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आंतरिक सुरक्षा

रक्षा अधिग्रहण प्रक्रिया

  • 05 Mar 2022
  • 6 min read

प्रिलिम्स के लिये:

रक्षा अधिग्रहण प्रक्रिया, घरेलू उत्पादन को प्रोत्साहन देने हेतु की गई पहलें

मेन्स के लिये:

रक्षा प्रौद्योगिकी के स्वदेशीकरण में रक्षा अधिग्रहण प्रक्रिया का महत्त्व।

चर्चा में क्यों?

रक्षा मंत्रालय ने उन परियोजनाओं को मंज़ूरी दी है जिनमें रक्षा अधिग्रहण प्रक्रिया (Defence Acquisition Procedure- DAP) के तहत हल्के टैंक, एयरबोर्न स्टैंड-ऑफ जैमर, संचार उपकरण और सिमुलेटर को कवर करने वाले सैन्य हार्डवेयर का डिज़ाइन और विकास शामिल होगा।

  • रक्षा मंत्रालय ने ऐसी नौ परियोजनाओं को मंज़ूरी दी है: चार 'मेक-I' के तहत और पाँच रक्षा अधिग्रहण प्रक्रिया 2020 की 'मेक -II' श्रेणियों के तहत।
  • केंद्रीय बजट 2022 में भारत ने 84,598 करोड़ रुपए (सेना के पूंजी अधिग्रहण बजट का 68%) रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देने के लिये स्थानीय रूप से उत्पादित हथियारों और प्रणालियों की खरीद के लिये निर्धारित किया है। इसके अलावा रक्षा अनुसंधान एवं विकास बजट का 25% हिस्सा निजी उद्योग, स्टार्टअप और शिक्षण संस्थानों के लिये निर्धारित किया गया है ताकि सैन्य प्लेटफॉर्मों की रूपरेखा तैयार कर इसके विकास को आगे बढ़ाने के लिये उन्हें प्रोत्साहित किया जा सके।
  • ‘मेक’ श्रेणी क्या है?
    पूंजी अधिग्रहण की 'मेक' श्रेणी मेक इन इंडिया पहल की आधारशिला है जिसका उद्देश्य सार्वजनिक और निजी दोनों क्षेत्रों की भागीदारी के माध्यम से स्वदेशी क्षमताओं का निर्माण करना है।
  • 'मेक-I' सरकार द्वारा वित्तपोषित परियोजनाओं को संदर्भित करती है, जबकि 'मेक-II' के तहत उद्योग-वित्तपोषित कार्यक्रमों को कवर किया जाता है।
    • मेक-I में भारतीय सुरक्षा प्रोटोकॉल के साथ हल्के/लाइट टैंक और संचार उपकरण जैसे बिग-टिकट प्लेटर्मों का विकास शामिल है।
    • मेक-II श्रेणी में सैन्य हार्डवेयर के प्रोटोटाइप का विकास या आयात प्रतिस्थापन हेतु इसका उन्नयन शामिल है जिसके लिये कोई सरकारी धन उपलब्ध नहीं कराया जाता है।
      • उद्योग द्वारा वित्तपोषित मेक-II प्रक्रिया के तहत स्वीकृत पाँच परियोजनाओं में शामिल हैं- अपाचे और चिनूक हेलि‍कॉप्टर के लिये पूर्ण गति सिम्युलेटर, विमान रख-रखाव के लिये परिधेय रोबोटिक उपकरण, यंत्रीकृत बलों के लिये एकीकृत निगरानी और लक्ष्यीकरण प्रणाली तथा स्वायत्त लड़ाकू वाहन।
  • 'मेक' के तहत एक अन्य उप-श्रेणी 'मेक-III' है जो सैन्य हार्डवेयर को कवर करती है जिसे स्वदेशी रूप से तैयार और विकसित नहीं किया जा सकता, लेकिन आयात प्रतिस्थापन के लिये देश में निर्मित किया जा सकता है और भारतीय फर्में विदेशी भागीदारों के सहयोग से इनका निर्माण कर सकती हैं।

रक्षा अधिग्रहण प्रक्रिया 2020 क्या है?

  • यह उन हथियारों या प्लेटफॉर्मों की सूची की अधिसूचना को सक्षम बनाती है जिन्हें आयात के लिये प्रतिबंधित किया जाएगा।
  • यह रक्षा निर्माण और विनिर्माण कीमतों के स्वदेशीकरण में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) पर केंद्रित है।
  • यह कई नए विचारों को भी प्रस्तुत करती है जैसे- प्लेटफॉर्मों और प्रणालियों में कृत्रिम बुद्धिमत्ता को शामिल करने की आवश्यकता, रक्षा उपकरणों में स्वदेशी सॉफ्टवेयर का उपयोग तथा स्टार्ट-अप एवं MSME (सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम) द्वारा रक्षा की एक नई श्रेणी के रूप में 'नवाचार' का अधिग्रहण।
  • इसमें निम्नलिखित खरीद श्रेणियाँ शामिल हैं: खरीदें (भारतीय- स्वदेशी रूप से विकसित और निर्मित), खरीदें (भारतीय), खरीदें और बनाएँ (भारतीय), खरीदें (वैश्विक- भारत में निर्माण) और खरीदें (वैश्विक)।
    • यह सभी परियोजनाओं के लिये स्वदेशी सामग्री (Indigenous Content- IC) की आवश्यकता को पहली श्रेणी के आधार पर 40%-50% से 50%-60% तक बढ़ा देती है।
    • केवल खरीदें (वैश्विक) के माध्यम से की गई खरीद के तहत विदेशी विक्रेता भारतीय कंपनियों से 30% IC प्राप्त कर सकते हैं।

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रक्षा उपकरणों के घरेलू उत्पादन को बढ़ावा देने वाली अन्य पहलें:

स्रोत: बिज़नेस स्टैंडर्ड

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