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अंतर्राष्ट्रीय संबंध

भारत पर FATF की पारस्परिक मूल्यांकन रिपोर्ट

  • 03 Jul 2024
  • 15 min read

प्रिलिम्स के लिये:

वित्तीय कार्रवाई कार्यबल (FATF), धन शोधन (ML), आतंकवादी वित्तपोषण (TF), G20, जन धन, आधार, मोबाइल (JAM) ट्रिनिटी, आतंकवाद, गुजरात इंटरनेशनल फाइनेंस टेक-सिटी (GIFT सिटी), प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI)

मेन्स के लिये:

भारत के लिये धन शोधन (ML), आतंकवादी वित्तपोषण (TF) की समस्या, चुनौतियाँ और संबंधित  पहल

स्रोत: लाइव मिंट 

चर्चा में क्यों?

हाल ही में वित्तीय कार्रवाई कार्यबल (FATF) ने भारत पर एक पारस्परिक मूल्यांकन रिपोर्ट (Mutual Evaluation Report- MER) जारी की, जिसे सिंगापुर में आयोजित उनके पूर्ण सत्र के दौरान अनुमोदित किया गया। इसमें विशेष रूप से धन शोधन (Money Laundering- ML), आतंकवादी वित्तपोषण (Terrorist Financing- TF) और प्रसार हेतु वित्तपोषण (Proliferation Financing) से निपटने में भारत के प्रयासों का मूल्यांकन किया गया।

MER रिपोर्ट से संबंधित प्रमुख बिंदु क्या हैं?

  • भारत पर पारस्परिक मूल्यांकन रिपोर्ट:
    • नियमित अनुवर्ती श्रेणी: 
      • भारत को 'नियमित अनुवर्ती' (Regular Follow-Up) श्रेणी में रखा गया है जिससे यह एक ऐसे विशेष समूह में शामिल हो गया है जिसमें केवल चार देश- यूनाइटेड किंगडम, फ्राँस, इटली और अन्य G20 देश शामिल हैं। 
      • 'नियमित अनुवर्ती' का अर्थ है कि भारत को केवल अक्तूबर 2027 में अनुशंसित कार्यों पर प्रगति रिपोर्ट प्रस्तुत करनी होगी।
        • FATF, सदस्य देशों को चार श्रेणियों में से किसी एक में रखता है अर्थात् ‘नियमित अनुवर्ती’, ‘वर्द्धित अनुवर्ती’ (Enhanced Follow-Up), ‘ग्रे लिस्ट’ और ‘ब्लैक लिस्ट
        • नियमित अनुवर्ती उक्त 4 श्रेणियों में शीर्ष श्रेणी है और पारस्परिक मूल्यांकन रिपोर्ट के बाद भारत सहित G20 में केवल 5 देशों को नियमित अनुवर्ती में रखा गया है।
    • JAM ट्रिनिटी के माध्यम से डिजिटल अर्थव्यवस्था:
      • जन धन, आधार, मोबाइल (JAM) ट्रिनिटी और नकद लेन-देन के कठोर विनियमों द्वारा भारत डिजिटल अर्थव्यवस्था की ओर अग्रसर हुआ है जिससे ML, TF तथा भ्रष्टाचार एवं संगठित अपराध जैसे अपराधों से प्राप्त आय से जुड़े जोखिम सफलतापूर्वक कम हुआ हैं।

FATF क्या है?

  • परिचय:
    • FATF वर्ष 1989 में स्थापित अंतर-सरकारी संगठन है। 
    • यह मनी लॉन्ड्रिंग, आतंकवादी वित्तपोषण और अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय प्रणाली की अखंडता से संबंधित अन्य खतरों से निपटने के लिये एक वैश्विक मानक-निर्धारक है।
  • उद्देश्य:
    • FATF का प्राथमिक उद्देश्य अंतर्राष्ट्रीय मानक निर्धारित करना तथा धन शोधन, आतंकवादी वित्तपोषण और सामूहिक विनाश के हथियारों के प्रसार से निपटने हेतु उपायों के प्रभावी कार्यान्वयन को बढ़ावा देना है।
  • गठन:
    • FATF का गठन G7 देशों की पहल पर धन शोधन और वैश्विक अर्थव्यवस्था पर इसके प्रभाव के बारे में बढ़ती चिंताओं का समाधान करने के लिये किया गया था।
    • प्रारंभ में यह मुख्यतः मनी लॉन्ड्रिंग से निपटने के लिये सिफारिशें करने और सर्वोत्तम अभ्यास विकसित करने पर केंद्रित था।
      • विगत कुछ वर्षों में, इसके कार्यक्षेत्र में विस्तार हुआ और इसमें आतंकवादी वित्तपोषण की रोकथाम करने तथा नए उभरते खतरों से निपटना शामिल किया गया है।
  • ब्लैक लिस्ट: 
    • ब्लैक लिस्ट में उन असहयोगी देशों या क्षेत्रों (Non-Cooperative Countries or Territories-NCCT) को शामिल किया जाता है जो आतंकी फंडिंग और मनी लॉन्ड्रिंग गतिविधियों का समर्थन करते हैं।
    • अभी तक ईरान, उत्तर कोरिया और म्याँमार तीन देश ब्लैक लिस्टेड हैं।
  • ग्रे लिस्ट: 
    • जिन देशों को टेरर फंडिंग और मनी लॉन्ड्रिंग का समर्थन करने के लिये सुरक्षित स्थल माना जाता है, उन्हें FATF की ग्रे लिस्ट में डाल दिया जाता है।
    • यह उस देश के लिये एक चेतावनी के रूप में कार्य करता है कि उसे ब्लैक लिस्ट में शामिल किया जा सकता है।
  • FATF के सदस्य और पर्यवेक्षक:
    • FATF में वर्तमान में 37 सदस्य निकाय हैं जो दुनिया के के लगभग सभी हिस्सों के सबसे प्रमुख वित्तीय केंद्रों का प्रतिनिधित्व करते हैं।
    • 39 सदस्यों में से दो क्षेत्रीय संगठन हैं: यूरोपीय आयोग और खाड़ी सहयोग परिषद।
  • भारत और FATF:
    • भारत वर्ष 2006 में 'पर्यवेक्षक' देशों की सूची में शामिल हुआ और वर्ष 2010 में FATF का पूर्ण सदस्य बन गया।

