भारतीय राजव्यवस्था
डॉ. मनमोहन सिंह
- 27 Dec 2024
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प्रिलिम्स के लिये:डॉ. मनमोहन सिंह, मुख्य आर्थिक सलाहकार, भारतीय रिज़र्व बैंक, सूचना का अधिकार, पद्म विभूषण, भारत-संयुक्त राज्य अमेरिका असैन्य परमाणु समझौता मेन्स के लिये:1991 के आर्थिक सुधारों का भारत के विकास पर प्रभाव, शासन में ईमानदारी |
स्रोत: डाउन टू अर्थ
चर्चा में क्यों?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पूर्व प्रधानमंत्री और वर्ष 1991 के आर्थिक सुधारों के प्रमुख वास्तुकार डॉ. मनमोहन सिंह को श्रद्धांजलि अर्पित की। उनका निधन 26 दिसंबर 2024 को हुआ।
डॉ. मनमोहन सिंह कौन थे?
- प्रारंभिक जीवन: डॉ. मनमोहन सिंह का जन्म 26 सितंबर 1932 को गाह, पंजाब (अब पाकिस्तान में) में हुआ था, उनका जीवन 1947 में भारत और पाकिस्तान के विभाजन के बाद के हालातों से प्रभावित था, जिसके कारण उनका परिवार भारत आ गया।
- उन्होंने अर्थशास्त्र में उच्च शिक्षा प्राप्त की, पंजाब विश्वविद्यालय से स्नातक और स्नातकोत्तर की डिग्री प्राप्त की और बाद में कैम्ब्रिज और ऑक्सफोर्ड में अध्ययन किया, जहाँ उन्होंने अर्थशास्त्र में डी.फिल. की उपाधि प्राप्त की।
- उनकी डॉक्टरेट थीसिस 1951-1960 के बीच भारत के निर्यात प्रदर्शन पर केंद्रित थी, जिसने भारतीय अर्थव्यवस्था में उनके भावी योगदान की नींव रखी।
- सिंह ने पंजाब विश्वविद्यालय और दिल्ली स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स में शिक्षण पदों पर कार्य किया तथा भावी नीति निर्माताओं को आकार दिया।
- साहित्यिक योगदान: भारत की निर्यात प्रवृत्तियाँ (India’s Export Trends) और आत्मनिर्भर विकास की संभावनाएँ (Prospects for Self-Sustained Growth)।
- आर्थिक प्रशासन: मुख्य आर्थिक सलाहकार, आर्थिक मामलों के सचिव, भारतीय रिज़र्व बैंक के गवर्नर और विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के अध्यक्ष सहित महत्त्वपूर्ण सरकारी पदों पर कार्य किया।
- RBI गवर्नर (वर्ष 1982-1985) के रूप में सिंह ने वित्तीय स्थिरता और नीति अनुशासन पर ज़ोर दिया।
- वर्ष 1991 के आर्थिक सुधार: वर्ष 1991 के भुगतान संतुलन संकट के दौरान वित्तमंत्री के रूप में (विदेशी मुद्रा भंडार केवल 15 दिनों के आयात के वित्तपोषण के लिये पर्याप्त था), तत्कालीन प्रधानमंत्री PV नरसिम्हा राव ने वित्तमंत्री डॉ मनमोहन सिंह के साथ मिलकर LPG सुधार (उदारीकरण, निज़ीकरण और वैश्वीकरण) (राव-मनमोहन मॉडल के रूप में भी जाना जाता है) आरंभ किया।
- डॉ. मनमोहन सिंह ने प्रमुख सुधारों को लागू किया, जिनमें निर्यात को बढ़ावा देने के लिये रुपए का अवमूल्यन और औद्योगिक बाधाओं को कम करने के लिये लाइसेंस राज को खत्म करना शामिल था।
- उन्होंने वैश्विक पूंजी को आकर्षित करने के लिये विदेशी निवेश नीतियों को भी उदार बनाया, जिससे भारत की अर्थव्यवस्था को स्थिर और विकसित करने में मदद मिली।
- प्रधानमंत्री के रूप में योगदान (वर्ष 2004-2014): भारत के 14वें प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह जवाहरलाल नेहरू और इंदिरा गांधी के बाद भारत के तीसरे सबसे लंबे समय तक प्रधानमंत्री रहे (प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को छोड़कर, जो वर्तमान में अपना तीसरा कार्यकाल पूरा कर रहे हैं)। उन्हें प्रभावी शासन के साथ गठबंधन राजनीति को संतुलित करने के लिये जाना जाता था।
- भारत ने सतत् आर्थिक विकास का अनुभव किया तथा उनके प्रथम कार्यकाल के दौरान अर्थव्यवस्था में वार्षिक रूप में 8-9% की दर से वृद्धि हुई।
- भारत वर्ष 2007 में विश्व की दूसरी सबसे तेजी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्था के रूप में उभरा और डॉ. सिंह ने वर्ष 2008 के वैश्विक वित्तीय संकट के दौरान भारत का नेतृत्व किया।
- महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोज़गार गारंटी अधिनियम (MGNREGA), 2005, सूचना का अधिकार अधिनियम (RTI), 2005 और राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन (NRHM) जैसे प्रमुख कानून उनके पहले कार्यकाल के दौरान पारित किये गए थे।
- निःशुल्क और अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार अधिनियम, 2009, शिक्षा का अधिकार अधिनियम (RTE) 2009, राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (NFSA), 2013 और भूमि अधिग्रहण, पुनर्वास और पुनर्व्यवस्थापन अधिनियम में उचित प्रतिकर और पारदर्शिता का अधिकार अधिनियम, 2013 उनके दूसरे कार्यकाल के महत्त्वपूर्ण कानून थे, जो समानता और न्याय पर केंद्रित थे।
- भारत ने सतत् आर्थिक विकास का अनुभव किया तथा उनके प्रथम कार्यकाल के दौरान अर्थव्यवस्था में वार्षिक रूप में 8-9% की दर से वृद्धि हुई।
- विदेश नीति और वैश्विक संबंध: मनमोहन सिंह ने भारत-संयुक्त राज्य अमेरिका असैन्य परमाणु समझौते (2008) में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई, जिसने अमेरिका और अन्य देशों के साथ असैन्य परमाणु सहयोग को सुविधाजनक बनाया।
- उन्होंने विभिन्न अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर भारत का प्रतिनिधित्व किया तथा साइप्रस में राष्ट्रमंडल शासनाध्यक्षों की बैठक (1993) और वियना में मानवाधिकार पर विश्व सम्मेलन (1993) में प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व किया।
- पुरस्कार: पद्म विभूषण (1987), जवाहरलाल नेहरू बिर्थ बर्थ सेंटेनरी अवार्ड (1995), तथा वर्ष के सर्वश्रेष्ठ वित्तमंत्री पुरस्कार एशिया मनी (1993, 1994) और यूरो मनी (1993) से सम्मानित हुए।
- वह कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय से एडम स्मिथ पुरस्कार (1956) और राइट पुरस्कार (1955) से भी सम्मानित हुये।
डॉ. मनमोहन सिंह के नेतृत्व से क्या सबक लिया जा सकता है?
