर प्रतिष्ठानों के लिये व्यापक मानक भी प्रस्तुत करते हैं।
भारतीय मानक ब्यूरो (BIS)
- BIS भारत का राष्ट्रीय मानक निकाय है जिसकी स्थापना BIS वस्तुओं के मानकीकरण, अंकन और गुणवत्ता प्रमाणन जैसी गतिविधियों के सामंजस्यपूर्ण विकास के लिये बी.आई.एस. अधिनियम 2016 के तहत स्थापित की गई है। BIS का मुख्यालय नई दिल्ली में स्थित है।
- BIS सुरक्षित एवं विश्वसनीय गुणवत्ता वाली वस्तुएँ उपलब्ध कराता है, स्वास्थ्य संबंधी खतरों को न्यूनतम करता है, निर्यात और आयात संबंधी विकल्प को बढ़ावा देता है, तथा मानकीकरण, प्रमाणन और परीक्षण के माध्यम से किस्मों के प्रसार को नियंत्रित करता है।
- यह गुणवत्ता आश्वासन पर क्षमता निर्माण कार्यक्रम आयोजित करता है और अंतर्राष्ट्रीय मानकीकरण संगठन (ISO) और अंतर्राष्ट्रीय इलेक्ट्रो-तकनीकी आयोग (IEC) में भारत का प्रतिनिधित्व करता है।
- IEC एक अंतर्राष्ट्रीय मानक निर्धारण निकाय है, जो सभी विद्युत, इलेक्ट्रॉनिक और संबंधित प्रौद्योगिकियों के लिये अंतर्राष्ट्रीय मानक प्रकाशित करता है।
- मानकीकरण प्रबंधन बोर्ड (SMB) IEC का एक शीर्ष प्रशासनिक निकाय है, जो तकनीकी नीतिगत मामलों के लिये ज़िम्मेदार है।
निष्कर्ष
प्रस्तावित NAC भारत में कृषि पद्धतियों के आधुनिकीकरण की दिशा में एक महत्त्वपूर्ण कदम है। जैसे-जैसे विकास प्रक्रिया आगे बढ़ेगी, भारत के कृषि परिदृश्य की विविध आवश्यकताओं की पूर्ति करने वाली संहिता को आकार देने में हितधारकों की भागीदारी महत्त्वपूर्ण होगी।
दृष्टि मुख्य परीक्षा प्रश्न: प्रश्न: भारत में कृषि पद्धतियों के परिवर्तन में राष्ट्रीय कृषि संहिता के उद्देश्यों और महत्त्व पर चर्चा कीजिये। |
UPSC सिविल सेवा परीक्षा विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ)मुख्य:प्रश्न: भारतीय कृषि की प्रकृति की अनिश्चितताओं पर निर्भरता के मद्देनज़र, फसल बीमा की आवश्यकता की विवेचना कीजिये और प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (PMFBY) की मुख्य विशेषताओं का उल्लेख कीजिये। (2016) |