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भारतीय अर्थव्यवस्था

भारत के समुद्री क्षेत्र का विकास

  • 20 Nov 2024
  • 16 min read

प्रिलिम्स के लिये:

ब्लू इकोनॉमी, महत्त्वपूर्ण खनिज, भारत-मध्य पूर्व-यूरोप आर्थिक गलियारा, नई दिल्ली में 18वाँ G20 शिखर सम्मेलन, विझिंजम अंतर्राष्ट्रीय बंदरगाह, वधावन, गैलेथिया खाड़ी, बंदरगाह प्राधिकरण अधिनियम 2021, राष्ट्रीय जलमार्ग अधिनियम 2016, अंतर्देशीय पोत अधिनियम 2021, जहाज़ रिसाइक्लिंग अधिनियम 2019, लोथल, चेन्नई-व्लादिवोस्तोक समुद्री गलियारा, उत्तरी समुद्री मार्ग, अंतर्राष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण परिवहन गलियारा, बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI), सागरमाला कार्यक्रम, मेक इन इंडिया, हिंद महासागर रिम एसोसिएशन (IORA)

मेन्स के लिये:

आर्थिक विकास में समुद्री व्यापार का महत्त्व, हाल के दिनों में हुए प्रमुख घटनाक्रम।

स्रोत: द हिंदू

चर्चा में क्यों? 

पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्रालय ने ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन (ORF) के सहयोग से सागरमंथन: द ग्रेट ओशन्स डायलॉग का आयोजन किया, जिसके तहत भारत के समुद्री क्षेत्र के विकास पर प्रकाश डालने के साथ समुद्री रसद, बंदरगाहों एवं शिपिंग पर ध्यान केंद्रित किया गया।

भारत के समुद्री क्षेत्र से संबंधित प्रमुख घटनाक्रम क्या हैं?

  • चेन्नई-व्लादिवोस्तोक पूर्वी समुद्री गलियारा: वर्ष 2023 के अंत में इसका संचालन शुरू हुआ यह भारत एवं सुदूर पूर्व रूस के बीच कार्गो परिवहन की सुविधा के साथ कच्चे तेल, खाद्य एवं मशीनरी जैसे प्रमुख आयात में सुलभता पर केंद्रित है।
  • भारत-मध्य पूर्व-यूरोप आर्थिक गलियारा (IMEC): भारत और ग्रीस G20 के नई दिल्ली शिखर सम्मेलन 2023 के दौरान घोषित IMEC पर सहयोग कर रहे हैं।
    • इसका उद्देश्य भारत, मध्य पूर्व और यूरोप के बीच आर्थिक संपर्क बढ़ाने के साथ व्यापार को बढ़ावा देने के क्रम में समुद्री तथा रेल मार्गों को एकीकृत करना है।
  • समुद्री विज़न 2047: भारत का लक्ष्य वर्ष 2047 समुद्री क्षेत्र में प्रमुख भागीदार बनना है जिसके तहत बंदरगाह, कार्गो, जहाज़ स्वामित्व, जहाज़ निर्माण एवं संबंधित सुधारों पर ध्यान केंद्रित किया जाना शामिल है।
    • भारत वर्ष 2047 तक बंदरगाह हैंडलिंग क्षमता को 10,000 मिलियन मीट्रिक टन प्रतिवर्ष के लक्ष्य को पूरा करने की दिशा में भी कार्य कर रहा है।
  • समुद्री अवसंरचना में निवेश: भारत केरल के विझिंजम अंतर्राष्ट्रीय बंदरगाह, वधावन (महाराष्ट्र) में नए मेगा बंदरगाहों और गैलेथिया खाड़ी (निकोबार द्वीप समूह) जैसी प्रमुख परियोजनाओं के आलोक में समुद्री क्षेत्र में 80 लाख करोड़ रुपए के निवेश की योजना बना रहा है।
    • इस क्षेत्र में स्थायित्व हेतु अमोनिया, हाइड्रोजन और विद्युत जैसे स्वच्छ ईंधनों से चलने वाले जहाज़ों के निर्माण की दिशा में प्रगति पर ध्यान दिया जा रहा है। 
  • पोर्ट टर्नअराउंड टाइम: इसमें काफी हद तक सुधार हुआ है (जो 40 घंटे से घटकर 22 घंटे रह गया है) और यह अमेरिका तथा सिंगापुर जैसे देशों से भी बेहतर हो गया है।
    • पोर्ट टर्नअराउंड टाइम का आशय जहाज़ को सामान उतारने, लादने, परिचालन करने तथा अगली यात्रा के लिये तैयार होने में लगने वाला समय है।
  • संशोधित कानून: प्रमुख बंदरगाह प्राधिकरण अधिनियम, 2021राष्ट्रीय जलमार्ग अधिनियम, 2016, अंतर्देशीय पोत अधिनियम, 2021 और जहाज़ पुनर्चक्रण अधिनियम, 2019 ने पहले ही बंदरगाहों, जलमार्गों और जहाज़ पुनर्चक्रण क्षेत्रों में विकास को गति दे दी है।
    • तटीय नौवहन विधेयक, 2024 और मर्चेंट शिपिंग विधेयक, 2020 जल्द ही भारत में तटीय नौवहन, जहाज़ निर्माण और पुनर्चक्रण को बढ़ावा देंगे।
  • विरासत का संरक्षण: भारत की जहाज़ निर्माण विरासत को पुनर्जीवित करने के लिये लोथल में राष्ट्रीय समुद्री विरासत परिसर का निर्माण किया जा रहा है।

