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प्रिलिम्स फैक्ट्स

  • 11 May, 2023
  • 16 min read
प्रारंभिक परीक्षा

वीरता पुरस्कार

हाल ही में भारत के राष्ट्रपति ने सशस्त्र बलों, अर्द्धसैनिक बलों और पुलिस बलों के 37 कर्मियों को कर्त्तव्य निर्वहन में उनकी बहादुरी एवं साहस के लिये वीरता पुरस्कार प्रदान किया। आठ कर्मियों को कीर्ति चक्र तथा 29 कर्मियों को शौर्य चक्र से सम्मानित किया गया।

भारत में वीरता पुरस्कार:

  • स्वतंत्रता के बाद भारत सरकार द्वारा 26 जनवरी, 1950 को प्रारंभिक तीन वीरता पुरस्कार- परमवीर चक्र, महावीर चक्र और वीर चक्र स्थापित किये गए थे, जिन्हें 15 अगस्त, 1947 से प्रभावी माना गया।
  • इसके बाद वर्ष 1952 में अन्य तीन वीरता पुरस्कार- ‘अशोक चक्र वर्ग-I’, ‘अशोक चक्र वर्ग-II’ और ‘अशोक चक्र वर्ग-III’ स्थापित किये गए, जिन्हें 15 अगस्त, 1947 से प्रभावी माना गया।
    • जनवरी 1967 में इन पुरस्कारों का नाम बदलकर क्रमशः अशोक चक्र, कीर्ति चक्र और शौर्य चक्र कर दिया गया।
  • इन पुरस्कारों का वरीयता क्रम है- परमवीर चक्र, अशोक चक्र, महावीर चक्र, कीर्ति चक्र, वीर चक्र और शौर्य चक्र।

  • वीरता पुरस्कारों की घोषणा वर्ष में दो बार की जाती है - पहले, गणतंत्र दिवस के अवसर पर और फिर स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर।

कीर्ति चक्र 

  • परिचय: 
    • यह महावीर चक्र के समान दूसरा सबसे बड़ा शांतिकालीन वीरता पुरस्कार है।
    • अद्भुत वीरता, अदम्य साहस और कर्त्तव्य के प्रति अत्यधिक समर्पण का प्रदर्शन करने या  युद्ध के मैदान से दूर आत्म-बलिदान करने वालों को इससे सम्मानित किया जाता है। 
  • योग्यता एवं स्वरूप:
    • इसे मरणोपरांत सम्मान के अतिरिक्त नागरिकों और सैनिकों दोनों को प्रदान किया जाता है।
    • इसके केंद्र में कमल के फूल के साथ एक गोलाकार रजत पदक और उसके चारों ओर एक चक्र, दो नारंगी धारियों वाले हरे रंग का रिबन लगा होता है।

शौर्य चक्र

  • परिचय: 
    • यह दुश्मन के खिलाफ असाधारण वीरता, साहसी कार्य या आत्म-बलिदान के लिये दिया जाने वाला एकमात्र भारतीय सैन्य अलंकरण है।
    • यह बहादुरी, वीरता और कर्त्तव्य के प्रति समर्पण की भावना रखने वालों को दिया जाता है।
  • योग्यता एवं स्वरूप:
    • इसे मरणोपरांत सम्मान के अतिरिक्त नागरिकों और सैनिकों दोनों को प्रदान किया जाता है।
    • इसके केंद्र में भारत के राष्ट्रीय प्रतीक अशोक चक्र की प्रतिकृति के साथ गोलाकार कांस्य पदक बना हुआ है।
    • इसमें अशोक चक्र के चारों ओर एक कमल की माला बनी हुई है।
    • इसमें तीन ऊर्ध्वाधर रेखाओं के साथ हरे रंग का रिबन लगा होता है।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रश्न. भारत रत्न और पद्म पुरस्कारों के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2021) 

  1. भारत रत्न और पद्म पुरस्कार भारत के संविधान के अनुच्छेद 18(1) के अंतर्गत उपाधियाँ हैं।
  2. वर्ष 1954 में प्रारंभ किये गए पद्म पुरस्कारों को केवल एक बार निलंबित किया गया था।
  3. किसी वर्ष-विशेष में भारत रत्न पुरस्कारों की अधिकतम संख्या पाँच तक सीमित है।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-से सही नहीं हैं?

