भारत पर FATF की पारस्परिक मूल्यांकन रिपोर्ट | 21 Sep 2024

प्रारंभिक परीक्षा:

वित्तीय कार्रवाई कार्य बल, रत्न और आभूषण निर्यात संवर्द्धन परिषद, जन धन-आधार-मोबाइल (JAM) पहल, वस्तु एवं सेवा कर, राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण, इस्लामिक स्टेट ऑफ इराक एंड द लेवेंट, प्रवर्तन निदेशालय

मुख्य परीक्षा:

अवैध वित्त, धन शोधन और आतंकवाद के वित्तपोषण से निपटने में भारत की प्रगति

स्रोत: पीआईबी 

चर्चा में क्यों? 

हाल ही में वित्तीय कार्रवाई कार्य बल (FATF) ने भारत पर अपनी पारस्परिक मूल्यांकन रिपोर्ट जारी की, जिसमें अवैध वित्त से निपटने में देश की महत्त्वपूर्ण प्रगति पर प्रकाश डाला गया। 

  • नोट: जून 2024 में सिंगापुर में आयोजित FATF प्लेनरी ने भारत के लिये पारस्परिक मूल्यांकन रिपोर्ट को अपनाया, जिसमें कहा गया कि उसने वैश्विक धन शोधन निगरानी संस्था की आवश्यकताओं के साथ "उच्च स्तर का तकनीकी अनुपालन" हासिल किया है।
  • FATF ने भारत को "नियमित अनुवर्त्ती" श्रेणी में रखा है, जो FATF द्वारा दी गई सर्वोच्च रेटिंग श्रेणी है और इस प्रकार यह दर्जा प्राप्त करने वाला भारत संघीय ढाँचे वाला एकमात्र प्रमुख अर्थव्यवस्था बन गया।
  • भारत के अतिरिक्त ब्रिटेन, फ्राँस और इटली ही ऐसे जी-20 देश हैं जिन्हें इस श्रेणी में रखा गया है।

भारत पर FATF पारस्परिक मूल्यांकन रिपोर्ट की मुख्य बातें क्या हैं?

  • सुधार की आवश्यकता वाले क्षेत्र: भारत तीन क्षेत्रों में आंशिक रूप से अनुपालन करता पाया गया।
    • गैर-लाभकारी संगठन (NPO): धर्मार्थ संगठनों के रूप में पंजीकृत और कर छूट का लाभ उठाने वाले NPO आतंकवादी वित्तपोषण के प्रति संवेदनशील हो सकते हैं।
    • इन संगठनों से संबंधित जोखिमों से निपटने के लिये प्रणाली को बेहतर उपायों की आवश्यकता है।
  • राजनीतिक पकड़ वाले लोग (PEP): घरेलू PEP के लिये धन के स्रोत, धन के स्रोत और लाभकारी स्वामित्व के बारे में अस्पष्टता मौज़ूद हैं। सरकार को इन अस्पष्टताओं को दूर करने की आवश्यकता है।
  • नामित गैर-वित्तीय व्यवसायों और पेशा (DNFBP): DNFBP के विनियमन और पर्यवेक्षण में खामियाँ मौज़ूद हैं, विशेष रूप से धन शोधन और आतंकवाद के वित्तपोषण के संबंध में।
    • DNFBP भारत के सकल घरेलू उत्पाद (GDP) में महत्त्वपूर्ण योगदान देते हैं, जिसमें बहुमूल्य धातुओं और पत्थरों का योगदान 7% तथा रियल एस्टेट का योगदान 5% है।
  • धन शोधन संबंधी जोखिम: भारत में अवैध गतिविधियाँ धन शोधन संबंधी जोखिम के प्राथमिक स्रोत हैं, जिसमें धोखाधड़ी, साइबर धोखाधड़ी, भ्रष्टाचार और मादक पदार्थों की तस्करी शामिल हैं
  • PMS मनी लॉन्ड्रिंग के प्रति संवेदनशील: बहुमूल्य धातुओं और पत्थरों (PMS) का उपयोग स्वामित्व का कोई निशान छोड़े बिना बड़ी मात्रा में धन हस्तांतरित करने के लिये किया जा सकता है।
  • भारत के PMS बाज़ार का आकार मनी लॉन्ड्रिंग और आतंकवादी वित्तपोषण के प्रति इसकी संवेदनशीलता में योगदान देता है। इस क्षेत्र में लगभग 1,75,000 डीलर शामिल हैं, लेकिन केवल 9,500 ही रत्न और आभूषण निर्यात संवर्द्धन परिषद (GJEPC) के साथ पंजीकृत हैं।
    • FATF की रिपोर्ट में कहा गया है कि PMS क्षेत्र में सीमा पार से संचालित आपराधिक नेटवर्क की कानून प्रवर्तन एजेंसियों द्वारा न्यूनतम जाँच की जा सकती है।
    • परिष्कृत हीरे और रत्नों के एक प्रमुख उपभोक्ता और उत्पादक के रूप में भारत की वैश्विक भूमिका को देखते हुए, धन शोधन संबंधी गतिविधियों को रोकने के लिये धोखाधड़ी और तस्करी तकनीकों पर निरंतर निगरानी रखने की आवश्यकता है।
  • सोने और हीरे की तस्करी से संबंधित ML/TF जोखिमों पर बेहतर जोखिम की समझ और गहन गुणात्मक और मात्रात्मक डेटा की आवश्यकता है।
    • आतंकवादी वित्तपोषण का संकट: भारत को गंभीर आतंकवादी संकटों का सामना करना पड़ रहा है, विशेष रूप से इस्लामिक स्टेट ऑफ इराक एंड द लेवेंट (ISIL) और अल-कायदा से संबंधित समूहों से, जो जम्मू एवं कश्मीर में और उसके आसपास सक्रिय हैं।
      • पूर्वोत्तर में क्षेत्रीय विद्रोह और वामपंथी उग्रवादी समूह भी आतंकवाद का संकट उत्पन्न करते हैं।
      • यद्यपि देश आतंकवादी वित्तपोषण की रोकथाम और उसे बाधित करने पर बल देता है, फिर भी अभियोजन को समाप्त करने और आतंकवादी वित्तपोषणकर्त्ताओं को दोषी ठहराने के लिये और अधिक प्रयास की आवश्यकता है। 
    • वित्तीय समावेशन: भारत ने वित्तीय समावेशन को काफी हद तक बढ़ाया है, बैंक खाताधारकों की संख्या में तीव्र वृद्धि हुई है और डिजिटल भुगतान प्रणालियों के उपयोग में वृद्धि हुई है।
  • आतंकवाद के वित्तपोषण के विरुद्ध कार्रवाई: राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (NIA) और प्रवर्तन निदेशालय द्वारा आतंकवाद के वित्तपोषण के विरुद्ध प्रभावी कार्रवाई की सराहना की गई।
  • FATF की सिफारिशें: 
    • लंबित मुकदमे: भारत को लंबित धन शोधन के मुकदमों को शीघ्र निपटाने तथा मानव तस्करी और मादक पदार्थों से संबंधित अपराधों से निपटने की अपनी प्रणाली में सुधार करने की आवश्यकता है।
  • लक्षित वित्तीय प्रतिबंध: भारत को बिना किसी विलंब के धन और परिसंपत्तियों को फ्रीज करने के लिये अपने ढाँचे में सुधार करना चाहिये तथा प्रतिबंधों के संबंध में संचार को सुव्यवस्थित करना चाहिये।
  • घरेलू PEP: भारत को अपने धन शोधन विरोधी कानूनों के तहत घरेलू PEP को परिभाषित करने और उनके लिये जोखिम-आधारित उन्नत उपायों को लागू करने की आवश्यकता है।

