भारत में AI क्रांति | 12 Mar 2025
प्रिलिम्स के लिये:कृत्रिम बुद्धिमत्ता, इंडियाAI मिशन, डीपसीक, भारतजेन, डिजिटल इंडिया भाषिणी, सेमीकॉन इंडिया मेन्स के लिये:भारत का AI मिशन और वैश्विक प्रतिस्पर्द्धात्मकता, भारत में AI और आर्थिक विकास |
स्रोत: पी.आई.बी.
चर्चा में क्यों?
भारत कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) के क्षेत्र में उल्लेखनीय परिवर्तन के दौर से गुज़र रहा है, जिसमें सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण योगदान इंडियाAI मिशन के तहत सरकार की सक्रिय नीतियों का है।
- यह पहल वर्ष 2047 तक विकसित भारत के दृष्टिकोण के अनुरूप है, जो भारत को वैश्विक AI पावरहाउस के रूप में स्थापित करेगी।
भारत किस प्रकार वैश्विक AI पावरहाउस में परिवार्तित हो रहा है?
- AI इन्फ्रास्ट्रक्चर का सुदृढ़ीकरण: सरकार 18,693 ग्राफिक्स प्रोसेसिंग यूनिट्स (GPU) के साथ एक उच्च परिष्कृत कंप्यूटिंग केंद्र स्थापित कर रही है, जिसकी क्षमता डीपसीक से लगभग 9 गुना अधिक और चैटजीपीटी की क्षमता का दो-तिहाई है।
- ओपन GPU मार्केटप्लेस से स्टार्टअप्स, शोधकर्त्ताओं और छात्रों को किफायती उच्च-प्रदर्शन कंप्यूटिंग की पहुँच प्राप्त होती है।
- भारत का लक्ष्य 3-5 वर्षों की अवधि में अपना स्वयं का GPU विकसित करना है, जिससे क्वांटम चिप्स जैसी विदेशी प्रौद्योगिकी पर निर्भरता कम हो जाएगी।
- इंडियाAI डेटासेट प्लेटफॉर्म AI अनुसंधान और विकास के लिये उच्च गुणवत्ता वाले, अनामीकृत डेटासेट प्रदान करता है।
- भारत ने नई दिल्ली में स्वास्थ्य सेवा, कृषि और सतत् शहरों में AI उत्कृष्टता केंद्र (CoE) स्थापित किये हैं। केंद्रीय बजट 2025 में शिक्षा में नए AI उत्कृष्टता केंद्र के लिये 500 करोड़ रुपए आवंटित किये गए हैं।
- AI कौशल: पाँच राष्ट्रीय AI कौशल केंद्रों की सहायता से युवाओं को AI उद्योगों के लिये प्रशिक्षित किया जाएगा, जो मेक फॉर इंडिया, मेक फॉर द वर्ल्ड विज़न के साथ संरेखित होंगे।
- राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 के अंतर्गत सभी स्तरों पर AI शिक्षा को एकीकृत किया गया है।
- भारत वैश्विक AI कौशल प्रवेश (स्टैनफोर्ड AI इंडेक्स 2024) में प्रथम स्थान पर है, जिसमें वर्ष 2016 से 263% AI प्रतिभा वृद्धि और AI-कुशल कार्यबल (2016-2023) में 14 गुना वृद्धि हुई है।
- भारत में लगभग 520 टेक इनक्यूबेटर और एक्सेलरेटर हैं, जिससे भारत विश्व में तीसरा सबसे बड़ा स्टार्टअप इकोसिस्टम बन गया है।
- स्वदेशी AI मॉडल: भारतजेन AI-संचालित सार्वजनिक सेवाओं के लिये विश्व की पहली सरकारी वित्त पोषित लार्ज लैंग्वेज मॉडल (LLM) पहल है।