- शैक्षणिक उत्साह नीति की व्यावहारिकता: मनमोहन सिंह की आर्थिक पृष्ठभूमि ने यह सुनिश्चित किया कि उनके विकल्प कठोर सिद्धांत और अनुभवजन्य आँकड़ों द्वारा समर्थित थे, जिससे उनके कार्यक्रम दीर्घकालिक और सफल रहे।
- संवाद और शिक्षा में उनका विश्वास एक परामर्शात्मक नेतृत्व शैली में परिवर्तित हो गया, जहाँ वे सुलभ थे तथा विविध क्षेत्रों से विचारों के लिये खुले थे।
- सिद्धांतों के साथ व्यावहारिकता का संतुलन: उन्होंने व्यवधानों को न्यूनतम करने के लिये क्रमिक, सामाजिक रूप से स्वीकार्य सुधारों पर ज़ोर दिया, जैसे कि वर्ष 1991 में सावधानीपूर्वक चरणबद्ध आर्थिक उदारीकरण।
- समानता के प्रति प्रतिबद्धता: मनमोहन सिंह ने राष्ट्रीय ग्रामीण रोज़गार गारंटी अधिनियम और शिक्षा के अधिकार जैसे अधिकार-आधारित पहलों के माध्यम से समावेशी विकास का समर्थन किया, साथ ही बाज़ार-उन्मुख सुधारों का भी समर्थन किया।
- ईमानदारी और नैतिक नेतृत्व: अपनी मज़बूत नैतिक छवि के लिये जाने जाने वाले सिंह ने भ्रष्टाचार से ग्रस्त व्यवस्था में ईमानदारी बनाए रखी तथा सभी राजनीतिक दलों के बीच सम्मान अर्जित किया।
- हर्षद मेहता स्टॉक मार्केट घोटाला (1992) जैसे नैतिक मुद्दों पर इस्तीफा देने की उनकी तत्परता से सामाजिक सिद्धांतों के प्रति उनकी प्रतिबद्धता पर प्रकाश पड़ता है।
- संस्थाओं को मज़बूत बनाना: सिंह RBI और योजना आयोग जैसी संस्थाओं को सशक्त बनाने में विश्वास करते थे ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि उनकी नीतियाँ स्वतंत्र एवं राष्ट्रीय लक्ष्यों के अनुरूप हों।
- उनके कार्यकाल में सेवा कर लागू करना, तदर्थ राजकोषीय बिलों को समाप्त करना तथा भारत के कर ढाँचे का आधुनिकीकरण जैसे प्रणालीगत परिवर्तन हुए, जो उनके कार्यकाल के बाद भी जारी रहे।
- प्रतिकूल परिस्थितियों में नेतृत्व: राजनीतिक चुनौतियों का सामना करने के बावजूद, सिंह ने शांत एवं केंद्रित दृष्टिकोण बनाए रखा। वर्ष 2014 में संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन की हार सहित राजनीतिक असफलताओं को बेहतर रूप से प्रबंधित करने से एक सम्मानित नेता के रूप में उनकी विरासत मज़बूत हुई।
दृष्टि मुख्य परीक्षा प्रश्न: प्रश्न: राव मनमोहन मॉडल के महत्त्व को बताते हुए भारत को बंद अर्थव्यवस्था से खुली अर्थव्यवस्था में परिवर्तित करने में इसके प्रभाव का मूल्यांकन कीजिये। |
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रिलिम्स:प्रश्न. 1991 में आर्थिक नीतियों के उदारीकरण के बाद भारत में निम्नलिखित में से क्या प्रभाव उत्पन्न हुआ है? (2017)
नीचे दिये गए कूट का उपयोग करके सही उत्तर चुनिये: (a) केवल 1 और 4 उत्तर: (b) प्रश्न. 1991 के आर्थिक उदारीकरण के बाद भारतीय अर्थव्यवस्था के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजियेः (2020)
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? (a) केवल 1 और 2 उत्तर: (b) |