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जैव विविधता और पर्यावरण

बॉन जलवायु सम्मेलन 2024

  • 21 Jun 2024
  • 14 min read

प्रिलिम्स के लिये:

लॉस एंड डैमेज फंड, कॉन्फ्रेंस ऑफ पार्टीज़ (COP 28), नया सामूहिक परिमाणित लक्ष्य, जीवाश्म ईंधन

मेन्स के लिये:

जलवायु वित्त एवं उसका महत्त्व, पर्यावरण प्रदूषण एवं क्षरण

स्रोत: इडियन एक्सप्रेस

चर्चा में क्यों?

हाल ही में जर्मनी के बॉन में आयोजित जलवायु बैठक में नए जलवायु वित्त लक्ष्य को परिभाषित करने में कोई महत्त्वपूर्ण प्रगति नहीं हुई।

  • जलवायु संकट से निपटने के लिये आवश्यक वित्तपोषण से संबंधित मुद्दों पर देशों को अभी भी प्रगति करनी शेष है।

जलवायु वित्तपोषण क्या है?

  • परिचय:
    • यह जलवायु परिवर्तन को कम करने अथवा उसके अनुकूल कार्रवाई के लिये बड़े पैमाने पर आवश्यक निवेश को संदर्भित करता है।
      • शमन में ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को कम करना शामिल है, जैसे नवीकरणीय ऊर्जा को बढ़ाना एवं वन क्षेत्र का विस्तार करना।
      • अनुकूलन में जलवायु परिवर्तन के प्रतिकूल प्रभावों से होने वाली क्षति को रोकने अथवा न्यूनतम करने की कार्रवाई करना शामिल है, जैसे समुद्र-स्तर में वृद्धि से तटीय समुदायों की रक्षा के लिये बुनियादी ढाँचे का निर्माण करना।
  • वर्तमान जलवायु वित्तपोषण राशि पर सहमति:
    • वर्ष 1992 में स्थापित जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क कन्वेंशन  (UNFCCC) द्वारा उच्च आय वाले देशों को विकासशील देशों को जलवायु वित्त प्रदान करने का निर्देश दिया।
    • कोपेनहेगन प्रतिबद्धता, 2009 के अनुसार, विकसित देश वर्ष 2020 तक विकासशील देशों को प्रतिवर्ष 100 बिलियन अमेरिकी डॉलर उपलब्ध कराने पर सहमत हुए थे।
    • हरित जलवायु कोष की स्थापना वर्ष 2010 में जलवायु वित्त प्रदान करने के लिये एक महत्त्वपूर्ण तंत्र के रूप में की गई थी।
    • वर्ष 2015 के पेरिस समझौते में 100 बिलियन अमेरिकी डॉलर के लक्ष्य निर्धारित किया और साथ ही इसे वर्ष 2025 तक बढ़ा दिया गया।
  • राशि में वृद्धि की आवश्यकता:
    • UNFCCC, 2021 रिपोर्ट के अनुसार, विकासशील देशों को जलवायु कार्य योजनाओं को लागू करने के लिये वर्ष 2021 से वर्ष 2030 तक प्रतिवर्ष लगभग 6 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर की आवश्यकता होगी और साथ ही वैश्विक निम्न-कार्बन अर्थव्यवस्था संक्रमण के लिये वर्ष 2050 तक प्रतिवर्ष लगभग 4-6 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर की आवश्यकता होगी।
    • अंतर्राष्ट्रीय नवीकरणीय ऊर्जा एजेंसी (IRENA) के अनुसार, दुबई में हुई सहमति के अनुसार, अक्षय ऊर्जा क्षमता को तीन गुना करने के लिये वर्ष 2030 तक 30 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर की लागत आने का अनुमान है।
    • इन अनुमानों से अनुमान लगाया गया है कि यह वार्षिक आवश्यकता 5-7 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर होगी, जो वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद के लगभग 5-7% के बराबर है, जो निष्क्रियता की बढ़ती लागत को उजागर करता है।
    • भारत द्वारा अनुदान तथा रियायती वित्त पर ध्यान केंद्रित करते हुए प्रतिवर्ष कम-से-कम 1 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर का एक नया सामूहिक परिमाणित लक्ष्य (NCQG) प्रस्तावित किया गया है।

