कृषि
गेहूँ और दालों के भंडारण पर सीमा
- 17 Jun 2023
- 10 min read
प्रिलिम्स के लिये:खाद्य सुरक्षा, आवश्यक वस्तु अधिनियम (ECA), 1955, IMD, मुद्रास्फीति, PDS,OMSS मेन्स के लिये:गेहूँ और दालों के भंडारण पर सीमा |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्रालय ने समग्र खाद्य सुरक्षा का प्रबंधन करने तथा जमाखोरी एवं बेबुनियाद अनुमान लगाने की प्रथा को रोकने के लिये व्यापारियों, थोक विक्रेताओं, खुदरा विक्रेताओं, वृहत शृंखला वाले खुदरा विक्रेताओं तथा प्रसंस्करणकर्त्ताओं द्वारा रखने योग्य गेहूँ के स्टॉक/भंडारण पर सीमाएँ निर्धारित की हैं।
- मंत्रालय ने इन्ही कारणों से आवश्यक वस्तु अधिनियम (ECA), 1955 को लागू करके तूर और उड़द दाल पर भी भंडारण सीमा लगा दी है।
सीमा निर्धारण का कारण:
- गेहूँ उत्पादन से संबंधित चिंताएँ:
- फरवरी 2023 में बेमौसम बारिश, ओलावृष्टि और उच्च तापमान के कारण कुल गेहूँ उत्पादन को लेकर स्वाभाविक चिंता जताई गई।
- कम उत्पादन से कीमतें बढ़ती हैं, जो सरकार की खरीद कीमतों से अधिक हो सकती हैं तथा आपूर्ति स्थिरता को प्रभावित कर सकती हैं।
- शुरुआती अनुमान की तुलना में गेहूँ खरीद में संभावित 20% की कमी के संकेत हैं।
- ओलावृष्टि के कारण मध्य प्रदेश, राजस्थान और उत्तर प्रदेश में लगभग 5.23 लाख हेक्टेयर गेहूँ की फसल को नुकसान होने का अनुमान है।
- भारतीय मौसम विज्ञान विभाग ने प्रजनन वृद्धि अवधि के दौरान उच्च तापमान के कारण गेहूँ की फसलों पर प्रतिकूल प्रभाव की चेतावनी दी थी।
- फरवरी 2023 में बेमौसम बारिश, ओलावृष्टि और उच्च तापमान के कारण कुल गेहूँ उत्पादन को लेकर स्वाभाविक चिंता जताई गई।
- तूर एवं उड़द के लिये ECA 1955 लागू करना:
- कर्नाटक, महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश के प्रमुख तूर उत्पादक राज्यों के कुछ हिस्सों में अत्यधिक वर्षा और जल जमाव की स्थिति के कारण वर्ष 2021 की तुलना में खरीफ बुवाई में धीमी प्रगति के बीच जुलाई 2022 के मध्य से तूर की कीमतों में वृद्धि हुई है।
- किसी भी अवांछित मूल्य वृद्धि को नियंत्रित करने के लिये सरकार घरेलू एवं विदेशी बाज़ारों में दालों की समग्र उपलब्धता और नियंत्रित कीमतों को सुनिश्चित करने हेतु पूर्व-निर्धारित कदम उठा रही है।
गेहूँ की स्टॉक सीमा के संबंध में शासनादेश:
- कीमतों को स्थिर करने के लिये स्टॉक सीमा का अधिरोपण:
- व्यापारियों/थोक विक्रेताओं के लिये अनुमत स्टॉक सीमा 3,000 मीट्रिक टन निर्धारित है, इसके साथ ही खुदरा विक्रेताओं के लिये प्रत्येक बिक्री केंद्र पर 10 मीट्रिक टन होने के साथ बड़ी शृंखला के खुदरा विक्रेताओं के लिये सभी डिपो (संयुक्त) पर 3,000 मीट्रिक टन तक निर्धारित की गई है।
- प्रसंस्करण इकाइयों को उनकी वार्षिक स्थापित क्षमता का 75% तक स्टॉक करने की अनुमति है।
- खाद्य और सार्वजनिक वितरण विभाग के पोर्टल पर संस्थाओं को नियमित रूप से अपने स्टॉक की स्थिति घोषित करने की आवश्यकता होती है।
- सीमा से अधिक स्टॉक होने की स्थिति में निर्धारित सीमा के अंतर्गत लाने के लिये अधिसूचना जारी करने की समय-सीमा 30 दिन है।
- OMSS के माध्यम से गेहूँ की बिक्री:
- सरकार ने ओपन मार्केट सेल स्कीम (OMSS) के माध्यम से 15 लाख टन गेहूँ बेचने का निर्णय लिया है।
- गेहूँ मिलों, निजी व्यापारियों, थोक खरीदारों और गेहूँ उत्पादकों द्वारा ई-नीलामी के माध्यम से बेचा जाएगा।