IMEC

  • यह एक प्रमुख बुनियादी ढाँचा और व्यापार संपर्क परियोजना है जिसका उद्देश्य भारत, मध्य पूर्व और यूरोप के बीच आर्थिक और व्यापारिक संबंधों को बढ़ाना है।
  • प्रस्तावित IMEC में रेलमार्ग, जहाज़ से रेल नेटवर्क और सड़क परिवहन मार्ग शामिल होंगे जो दो गलियारों में फैले होंगे:
    • पूर्वी गलियारा - भारत को अरब की खाड़ी से जोड़ता है।
    • उत्तरी गलियारा - अरब की खाड़ी को यूरोप से जोड़ता है।
  • IMEC कॉरिडोर में एक विद्युत् केबल, एक हाइड्रोजन पाइपलाइन और एक हाई-स्पीड डेटा केबल भी शामिल होगी।

चेन्नई-व्लादिवोस्तोक समुद्री गलियारे के बारे में मुख्य तथ्य क्या हैं?

  • परिचय: चेन्नई-व्लादिवोस्तोक समुद्री गलियारा एक समुद्री संपर्क मार्ग है जो भारत के पूर्वी तट को रूस के सुदूर-पूर्वी क्षेत्र के बंदरगाहों, विशेष रूप से चेन्नई बंदरगाह और व्लादिवोस्तोक बंदरगाह से जोड़ता है।
  • दूरी में कमी: नए मार्ग से दूरी 8,675 समुद्री मील (यूरोप के रास्ते) से घटकर लगभग 5,600 समुद्री मील रह जाएगी।
  • समय में कमी: इससे भारत और सुदूर पूर्व रूस के बीच माल परिवहन में लगने वाले समय में 16 दिन तक की कमी आएगी, तथा अब यात्रा में पहले के 40 दिनों की तुलना में 24 दिन लगेंगे।
  • सामरिक महत्त्व: व्लादिवोस्तोक प्रशांत महासागर पर सबसे बड़ा रूसी बंदरगाह है, और यह चीन-रूस सीमा से लगभग 50 किलोमीटर दूर स्थित है।
  • व्यापार संभावना: एक व्यवहार्यता अध्ययन से पता चलता है कि भारत और रूस के बीच कोकिंग कोल, तेल, उर्वरक, कंटेनर और तरलीकृत प्राकृतिक गैस (LNG) जैसी वस्तुओं के व्यापार की महत्त्वपूर्ण संभावना है।
  • पूरक पहल: चेन्नई-व्लादिवोस्तोक गलियारा अन्य पहलों, जैसे उत्तरी समुद्री मार्ग और अंतर्राष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण परिवहन गलियारा (INSTC) के साथ संरेखित है।

भारत के समुद्री क्षेत्र में चुनौतियाँ क्या हैं?

