चावल-गेहूँ उत्पादन का पृथक्करण | 03 Sep 2024

प्रिलिम्स के लिये:

चावल, गेहूँ, खरीफ, रबी, न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP), आधिकारिक घरेलू व्यय सर्वेक्षण डेटा 2022-23, राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन, हाइब्रिड चावल बीज उत्पादन, राष्ट्रीय कृषि विकास योजना, जलवायु-स्मार्ट कृषि

मेन्स के लिये:

बदलते उपभोग पैटर्न, जलवायु अनुकूल कृषि की आवश्यकता

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

चर्चा में क्यों?

हाल ही में नीति निर्माताओं ने चावल और गेहूँ के उत्पादन और खपत में बदलाव के कारण इनके उत्पादन को पृथक् करने का आह्वान किया।

चावल में अधिशेष उत्पादन होता है जबकि गेहूँ में उत्पादन कम और खपत अधिक होती है।

चावल और गेहूँ उत्पादन को पृथक् करने की क्या आवश्यकता है?

  • विपरीत अधिशेष स्थितियाँ:
    • चावल अधिशेष: भारत ने सत्र 2021-22 में 21.21 मिलियन टन (mt) , सत्र 2022-23 में 22.35 मिलियन टन और सत्र 2023-24 में 16.36 मिलियन टन चावल (बासमती और गैर-बासमती) का निर्यात किया।
      • रिकॉर्ड शिपमेंट के बावजूद सरकारी गोदामों में चावल का स्टॉक अगस्त 2024 में 45.48 मिलियन टन के सर्वकालिक उच्च स्तर पर था।
    • गेहूँ की कमी: गेहूँ का निर्यात सत्र 2021-22 में 7.24 मिलियन टन से गिरकर सत्र 2022-23 में 4.69 मिलियन टन और सत्र 2023-24 में 0.19 मिलियन टन रह गया।
      • सरकार ने मई 2022 में गेहूँ के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया फिर भी अगस्त 2024 में गेहूँ का स्टॉक 26.81 मीट्रिक टन के निचले स्तर पर था, जो हाल के वर्षों में सबसे कम में से एक है।
  • उत्पादन क्षेत्रों में अंतर
    • चावल: चावल खरीफ (दक्षिण-पश्चिम मानसून) और रबी (सर्दियों-वसंत) दोनों शस्य ऋतुओं के दौरान उगाया जाता है। पश्चिम बंगाल में किसान चावल की तीन फसलें उगाते हैं जिन्हें औस (ग्रीष्म ऋतु), अमन (वर्षा ऋतु) और बोरो (शीत ऋतु) कहा जाता है
      • इसके अलावा इसकी खेती का प्रसार विस्तृत भौगोलिक क्षेत्रों में है, जिसमें 16 राज्य प्रत्येक 2 मीट्रिक टन से अधिक का योगदान देते हैं। जैसे, उत्तर (पंजाब, उत्तर प्रदेश) से दक्षिण (तमिलनाडु, तेलंगाना), मध्य (मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़), पूर्व (पश्चिम बंगाल, असम) और पश्चिम (महाराष्ट्र, गुजरात) तक।
    • गेहूँ: गेहूँ की एक ही रबी फसल होती है और केवल आठ राज्य हैं, जिनमें से प्रत्येक में 2 मीट्रिक टन से अधिक उत्पादन होता है, मुख्यतः उत्तरी, मध्य और पश्चिमी क्षेत्र में।
      • शीर्ष चार राज्यों (उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, पंजाब, हरियाणा) का उत्पादन में 76% योगदान है।
    • उत्पादन में अस्थिरता: गेहूँ अपनी मौसमी और भौगोलिक बाधाओं के कारण अधिक अस्थिर है, जिससे उत्पादन में उतार-चढ़ाव के प्रति यह अधिक संवेदनशील हो जाता है।
  • सीमित कारक:
    • चावल: जल की उपलब्धता मुख्य सीमित कारक है जिसे आसानी से प्रबंधित किया जा सकता है। उदाहरण के लिये, तेलंगाना जैसे राज्यों ने बेहतर सिंचाई और न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) आश्वासन के कारण चावल उत्पादन में उल्लेखनीय वृद्धि की है।
    • गेहूँ: जलवायु परिवर्तन के परिणामस्वरूप गेहूँ की फसल छोटी, गर्म और कम पूर्वानुमानित सर्दियों के प्रति संवेदनशील हो गई है, जिससे अनुकूलन करना चुनौतीपूर्ण हो गया है।
      • मार्च में तापमान में वृद्धि (अनाज निर्माण) तथा नवंबर-दिसंबर (बुवाई अवधि) में उच्च तापमान के कारण हाल के वर्षों में पैदावार कम हो गई है, जिसके कारण सरकारी स्टॉक कम हो गया है।
  • उपभोग की बदलती प्रवृत्तियाँ:
    • गेहूँ: आधिकारिक घरेलू व्यय सर्वेक्षण डेटा 2022-23 से पता चलता है कि ग्रामीण भारत में प्रति व्यक्ति मासिक गेहूँ की खपत 3.9 किलोग्राम और शहरी भारत में 3.6 किलोग्राम है, जो 1,425 मिलियन की आबादी के लिये लगभग 65 मीट्रिक टन है।
      • गेहूँ उत्पादन का एक महत्त्वपूर्ण हिस्सा बेकरी वस्तुओं, सुविधाजनक खाद्य पदार्थों और मिठाइयों के लिये प्रसंस्कृत रूपों (मैदा, सूजी/रवा) में खपत किया जाता है, जिसके शहरीकरण व उच्च आय के साथ बढ़ने की उम्मीद है।
      • आज अधिकांश दक्षिण भारतीय परिवारों में प्रतिदिन भोजन में कम से कम एक बार गेहूँ का उपभोग किया जाता है, जबकि उत्तर में चावल उतना लोकप्रिय नहीं हुआ है जितना कि दक्षिण में गेहूँ
    • चावल: चावल की खपत में कोई समान वृद्धि की प्रवृत्ति नहीं है। चावल आधारित सुविधाजनक खाद्य पदार्थों में नवाचार सीमित हैं, जो स्थिर खपत पैटर्न का संकेत देते हैं।

चावल और गेहूँ की कृषि को समर्थन देने हेतु सरकार की क्या पहल हैं?