(a) केवल 1 और 2 
(b) केवल 2 और 3 
(c) केवल 1 और 3 
(d) 1, 2 और 3 

उत्तर: (d) 

व्याख्या: 

  • पद्म पुरस्कारों की घोषणा प्रतिवर्ष गणतंत्र दिवस पर की जाती है। यह वर्ष 1954 में स्थापित किया गया था और यह भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मानों में से एक है। यह पुरस्कार तीन श्रेणियों में दिये जाते हैं:
    • पद्म विभूषण (असाधारण और विशिष्ट सेवा)
    • पद्म भूषण (उच्च क्रम की प्रतिष्ठित सेवा)
    • पद्मश्री (प्रतिष्ठित सेवा)
  • अनुच्छेद 18(1) राज्य को किसी भी नागरिक या गैर-नागरिक को उपाधि प्रदान करने से रोकता है। हालाँकि सैन्य और शैक्षणिक भेदों को निषेध से छूट दी गई है। भारत रत्न और पद्म पुरस्कार अनुच्छेद 18(1) के अंतर्गत उपाधियाँ नहीं हैं। अतः कथन 1 सही नहीं है।
  • पद्म पुरस्कारों के पदानुक्रम में पद्म विभूषण सर्वोच्च है, इसके बाद पद्म भूषण और पद्मश्री हैं।
  • पद्म पुरस्कारों को वर्ष 1978, 1979 और 1993 से 1997 के दौरान निलंबित कर दिया गया था। अतः कथन 2 सही नहीं है।
  • भारत रत्न देश का सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार है। यह मानव प्रयास के किसी भी क्षेत्र में असाधारण सेवा/सर्वोच्च प्रदर्शन की मान्यता हेतु प्रदान किया जाता है।
  • भारत रत्न हेतु सिफारिश प्रधानमंत्री द्वारा भारत के राष्ट्रपति को की जाती है। भारत रत्न पुरस्कारों की संख्या किसी विशेष वर्ष में अधिकतम तीन तक सीमित हैअतः कथन 3 सही नहीं है।
  • अतः विकल्प (d) सही है।

स्रोत: इकोनाॅमिक्स टाइम्स


विविध

Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 11 मई, 2023

शांति निकेतन 

शांतिनिकेतन, जिसकी स्थापना देबेंद्रनाथ टैगोर द्वारा वर्ष 1863 में की गई थी और बाद में उनके बेटे नोबेल पुरस्कार विजेता रवींद्र नाथ टैगोर द्वारा इसका विस्तार किया गया था, जो कि विश्व-भारती विश्वविद्यालय स्थल भी है, को यूनेस्को की विश्व विरासत सूची में शामिल करने की सिफारिश की गई है। यह सिफारिश भारत सरकार द्वारा प्रस्तुत की गई एक फाइल के आधार पर इंटरनेशनल काउंसिल ऑन मॉन्यूमेंट्स एंड साइट्स (ICOMOS) द्वारा की गई। ICOMOS एक अंतर्राष्ट्रीय सांस्कृतिक निकाय है जिसका मुख्यालय फ्राँस में है, यह वैश्विक वास्तुकला एवं विरासत परिदृश्य के संरक्षण व प्रचार हेतु समर्पित है। यह सिफारिश रवींद्रनाथ टैगोर की 162वीं जयंती (9 मई, 2023) के अवसर पर की गई है जो भारत के लिये अत्यधिक गर्व की बात है। नामांकन की औपचारिक घोषणा सितंबर 2023 में रियाद, सऊदी अरब में विश्व विरासत समिति की बैठक में होगी। यदि शांतिनिकेतन का नामांकन स्वीकार कर लिया जाता है तो यह दार्जिलिंग हिमालयन रेलवे (1999) और सुंदरबन राष्ट्रीय उद्यान (1987) के बाद भारत का 41वाँ विश्व धरोहर स्थल एवं बंगाल का तीसरा स्थान बन जाएगा।

