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डेली अपडेट्स

भारतीय राजव्यवस्था

डॉ. मनमोहन सिंह

  • 27 Dec 2024
  • 12 min read

प्रिलिम्स के लिये:

डॉ. मनमोहन सिंह, मुख्य आर्थिक सलाहकार, भारतीय रिज़र्व बैंक, सूचना का अधिकार, पद्म विभूषण, भारत-संयुक्त राज्य अमेरिका असैन्य परमाणु समझौता

मेन्स के लिये:

1991 के आर्थिक सुधारों का भारत के विकास पर प्रभाव, शासन में ईमानदारी 

स्रोत: डाउन टू अर्थ

चर्चा में क्यों? 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पूर्व प्रधानमंत्री और वर्ष 1991 के आर्थिक सुधारों के प्रमुख वास्तुकार डॉ. मनमोहन सिंह को श्रद्धांजलि अर्पित की। उनका निधन 26 दिसंबर 2024 को हुआ।

डॉ. मनमोहन सिंह कौन थे?

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डॉ. मनमोहन सिंह के नेतृत्व से क्या सबक लिया जा सकता है?

  • शैक्षणिक उत्साह नीति की व्यावहारिकता: मनमोहन सिंह की आर्थिक पृष्ठभूमि ने यह सुनिश्चित किया कि उनके विकल्प कठोर सिद्धांत और अनुभवजन्य आँकड़ों द्वारा समर्थित थे, जिससे उनके कार्यक्रम दीर्घकालिक और सफल रहे।
  • संवाद और शिक्षा में उनका विश्वास एक परामर्शात्मक नेतृत्व शैली में परिवर्तित हो गया, जहाँ वे सुलभ थे तथा विविध क्षेत्रों से विचारों के लिये खुले थे।
  • सिद्धांतों के साथ व्यावहारिकता का संतुलन: उन्होंने व्यवधानों को न्यूनतम करने के लिये क्रमिक, सामाजिक रूप से स्वीकार्य सुधारों पर ज़ोर दिया, जैसे कि वर्ष 1991 में सावधानीपूर्वक चरणबद्ध आर्थिक उदारीकरण
    • समानता के प्रति प्रतिबद्धता: मनमोहन सिंह ने राष्ट्रीय ग्रामीण रोज़गार गारंटी अधिनियम और शिक्षा के अधिकार जैसे अधिकार-आधारित पहलों के माध्यम से समावेशी विकास का समर्थन किया, साथ ही बाज़ार-उन्मुख सुधारों का भी समर्थन किया।
  • ईमानदारी और नैतिक नेतृत्व: अपनी मज़बूत नैतिक छवि के लिये जाने जाने वाले सिंह ने भ्रष्टाचार से ग्रस्त व्यवस्था में ईमानदारी बनाए रखी तथा सभी राजनीतिक दलों के बीच सम्मान अर्जित किया। 
  • हर्षद मेहता स्टॉक मार्केट घोटाला (1992) जैसे नैतिक मुद्दों पर इस्तीफा देने की उनकी तत्परता से सामाजिक सिद्धांतों के प्रति उनकी प्रतिबद्धता पर प्रकाश पड़ता है। 
  • संस्थाओं को मज़बूत बनाना: सिंह RBI और योजना आयोग जैसी संस्थाओं को सशक्त बनाने में विश्वास करते थे ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि उनकी नीतियाँ स्वतंत्र एवं राष्ट्रीय लक्ष्यों के अनुरूप हों।
  • उनके कार्यकाल में सेवा कर लागू करना, तदर्थ राजकोषीय बिलों को समाप्त करना तथा भारत के कर ढाँचे का आधुनिकीकरण जैसे प्रणालीगत परिवर्तन हुए, जो उनके कार्यकाल के बाद भी जारी रहे।
  • प्रतिकूल परिस्थितियों में नेतृत्व: राजनीतिक चुनौतियों का सामना करने के बावजूद, सिंह ने शांत एवं केंद्रित दृष्टिकोण बनाए रखा। वर्ष 2014 में संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन की हार सहित राजनीतिक असफलताओं को बेहतर रूप से प्रबंधित करने से एक सम्मानित नेता के रूप में उनकी विरासत मज़बूत हुई।

दृष्टि मुख्य परीक्षा प्रश्न:

प्रश्न: राव मनमोहन मॉडल के महत्त्व को बताते हुए भारत को बंद अर्थव्यवस्था से खुली अर्थव्यवस्था में परिवर्तित करने में इसके प्रभाव का मूल्यांकन कीजिये।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रिलिम्स:

प्रश्न. 1991 में आर्थिक नीतियों के उदारीकरण के बाद भारत में निम्नलिखित में से क्या प्रभाव उत्पन्न हुआ है? (2017)

  1. सकल घरेलू उत्पाद में कृषि की हिस्सेदारी में भारी वृद्धि हुई। 
  2.  विश्व व्यापार में भारत के निर्यात का हिस्सा बढ़ा।
  3.  FDI प्रवाह बढ़ा।
  4.  भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में भारी वृद्धि हुई।

नीचे दिये गए कूट का उपयोग करके सही उत्तर चुनिये:

(a) केवल 1 और 4
(b) केवल 2, 3 और 4
(c) केवल 2 और 3
(d) 1, 2, 3 और 4

उत्तर: (b)


प्रश्न. 1991 के आर्थिक उदारीकरण के बाद भारतीय अर्थव्यवस्था के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजियेः (2020)

  1. शहरी क्षेत्रों में श्रमिक उत्पादकता (2004-05 की कीमतों पर प्रति कार्यकर्त्ता रुपए) में वृद्धि हुई, जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में यह घट गई। 
  2.  कार्यबल में ग्रामीण क्षेत्रों की प्रतिशत हिस्सेदारी में लगातार वृद्धि हुई। 
  3.  ग्रामीण क्षेत्रों में गैर-कृषि अर्थव्यवस्था में वृद्धि हुई। 
  4.  ग्रामीण रोज़गार में वृद्धि दर में कमी आई है।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 3 और 4
(c) केवल 3
(d) केवल 1, 2 और 4

उत्तर: (b)

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