  • चीन से प्रतिस्पर्द्धा: 70 वर्षों से भी कम समय में, चीन एक वैश्विक समुद्री शक्ति बन गया है, जिसके पास बड़ी नौसेना, तट रक्षक, सबसे बड़ा व्यापारी बेड़ा और अग्रणी बंदरगाह हैं। 
  • अप्रभावी बंदरगाह अवसंरचना: मौजूदा बंदरगाहों के आधुनिकीकरण और नए बंदरगाहों के निर्माण में देरी हुई है, और समुद्री एजेंडा 2010-2020 के तहत कई उद्देश्य 2020 तक पूरे नहीं हो पाए।
    • जबकि बंदरगाह संपर्क सागरमाला कार्यक्रम का मुख्य केंद्र है, अंतरमॉडल परिवहन (विशेष रूप से बंदरगाहों को अंतर्देशीय परिवहन नेटवर्क से जोड़ना) अब भी अविकसित है।
  • निजी क्षेत्र की भागीदारी का अभाव: भारत की समुद्री अर्थव्यवस्था, विशेष रूप से बंदरगाह-आधारित औद्योगिकीकरण के संदर्भ में, अभी भी निजी क्षेत्र की अपर्याप्त भागीदारी है। 
  • स्थिरता संबंधी चिंताएँ: समुद्री व्यापार और बंदरगाह विकास को प्रायः विशेष रूप से तटीय पारिस्थितिकी तंत्र के क्षरण और बड़ी बुनियादी ढाँचा परियोजनाओं के पर्यावरणीय प्रभाव के संबंध में पर्यावरणीय मानदंडों को पूरा करने की आवश्यकता होती है।
  • भू-राजनीतिक चुनौतियाँ: बदलती भू-राजनीतिक गतिशीलता और नई वैश्विक समुद्री चुनौतियाँ, जैसे गैर-राज्य अभिकर्त्ताओं का खतरा (जैसे, वाणिज्यिक जहाज़ों पर हूती हमला) भारत के समुद्री व्यापार के लिये ज़ोखिम पैदा करते हैं।
  • विदेशी जहाज़ निर्माण पर निर्भरता: स्वदेशी जहाज़ निर्माण में प्रगति के बावजूद, भारत जहाज़ निर्माण और समुद्री उपकरणों के लिये विदेशी प्रौद्योगिकी पर काफी हद तक निर्भर है। 

भारत के समुद्री क्षेत्र में सरकार की हालिया पहल क्या हैं?

आगे की राह

  • बंदरगाह आधुनिकीकरण में तेज़ी लाना: बंदरगाह आधारित औद्योगिकीकरण को बढ़ावा देने के लिये शुरू किये गए सागरमाला कार्यक्रम में तेज़ी लाई जानी चाहिये, जिसमें घरेलू शिपयार्डों के आधुनिकीकरण को प्राथमिकता देने, नौकरशाही बाधाओं को कम करने और समय पर परियोजना कार्यान्वयन सुनिश्चित करने पर ध्यान केंद्रित किया जाना चाहिये। 
  • निजी निवेश को प्रोत्साहित करना: सरकार को अनुकूल नीतियों, कर छूट और निवेश-अनुकूल विनियमों के माध्यम से समुद्री क्षेत्र में निजी भागीदारी के लिये अधिक प्रोत्साहन प्रदान करना चाहिये।
  • बंदरगाह आधारित औद्योगीकरण को बढ़ावा देना: भारत को मेक इन इंडिया पहल का उपयोग करते हुए बंदरगाहों के आसपास औद्योगिक क्लस्टर बनाने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिये।
  • हरित नौवहन को बढ़ावा देना: जहाज़ों के लिये तरलीकृत प्राकृतिक गैस (LNG) और नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों जैसे वैकल्पिक ईंधनों को बढ़ावा देने से समुद्री व्यापार के कार्बन फुटप्रिंट को कम किया जा सकता है।
  • बहुपक्षीय समुद्री सहयोग : भारत को सहकारी समुद्री सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिये हिंद महासागर रिम एसोसिएशन (IORA) जैसे क्षेत्रीय और बहुपक्षीय सुरक्षा ढाँचे के साथ अपनी भागीदारी बढ़ानी चाहिये।