  • जलवायु वित्तपोषण के पक्ष में तर्क:
    • विकासशील देशों का तर्क है कि विकसित देशों को वित्तीय सहायता प्रदान करनी चाहिये, क्योंकि पिछले 150 वर्षों में विकसित देशों द्वारा किये गए उत्सर्जन के कारण ही जलवायु समस्या उत्पन्न हुई है।
    • उच्च आय वाले देशों ने जलवायु वित्त के लिये अपनी वित्तीय प्रतिज्ञाओं को अभी तक पूरा नहीं किया है, क्योंकि प्रदान किया गया अधिकांश वित्त ऋण के रूप में है।
      • आर्थिक सहयोग एवं विकास संगठन (OECD) की एक हालिया जारी रिपोर्ट में विकसित देशों द्वारा वर्ष 2022 तक प्रतिवर्ष 100 बिलियन अमेरिकी डॉलर देने का अपना वादा पूरा कर लिया है। हालाँकि इसका 69% हिस्सा ऋण के रूप में प्रदान किया गया।

जलवायु वित्त से संबंधित मुद्दे क्या हैं?

  • विकसित और विकासशील देशों के बीच विवाद:
    • योगदान पर बहस: UNFCCC और पेरिस समझौते के तहत, UNFCCC के अनुलग्नक 2 में सूचीबद्ध केवल 25 देश, यूरोपीय आर्थिक समुदाय के साथ, विकासशील देशों को जलवायु वित्त प्रदान करने के लिये बाध्य हैं।
      • कई अन्य देश अब 1990 के दशक की तुलना में आर्थिक रूप से बेहतर स्थिति में हैं, जैसे चीन (विश्व की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था), तेल समृद्ध खाड़ी देश तथा दक्षिण कोरिया जैसे अन्य देश अनुलग्नक 2 का हिस्सा नहीं हैं।
    • जबकि विकासशील देश पेरिस समझौते के अनुच्छेद 9 का हवाला देते हैं, जो जलवायु वित्त को विकसित देशों से विकासशील देशों की ओर प्रवाहित करने का आदेश देता है।
      • प्राप्तकर्त्ता को प्राथमिकता देना: विकसित देश जलवायु वित्त के लिये सबसे कमज़ोर देशों, जैसे कि सबसे कम विकसित देश और छोटे द्वीपीय विकासशील राज्यों को प्राथमिकता देने की वकालत करते हैं, जबकि विकासशील देशों का दावा है कि सभी विकासशील देशों को सहायता हेतु पात्र होना चाहिये
  • जलवायु वित्त की परिभाषा और प्रकृति:
    • विकासशील देश जलवायु वित्त की परिभाषा पर स्पष्टता की मांग कर रहे हैं, उनका कहना है कि इसमें विकास वित्त को शामिल नहीं किया जाना चाहिये तथा दोहरी गणना के प्रति आगाह किया जाना चाहिये।
  • शमन और अनुकूलन के मुद्दे:
    • शमन (उत्सर्जन में कमी) और अनुकूलन (जलवायु प्रभावों के अनुसार समायोजन) के लिये वित्तपोषण के बीच संतुलन विवाद का एक प्रमुख मुद्दा है।
    • वर्तमान में जलवायु वित्त का एक महत्त्वपूर्ण हिस्सा नवीकरणीय ऊर्जा जैसी शमन परियोजनाओं पर खर्च किया जाता है।
      • हालाँकि विकासशील देशों का तर्क है कि समुद्र के बढ़ते स्तर और चरम मौसम की घटनाओं जैसे मौजूदा प्रभावों को देखते हुए, अनुकूलन उनके तत्काल अस्तित्त्व के लिये महत्त्वपूर्ण है।

नया सामूहिक परिमाणित लक्ष्य (NCQG) क्या है?