FATF

भारतीय अर्थव्यवस्था पर MER रिपोर्ट का महत्त्व क्या है?

  • वैश्विक वित्तीय प्रतिष्ठा में वृद्धि:
    • FATF का सकारात्मक मूल्यांकन भारत की मज़बूत वित्तीय प्रणाली को दर्शाता है, जिससे अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भरोसा बढ़ता है। यह गुजरात इंटरनेशनल फाइनेंस टेक सिटी (GIFT सिटी) जैसी पहलों को और अधिक अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय संस्थानों को आकर्षित करने में मदद कर सकता है। 
    • इस बेहतर प्रतिष्ठा से बेहतर क्रेडिट रेटिंग मिल सकती है, जिससे वैश्विक बाज़ारों में भारतीय संस्थाओं के लिये उधार लेने की लागत कम हो सकती है।
  • विदेशी निवेश में वृद्धि:
  • डिजिटल भुगतान प्रणाली का विस्तार:
    • रिपोर्ट का समर्थन भारत के एकीकृत भुगतान इंटरफेस (Unified Payments Interface - UPI) के वैश्विक विस्तार का समर्थन करता है। इससे अंतर्राष्ट्रीय बाज़ारों में UPI की व्यापक स्वीकृति हो सकती है क्योंकि UPI पहले से ही सिंगापुर और UAE जैसे देशों में चालू है इसे और देशों में विस्तारित करने की योजना है।
  • भारत के फिनटेक उद्योग को बढ़ावा:
    • सकारात्मक मूल्यांकन से भारत के फिनटेक क्षेत्र के विकास में तेज़ी आ सकती है। पेटीएम और फोनपे जैसी फिनटेक कंपनियों के लिये अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर विस्तार करना आसान हो सकता है। यह अधिक उद्यम पूंजी को आकर्षित कर सकता है और ब्लॉकचेन तथा डिजिटल मुद्राओं जैसे क्षेत्रों में नवाचार को प्रोत्साहित कर सकता है।
  • संवर्द्धित धन प्रेषण प्रवाह:
    • बेहतर वित्तीय प्रणालियों के साथ, अनिवासी भारतीयों (NRI) से प्राप्त धन अधिक कुशल और लागत प्रभावी हो सकता है। धन प्रेषण की मात्रा में वृद्धि हो सकती है, जो भारत के विदेशी मुद्रा में महत्त्वपूर्ण योगदानकर्त्ता है।

धन शोधन और आतंकवाद वित्तपोषण क्या है?

  • धन शोधन (Money Laundering):
    • धन शोधन में अवैध रूप से प्राप्त धन की पहचान को छिपाना या प्रच्छन्न करना शामिल है, ताकि ऐसा प्रतीत हो कि वह वैध स्रोतों से आया है।
    • यह अक्सर अन्य, अधिक गंभीर अपराधों जैसे कि नशीली दवाओं की तस्करी, डकैती या जबरन वसूली का एक घटक होता है। IMF के अनुसार, वैश्विक मनी लॉन्ड्रिंग का अनुमान वैश्विक GDP के 2 से 5% के बीच है।
  • आतंकवाद वित्तपोषण (TF): 
    • आतंकवाद का वित्तपोषण आतंकवादियों या आतंकवादी संगठनों को वित्तीय सहायता प्रदान करने का कार्य है, ताकि वे आतंकवादी कार्य कर सकें या किसी आतंकवादी या आतंकवादी संगठन को लाभ पहुँचा सकें।
    • यद्यपि धन आपराधिक गतिविधियों से आ सकता है, लेकिन यह वैध स्रोतों से भी प्राप्त हो सकता है, उदाहरण के लिये वेतन, वैध व्यवसाय से प्राप्त राजस्व या गैर-लाभकारी संगठनों सहित दान के माध्यम से।
    • आतंकवाद के वित्तपोषण में सामान्यतः तीन चरण होते हैं: धन जुटाना, धन का स्थानांतरण और उसका उपयोग करना।

भारत के लिये FATF की चिंताएँ और सुझाव क्या हैं?

