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सामाजिक न्याय

दिव्यांगजनों के लिये आवागमन की सुगमता

  • 12 Mar 2024
  • 11 min read

प्रिलिम्स के लिये:

केंद्रीय लोक निर्माण विभाग, दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम, 2016, सुगम्य भारत अभियान

मेन्स के लिये:

दिव्यांगजनों के लिये समावेशिता और समान अधिकारों को बढ़ावा देने का महत्त्व, सरकारी नीतियाँ और हस्तक्षेप

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस 

चर्चा में क्यों?

हाल ही में केंद्रीय लोक निर्माण विभाग ने सार्वजनिक भवनों में दिव्यांगजनों (PwD) के लिये आवागमन में सुधार करने हेतु कदम उठाए। दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम, 2016 के प्रावधानों के बावजूद दिव्यांगजनों से संबंधित चुनौतियाँ बनी हुई हैं जिसके कारण CPWD ने भवनों  में आवागमन की सुगमता मानकों का अनुपालन सुनिश्चित करने के लिये सुधारात्मक उपायों का कार्यान्वन किया।

दिव्यांगजन अधिकार (RPwD) अधिनियम, 2016 क्या है?

  • परिचय:
    • RPwD अधिनियम, 2016, दिव्यांगजन अधिकार पर संयुक्त राष्ट्र अभिसमय का अनुसमर्थन करता है जिसका अनुमोदन भारत द्वारा वर्ष 2007 में किया गया था।
      • इस अधिनियम ने निःशक्त व्यक्ति (समान अवसर, अधिकार संरक्षण और पूर्ण भागीदारी) अधिनियम, 1995 को प्रतिस्थापित किया।
    • वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार भारत में निःशक्त अथवा दिव्यांगजन की संख्या लगभग 26.8 मिलियन थी जो भारत की कुल जनसंख्या का 2.21% है।
    • राष्ट्रीय प्रतिदर्श सर्वेक्षण कार्यालय के आँकड़ों के अनुसार भारत में दिव्यांगजनों का प्रतिशत भारत की कुल आबादी का 2.2% है।
      • NSSO के 76वें चरण, 2019 के अनुसार 1 वर्ष की अवधि में प्रति 1,00,000 लोगों में से 86 व्यक्ति दिव्यांग थे।
  • दिव्यांगता की विस्तारित परिभाषा:
    • इस अधिनियम में दिव्यांगता को एक विकासशील और गतिशील अवधारणा के आधार पर परिभाषित किया गया है।
    • RPwD अधिनियम, 2016 में दिव्यांगता के प्रकार 7 से बढ़ाकर 21 कर दिये गए जिसमें केंद्र सरकार द्वारा दिव्यांगता के और अधिक प्रकार शामिल किये जाने का प्रावधान है।
  • अधिकार और हकदारी:
    • अधिनियम के तहत उपयुक्त सरकारों को दिव्यांगजनों के लिये समान अधिकार सुनिश्चित करने का कार्य सौंपा गया है।
    • अधिनियम के तहत बेंचमार्क दिव्यांगजनों (चालीस प्रतिशत अथवा उससे अधिक दिव्यांगता वाला व्यक्ति) और उच्च समर्थन आवश्यकताओं वाले लोगों के लिये उच्च शिक्षा में आरक्षण (न्यूनतम 5%), सरकारी नौकरियों (न्यूनतम 4%) और भूमि का आवंटन (न्यूनतम 5%) जैसे अतिरिक्त लाभ प्रदान किये जाते हैं।
    • 6 से 18 वर्ष की आयु वाले बेंचमार्क दिव्यांगजनों के लिये निशुल्क शिक्षा की गारंटी का प्रावधान किया गया है।
      • सरकार द्वारा वित्त पोषित और मान्यता प्राप्त शैक्षणिक संस्थानों को दिव्यांग बच्चों को समावेशी शिक्षा प्रदान करना अनिवार्य है।
    • इस अधिनियम में सार्वजनिक बुनियादी ढाँचे और सुविधाओं को दिव्यांग व्यक्तियों के लिये सुलभ बनाने, उनकी भागीदारी तथा समावेशन को बढ़ाने पर ज़ोर दिया गया।
  • सार्वजनिक भवनों के संबंध में आदेश:
    •  दिव्यांगजन अधिकार नियम, 2017 का नियम 15 केंद्र सरकार को दिव्यांग जनों के लिये सुगमता सुनिश्चित करने हेतु सार्वजनिक भवनों के लिये दिशा-निर्देश और मानक स्थापित करने का आदेश देता है।
      • इन मानकों में दिव्यांग जनों के लिये मानक निर्मित वातावरण, परिवहन और सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी शामिल है।
      • सार्वजनिक भवनों सहित प्रत्येक प्रतिष्ठान को वर्ष 2016 के सामंजस्यपूर्ण दिशा-निर्देशों के आधार पर इन मानकों का पालन करना होगा।
    • नियम 15 में हाल के संशोधनों के अनुसार प्रतिष्ठानों को वर्ष 2021 के सामंजस्यपूर्ण दिशा-निर्देशों का अनुपालन करने की आवश्यकता है, जिससे दिव्यांग जनों के लिये सुगमता सुनिश्चित हो सके।
      • व्यापक दिशा-निर्देशों में दिव्यांग जनों के लिये रैंप, ग्रैब रेल, लिफ्ट और शौचालय जैसी विभिन्न सुगमता सुविधाओं वाली योजना, निविदा एवं विशिष्टताओं को शामिल किया गया है।
      • दिव्यांग जनों के लिये समान पहुँच सुनिश्चित करने हेतु सभी भवन योजनाओं को इन दिशा-निर्देशों के अनुरूप होना चाहिये।
    • मौजूदा इमारतों को अभिगम मानकों को पूरा करने, दिव्यांग जनों के लिये बेहतर समावेशिता को बढ़ावा देने की दिशा में पाँच वर्ष के भीतर रेट्रोफिटिंग से गुज़रना अनिवार्य है।

