भारतीय विदेश मंत्री की मालदीव यात्रा | 13 Aug 2024
प्रिलिम्स के लिये:मालदीव, हिंद महासागर क्षेत्र, उच्च प्रभाव सामुदायिक विकास परियोजनाएँ (HICDP), 5 मिलियन ट्री प्रोजेक्ट, ग्रेटर माले कनेक्टिविटी प्रोजेक्ट (GMCP), अड्डू रिक्लेमेशन एंड शोर प्रोटेक्शन प्रोजेक्ट, हाइड्रोलॉजी एग्रीमेंट, इंडिया आउट कैंपेन, लक्षद्वीप, नेबरहुड फर्स्ट पॉलिसी, वज्रयान बौद्ध धर्म, कोविड-19 महामारी, ऑपरेशन कैक्टस, शिपिंग लेन, नेशनल सेंटर ऑफ गुड गवर्नेंस (NCGG) मेन्स के लिये:हिंद महासागर क्षेत्र में शांति, स्थिरता और समृद्धि बनाए रखने में मालदीव का महत्त्व। |
स्रोत: द हिंदू
भारत के विदेश मंत्री (External Affairs Minister- EAM) एस. जयशंकर ने मालदीव की महत्त्वपूर्ण यात्रा पूरी की।
- उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि मालदीव हिंद महासागर क्षेत्र में शांति, स्थिरता और समृद्धि बनाए रखने में भारत का एक महत्त्वपूर्ण साझेदार बना हुआ है।
यात्रा के मुख्य परिणाम क्या हैं?
- जल एवं सीवरेज नेटवर्क: श्री जयशंकर और मालदीव के विदेश मंत्री ने संयुक्त रूप से मालदीव के 28 द्वीपों में जल एवं सीवरेज नेटवर्क की भारत की लाइन ऑफ क्रेडिट (LoC) (एक प्रकार का 'सुलभ ऋण' जो एक देश की सरकार द्वारा किसी अन्य देश की सरकार को रियायती ब्याज दरों पर दिया जाता है) सहायता प्राप्त परियोजना का उद्घाटन किया।
- क्षमता निर्माण: भारत में अतिरिक्त 1,000 मालदीव के सिविल सेवकों की क्षमता निर्माण पर एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किये गए।
- UPI का शुभारंभ: दोनों देश मालदीव में UPI की शुरूआत पर सहमत हुए।
- सामुदायिक विकास परियोजनाएँ: मानसिक स्वास्थ्य, विशेष शिक्षा, स्पीच थेरेपी और स्ट्रीट लाइटिंग के क्षेत्रों में भारत द्वारा अनुदान सहायता के तहत छह उच्च प्रभाव सामुदायिक विकास परियोजनाओं (HICDP) का संयुक्त रूप से उद्घाटन किया गया।
- ‘एक पेड़ माँ के नाम’ पहल: भारतीय विदेश मंत्री ने प्रधानमंत्री मोदी की ‘एक पेड़ माँ के नाम’ पहल और राष्ट्रपति मुइज़ू की 5 मिलियन ट्री परियोजना के हिस्से के रूप में लोनुज़ियाराय पार्क में एक पौधा लगाया।
- ग्रेटर मेल कनेक्टिविटी प्रोजेक्ट: विदेश मंत्री ने भारत द्वारा सहायता प्राप्त ग्रेटर माले कनेक्टिविटी प्रोजेक्ट (GMCP) स्थल का दौरा किया और इस प्रमुख विकास परियोजना की प्रगति के लिये भारत की प्रतिबद्धता की घोषणा की।
- यह माले को विलिंगिली, गुलहिफाल्हू और थिलाफुशी के निकटवर्ती द्वीपों से जोड़ेगा।
- अड्डू रिक्लेमेशन और शोर प्रोटेक्शन प्रोजेक्ट: विदेश मंत्री ने अड्डू रिक्लेमेशन एंड शोर प्रोटेक्शन प्रोजेक्ट और अड्डू डेटोर लिंक ब्रिज प्रोजेक्ट का उद्घाटन किया।
विदेश मंत्री की मालदीव यात्रा का क्या महत्त्व है?
