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कृषि

खरीफ फसल उत्पादन के लिये पहला अग्रिम अनुमान

  • 07 Nov 2024
  • 10 min read

प्रिलिम्स के लिये:

खरीफ फसल, डिजिटल फसल सर्वेक्षण, डिजिटल कृषि मिशन (DAM), गिरदावरी पद्धति, सकल घरेलू उत्पाद, डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना

मेन्स के लिये:

भारत की खाद्य सुरक्षा और किसानों की सहायता में ई-प्रौद्योगिकी

स्रोत: पी.आई.बी.

चर्चा में क्यों? 

कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय ने हाल ही में वर्ष 2024-25 के लिये खरीफ फसल उत्पादन के पहले अग्रिम अनुमान की घोषणा की है, जिसमें खाद्यान्न और तिलहन में रिकॉर्ड तोड़ उत्पादन का खुलासा किया गया है। 

  • रिपोर्ट में कृषि नियोजन में सरकार द्वारा प्रौद्योगिकी और हितधारकों के इनपुट के बढ़ते उपयोग को दर्शाया गया है तथा उत्पादन में उल्लेखनीय वृद्धि को रेखांकित किया गया है, विशेष रूप से चावल और मक्का जैसी प्रमुख फसलों में।

खरीफ फसल उत्पादन के प्रथम अग्रिम अनुमान की मुख्य बातें क्या हैं?

  • डिजिटल फसल सर्वेक्षण (Digital Crop Survey- DCS): पहली बार, डिजिटल कृषि मिशन (Digital Agriculture Mission- DAM) के तहत DCS का उपयोग फसल क्षेत्रों का अनुमान लगाने के लिये किया गया, जिसने चार राज्यों (उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, गुजरात और ओडिशा) में  मैनुअल गिरदावरी पद्धति को प्रतिस्थापित किया।
  • रिकॉर्ड खाद्यान्न उत्पादन: 2024-25 के लिये कुल खरीफ खाद्यान्न उत्पादन 1647.05 लाख मीट्रिक टन (LMT) होने का अनुमान है, जो वर्ष 2023-24 की तुलना में 89.37 LMT अधिक है और चावल, ज्वार एवं मक्का के अच्छे उत्पादन के कारण औसत खरीफ खाद्यान्न उत्पादन से 124.59 LMT अधिक है।

फसलवार अनुमान: 

  • आशय:
    • खाद्य सुरक्षा: आवश्यक फसलों का प्रबल उत्पादन घरेलू खपत और संभावित निर्यात के लिये निरंतर आपूर्ति सुनिश्चित करके भारत की खाद्य सुरक्षा को सुदृढ़ करता है।
    • आर्थिक प्रभाव: उच्च पैदावार से ग्रामीण आय को समर्थन, कीमतों को स्थिर करने और कृषि सकल घरेलू उत्पाद (GDP) में योगदान को बढ़ावा देकर अर्थव्यवस्था को लाभ हो सकता है।
    • नीति नियोजन: डेटा-समर्थित अनुमान नीति निर्माताओं को प्रभावी सहायता कार्यक्रम और आपूर्ति शृंखला रणनीतियों को डिज़ाइन करने में सहायता करते हैं।

टिप्पणी: 

  • गिरदावरी एक फसल कटाई निरीक्षण है, जो पटवारी द्वारा फसल की उपज, गुणवत्ता और भूमि की स्थिति में परिवर्तन का आकलन करने के लिये किया जाता है। रबी और खरीफ फसलों के लिये वर्ष में दो बार और फलों और सब्जियों के लिये दो बार से अधिक आयोजित किया जाता है और इसे ज़ायद रबी और ज़ायद खरीफ कहा जाता है।  
  • इसमें भूमि अधिकारों, फसल की स्थिति, मृदा के प्रकार में परिवर्तन तथा खसरा गिरदावरी (गाँव के मानचित्र) में आवश्यक अद्यतनों का रिकॉर्ड रखा जाता है।

Cropping_seasons

डिजिटल कृषि मिशन क्या है?