चावल और गेहूँ के बारे में मुख्य तथ्य क्या हैं?

आधार

चावल 

गेहूँ 

तापमान




22-32 डिग्री सेल्सियस के बीच उच्च आर्द्रता



10-15°C (बुवाई का समय) और 21-26°C (पकने और कटाई) के बीच तेज धूप 

वर्षा

लगभग 150-300 से.मी

लगभग 75-100 से.मी



मिट्टी का प्रकार

गहरी चिकनी और दोमट मिट्टी

अच्छी जल निकासी वाली उपजाऊ दोमट और चिकनी मिट्टी

शीर्ष उत्पादक

पश्चिम बंगाल >उत्तर प्रदेश >पंजाब

उत्तर प्रदेश >मध्य प्रदेश >पंजाब

भारत की वैश्विक स्थिति

चीन के बाद विश्व में चावल का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक

चीन के बाद विश्व में गेहूँ का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक

चावल-गेहूँ उपभोग में अंतर कम करने के लिये क्या सिफारिशें हैं?

  • गेहूँ नीति: बढ़ती खपत और भौगोलिक/जलवायु संबंधी चुनौतियाँ भारत को अल्पावधि में गेहूँ का आयातक बना सकती हैं।
    • दीर्घावधि के लिये सरकार को प्रति एकड़ पैदावार बढ़ाने और जलवायु-अनुकूल किस्मों के प्रजनन पर ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता है।
  • चावल नीति: चावल की घरेलू खपत उत्पादन के साथ तालमेल नहीं रख पा रही है।
    • सरकार को सफेद गैर-बासमती चावल के निर्यात पर प्रतिबंध हटाना चाहिये।
    • उबले हुए गैर-बासमती पर 20% शुल्क और बासमती शिपमेंट पर 950 अमेरिकी डॉलर प्रति टन की न्यूनतम कीमत हटाई जानी चाहिये।
    • ब्रेकफास्ट सीरियल(अनाज), सूप, शिशु आहार, पैकेज्ड मिक्स आदि जैसे चावल आधारित खाद्य प्रसंस्करण में इसकी खपत बढ़ाने हेतु नवाचार की आवश्यकता है।
  • नीति का विघटन: अब समय आ गया है कि चावल और गेहूँ को एक दूसरे से अलग करके देखा जाए और एक दूसरे से न जोड़ा जाए। दोनों अनाज मौजूदा और भविष्य के लिहाज से अलग-अलग हैं।

दृष्टि मेन्स प्रश्न:

प्रश्न. भारत में चावल और गेहूँ के उत्पादन और खपत के बीच अंतर बढ़ता जा रहा है। क्या आप इस बात से सहमत हैं? अपने तर्कों की पुष्टि कीजिये।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न PYQ)  

प्रिलिम्स

प्रश्न. भारतीय खाद्य निगम के लिये खाद्यान्नों की आर्थिक लागत न्यूनतम समर्थन मूल्य और किसानों को भुगतान किये गये बोनस (यदि कुछ है) के साथ-साथ और क्या शामिल है? (2019)

(a)केवल परिवहन लागत
(b)केवल ब्याज लागत
(c)प्रापण प्रासंगिक प्रभार तथा वितरण लागत
(d)प्रापण प्रासंगिक प्रभार तथा गोदामों के प्रभार

उत्तर: (c)


प्रश्न. राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम, 2013 के अधीन बनाए गये उपबंधों के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2018)

  1. केवल वे ही परिवार सहायता प्राप्त लेने की पात्रता रखते हैं, जो “गरीबी रेखा से नीचे (बी. पी.एल.) की श्रेणी में आते हैं।
  2. परिवार में 18 वर्ष या उससे अधिक उम्र की सबसे अधिक उम्र वाली महिला ही राशन कार्ड निर्गत किये जाने के प्रयोजन से परिवार का मुखिया होगी।
  3. गर्भवती महिलाएँ और दुग्ध पिलाने वाली माताएँ के गर्भावस्था के दौरान और उसके छह महीने बाद प्रतिदिन 1600 कैलोरी वाला राशन घर ले जाने की हकदार है।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

(a)केवल 1 और 2
(b)केवल 2
(c)केवल 1 और 3
(c)केवल 3

उत्तर: (b)

मेन्स

प्रश्न. गत वर्षों में कुछ विशेष फसलों पर ज़ोर ने सस्यन पैटर्नों में किस प्रकार परिवर्तन ला दिये हैं? मोटे अनाजों (मिलेटों) के उत्पादन और उपभोग पर बल को विस्तारपूर्वक स्पष्ट कीजिये। (2018)

प्रश्न. सस्यन तंत्र में धान और गेहूँ की गिरती हुई उपज के लिये क्या-क्या मुख्य कारण है? तंत्र में फसलों की उपज के स्थिरीकरण में सस्य विविधीकरण किस प्रकार मददगार होता है? (2017)