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भारतीय अर्थव्यवस्था

सरकार और RBI के बीच मतभेद

  • 12 Dec 2024
  • 11 min read

प्रिलिम्स के लिये:

भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI), RBI गवर्नर, रेपो रेट, रिवर्स रेपो रेट, CRR

मेन्स के लिये:

RBI की कार्यप्रणाली, RBI और केंद्र सरकार के बीच मतभेद के मुख्य कारण

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

चर्चा में क्यों?

हाल ही में भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) के गवर्नर शक्तिकांत दास का कार्यकाल दिसंबर 2024 में समाप्त हो गया, जिसमे उनके दूसरे कार्यकाल के अंत में सरकार के साथ कुछ मतभेद की स्थिति बनी रही।

  • RBI और सरकार के बीच असहमति आर्थिक मंदी और GDP वृद्धि को बढ़ावा देने के लिये कदम उठाने की सरकार की अपील के बावजूद नीतिगत दरों में कटौती से बचने के केंद्रीय बैंक के फैसले से उत्पन्न हुई।

नोट: मंत्रिमंडल की नियुक्ति समिति ने वर्तमान में वित्त मंत्रालय में राजस्व सचिव के रूप में कार्यरत 56 वर्षीय संजय मल्होत्रा ​​को भारतीय रिज़र्व बैंक के 26 वें गवर्नर के रूप में नियुक्त करने की मंजूरी दे दी है।

RBI और केंद्र सरकार के बीच प्रमुख मुद्दे क्या हैं?

  • त्वरित सुधारात्मक कार्रवाई (PCA) के मानदंडों को आसान बनाना: सरकार ने RBI से MSME के लिये ऋण को बढ़ावा देने के लिये PCA के तहत विद्युत् कंपनियों को छूट देने और ऋण नियमों को आसान बनाने का आग्रह किया, लेकिन RBI ने ऐसे उपायों का विरोध किया है।
    • उन्होंने तर्क दिया कि PCA के तहत मानदंडों में ढील देने से गैर-निष्पादित परिसंपत्ति (NPA) संकट से निपटने के प्रयासों को नुकसान पहुँच सकता है, जो भारतीय बैंकिंग प्रणाली के लिये एक बड़ी चुनौती बन गया है।
  • RBI अधिनियम, 1934 की धारा 7: सरकार, RBI अधिनियम की धारा 7 के तहत, सार्वजनिक हित में RBI को निर्देश दे सकती है, लेकिन इसके उचित उपयोग न होने से RBI की स्वायत्तता को कम करने के बारे में चिंता जताई गई है। 
  • RBI अधिशेष: RBI बॉण्ड से आय अर्जित करता है और अधिशेष का एक हिस्सा आकस्मिक निधि और परिसंपत्ति रिज़र्व जैसे बफर के लिये रखता है। 
    • यह देखा गया है कि सरकार प्रायः अतिरिक्त रिज़र्व का तर्क देते हुए अधिक लाभांश की मांग करती है, जबकि RBI मुद्रास्फीति के ज़ोखिम और व्यापक आर्थिक स्थिरता के लिये खतरों की चेतावनी देता है।
    • अधिशेष मुद्रा मूल्य में उतार-चढ़ाव और स्वर्ण के मूल्यह्रास के खिलाफ सुरक्षा के रूप में भी कार्य करता है।
  • नियामक प्राधिकरण और संस्थागत क्षेत्र : वित्तीय स्थिरता और विकास परिषद (FSDC) जैसे निकायों के निर्माण से RBI के भीतर वित्तीय विनियमन में इसकी घटती भूमिका के बारे में चिंता पैदा हो गई है।
    • इसके अलावा, RBI के प्रमुख अधिकारियों की नियुक्ति में सरकार के प्रभाव के मुद्दे पर भी मतभेद है, केंद्रीय बैंक ने चिंता व्यक्त की है कि इस तरह का हस्तक्षेप उसकी स्वतंत्रता को चुनौती देते हैं।
  • विदेशी मुद्रा पर मुद्दा: RBI ने राजकोषीय घाटे या ऋण माफी के लिये विदेशी मुद्रा भंडार का उपयोग करने के सरकार की मांग का विरोध किया है, क्योंकि उसे डर है कि इससे वित्तीय स्थिरता प्रभावित होगी और रुपया कमज़ोर होगा, जिससे रिज़र्व प्रबंधन पर असहमति पैदा होगी।
    • RBI वित्तीय स्थिरता और रुपए की मज़बूती के लिये जोखिम का हवाला देकर इस मांग का विरोध करता है। इसके अतिरिक्त, वित्तीय समावेशन और प्राथमिकता प्राप्त क्षेत्र को ऋण देने के लिये सरकार का ज़ोर प्रायः RBI के समग्र वित्तीय स्थिरता बनाए रखने के फोकस के साथ टकराव करता है।

RBI गवर्नर और सरकार के बीच पहले क्या मतभेद हुए थे?

