आंतरिक सुरक्षा
बदलती युद्ध शैलियाँ और सैन्य क्षेत्र में भारत की प्रगति
- 15 Feb 2025
- 15 min read
प्रिलिम्स के लिये:चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ, क्वांटम कंप्यूटिंग, मेक इन इंडिया, एडवांस्ड टोड आर्टिलरी गन सिस्टम, सृजन पोर्टल, रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन मेन्स के लिये:भारत का रक्षा आधुनिकीकरण और क्षमताएँ, 21वीं सदी का युद्ध |
स्रोत: द हिंदू
चर्चा में क्यों?
एयरो इंडिया 2025 में चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (CDS) जनरल अनिल चौहान ने तकनीकी उन्नति से परे भारतीय सेना के समग्र परिवर्तन की आवश्यकता पर बल दिया।
एयरो इंडिया
- रक्षा मंत्रालय के रक्षा प्रदर्शनी संगठन द्वारा आयोजित एयरो इंडिया, भारत की प्रमुख द्विवार्षिक एयरोस्पेस और रक्षा प्रदर्शनी है, जो बेंगलुरु के येलहांका वायु सेना स्टेशन में आयोजित की जाती है।
- एयरो इंडिया में वैश्विक एयरो विक्रेता के साथ भारतीय वायु सेना द्वारा कलात्मक प्रदर्शन किया जाता है; इसे पहली बार वर्ष 1996 में आयोजित किया गया था।
21वीं सदी में युद्धकला का किस प्रकार विकास हो रहा है?
- बहु-आयामी संघर्ष: युद्ध अब भूमि, समुद्र और वायु से परे साइबरस्पेस, विद्युत चुम्बकीय स्पेक्ट्रम और बाह्य अंतरिक्ष तक विस्तारित हो गया है।
- मानवरहित प्लेटफाॅर्मों और स्वायत्त हथियारों के उदय से यह पुनः परिभाषित हो रहा है।
- गैर-संपर्क युद्ध का उदय: सटीक निर्देशित युद्ध सामग्री, साइबर हमले और इलेक्ट्रॉनिक युद्ध (EW) से प्रत्यक्ष युद्ध में कमी आई है।
- लंबी दूरी की मिसाइलों, ड्रोनों और AI-संचालित प्रणालियों के उपयोग से शत्रुओं को सीधे टकराव के बिना हमला करने की अनुमति मिलती है।
- युद्ध में प्रौद्योगिकियाँ: अमेरिका, चीन और रूस क्वांटम कंप्यूटिंग, कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) और हाइपरसोनिक हथियारों में सबसे आगे हैं जिससे युद्ध रणनीतियों में बदलाव आने से संभावित रूप से मशीन-बनाम-मशीन युद्ध हो सकता है।
- इसके अतिरिक्त, छठी पीढ़ी के लड़ाकू विमानों और स्वायत्त हथियार प्रणालियों की भी भविष्य के युद्धों में प्रमुख भूमिका रहने का अनुमान है।
- हालाँकि, इन प्रौद्योगिकियों का सटीक प्रभाव अनिश्चित बना हुआ है, जिसके लिये अनुकूलनीय सैन्य रणनीतियों की आवश्यकता है।
- सतत् एवं अतार्किक युद्ध: पहले युद्ध सीमित होते थे तथा इसके बाद राजनीतिक वार्ता होती थी।
- वर्तमान में संघर्ष लंबे समय तक चलने वाले, संकर प्रकृति के (जिसमें पारंपरिक युद्ध, साइबर ऑपरेशन और सूचना आधारित युद्ध शामिल हैं) हो गए हैं तथा तकनीकी विषमता (विभिन्न देशों के बीच तकनीकी क्षमताओं का असमान वितरण) से प्रेरित हो गए हैं।
भारतीय सैन्य क्षेत्र में समग्र परिवर्तन की आवश्यकता क्यों है?