चिंताएँ 

सुझाव 

  • गैर-वित्तीय क्षेत्रों की भेद्यता: गैर-वित्तीय क्षेत्र कमज़ोर निगरानी के कारण मनी लॉन्ड्रिंग और आतंकवादी वित्तपोषण के प्रति संवेदनशील हो सकते हैं। उदाहरण के लिये, भारत में रियल एस्टेट क्षेत्र, जिसे अवैध वित्तीय गतिविधियों के प्रति संवेदनशील माना जाता है।
  • पर्यवेक्षण और कार्यान्वयन को मज़बूत करना: उच्च मूल्य वाली संपत्ति के लेन-देन के लिये मज़बूत परिश्रम प्रक्रियाओं या गैर-वित्तीय क्षेत्रों में संदिग्ध गतिविधियों हेतु बेहतर रिपोर्टिंग तंत्र की आवश्यकता है।
  • अधिक प्रभावी जाँच हेतु कानून प्रवर्तन एजेंसियों को उच्च गुणवत्ता वाली वित्तीय खुफिया जानकारी का विश्लेषण और प्रसार करने के लिये भारत की वित्तीय खुफिया इकाई (FIU-IND) की क्षमता बढ़ाने की आवश्यकता है।
  • लंबी कानूनी प्रक्रियाएँ: यह AML/CFT (एंटी-मनी लॉन्ड्रिंग/आतंकवाद के वित्तपोषण का मुकाबला) प्रयासों की प्रभावशीलता में बाधा डाल सकता है और संभावित रूप से अपराधियों को न्याय से बचने का मौका दे सकता है। उदाहरण के लिये, देश से भाग चुके हाई-प्रोफाइल आर्थिक अपराधियों से संबंधित मामलों में अभियोजन तथा संपत्ति की वसूली में काफी देरी का सामना करना पड़ा है।
  • ML और TF अभियोगों में देरी को संबोधित करना: इसके लिये बहुआयामी दृष्टिकोण की आवश्यकता है, जिसमें न्यायिक सुधार, वित्तीय अपराध मामलों में कानून प्रवर्तन तथा न्यायिक अधिकारियों हेतु क्षमता निर्माण एवं न्यायिक प्रक्रिया में प्रौद्योगिकी का बेहतर उपयोग शामिल हो सकता है।
  • आभासी परिसंपत्ति जोखिम और अंतर्राष्ट्रीय संगठित अपराध: आभासी परिसंपत्तियों (क्रिप्टोकरेंसी) का बढ़ता उपयोग AML/CFT व्यवस्थाओं के लिये नई चुनौतियाँ उत्पन्न करता है।
  • अप्रभावी अंतर्राष्ट्रीय सहयोग सीमा पार वित्तीय अपराधों से निपटने के प्रयासों में बाधा डालता है।
  • आभासी परिसंपत्ति जोखिमों के विरुद्ध उपायों को सुदृढ़ बनाना: भारत को आभासी परिसंपत्ति सेवा प्रदाताओं के लिये अधिक व्यापक विनियमन और पर्यवेक्षण तंत्र विकसित करने की आवश्यकता है, ताकि धन शोधन या आतंकवादी वित्तपोषण हेतु उनके दुरुपयोग को रोका जा सके।
  • भारत को अंतर्राष्ट्रीय संगठित अपराध या सीमा पार धन शोधन योजनाओं से जुड़े मामलों में अन्य देशों के साथ सूचना साझा करने और सहयोग करने के लिये अपने तंत्र में सुधार करने की आवश्यकता है।

दृष्टि मेन्स प्रश्न: 

प्रश्न. हाल ही में FATF पारस्परिक मूल्यांकन रिपोर्ट ने भारत द्वारा अपने धन शोधन विरोधी और आतंकवाद विरोधी वित्तपोषण व्यवस्था में किये गए कई सुधारों को रेखांकित किया है। रिपोर्ट में किन प्रमुख चिंताओं को उठाया गया है तथा इन मुद्दों को प्रभावी ढंग से संबोधित करने हेतु भारत को किन उपायों को प्राथमिकता देनी चाहिये?

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

मेन्स: 

प्रश्न. चर्चा कीजिये कि किस प्रकार उभरती प्रौद्योगिकियाँ और वैश्वीकरण मनी लॉन्ड्रिंग में योगदान करते हैं। राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय दोनों स्तरों पर मनी लॉन्ड्रिंग की समस्या से निपटने के लिये किये जाने वाले उपायों को विस्तार से समझाइये। (2021)

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