  • RBI गवर्नर वाई.वी. रेड्डी (2003-2008):  ब्याज दरों में कटौती और वित्तीय बाज़ार विकास को लेकर तत्कालीन वित्त मंत्री के साथ उनके मतभेद थे। उन्होंने किसानों के ऋण माफ करने तथा बिना गारंटी के विदेशी मुद्रा भंडार का उपयोग करने के प्रस्तावों का विरोध किया।
  • डी. सुब्बाराव (2008-2013): उनके कार्यकाल में मुद्रास्फीति विरोधी नीतियों को लेकर मतभेद देखा गया, जिसमें सरकारी अधिकारी उच्च मुद्रास्फीति के बावजूद कम ब्याज दरों पर ज़ोर देते रहे।
  • रघुराम राजन (2013-2016): उन्हें उस समय भी चुनौतियों का सामना करना पड़ा जब सरकार ने RBI से परामर्श किये बिना भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) के माध्यम से मुद्रा बाज़ार को विनियमित करने का प्रयास किया। उन्होंने विमुद्रीकरण की संभावित लागतों और लाभों के बारे में चिंताएँ जताईं, जिसे सरकार ने उनकी सहमति के बिना ही लागू कर दिया।
  • उर्जित पटेल (2016-2018): उनके कार्यकाल में अधिशेष हस्तांतरण और ऋण मानदंडों पर असहमति देखी गई। सरकार ने RBI की नीतियों के बारे में चर्चा करने के लिये RBI अधिनियम की धारा 7 का प्रयोग किया।
    • उन्होंने बढ़ते तनाव के बीच विशेष रूप से RBI के पूंजी भंडार तक पहुँच बनाने के सरकार के प्रयासों के संबंध में इस्तीफा दिया।

आगे की राह

  • RBI-सरकार संबंधों को मज़बूत करना: स्वतंत्र निरीक्षण तंत्र योग्यता आधारित नियुक्तियों को सुनिश्चित कर सकता है और RBI को अनुचित राजनीतिक प्रभाव से बचा सकता है। 
    • भूमिकाओं का स्पष्ट चित्रण आवश्यक है, जिसमें सरकार राजकोषीय नीतियों और विकास पर ध्यान केंद्रित करेगी, जबकि RBI मौद्रिक नीति और वित्तीय स्थिरता को प्राथमिकता देगा।
  • RBI की स्वायत्तता को मजबूत करना: सरकार को RBI के साथ अल्पकालिक उपायों को लागू करने के लिये आम सहमति बनानी चाहिये, जो दीर्घकालिक वित्तीय स्थिरता से समझौता करते हैं। 
    • स्पष्ट कानूनी और संस्थागत ढाँचे से RBI की स्वायत्तता को सुदृढ़ किया जा सकता है, तथा यह सुनिश्चित किया जा सकता है कि वह बाहरी हस्तक्षेप के बिना अपने कार्य को पूरा कर सके।
  • पारदर्शिता और जवाबदेही बढ़ाना: गलतफहमियों को कम करने और आपसी विश्वास बनाने के लिये RBI और सरकार दोनों द्वारा निर्णय लेने में अधिक पारदर्शिता की आवश्यकता है। विमुद्रीकरण (2016), PCA मानदंड, अधिशेष हस्तांतरण असहमति और मौद्रिक नीति मतभेद जैसे उदाहरण RBI-सरकार की प्राथमिकताओं को संरेखित करने और आपसी विश्वास बनाने के लिये पारदर्शी निर्णय लेने की आवश्यकता को उज़ागर करते हैं।
  • स्पष्ट राजकोषीय-मौद्रिक नीति समन्वय: सरकार को राजकोषीय विस्तार की सीमाओं और मुद्रास्फीति नियंत्रण के संबंध में RBI की चिंताओं को स्वीकार करते हुए राजकोषीय और मौद्रिक नीतियों के बीच बेहतर समन्वय का लक्ष्य रखना चाहिये।
    • इसमें नीति संरेखण के लिये औपचारिक तंत्र शामिल हो सकता है, जिससे यह सुनिश्चित हो सके कि दोनों संस्थाएँ एक समान आर्थिक लक्ष्य की दिशा में काम करें।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रिलिम्स

प्रश्न. मौद्रिक नीति समिति (MPC) के संबंध में निम्नलिखित कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? (2017)

  1. यह आरबीआई की बेंचमार्क ब्याज दरों को तय करती है।
  2. यह आरबीआई के गवर्नर सहित 12 सदस्यीय निकाय है जिसका प्रतिवर्ष पुनर्गठन किया जाता है।
  3. यह केंद्रीय वित्त मंत्री की अध्यक्षता में कार्य करती है।

नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये:

(a) केवल 1
(b) केवल 1 और 2
(c) केवल 3
(d) केवल 2 और 3

उत्तर: (a)


प्रश्न. यदि भारतीय रिज़र्व बैंक एक विस्तारवादी मौद्रिक नीति अपनाने का निर्णय लेता है, तो वह निम्नलिखित में से क्या नहीं करेगा? (2020)

  1. वैधानिक तरलता अनुपात में कटौती और अनुकूलन
  2. सीमांत स्थायी सुविधा दर में बढ़ोतरी
  3. बैंक रेट और रेपो रेट में कटौती

नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये:

(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 2
(c) केवल 1 और 3
(d) 1, 2 और 3

उत्तर: (b)

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