दृष्टि मेन्स प्रश्न:

प्रश्न: रूस के साथ भारत के आर्थिक और सामरिक संबंधों को मज़बूत करने में चेन्नई-व्लादिवोस्तोक समुद्री गलियारा के महत्त्व का विश्लेषण कीजिये। 

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQs)  

प्रिलिम्स

प्रश्न: हिंद महासागर नौसैनिक परिसंवाद (सिम्पोज़ियम) (IONS) के संबंध में निम्नलिखित पर विचार कीजिये:

  1. प्रारंभी (इनाँगुरल) IONS भारत में 2015 में भारतीय नौसेना की अध्यक्षता में हुआ था।
  2. IONS एक स्वैच्छिक पहल है जो हिंद महासागर क्षेत्र के समुद्रतटवर्ती देशों (स्टेट्स) की नौसेनाओं के बीच समुद्री सहयोग को बढ़ाना चाहता है।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 व 2 दोनों
(d) न तो 1 न ही 2

उत्तर: (b)


प्रश्न: 'क्षेत्रीय सहयोग के लिये हिन्द महासागर रिम संघ [इंडियन ओशन रिम एसोसिएशन फॉर रीजनल कोऑपरेशन (IOR-ARC)]' के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये :

  1. इसकी स्थापना अत्यन्त हाल ही में समुद्री डकैती की घटनाओं और तेल अधिप्लाव (आयल स्पिल्स) की दुर्घटनाओं के प्रतिक्रियास्वरूप की गई है।
  2. यह एक ऐसी मैत्री है जो केवल समुद्री सुरक्षा हेतु है।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 व 2 दोनों
(d) न तो 1 और न ही 2

उत्तर: (d)


प्रश्न: भू-युद्धनीति की दृष्टि से महत्त्वपूर्ण क्षेत्र होने के नाते दक्षिण-पूर्वी एशिया लंबे अंतराल और समय से वैश्विक समुदाय का ध्यान आकर्षित करता आया है। इस वैश्विक संदर्भ में निम्नलिखित में से कौन-सी व्याख्या सबसे प्रत्ययकारी है? (2011)

(a) यह द्वितीय विश्व युद्ध का सक्रिय घटनास्थल था। 
(b) यह एशिया की दो शक्तियों चीन और भारत के बीच स्थित है। 
(c) यह शीत युद्ध की अवधि में महाशक्तियों के बीच परस्पर मुकाबले की रणभूमि थी। 
(d) यह प्रशांत महासागर और हिंद महासागर के बीच स्थित है और उसका चरित्र उत्कृष्ट समुद्रवर्ती है। 

उत्तर: (d)


मेन्स

प्रश्न: परियोजना 'मौसम' को भारत सरकार की अपने पड़ोसियों के साथ संबंधों की सुदृढ़ करने की एक अद्वितीय विदेश नीति पहल माना जाता है। क्या इस परियोजना का एक रणनीतिक आयाम है? चर्चा कीजिये। (2015)

प्रश्न: दक्षिण चीन सागर के मामले में, समुद्री भूभागीय विवाद और बढ़ता हुआ तनाव समस्त क्षेत्र में नौपरिवहन की और ऊपरी उड़ान की स्वतंत्रता को सुनिश्चित करने के लिये समुद्री सुरक्षा की आवश्यकता की अभिपुष्टि करते हैं। इस संदर्भ में भारत और चीन के बीच द्विपक्षीय मुद्दों पर चर्चा कीजिये। (2014)

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