नोट: 

  • RPWD अधिनियम, 2016 में 21 अक्षमताओं में अंधापन, दृष्टि-बाधिता, कुष्ठ रोग से मुक्त व्यक्ति, श्रवण विकार/दोष (बहरा और सुनने में कठिनाई), चलन-संबंधी विकलांगता, बौनापन, बौद्धिक अक्षमता, मानसिक बीमारी, ऑटिज्म स्पेक्ट्रम विकार, सेरेब्रल पाल्सी, मस्क्यूलर डिस्ट्रॉफी, क्रोनिक न्यूरोलॉजिकल स्थितियाँ, स्पेसिफिक लर्निंग डिसेबिलिटी (डिस्लेक्सिया), मल्टीपल स्केलेरॉसिस, वाक्‌ एवं भाषा विकलांगता, थैलेसीमिया, हीमोफीलिया, सिकल सेल रोग, बहु-विकलांगता, तेज़ाब हमले से प्रभावित और पार्किन्संस रोग शामिल हैं।

दिव्यांगों के सशक्तीकरण से संबंधित अन्य पहल क्या हैं?

सार्वजनिक भवनों में पहुँच के संबंध में क्या चिंताएँ हैं?

  • PwD और कार्यकर्त्ताओं की रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2016 में स्थापित दिशा-निर्देशों को प्रभावी ढंग से लागू नहीं किया गया है। इसके अलावा, वर्ष 2021 के नए दिशा-निर्देशों को राज्य सरकारों से इसी तरह की उपेक्षा का सामना करना पड़ रहा है।
    • विश्लेषकों का कहना है कि किसी भी राज्य ने अभी तक अपने भवन उपनियमों में सामंजस्यपूर्ण दिशा-निर्देशों को शामिल नहीं किया है, जो पहुँच के मुद्दों को संबोधित करने में व्यापक विफलता का संकेत देता है।
  • विशेषज्ञ पहुँच संबंधी दिशा-निर्देशों को लागू करने के लिये ज़िम्मेदार सार्वजनिक निर्माण विभागों के इंजीनियरों के बीच जागरूकता और जवाबदेही की कमी पर प्रकाश डालते हैं।
  • रेट्रोफिटिंग परियोजनाओं के लिये फंड उपलब्ध हैं, लेकिन कई राज्यों और शहरों ने उनके लिये आवेदन जमा नहीं किये हैं, जो पहुँच पहल को प्राथमिकता देने में विफलता का संकेत देता है।
  • केंद्रीय लोक निर्माण विभाग के ज्ञापन में स्पष्टता का अभाव है और इससे अनावश्यक संसाधन की बर्बादी हो सकती है, जिससे पहुँच उपायों के प्रभावी कार्यान्वयन में बाधा उत्पन्न हो सकती है।

केंद्रीय लोक निर्माण विभाग (CPWD)

  • CPWD की स्थापना मूल रूप से जुलाई 1854 में अजमेर प्रोविजनल डिवीज़न के रूप में की गई थी। इसका प्राथमिक उद्देश्य वास्तुकला, इंजीनियरिंग, परियोजना प्रबंधन और भवन निर्माण तथा रखरखाव जैसे विषयों को शामिल करते हुए सार्वजनिक कार्यों को निष्पादित करना था।
  • वर्तमान में, CPWD शहरी विकास मंत्रालय के तहत काम करता है और इसकी राष्ट्रव्यापी उपस्थिति है।
  • CPWD केंद्र सरकार के प्रमुख इंजीनियरिंग ब्लॉक के रूप में कार्य करता है, जिसमें तीन प्रभाग, भवन और सड़क (Buildings and Roads- B&R), इलेक्ट्रिकल तथा मैकेनिकल (Electrical and Mechanical- E&M) एवं बागवानी शामिल हैं।
  • वर्ष 2016 में CPWD ने 100 करोड़ रुपए के बजट से अधिक की सभी परियोजनाओं के लिये आधुनिक धूल-मुक्त निर्माण विधियों, विशेष रूप से मोनोलिथिक प्रणाली को अपनाया।
    • मोनोलिथिक प्रणाली में बीम और स्लैब के लिये कंक्रीट का उपयोग करना शामिल है, जिससे एक एकीकृत निर्माण घटक बनता है।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रिलिम्स:

प्रश्न. भारत लाखों दिव्यांग व्यक्तियों का घर है। कानून के अंतर्गत उन्हें क्या लाभ उपलब्ध हैं? (2011)

  1. सरकारी स्कूलों में 18 साल की उम्र तक मुफ्त स्कूली शिक्षा।  
  2. व्यवसाय स्थापित करने के लिये भूमि का अधिमान्य आवंटन।  
  3. सार्वजनिक भवनों में रैंप।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

(a) केवल 1
(b) केवल 2 और 3
(c) केवल 1 और 3
(d) 1, 2 और 3

उत्तर: (d)


मेन्स:

प्रश्न. क्या नि:शक्त व्यक्तियों के अधिकार अधिनियम, 2016 समाज में अभीष्ट लाभार्थियों के सशक्तीकरण और समावेशन की प्रभावी क्रियाविधि को सुनिश्चित करता है? चर्चा कीजिये। (2017)

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