- फ़िल्टर करें :
- भूगोल
- इतिहास
- हिंदी साहित्य
-
प्रश्न :
'वज्रयान’ के उद्विकास की चर्चा कीजिये। इसकी महत्त्वपूर्ण विशेषताएँ क्या हैं?
03 Dec, 2019 रिवीज़न टेस्ट्स इतिहासउत्तर :
प्रश्न विच्छेद
कथन वज्रयान के उद्विकास की चर्चा एवं इसकी प्रमुख विशेषताओं के उल्लेख से संबंधित है।
हल करने का दृष्टिकोण
वज्रयान के उद्विकास की चर्चा के साथ परिचय लिखिये।
वज्रयान की प्रमुख विशेषताओं का उल्लेख कीजिये।
उचित निष्कर्ष लिखिये।
ईसा की पाँचवीं या छठी शताब्दी से बौद्ध धर्म पर तंत्र-मंत्रों का प्रभाव बढ़ने लगा। गुप्तोत्तर काल में बौद्ध धर्म का अत्यंत परिवर्तित रूप सामने आया। बौद्ध धर्म में बढ़ते हुए तांत्रिक प्रभाव के चलते बौद्ध धर्म की एक नई शाखा के रूप में वज्रयान का विकास हुआ।
वज्रयान की महत्त्वपूर्ण विशेषताएँ निम्नलिखित रूपों में वर्णित हैं:
- इसमें मंत्रों एवं तांत्रिक क्रियाओं द्वारा मोक्ष प्राप्ति का विधान प्रस्तुत किया गया है।
- इस सम्प्रदाय के लोग वज्र को एक अलौकिक तत्त्व के रूप में स्वीकार करते हैं। इसका संबंध धर्म के साथ स्थापित किया गया है।
- इसमें भिक्षा, तप आदि के स्थान पर मैथुन, माँस आदि के सेवन पर बल दिया जाता है।
- वज्रयानियों की क्रियाएँ शाक्त मतावलंबियों से मिलती-जुलती हैं। इसमें रागचर्या को सर्वोत्तम बताया गया है।
- इसमें यह प्रतिपादित किया गया है कि रूप, शब्द, स्पर्श आदि भोगों से बुद्ध की पूजा की जानी चाहिये।
वज्रयान का सबसे अधिक विकास आठवीं सदी में हुआ। वज्रयान ने भारत से बौद्ध धर्म के पतन का मार्ग प्रशस्त किया। तांत्रिक पद्धति ने हिंदू धर्म एवं बौद्ध धर्म के बीच के भेद को और कम कर दिया।
To get PDF version, Please click on "Print PDF" button.
Print