- सर्वम-1, 2 बिलियन पैरामीटर वाला लार्ज लैंग्वेज मॉडल है और यह दस प्रमुख भारतीय भाषाओं का समर्थन करता है। इसे भाषा अनुवाद, पाठ सारांश और सामग्री निर्माण जैसे अनुप्रयोगों के लिये निर्मित किया गया है।
- AI कोष एक सरकार समर्थित मंच है जिसे व्यवसायों, शोधकर्त्ताओं और स्टार्टअप्स को AI समाधान विकसित करने में मदद करने के लिये गैर-व्यक्तिगत डेटासेट प्रदान करने के लिये डिज़ाइन किया गया है।
- डिजिटल इंडिया भाषिनी डिजिटल पहुँच के लिये एक AI-संचालित भाषा अनुवाद मंच है।
- चित्रलेखा भारतीय भाषाओं के लिये एक ओपन-सोर्स वीडियो ट्रांसक्रिएशन टूल है।
- डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना (DPI) के साथ AI: दक्षता में सुधार के लिये AI को आधार, एकीकृत भुगतान इंटरफेस (UPI), डिजीलॉकर के साथ एकीकृत किया गया है।
- AI-संचालित भीड़ निगरानी ने रेलवे यात्रियों की आवाजाही को अनुकूलित किया, तथा RBI द्वारा विकसित MuleHunter.AI ने धोखाधड़ी और धन शोधन के लिये उपयोग किये जाने वाले म्यूल बैंक अकाउंट का पता लगाया।
- AI-संचालित आर्थिक विकास: 80% भारतीय कंपनियाँ AI को मुख्य रणनीतिक लक्ष्य के रूप में प्राथमिकता देती हैं। 69% कंपनियाँ वर्ष 2025 में AI निवेश बढ़ाने की योजना बना रही हैं।
- इंडियन जनरेटिव AI (GenAI) स्टार्टअप फंडिंग 6 गुना बढ़कर वित्त वर्ष 2025 में 51 मिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुँच गई (नैसकॉम रिपोर्ट)।
- भारत में विश्व की 16% AI प्रतिभा मौजूद है, जो AI-संचालित स्वचालन, फिनटेक और स्वास्थ्य सेवा को आगे बढ़ा रही है।
- AI का उपयोग करने वाले 78% लघु एवं मध्यम व्यवसायों (SMB) ने राजस्व वृद्धि की सूचना दी।
- भारत के AI बाज़ार में 25-35% चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर (CAGR) से वृद्धि होने का अनुमान है। वर्ष 2026 तक AI प्रतिभा की मांग 1 मिलियन तक पहुँचने की उम्मीद है।
- AI विनियमन: भारत के AI विनियमन ढाँचे में सुरक्षा, पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिये सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम 2000, उत्तरदायी AI के सिद्धांत (2021) और राष्ट्रीय कृत्रिम बुद्धिमत्ता रणनीति (2018) शामिल हैं।
- भारत डीपफेक, गोपनीयता और साइबर सुरक्षा खतरों जैसे जोखिमों को संबोधित करते हुए अति-विनियमन से बच रहा है।
- वैश्विक AI गवर्नेंस नेतृत्व: भारत ग्लोबल INDIAai शिखर सम्मेलन 2024 की मेज़बानी करके और G20, पेरिस AI शिखर सम्मेलन 2025 और कृत्रिम बुद्धिमत्ता पर वैश्विक भागीदारी (GPAI) शिखर सम्मेलन में अपनी AI पहलों का प्रदर्शन करके अंतर्राष्ट्रीय AI नियामक ढाँचे को सक्रिय रूप से आकार दे रहा है।
भारत के AI परिवर्तन में चिंताएँ क्या हैं?