- सुरक्षा संबंधी उभरती चुनौतियाँ: भारत को चीन और पाकिस्तान से दो मोर्चों पर खतरा है, जिसमें लगातार सीमा तनाव (जैसे, पूर्वी लद्दाख, डोकलाम) और जम्मू-कश्मीर में पाकिस्तान का परोक्षी युद्ध शामिल है।
- चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (CPEC) सहित उनके रणनीतिक सहयोग से दो मोर्चों पर युद्ध का खतरा बढ़ गया है।
- हिंद महासागर में चीन की बढ़ती मौजूदगी के कारण भारत को अपनी समुद्री शक्ति और क्षेत्र-बाह्य आकस्मिकता (OOAC) संचालन को मज़बूत करने की आवश्यकता है।
- संरचनात्मक और सैद्धांतिक सीमाएँ: भारत की रक्षा प्रणाली को संरचनात्मक चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है, जिसमें रक्षा नियोजन में भारतीय सेना का प्रभुत्व और 1.4 मिलियन से अधिक की विशाल स्थायी सेना शामिल है, जिससे बजट पर दबाव पड़ता है और आधुनिकीकरण में बाधा आती है।
- भारत की सैद्धांतिक सीमाएँ, खतरों के प्रति प्रतिक्रियात्मक अनुक्रियाओं (जैसे, कारगिल युद्ध, मुंबई 26/11) द्वारा चिह्नित, बढ़ी हुई सुरक्षा के लिये अग्रसक्रिय निवारण और अद्यतन परिचालन सिद्धांतों की आवश्यकता को उजागर करती हैं।
- आधुनिकीकरण की कमियाँ: भारत का रक्षा भंडार अप्रचलित हो गया है, जिससे परिचालन दक्षता प्रभावित हो रही है। आधुनिक प्रगति के बावजूद भारतीय सेना अभी भी 1980 के दशक के T-72 टैंक (40 वर्ष से अधिक पुराने) और बोफोर्स हॉवित्जर का इस्तेमाल करती है।
- 'मेक इन इंडिया' पहल के बावजूद, भारत विश्व का सबसे बड़ा आयुध आयातक देश है (2019 से 2023 तक वैश्विक आयात का 9.8%) और उन्नत हथियारों के लिये रूस, फ्राँस और अमेरिका पर निर्भर है।
- ऐसा तेजस लड़ाकू विमानों और भविष्य के पैदल सेना के लड़ाकू यानों जैसे आधुनिक उपकरणों को शामिल करने में देरी के कारण है।
- भारतीय सेना, वायु सेना और नौसेना के बीच तालमेल के अभाव से एकीकृत वायु-भूमि-समुद्र युद्ध और अभियान रणनीतियों में बाधा उत्पन्न होती है।
- बजटीय बाधाएँ: भारत का 2025-26 का रक्षा बजट 78.7 बिलियन अमेरिकी डॉलर है, जो वर्ष 2023 में चीन के 236 बिलियन अमेरिकी डॉलर की तुलना में बहुत कम है।
- वर्ष 2001 से भारत के रक्षा क्षेत्र ने केवल 5,077 करोड़ रुपए का प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) आकर्षित किया है, जबकि FDI सीमा में स्वचालित मार्ग से 74% और सरकारी मार्ग से 100% का विस्तार कर दिया गया है।
- रक्षा बजट के एक बड़े हिस्से का व्यय मानव शक्ति लागत (वेतन और पेंशन) में होता है, जिससे पूंजी अधिग्रहण के लिये बहुत कम शेष बचता है। रक्षा आवश्यकताओं और वित्तीय बाधाओं के बीच संतुलन बनाना भारत के लिये चुनौती बना हुआ है।
सैन्य क्षेत्र के आधुनिकीकरण में भारत की प्रगति
- मेक इन इंडिया पहल के हिस्से के रूप में, भारत ने प्रमुख रक्षा प्रणालियों जैसे धनुष आर्टिलरी गन सिस्टम, एडवांस्ड टोड आर्टिलरी गन सिस्टम (ATAGS), मुख्य युद्धक टैंक (MBT) अर्जुन, लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (LCA) तेजस, पाँचवीं पीढ़ी (5G) लड़ाकू विमान, पनडुब्बियाँ, फ्रिगेट, कोरवेट और हाल ही में कमीशन किया गया आईएनएस विक्रांत विकसित किया है, जो देश की बढ़ती रक्षा क्षमताओं को प्रदर्शित करता है।
- रक्षा अधिग्रहण प्रक्रिया (DAP) 2020 से रक्षा उत्पादन वर्ष 2023-24 में 1.27 लाख करोड़ रुपए हुआ, जिसका लक्ष्य वर्ष 2029 तक 3 लाख करोड़ रुपए है, जिससे भारत वैश्विक रक्षा विनिर्माण केंद्र के रूप में स्थापित हो जाएगा।
- भारत का रक्षा निर्यात वर्ष 2013-14 में 686 करोड़ रुपए था जो वर्ष 2023-24 में बढ़कर 21,083 करोड़ रुपए हो गया, जो एक दशक में 30 गुना वृद्धि है।
- औद्योगिक लाइसेंसिंग प्रक्रिया को सुव्यवस्थित किया गया है, और iDEX योजना स्टार्टअप एवं एमएसएमई को रक्षा क्षेत्र में नवाचार करने के लिये प्रोत्साहित करती है। SRIJAN पोर्टल स्वदेशीकरण ( "मेक" प्रक्रिया ) में सहायता करता है, जबकि उत्तर प्रदेश और तमिलनाडु में रक्षा औद्योगिक गलियारे क्षेत्रीय विनिर्माण को बढ़ावा देते हैं।
- रक्षा अनुसंधान एवं विकास अब बेहतर सहयोग के लिये निजी क्षेत्र के लिये खुले है।
उभरते युद्ध रुझानों का अनुसरण करने के लिये भारत क्या कदम उठा सकता है?