  • यह वर्ष 2015 में COP21 में प्रस्तावित एक नया वार्षिक वित्तीय लक्ष्य है, जिसका लक्ष्य वर्ष 2025 के बाद जलवायु वित्त लक्ष्य निर्धारित करना है, जिसे विकसित देशों द्वारा विकासशील देशों को जलवायु वित्त प्रदान करने के लिये वर्ष 2025 से पूरा करना होगा।
  • NCQG की राशि नवंबर 2024 में बाकू, अज़रबैजान में आयोजित होने वाले COP29 शिखर सम्मेलन में एक महत्त्वपूर्ण वार्ता बिंदु होगी।
    • NCQG वार्ता का उद्देश्य एक सामूहिक राशि निर्धारित करना है, जिसे अमीर देशों को जलवायु परिवर्तन के प्रभावों के प्रति संवेदनशील गरीब देशों में शमन, अनुकूलन और अन्य जलवायु कार्रवाई प्रयासों के लिये वार्षिक रूप से एकत्रित करना होगा।
  • विकासशील देशों के लिये पर्याप्त NCQG आँकड़ा हासिल करना बेहद महत्त्वपूर्ण है, क्योंकि पर्याप्त जलवायु वित्त की कमी प्रभावी जलवायु योजनाओं को लागू करने और ग्लोबल वार्मिंग के प्रभावों के विरुद्ध लचीलेपन के निर्माण में एक बड़ी बाधा रही है।

 जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क कन्वेंशन (UNFCCC) 

  • यह पृथ्वी की जलवायु प्रणाली में हानिकारक मानव-प्रेरित व्यवधानों को रोकने के लिये ग्रीनहाउस गैस सांद्रता को कम करने के लिये एक वैश्विक पर्यावरण संधि है।
  • इसे आधिकारिक तौर पर वर्ष 1992 में अनुमोदित किया गया था। इसे पृथ्वी शिखर सम्मेलन, रियो शिखर सम्मेलन या रियो सम्मेलन के रूप में भी जाना जाता है।
  • UNFCCC का सर्वोच्च निर्णय लेने वाला निकाय, पक्षकारों का सम्मेलन (COP)है, जो वार्षिक बैठकें आयोजित करता है और जलवायु परिवर्तन से निपटने में प्रगति का आकलन करने के लिये सभी 197 दलों के प्रतिनिधियों का आवाहन करता है।
  • वर्ष 1993 में भारत UNFCCC का एक पक्षकार बन गया, जिसमें पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (MoEFCC) इसकी नोडल एजेंसी के रूप में कार्य कर रहा था।

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दृष्टि मेन्स प्रश्न:

प्रश्न: जलवायु परिवर्तन विकासशील देशों पर असमान रूप से प्रभाव डालता है, भले ही ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में उसका ऐतिहासिक योगदान कम रहा हो। जलवायु संबंधी कमियों को दूर करने में अनुकूलन वित्त के महत्त्व पर चर्चा कीजिये और इसकी प्रभावशीलता सुनिश्चित करने के तरीके सुझाइये।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रिलिम्स:

प्रश्न. वर्ष 2015 में पेरिस में UNFCCC बैठक में हुए समझौते के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? (2016)

  1. इस समझौते पर संयुक्त राष्ट्र के सभी सदस्य देशों ने हस्ताक्षर किये और यह वर्ष 2017 से  लागू होगा।
  2. यह समझौता ग्रीनहाउस गैस के उत्सर्जन को सीमित करने का लक्ष्य रखता है, जिससे इस सदी के अंत तक औसत वैश्विक तापमान की वृद्धि उद्योग-पूर्व स्तर से 2ºC या कोशिश करें कि  1.5ºC से भी अधिक न होने पाए।
  3. विकसित देशों ने वैश्विक तापन में अपनी ऐतिहासिक ज़िम्मेदारी को स्वीकारा और जलवायु परिवर्तन का सामना करने के लिये विकासशील देशों की सहायता के लिये वर्ष 2020 से प्रतिवर्ष 1000 अरब डॉलर देने की प्रतिबद्धता जताई।

नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये:

(a) केवल 1 और 3
(b) केवल 2
(c) केवल 2 और 3
(d) 1, 2 और 3

उत्तर: B


मेन्स:

प्रश्न. संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन फ्रेमवर्क सम्मेलन (UNFCCC) के COP के 26वें सत्र के प्रमुख परिणामों का वर्णन कीजिये। इस सम्मेलन में भारत द्वारा की गई वचनबद्धताएँ क्या हैं? (2021)

प्रश्न. नवंबर, 2021 में ग्लासगो में विश्व के नेताओं के शिखर सम्मेलन COP26 संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन में आरंभ की गई हरित ग्रिड पहल का प्रयोजन स्पष्ट कीजिये। अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन (ISA) में यह विचार पहली बार कब दिया गया था? (2021)

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