और पढ़ें…रवींद्र नाथ टैगोर 

अप्रैल 2023: वैश्विक स्तर पर सबसे गर्म अप्रैल

यूरोपीय संघ के पृथ्वी अवलोकन कार्यक्रम कोपरनिकस क्लाइमेट चेंज सर्विस (C3S) के हालिया विश्लेषण के अनुसार, वर्ष 2023 का अप्रैल महीना विश्व स्तर पर चौथे सबसे गर्म अप्रैल के रूप में चिह्नित किया गया है। वर्ष 1991-2020 के औसत तापमान विचलन की तुलना में इस महीने में 0.32 डिग्री सेल्सियस तापमान विचलन देखा गया, जो यूरोपीय वायु तापमान में एक उल्लेखनीय विपरीतता को प्रदर्शित करता है। showcasing a notable contrast in European air temperatures.C3S ने इस बात पर प्रकाश डाला कि भूमध्यरेखीय पूर्वी प्रशांत क्षेत्र में औसत से अधिक तापमान पाया गया, जो अल नीनो स्थितियों की ओर संभावित बदलाव का संकेत देता है, जो आमतौर पर वैश्विक तापमान में वृद्धि में योगदान देता है। हालाँकि वर्ष 2023 का अप्रैल महीना वर्ष 2016 के रिकॉर्ड गर्म अप्रैल की तुलना में थोड़ा ठंडा था, इस वर्ष का अप्रैल 2017 और 2018 के तापमान के समान था। इस विश्लेषण में क्षेत्रीय विविधताओं का भी पता चला, कुछ क्षेत्रों में औसत से अधिक ठंड का अनुभव हुआ, जबकि अन्य को असामान्य सूखा अथवा भरी बारिश का सामना करना पड़ा। स्पेन और पुर्तगाल में अब तक का उच्चतम तापमान वाला अप्रैल रहा, जबकि यूरोप, संयुक्त राज्य अमेरिका और दक्षिण-पूर्वी एशिया के कुछ हिस्सों में मौसम शुष्क रहा। अधिकांश समुद्री सतह का भी तापमान औसत से अधिक पाया गया, विशेष रूप से वेडेल सागर, उत्तरी प्रशांत और भूमध्यरेखीय पूर्वी प्रशांत क्षेत्र में हम्बोल्ट करंट क्षेत्र उल्लेखनीय है। वैश्विक स्तर पर जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कम करने और अनुकूलन रणनीतियों के बारे में सूचित निर्णय लेने के लिये C3S का डेटा एक महत्त्वपूर्ण आधार के रूप में कार्य करता है।

और पढ़ें…वर्ष 2050 तक वैश्विक तापमान 2 डिग्री सेल्सियस तक बढ़ने की संभावना

स्वच्छ भारत मिशन ग्रामीण चरण- II 

भारत ने अपने स्वच्छ भारत मिशन ग्रामीण (SBM-G) में एक महत्त्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की है, यहाँ देश के 50% गाँवों ने मिशन के दूसरे चरण-II में ODF प्लस का दर्जा प्राप्त कर लिया है। ODF प्लस गाँवों ने ठोस या तरल अपशिष्ट प्रबंधन प्रणालियों को लागू करते हुए खुले में शौच मुक्त (ODF) स्थिति को बनाए रखा है। 2.96 लाख से अधिक गाँवों ने खुद को ODF प्लस घोषित किया है, जो वर्ष 2024-25 तक SBM-G चरण II के उद्देश्यों को प्राप्त करने की दिशा में एक महत्त्वपूर्ण कदम है। ODF प्लस गाँवों के मामले में अग्रणी राज्यों में बड़े राज्य तेलंगाना, कर्नाटक, तमिलनाडु और उत्तर प्रदेश एवं छोटे राज्य गोवा और सिक्किम शामिल हैं। SBM-G के तहत अपशिष्ट प्रबंधन को संबोधित करने और स्वच्छता प्रथाओं में सुधार के लिये विभिन्न पहलें की गई हैं। सड़क निर्माण और ईंधन के उपयोग के लिये प्लास्टिक अपशिष्ट के पुनर्चक्रण को बढ़ावा देने हेतु प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन इकाइयाँ और अपशिष्ट संग्रह शेड स्थापित किये गए हैं। जैव-गैस/CBG संयंत्र और सामुदायिक कंपोस्ट पिट जैविक अपशिष्ट को प्रभावी ढंग से प्रबंधित करने, चक्रीय अर्थव्यवस्था में योगदान देने और स्वच्छ एवं हरित गाँव का निर्माण करने के लिये स्थापित किये गए हैं। गोबरधन पहल अपशिष्ट को बायोगैस और बायो-स्लरी जैसे संसाधनों में परिवर्तित करने, उद्यमशीलता को बढ़ावा देने और हरित ऊर्जा निवेश को बढ़ावा देने पर केंद्रित है। ग्रे जल प्रबंधन को सोक पिट्स और लीच पिट्स के निर्माण के माध्यम से संबोधित किया गया है, जबकि मल कीचड़ प्रबंधन में स्वच्छता प्रणालियों की सफाई एवं उपचार इकाइयों की स्थापना शामिल है। इन व्यापक प्रयासों के परिणामस्वरूप स्वच्छता में सुधार हुआ है, पर्यावरणीय प्रभाव में कमी आई है और स्थानीय समुदाय को आर्थिक लाभ हुआ है।

