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वित्तीय स्थिरता और विकास परिषद (FSDC)

  • 09 Sep 2024
  • 2 min read

स्रोत: इकॉनोमिक टाइम्स 

हाल ही में भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) के गवर्नर की अध्यक्षता में वित्तीय स्थिरता और विकास परिषद (FSDC) की उप-समिति की बैठक संपन्न हुई, जिसमें महत्वपूर्ण वैश्विक तथा घरेलू समष्टि आर्थिक एवं वित्तीय विकास की समीक्षा की गई।

  • इसमें अंतर-नियामक समन्वय पर ध्यान केंद्रित किया गया तथा वैश्विक स्पिलओवर, साइबर खतरों और जलवायु परिवर्तन जैसी उभरती चुनौतियों के मद्देनज़र वित्तीय स्थिरता के लिये संभावित जोखिमों का आकलन किया गया।
  • FSDC: 
    • यह वित्त मंत्रालय के अंतर्गत एक असांविधिक सर्वोच्च परिषद है, जिसका गठन वर्ष 2010 में कार्यपालक आदेश द्वारा किया गया था।
    • वित्तीय क्षेत्र सुधारों पर रघुराम राजन समिति (2008) ने सबसे पहले FSDC के गठन का प्रस्ताव रखा था।
    • FSDC का उद्देश्य व्यापक आर्थिक और वित्तीय विकास की निगरानी करना, वित्तीय स्थिरता के जोखिमों का आकलन करना, वित्तीय नियामकों के बीच समन्वय बढ़ाना तथा वित्तीय समावेशन एवं विकास को बढ़ावा देना है।
    • इसकी अध्यक्षता केंद्रीय वित्त मंत्री करते हैं ।इसमें RBI, SEBI, भारतीय बीमा विनियामक और विकास प्राधिकरण (IRDAI) तथा पेंशन फंड विनियामक और विकास प्राधिकरण (PFRDA) जैसे वित्तीय क्षेत्र के नियामकों के प्रमुख एवं मुख्य आर्थिक सलाहकार (CEA) शामिल होते हैं।
  • FSDC उप-समिति:
    • FSDC को RBI के गवर्नर की अध्यक्षता में गठित एक उप-समिति (FSDC-SC) द्वारा सहायता प्रदान की जाती है। इसकी बैठकें पूर्ण FSDC की तुलना में अधिक बार होती हैं।
    • इसमें FSDC के सभी सदस्य, चार RBI डिप्टी गवर्नर और आर्थिक कार्य विभाग (DEA) के अतिरिक्त सचिव शामिल हैं।

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