भारत के लिये FATF के पारस्परिक मूल्यांकन के क्या निहितार्थ हैं?

  • अंतर्राष्ट्रीय सहयोग और परिसंपत्ति वसूली: FATF से भारत को मिली मान्यता से विजय माल्या और नीरव मोदी जैसे भगोड़े आर्थिक अपराधियों से संबंधित अवैध परिसंपत्तियों का पता लगाने और वसूली में अन्य देशों के साथ सहयोग करने की इसकी क्षमता में वृद्धि होती है।
  • वैश्विक वित्तीय निगरानी संस्थाओं के साथ बेहतर सहयोग से आतंकवाद के वित्तपोषण विरोधी प्रयासों में सहायता मिलती है
  • वैश्विक वित्तीय प्रणालियों तक बेहतर पहुँच: FATF रेटिंग से वैश्विक वित्तीय बाज़ारों तक भारत की पहुँच में सुधार होगा, जिससे अंतर्राष्ट्रीय संस्थाओं से ऋण लेना और निवेश करना आसान हो जाएगा।
  • यह मान्यता भारत के एकीकृत भुगतान इंटरफेस (UPI) के वैश्विक विस्तार का समर्थन करती है,जिससे यह सीमा पार डिजिटल भुगतान के लिये पसंदीदा विकल्प बन जाता है।
  • निवेशकों का विश्वास सुदृढ़ करना: सकारात्मक मूल्यांकन भारत की विश्वसनीयता बढ़ाता है और वित्तीय बाज़ारों में विदेशी निवेशकों का विश्वास बढ़ाता है, जिससे भारत प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) के लिये अधिक आकर्षक गंतव्य बन जाता है।

निष्कर्ष

FATF की पारस्परिक मूल्यांकन रिपोर्ट अवैध वित्त के विरुद्ध संघर्ष में भारत के लिये एक महत्त्वपूर्ण चुनौती है। धन शोधन विरोधी और आतंकवाद विरोधी वित्तपोषण में अग्रणी के रूप में मान्यता अन्य देशों के लिये एक बेंचमार्क स्थापित करती है, जबकि NPO और PEP जैसे क्षेत्रों में निरंतर सुधार की आवश्यकता महत्त्वपूर्ण बनी हुई है। यह मूल्यांकन भारत को भविष्य के आर्थिक विकास और अंतर्राष्ट्रीय सहयोग के लिये अनुकूल स्थिति में रखता है।

और पढ़ें: भारत पर FATF की पारस्परिक मूल्यांकन रिपोर्ट

दृष्टि मेन्स प्रश्न:

प्रश्न: भारत की वित्तीय अखंडता हेतु FATF पारस्परिक मूल्यांकन रिपोर्ट के महत्त्व और भारत पर इसके प्रभावों पर चर्चा कीजिये।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा विगत वर्ष के प्रश्न (PYQs)  

Q. चर्चा कीजिये कि किस प्रकार उभरती प्रौद्योगिकियाँ और वैश्वीकरण मनी लॉन्ड्रिंग में योगदान करते हैं। राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय दोनों स्तरों पर मनी लॉन्ड्रिंग की समस्या से निपटने के लिये किये जाने वाले उपायों को विस्तार से समझाइये। (2021)