- सामरिक साझेदारी की पुनः पुष्टि: यह यात्रा भारत-मालदीव संबंधों में एक ‘महत्त्वपूर्ण उपलब्धि’ है, विशेषकर राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज़ू के साथ, जिन्हें चीन समर्थक माना जाता है।
- यह मालदीव द्वारा जल-विज्ञान समझौते को रद्द करने जैसे मुद्दों के बावजूद मालदीव के साथ अपनी रणनीतिक साझेदारी को मज़बूत करने की भारत की प्रतिबद्धता की पुनः पुष्टि करता है।
- यह मुइज़ू द्वारा भारतीय सेना की वापसी के आह्वान तथा चीन के साथ उनके कथित संबंधों के कारण उत्पन्न प्रारंभिक तनाव के बाद द्विपक्षीय संबंधों में सुधार का संकेत है।
- द्विपक्षीय तनाव में कमी: इस यात्रा से द्विपक्षीय तनाव में कमी आई है, विशेष रूप से मालदीव के राष्ट्रपति के इंडिया आउट अभियान और मालदीव के मंत्रियों द्वारा भारतीय हितों के विषय में की गई अपमानजनक टिप्पणियों के बाद।
- आर्थिक और सामाजिक संबंध: राजनीतिक और सैन्य मतभेदों के बावजूद, दोनों देशों के बीच आर्थिक एवं सामाजिक संबंध मज़बूत बने हुए हैं तथा भारत मालदीव में पर्यटकों का एक प्रमुख स्रोत है।
- यह यात्रा इन संबंधों को और मज़बूत कर सकती है, जिससे व्यापार, पर्यटन और सांस्कृतिक आदान-प्रदान जैसे क्षेत्रों में निरंतर सहयोग सुनिश्चित होगा।
- क्षेत्रीय स्थिरता: चूँकि मालदीव श्रीलंका की तरह आर्थिक चुनौतियों और संभावित ऋण संकटों का सामना कर रहा है, इसलिये भारत का समर्थन क्षेत्रीय स्थिरता प्रदान कर सकता है। यह भारत को आर्थिक संकट के दौरान एक विश्वसनीय भागीदार के रूप में स्थापित करता है जो क्षेत्र में स्थिरता बनाए रखने हेतु आवश्यक है।
- बुनियादी अवसरंचना और विकास परियोजनाएँ: भारत द्वारा वित्त पोषित मालदीव के 28 द्वीपों पर जलापूर्ति और सीवरेज सुविधाओं का हस्तांतरण देश के विकास के लिये भारत के सतत् समर्थन को दर्शाता है।
- ये परियोजनाएँ स्थानीय अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देंगी और मालदीव की समृद्धि में भारत की भूमिका को उजागर करेंगी तथा उनके द्विपक्षीय संबंधों में महत्त्वपूर्ण उपलब्धि साबित होंगी।
- कूटनीतिक संकेत: यह यात्रा भारत-मालदीव संबंधों की मज़बूती का संकेत देती है, जो नेतृत्व परिवर्तन और चुनौतियों के बावजूद सहयोग के लिये आपसी प्रतिबद्धता को उजागर करती है। यह दोनों देशों के बीच भविष्य के लिये साझा दृष्टिकोण को दर्शाता है।
1000 मालदीव सिविल सेवा अधिकारियों को प्रशिक्षण
- भारत और मालदीव ने वर्ष 2024-2029 की अवधि के दौरान 1000 मालदीव सिविल सेवा अधिकारियों की क्षमता निर्माण के लिये समझौता ज्ञापन को नवीनीकृत किया।
- 8 जून 2019 को राष्ट्रीय सुशासन केंद्र (NCGG, भारत) और मालदीव सिविल सेवा आयोग के बीच 1,000 मालदीव के सिविल सेवकों को प्रशिक्षण देने के लिये एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किये गए।
- कार्यक्रम में भ्रष्टाचार निरोधक आयोग (ACC) और मालदीव के सूचना आयोग कार्यालय (ICOM) के लिये प्रशिक्षण सहित क्षेत्रीय प्रशासन में क्षमता निर्माण पर ध्यान केंद्रित किया गया।
- प्रशिक्षुओं में मालदीव के स्थायी सचिव, महासचिव और उच्चस्तरीय प्रतिनिधि शामिल थे।
- नवीनीकृत साझेदारी का उद्देश्य सार्वजनिक नीति, शासन और क्षेत्रीय प्रशासन में मालदीव के सिविल सेवकों की क्षमताओं को और बढ़ाना है।
- विदेश मंत्रालय के अंतर्गत राष्ट्रीय सुशासन केंद्र (NCGG) ने बांग्लादेश, तंज़ानिया, गाम्बिया, मालदीव, श्रीलंका और कंबोडिया सहित कई देशों के सिविल सेवकों के लिये क्षमता निर्माण कार्यक्रम आयोजित किये हैं।
- NCGG वैश्विक स्तर पर सार्वजनिक नीति और शासन पर ज्ञान के आदान-प्रदान तथा सहयोग को बढ़ावा देने हेतु समर्पित है।
भारत और मालदीव एक दूसरे के लिये किस प्रकार महत्त्वपूर्ण हैं?
