अंतर्राष्ट्रीय संबंध
राष्ट्रीय उत्पादकता परिषद
- 13 Feb 2018
- 6 min read
चर्चा में क्यों?
- राष्ट्रीय उत्पादकता परिषद (National Productivity Council-NPC) द्वारा 12 से 18 फरवरी तक राष्ट्रीय उत्पादकता सप्ताह मनाया जा रहा है।
- यह राष्ट्रीय उत्पादकता परिषद की 60वीं वर्षगाँठ है और इसे हीरक जयंती वर्ष के रूप में मनाया जा रहा है।
- राष्ट्रीय उत्पादकता सप्ताह-2018 की थीम “उद्योग 4.0, भारत के लिये बड़ी छलांग लगाने का अवसर” है।
राष्ट्रीय उत्पादकता परिषद
- भारतीय अर्थव्यवस्था के सभी क्षेत्रों में उत्पादकता को प्रोत्साहन देने के लिये औद्योगिक नीति एवं संवर्द्धन विभाग (DIPP) के प्रशासनिक नियंत्रणाधीन NPC राष्ट्रीय स्तर का एक स्वायत्त संगठन है।
- भारत सरकार ने वर्ष 1958 में एक पंजीकृत सोसाइटी के तौर पर इसकी स्थापना की थी। यह एक बहुपक्षीय , गैर-लाभकारी संगठन है।
- इसके अलावा NPC सरकार की उत्पादकता संवर्द्धन योजनाओं को भी कार्यान्वित करता है। टोक्यो आधारित एशियन प्रोडक्टिविटी आर्गेनाईज़ेशन (APO) एक अंतर-सरकारी निकाय है जिसका भारत एक संस्थापक सदस्य है। APO के एक घटक के रुप में NPC इसके कार्यक्रमों को भी कार्यान्वित करता है।
- NPC अपने ग्राहक संगठनों के साथ मिलकर कार्य करता है जिससे उनकी उत्पादकता में वृद्धि हो सके, प्रतिस्पर्द्धात्मकता बढ़े, लाभांश में वृद्धि हो, सुरक्षा तथा विश्वसनीयता कायम की जा सके और बेहतर गुणवत्ता सुनिश्चित की जा सके।
- परिषद का प्रयास अपने हितधारकों के समग्र विकास के लिये आर्थिक, पर्यावरण तथा सामाजिक मूल्यों को सुधारते हुए समग्र रूप से उत्पादकता को प्रोत्साहित करना है।
संगठन
- केंद्रीय उद्योग एवं वाणिज्य मंत्री NPC के प्रधान हैं और DIPP के सचिव इसके अध्यक्ष हैं।
- नई दिल्ली में मुख्यालय के साथ ही NPC के 13 क्षेत्रीय कार्यालय प्रमुख राज्यों की राजधानियों/औद्योगिक केंद्रों में स्थित हैं तथा इसके 140 पूर्णकालिक परामर्शदाता हैं।
- इसके अतिरिक्त परियोजनाओं की आवश्यकता के आधार पर बाहर के विशेषज्ञों और संकायों की सेवाएँ भी ली जाती हैं।
चतुर्थ औद्योगिक क्रांति अथवा उद्योग 4.0
- पहली औद्योगिक क्रांति जल व भाप की शक्ति से हुई थी। दूसरी विद्युत ऊर्जा से, तीसरी क्रांति वर्तमान में चल रही इलेक्ट्रॉनिक और सूचना प्रोद्योगिकी जनित है।
- आने वाली औद्योगिक क्रांति में आइटी व विनिर्माण सेक्टर को मिलाकर कार्य होगा। अमेरिका और जर्मनी ने 2010 के बाद इस पर कार्य शुरू किया।
- उद्योग 4.0 विश्व आर्थिक फोरम की 2016 में आयोजित वार्षिक बैठक की थीम थी, जिसके बाद चतुर्थ औद्योगिक क्रांति का विचार तेजी से प्रसिद्ध होता गया।
- उद्योग 4.0 विश्वभऱ में एक शक्तिशाली बल के रूप में उभर कर सामने आया है और इसे अगली औद्योगिक क्रांति कहा जा रहा है। यह मुख्यत: इंटरनेट ऑफ थिंग्स (IoT), अबाधित इंटरनेट कनेक्टिविटी, तीव्र गति वाली संचार तकनीकियों और 3डी प्रिंटिंग जैसे अनुप्रयोगों पर आधारित है, जिसके अंतर्गत अधिक डिजिटलीकरण तथा उत्पादों, वैल्यू चेन, व्यापार के मॉडल को एक-दूसरे से अधिकाधिक जोड़ने की परिकल्पना की गई है।
- उद्योग 4.0 के अंतर्गत निर्माण में परंपरागत और आधुनिक प्रौद्योगिकी का प्रयोग कर वास्तविक तथा आभासी विश्व का गठजोड़ किया जाएगा। इसके परिणाम ‘स्मार्ट फैक्टरी’ के रूप में सामने आएंगे जिनमें कई उपलब्ध कौशल और संसाधनों का बेहतर एवं दक्ष प्रयोग, दक्षता योग्य डिजाइन और व्यापारिक भागीदारों के बीच सीधा संपर्क संभव हो सकेगा।
- आज विश्व स्तर पर निर्माण क्षेत्र में बड़े परिवर्तन हो रहे है। हालाँकि भारत अपने विकास के लिये बड़े स्तर पर सेवा क्षेत्र पर निर्भर है, लेकिन विनिर्माण क्षेत्र को भी भारत के तीव्र विकास के लिये भूमिका निभानी होगी।
- विनिर्माण क्षेत्र विशेष तौर पर सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योग क्षेत्र की भारतीय अर्थव्यवस्था में अहम भूमिका हैं और यह कृषि क्षेत्र के बाद सबसे अधिक रोज़गार प्रदान करता है।
- रोज़गार के साथ विकास को जोड़ने के लक्ष्य के अनुरूप देश में सकल घरेलू उत्पाद में विनिर्माण क्षेत्र की हिस्सेदारी बढ़ाने की आवश्यकता हैं। सकल घरेलू उत्पाद में विनिर्माण क्षेत्र की हिस्सेदारी वर्ष 2022 तक 16 प्रतिशत से बढ़ाकर 25 प्रतिशत करने और 100 मिलियन अधिक रोज़गार सृजित करने की आवश्यकता है।
- भारत ‘उद्योग 4.0’ की सहायता से इन लक्ष्यों को आसानी से प्राप्त कर सकता है तथा दूसरी क्रांति की संभावनाओं का पूर्ण दोहन करने में दिखाई दे रही कमी की चौथी औधोगिक क्रांति में प्रगति से क्षतिपूर्ति कर सकता है।