- सीमित AI हार्डवेयर क्षमताएँ: भारत अभी भी विदेशी निर्मित GPU और सेमीकंडक्टर प्रौद्योगिकियों पर निर्भर है।
- विभिन्न AI स्टार्टअप वैश्विक तकनीकी दिग्गजों (AWS, गूगल, माइक्रोसॉफ्ट) की क्लाउड कंप्यूटिंग सेवाओं पर निर्भर हैं।
- सीमित भारतीय AI चिप विनिर्माण का मतलब है कि स्टार्टअप्स को विदेशी निर्मित AI चिप्स पर निर्भर रहना होगा।
- कौशल संबंधी चुनौतियाँ: यद्यपि भारत AI कौशल प्रसार में अग्रणी है, फिर भी यहाँ अत्यधिक विशिष्ट AI शोधकर्त्ताओं की कमी है। अधिकांश AI पेशेवर डीप-टेक इनोवेशन के बजाय सेवा-आधारित भूमिकाओं में लगे हुए हैं।
- वर्ष 2030 तक ऑटोमेशन के कारण भारत के विनिर्माण क्षेत्र में 60 मिलियन तक कर्मचारी बेरोज़गार हो सकते हैं। ग्रामीण और टियर-2/टियर-3 शहरों में असमान AI अपनाने से डिजिटल विभाजन बढ़ रहा है।
- नैतिक चिंताएँ: अपर्याप्त रूप से विविध डेटासेट के कारण AI मॉडल में पूर्वाग्रह का जोखिम बना हुआ है।
- डेटा उपयोग, चेहरे की पहचान एवं डीपफेक जोखिमों को विनियमित करने के लिये कोई समर्पित AI कानून नहीं है।
- नियामक अनिश्चितता: भारत में एक समर्पित AI नियामक ढाँचे का अभाव है।
- AI नैतिकता संबंधी व्यापक दिशा-निर्देशों का अभाव होने से इसमें जवाबदेहिता और पारदर्शिता पर कोई ध्यान नहीं दिया गया है।
- पर्यावरणीय प्रभाव: AI हार्डवेयर और डेटा सेंटर का वैश्विक GHG उत्सर्जन में 1% का योगदान है जिसके जिसके वर्ष 2026 तक दोगुना होने की उम्मीद है। भारत में AI डेटा सेंटर में होने वाले जल के उपयोग तथा कार्बन फुटप्रिंट के संदर्भ में विनियमन का अभाव है।
AI से संबंधित चुनौतियों से निपटने के क्रम में भारत क्या कदम उठा सकता है?
- AI हार्डवेयर को मज़बूत बनाना: सेमीकॉन इंडिया प्रोग्राम के तहत घरेलू AI चिप विनिर्माण को बढ़ावा देने के साथ फैबलेस चिप डिज़ाइन स्टार्टअप एवं AI हार्डवेयर से संबंधित R&D को प्रोत्साहित करना चाहिये।
- राष्ट्रीय क्वांटम मिशन के माध्यम से क्वांटम AI प्रोसेसर के विकास को समर्थन देना चाहिये।
- AI कार्यबल: AI एवं डिजिटल प्रौद्योगिकियों में युवाओं को प्रशिक्षित करने हेतु फ्यूचरस्किल्स प्राइम का विस्तार करना चाहिये, जिससे डिजिटल राष्ट्र के रूप में भारत की स्थिति मज़बूत होगी।
- AI विनियामक ढाँचा: यूरोपीय संघ AI अधिनियम (2024) एवं यूएस आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस एनवायरनमेंट इम्पैक्ट्स एक्ट (2024) से प्रेरणा लेते हुए AI विकास के साथ इसके पर्यावरणीय प्रभाव को विनियमित करने के क्रम में एक समर्पित AI तथा क्वांटम अधिनियम विकसित करना चाहिये।
- AI का समावेशी विकास सुनिश्चित करना: RAISE 2020 के तहत सामाजिक परिवर्तन, समावेशन और सशक्तीकरण हेतु एक उपकरण के रूप में AI को बढ़ावा देना चाहिये।
- AI का धारणीय विकास: ऐसे AI एल्गोरिदम एवं बुनियादी ढाँचे को डिज़ाइन करना चाहिये जिससे कम ऊर्जा का उपभोग हो। इसके साथ ही विद्युत के उपयोग को अनुकूलित करने के क्रम में AI को स्मार्ट ग्रिड के साथ एकीकृत करना चाहिये।
दृष्टि मुख्य परीक्षा प्रश्न: प्रश्न: आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) में भारत के परिवर्तनकारी बदलाव पर चर्चा कीजिये। AI का धारणीय विकास सुनिश्चित करने के क्रम में भारत को क्या कदम उठाने चाहिये? |
यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा, पिछले वर्ष के प्रश्न (PYQs)प्रश्न: विकास की वर्तमान स्थिति के साथ कृत्रिम बुद्धिमत्ता निम्नलिखित में से कौन-सा कार्य प्रभावी ढंग से कर सकती है? (2020) 1. औद्योगिक इकाइयों में बिजली की खपत को कम करना नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये: (a) केवल 1, 2, 3 और 5 उत्तर: (b) |