- भारत के लिये मालदीव का महत्त्व:
- सामरिक स्थिति: भारत के दक्षिण में स्थित मालदीव हिंद महासागर में अत्यधिक सामरिक महत्त्व रखता है तथा अरब सागर और उससे आगे के लिये प्रवेश द्वार के रूप में कार्य करता है।
- इससे भारत को समुद्री यातायात की निगरानी करने और क्षेत्रीय सुरक्षा बढ़ाने में सहायता मिलेगी।
- सांस्कृतिक संबंध: भारत और मालदीव के बीच सदियों पुराना गहरा सांस्कृतिक एवं ऐतिहासिक संबंध है। 12वीं सदी के पहले हिस्से तक मालदीव के द्वीपों में बौद्ध धर्म प्रमुख धर्म था।
- यहाँ वज्रयान बौद्ध धर्म का एक शिलालेख है जो प्राचीन काल में मालदीव में मौजूद था।
- क्षेत्रीय स्थिरता: एक स्थिर और समृद्ध मालदीव भारत की "नेबरहुड फर्स्ट" नीति के अनुरूप है जो हिंद महासागर क्षेत्र में शांति और सुरक्षा को बढ़ावा देता है।
- सामरिक स्थिति: भारत के दक्षिण में स्थित मालदीव हिंद महासागर में अत्यधिक सामरिक महत्त्व रखता है तथा अरब सागर और उससे आगे के लिये प्रवेश द्वार के रूप में कार्य करता है।
- मालदीव के लिये भारत का महत्त्व:
- आवश्यक आपूर्ति: भारत चावल, मसाले, फल, सब्ज़ियाँ और दवाइयों सहित रोज़मर्रा की ज़रूरतों की वस्तुओं का एक महत्त्वपूर्ण आपूर्तिकर्त्ता है। भारत सीमेंट और पत्थर जैसी सामग्री प्रदान करके मालदीव के बुनियादी अवसरंचना के निर्माण में भी सहायता करता है।
- शिक्षा: भारत मालदीव के छात्रों के लिये प्राथमिक शिक्षा प्रदाता के रूप में कार्य करता है, जो भारतीय संस्थानों में उच्च शिक्षा प्राप्त करते हैं, जिसमें योग्य छात्रों के लिये छात्रवृत्ति भी शामिल है।
- आपदा सहायता: भारत सुनामी और पेयजल की कमी जैसे संकटों के दौरान सहायता का एक निरंतर स्रोत रहा है।
- कोविड-19 महामारी के दौरान आवश्यक वस्तुओं और सहायता का प्रावधान एक विश्वसनीय भागीदार के रूप में भारत की भूमिका को दर्शाता है।
- सुरक्षा प्रदाता: भारत का इतिहास रहा है कि उसने वर्ष 1988 में ऑपरेशन कैक्टस के माध्यम से तख्तापलट के प्रयास के दौरान सुरक्षा सहायता प्रदान की थी तथा मालदीव की सुरक्षा के लिये संयुक्त नौसैनिक अभ्यास भी किया था।
- संयुक्त अभ्यासों में ‘एकुवेरिन’, ‘दोस्ती’ और ‘एकता’ शामिल हैं।
- मालदीव पर्यटन में भारत का प्रभुत्व: कोविड-19 महामारी के बाद से भारतीय पर्यटक मालदीव के लिये प्रमुख बाज़ार स्रोत बन गए हैं।
- वर्ष 2023 में, कुल पर्यटकों के आगमन में उनकी हिस्सेदारी 11.2% थी, जो 18.42 लाख थी।
भारत-मालदीव संबंधों से जुड़ी प्रमुख चुनौतियाँ क्या हैं?
- इंडिया आउट अभियान: इस अभियान में मालदीव में भारत की उपस्थिति को प्रभावी रूप में चित्रित किया गया, जिससे यह धारणा बनी कि भारत मालदीव की संप्रभुता में हस्तक्षेप कर रहा है।
- भारत को मालदीव को उपहार स्वरूप दिये गए तीन विमानन प्लेटफॉर्मों पर तैनात भारतीय सैन्यकर्मियों को वापस बुलाने के लिये मज़बूर होना पड़ा।
- पर्यटन पर दबाव: भारतीय नेताओं और भारतीय क्षेत्र (लक्षद्वीप) के विषय में गैर-कूटनीतिक टिप्पणियों को लेकर उत्पन्न कूटनीतिक विवाद के बाद मालदीव का पर्यटन क्षेत्र जाँच के दायरे में आ गया।
- इससे लोगों में आक्रोश के कारण सोशल मीडिया पर "मालदीव का बहिष्कार" का ट्रेंड शुरू हो गया।
- मालदीव में चीन का बढ़ता प्रभाव: मालदीव में चीनी लोगों का प्रभाव तेज़ी से बढ़ रहा है। प्रमुख शिपिंग मार्गों और भारत से मालदीव की निकटता इसे चीन के लिये रणनीतिक रूप से महत्त्वपूर्ण बनाती है, जिससे संभावित रूप से चीन की गहरी भागीदारी में रुचि बढ़ सकती है।
- इससे भारत में बेचैनी उत्पन्न हुई है और इससे क्षेत्रीय भू-राजनीतिक प्रतिस्पर्धा हो सकती है।
निष्कर्ष
भारत और मालदीव के बीच विकसित होते रिश्ते आपसी हितों और साझा लक्ष्यों पर आधारित रणनीतिक साझेदारी को रेखांकित करते हैं। चुनौतियों और नेतृत्व में बदलाव के बावजूद, दोनों देश सुरक्षा, आर्थिक विकास और क्षेत्रीय स्थिरता जैसे क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने हेतु प्रतिबद्ध हैं। साथ मिलकर, दोनों देश एक मज़बूत गठबंधन को बढ़ावा दे सकते हैं जो न केवल उनके द्विपक्षीय संबंधों को लाभ पहुँचाएगा बल्कि एक स्थिर और समृद्ध हिंद महासागर क्षेत्र में भी योगदान देगा।
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