और पढ़ें…स्वच्छ भारत मिशन ग्रामीण चरण- II

पर्सोना नॉन ग्राटा 

कनाडा और चीन के बीच राजनयिक तनाव बढ़ता जा रहा है, इसके चलते राजनयिकों का निष्कासन किया गया है, कनाडा ने एक चीनी राजनयिक को निष्कासित कर दिया तो चीन ने कनाडाई राजनयिक को पर्सोना नॉन ग्राटा घोषित किया है। पर्सोना नॉन ग्राटा की अवधारणा की जड़ें राजनयिक संबंधों पर वियना अभिसमय में पाई जाती हैं, जो वर्ष 1961 में हस्ताक्षरित एक संधि है, यह देशों के बीच राजनयिक संबंधों को नियंत्रित करती है। संधि के अनुच्छेद 9 के अनुसार, किसी देश को "किसी भी समय और अपने निर्णय की व्याख्या किये बिना" राजनयिक स्टाफ के किसी भी सदस्य को पर्सोना नॉन ग्राटा घोषित करने का अधिकार है। यह पदनाम राजनयिक महत्त्व रखता है और यह दर्शाता है कि वह अवांछित व्यक्ति है जिसकी देश में उपस्थिति प्रतिबंधित है। पर्सोना नॉन ग्राटा का उपयोग केवल राजनयिकों तक ही सीमित नहीं हैयह उन विदेशी व्यक्तियों पर भी लागू किया जा सकता है जो राजनयिक मिशनों का हिस्सा नहीं हैं, लेकिन जिनका देश में प्रवेश या उपस्थिति अवांछनीय मानी जाती है। वियना अभिसमय किसी देश को अन्य देशों के कार्यों के प्रति असंतोष व्यक्त करने के साधन के रूप में इस अधिकार का प्रयोग करने की अनुमति देता है। जबकि अभिसमय किसी व्यक्ति को पर्सोना नॉन ग्राटा घोषित करने के लिये विशिष्ट मानदंड स्थापित नहीं करता है, ऐतिहासिक तौर पर इसका उपयोग राजनयिक स्वीकृति या प्रतिशोध के रूप में किया जाता है। शीत युद्ध के दौरान इसे अकसर संयुक्त राज्य अमेरिका और सोवियत संघ के बीच "जैसे को तैसा" उपाय के रूप में इस्तेमाल किया जाता था, दोनों पक्षों ने कथित उकसावे की घटना के जवाब में एक-दूसरे के राजनयिकों को निष्कासित कर दिया था। कूटनीति के दायरे से बाहर भी मनोरंजन उद्योग के व्यक्तियों, जैसे कि हॉलीवुड अभिनेता ब्रैड पिट को राजनीतिक रूप से संवेदनशील समझी जाने वाली परियोजनाओं में उनकी भागीदारी के कारण कुछ देशों में इस पदनाम का सामना करना पड़ा है।

और पढ़ें…  वियना अभिसमय


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