  • परिचय: DAM का उद्देश्य डिजिटल नवाचार और प्रौद्योगिकी-संचालित समाधानों के माध्यम से कृषि क्षेत्र को बदलना है। इस मिशन के लिये 2,817 करोड़ रुपए का बजट आवंटन किया गया है और इसे कृषि को अधिक कुशल, पारदर्शी और सुलभ बनाने के लिये डेटा, डिजिटल उपकरण और प्रौद्योगिकी को एकीकृत करके कृषि को आधुनिक बनाने के लिये संरचित किया गया है।
  • DAM के घटक: 
    • एग्रीस्टैक: किसानों पर केंद्रित एक व्यापक डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना (DPI)
    • एग्रीस्टैक में शामिल हैं: किसानों की रजिस्ट्री (जिसमें आधार के समान किसानों की आईडी शामिल है), और भू-संदर्भित ग्राम मानचित्र (कृषि भूमि का सटीक मानचित्रण), और बोई गई फसल रजिस्ट्री (कौन सी फसलें लगाई गई हैं और उनके स्थानों का डेटाबेस)।
      • एग्रीस्टैक का उद्देश्य सरकारी सेवाओं को सुव्यवस्थित करना, कागज़ी कार्यवाही को कम करना और किसानों के लिये लाभ प्राप्त करने की प्रक्रिया को सरल बनाना है।
      • किसान पहचान-पत्र और DCS के निर्माण का परीक्षण करने के लिये छह राज्यों में पायलट परियोजनाएँ संचालित की गई हैं।
      • इन छह राज्यों में उत्तर प्रदेश, गुजरात, महाराष्ट्र, हरियाणा, पंजाब और तमिलनाडु शामिल हैं।
      • प्रमुख लक्ष्यों में शामिल हैं: तीन वर्षों में 11 करोड़ किसानों के लिये डिजिटल पहचान बनाना (वित्त वर्ष 2024-25 में 6 करोड़, वित्त वर्ष 2025-26 में 3 करोड़ और वित्त वर्ष 2026-27 में 2 करोड़)
      • दो वर्षों के भीतर DCS को देश भर में लॉन्च किया जाएगा, वित्त वर्ष 2024-25 में 400 ज़िलों को तथा वित्त वर्ष 2025-26 में सभी ज़िलों को कवर किया जाएगा
    • कृषि निर्णय सहायता प्रणाली (DSS): एक भू-स्थानिक प्रणाली जो मृदा, मौसम, जल और फसलों पर रिमोट सेंसिंग डेटा को जोड़ती है। यह प्रणाली किसानों को सूचित निर्णय लेने में सहायता करने के लिये वास्तविक समय, डेटा-संचालित अंतर्दृष्टि प्रदान करती है।
    • मृदा प्रोफाइल मानचित्रण: मृदा स्वास्थ्य की समझ को बेहतर बनाने और सतत् कृषि को समर्थन देने के लिये कृषि भूमि के लिये उच्च-रिज़ॉल्यूशन वाले मृदा मानचित्र बनाए जाएंगे।
    • डिजिटल सामान्य फसल अनुमान सर्वेक्षण (DGCES): फसल उपज अनुमानों की सटीकता बढ़ाने, उत्पादकता और नीति नियोजन का समर्थन करने के लिये प्रौद्योगिकी का उपयोग करता है।
  • लाभ: 
    • बढ़ी हुई पारदर्शिता: सटीक डेटा फसल बीमा, ऋण और सरकारी योजनाओं के लिये अधिक कुशल और पारदर्शी प्रसंस्करण को सक्षम बनाता है।
    • आपदा प्रतिक्रिया: बेहतर फसल मानचित्र प्राकृतिक आपदाओं के दौरान तेजी से प्रतिक्रिया करने, आपदा राहत और बीमा दावों में सहायता करने में सहायक होंगे।
    • लक्षित समर्थन: डिजिटल बुनियादी ढाँचे के साथ, किसान अपनी आवश्यकताओं के अनुरूप वास्तविक समय पर सलाह, कीट प्रबंधन मार्गदर्शन और सिंचाई सलाह प्राप्त कर सकते हैं।
    • रोज़गार के अवसर: इस मिशन से कृषि क्षेत्र में प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोज़गार सृजित होने की उम्मीद है, जिससे लगभग 2,50,000 प्रशिक्षित स्थानीय युवाओं को सहायता मिलेगी।

दृष्टि मुख्य परीक्षा प्रश्न:

प्रश्न: विशेष रूप से खाद्य सुरक्षा और ग्रामीण आय के संदर्भ में भारत में खाद्यान्न उत्पादन के आर्थिक निहितार्थों का विश्लेषण कीजिये।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQs)  

प्रिलिम्स:

प्रश्न: निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2023)

  1. भारत सरकार काले तिल [नाइजर (गुइजोटिया एबिसिनिका)] के बीजों के लिये न्यूनतम समर्थन कीमत उपलब्ध कराती है।
  2. काले तिल की खेती खरीफ के फसल के रूप में की जाती है।
  3. भारत में कुछ जनजातीय लोग काले तिल के बीजों का तेल भोजन पकाने के लिये करते हैं।

उपर्युक्त कथनों में से कितने सही हैं?

(a) केवल एक 

(b) केवल दो 

(c) सभी तीन 

(d) कोई भी नहीं

उत्तर: C

मेन्स:

Q. विज्ञान हमारे जीवन में गहराई तक कैसे गुथा हुआ है? विज्ञान आधारित प्रौद्योगिकियों द्वारा कृषि में उत्पन्न हुए महत्त्वपूर्ण परिवर्तन क्या हैं? (2020)

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