- स्वदेशी रक्षा नवाचार: अत्याधुनिक सैन्य प्रौद्योगिकियों के विकास के लिये रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन प्रौद्योगिकी क्लस्टरों, निजी रक्षा स्टार्टअप्स एवं शिक्षाविदों के लिये वित्त पोषण में वृद्धि।
- रक्षा में प्रौद्योगिकी: एआई-संचालित स्वायत्त ड्रोन, निर्णय लेने वाली प्रणालियाँ और साइबर युद्ध उपकरणों को तीव्रता से एकीकृत करने की आवश्यकता है। क्वांटम संचार एवं क्रिप्टोग्राफी भारत की सामरिक सैन्य संपत्तियों को सुरक्षित करेगी।
- एकीकृत कमान संरचना से रणनीतिक समन्वय और परिचालन दक्षता में सुधार होगा।
- साइबर और विद्युत चुम्बकीय युद्ध बल: डिजिटल युद्ध के खतरों का मुकाबला करने के लिये समर्पित साइबर और विद्युत चुम्बकीय कमांड की स्थापना करना और सामरिक लाभ के लिये NavIC उपग्रह निगरानी और इलेक्ट्रॉनिक युद्ध क्षमताओं का विस्तार करना।
- सैन्य प्रशिक्षण एवं रणनीति: AI, रोबोटिक्स एवं असममित युद्ध रणनीतियों को शामिल करने के लिये सैन्य प्रशिक्षण को संशोधित करना। अमेरिका, इज़रायल और फ्राँस जैसी वैश्विक तकनीक-संचालित सेनाओं के साथ संयुक्त सैन्य अभ्यास करना।
- भारत की वैश्विक रक्षा स्थिति को बढ़ाना: पश्चिमी सैन्य मानकों के साथ प्रतिस्पर्द्धा करने के लिये स्वदेशी रक्षा उत्पादन और नवाचार में निवेश की आवश्यकता है।
- उभरते उत्तरी अटलांटिक संधि संगठन (नाटो) और क्वाड सैन्य सिद्धांतों के साथ तालमेल बिठाने से भारत को वैश्विक सुरक्षा चुनौतियों के लिये तैयार होने में मदद मिलेगी।
- भविष्य के लिये तैयार सैन्य रणनीति: भारत की भविष्य के लिये तैयार सैन्य रणनीति में भूमि, समुद्र, वायु, साइबर और अंतरिक्ष क्षमताओं का संतुलन होना चाहिये। नियोजित भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन (BAS) का लाभ उठाने से अंतरिक्ष निगरानी और संचार में वृद्धि होगी।
- आगे बने रहने के लिये, भारत को उभरते खतरों के लिये तैयार रहना होगा, जिनमें "रोबोट युद्ध", "ड्रोन युद्ध", "स्वायत्त वाहन मुठभेड़" और "मशीनीकृत संघर्ष" शामिल हैं।
निष्कर्ष
भारत के रक्षा परिवर्तन के लिये एक समग्र दृष्टिकोण की आवश्यकता है, जिसमें सामरिक अनुकूलनशीलता के साथ प्रौद्योगिकीय प्रगति को संतुलित किया जाए तथा उभरते युद्ध रुझानों के साथ तालमेल बिठाया जाए, जिससे भारत अपनी वैश्विक रक्षा स्थिति को बढ़ा सके तथा राष्ट्रीय सुरक्षा सुनिश्चित कर सके।
दृष्टि मुख्य परीक्षा प्रश्न: प्रश्न: आधुनिक युद्ध एक बहु-क्षेत्रीय संघर्ष में बदल रहा है। मुख्य मुद्दों और उन बदलावों पर चर्चा कीजिये जो भारतीय सेना को नए खतरों से निपटने के लिये करने की आवश्यकता है।। |
यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा, वित्त वर्ष के प्रश्न (PYQs)प्रिलिम्सप्रश्न. कभी-कभी समाचारों में उल्लिखित "टर्मिनल हाई एल्टीट्यूड एरिया डिफेंस (THAAD)" क्या है? (2018) (a) इज़रायल की एक रडार प्रणाली उत्तर: (c) प्रश्न. भारतीय रक्षा के संदर्भ में 'ध्रुव' क्या है? (2008) (a) विमान ले जाने वाला युद्धपोत उत्तर: (c) मेन्सप्रश्न :रक्षा क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) को अब उदार बनाया जाना तय है: इससे भारतीय रक्षा और अर्थव्यवस्था पर अल्पावधि और दीर्घावधि में क्या प्रभाव पड़ने की उम्मीद है? (2014) |