- नीलामी 10 से 100 मीट्रिक टन के थोक मूल्य के लिये आयोजित की जाएगी, जिसमें कीमतों और मांग के आधार पर अधिक-से अधिक नीलामी की संभावना होगी।
- कीमतों को कम करने के लिये चावल की बिक्री हेतु भी इसी तरह की योजना पर विचार किया जा रहा है।
शासनादेश का उद्देश्य:
- कीमतों के स्थिरीकरण हेतु:
- प्राथमिक उद्देश्य बाज़ार में गेहूँ की कीमतों को स्थिर करना है। गेहूँ आपूर्ति शृंखला में शामिल विभिन्न संस्थाओं पर स्टॉक सीमा लागू कर सरकार का उद्देश्य जमाखोरी और सट्टेबाज़ी को रोकना तथा गेहूँ की स्थिर आपूर्ति सुनिश्चित करना और कीमतों को स्थिर करना है।
- वहनीयता:
- सरकार का इरादा कीमतों को स्थिर करके उपभोक्ताओं हेतु गेहूँ को और अधिक किफायती बनाना है।
- OMSS द्वारा केंद्र के माध्यम से गेहूँ के वितरण से खुदरा मूल्यों पर नियंत्रण बनाए रखने से गेहूँ आम लोगों हेतु सस्ता होगा।
- आपूर्ति की कमी को रोकना तथा खाद्य सुरक्षा को सुनिश्चित करना:
- स्टॉक सीमा की निगरानी और प्रबंधन के साथ ही सरकार का उद्देश्य मांग को पूरा करने के लिये गेहूँ की पर्याप्त आपूर्ति सुनिश्चित कर बिक्री से संबंधित कमियों को दूर करना और सार्वजनिक वितरण प्रणाली के माध्यम से समाज के कमज़ोर वर्गों को गेहूँ उपलब्ध कराना है।
आवश्यक वस्तु अधिनियम, 1955:
- पृष्ठभूमि:
- ECA अधिनियम, 1955 ऐसे समय में बनाया गया था जब देश खाद्यान्न उत्पादन के लगातार निम्न स्तर के कारण खाद्य पदार्थों की कमी का सामना कर रहा था।
- तत्कालीन भारत अपनी खाद्य ज़रूरतों की पूर्ति के लिये आयात और सहायता (जैसे PL-480 के तहत अमेरिका से गेहूँ का आयात) पर निर्भर था।
- भारत ने वर्ष 1954 में अमेरिका के साथ सरकारी कृषि व्यापार विकास सहायता के तहत खाद्य सहायता प्राप्त करने के लिये एक दीर्घकालिक सार्वजनिक कानून (PL) 480 समझौते पर हस्ताक्षर किये।
- खाद्य पदार्थों की जमाखोरी और कालाबाज़ारी को रोकने के लिये वर्ष 1955 में आवश्यक वस्तु अधिनियम लाया गया था।
- उद्देश्य:
- इसका उद्देश्य ECA 1955 का उपयोग कर केंद्र द्वारा विभिन्न प्रकार की वस्तुओं में व्यापार हेतु राज्य सरकारों को नियंत्रण प्रदान करना है ताकि मुद्रास्फीति पर अंकुश लगाया जा सके।
- आवश्यक वस्तु:
- आवश्यक वस्तु अधिनियम, 1955 में आवश्यक वस्तुओं की कोई विशिष्ट परिभाषा नहीं है। धारा 2 (A) में कहा गया है कि "आवश्यक वस्तु" का अर्थ अधिनियम की अनुसूची में निर्दिष्ट वस्तु है।
- केंद्र की भूमिका:
- अधिनियम केंद्र सरकार को अनुसूची में किसी वस्तु को जोड़ने या हटाने का अधिकार देता है।
- केंद्र यदि संतुष्ट है कि जनहित में ऐसा करना आवश्यक है, तो राज्य सरकारों के परामर्श से किसी वस्तु को आवश्यक रूप में अधिसूचित कर सकता है।
- प्रभाव:
- किसी वस्तु को आवश्यक घोषित करके सरकार उस वस्तु के उत्पादन, आपूर्ति और वितरण को नियंत्रित कर सकती है तथा स्टॉक सीमा लगा सकती है।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रिलिम्स:प्रश्न. निम्नलिखित फसलों पर विचार कीजिये: (2013)
इनमें से कौन-सी खरीफ फसलें हैं? (a) केवल 1 और 4 उत्तर: (c) मेन्स:प्रश्न. फसल प्रणाली में गेहूँ और चावल की उपज में गिरावट के प्रमुख कारण क्या हैं? इस प्रणाली में फसलों की उपज को स्थिर करने हेतु फसल विविधीकरण किस प्रकार सहायक है? (2017) |