जैव विविधता और पर्यावरण
लॉस एंड डैमेज फंड
- 13 Nov 2023
- 11 min read
प्रिलिम्स के लिये:‘लॉस एंड डैमेज' (L&D) फंड, जलवायु परिवर्तन सम्मेलन COP-27, जलवायु परिवर्तन मेन्स के लिये:पर्यावरण प्रदूषण और गिरावट |
स्रोत: द हिंदू
चर्चा में क्यों?
बढ़ते जलवायु संकट के संदर्भ में ‘लॉस एंड डैमेज' (L&D) फंड तथा अनुकूलन हाल ही में चर्चा में रहा।
लॉस एंड डैमेज फंड क्या है?
- परिचय:
- ‘लॉस एंड डैमेज' (L&D) फंड एक वित्तीय सहायता तंत्र है जिसे जलवायु परिवर्तन के उन अपरिवर्तनीय परिणामों का समाधान करने के लिये डिज़ाइन किया गया है जिन्हें अनुकूलन प्रयासों के माध्यम से टाला अथवा कम नहीं किया जा सकता है।
- अनुकूलन प्रयास जलवायु परिवर्तन के प्रति सक्रिय प्रतिक्रिया और जीवित रहने की कला है जिसका उपयोग कर समुदाय एवं देश जलवायु-संबंधी चुनौतियों से निपटने तथा तैयारी के लिये कारागार विकल्प चुनते हैं।
- इस फंड का उद्देश्य जलवायु परिवर्तन के प्रभावों के कारण समुदायों, देशों और पारिस्थितिक तंत्रों को हुई हानि की पहचान करना है तथा उसकी क्षतिपूर्ति करना है।
- ये हानियाँ मौद्रिक मूल्य से परे हैं तथा मूलतः मानव अधिकारों, कल्याण एवं पर्यावरणीय स्थिरता को प्रभावित करते हैं।
- ‘लॉस एंड डैमेज' (L&D) फंड एक वित्तीय सहायता तंत्र है जिसे जलवायु परिवर्तन के उन अपरिवर्तनीय परिणामों का समाधान करने के लिये डिज़ाइन किया गया है जिन्हें अनुकूलन प्रयासों के माध्यम से टाला अथवा कम नहीं किया जा सकता है।
- L&D फंड की उत्पत्ति एवं विकास:
- ऐतिहासिक जवाबदेही तथा शुरुआत:
- 30 वर्षों से समृद्ध देशों से उनके ऐतिहासिक प्रदूषण के प्रति ज़िम्मेदारी को स्वीकार करने का लगातार आह्वान किया जाता रहा है, जिसने विश्व की औसत सतह के तापमान को 1 डिग्री सेल्सियस से अधिक बढ़ा दिया है।
- यह ऐतिहासिक प्रदूषण वर्तमान में विश्व भर में विशेषकर सबसे गरीब देशों को गंभीर रूप से क्षति पहुँचा रहा है।
- COP-19 (2013):
- वर्ष 2013 में वारसॉ, पोलैंड में जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क अभिसमय (United Nations Framework Convention on Climate Change- UNFCCC) के लिये पक्षकारों के 19वें सम्मेलन (COP-19) में औपचारिक समझौते के परिणामस्वरूप लॉस एंड डैमेज फंड की स्थापना हुई।
- यह कोष विशेष तौर पर उन आर्थिक रूप से विकासशील देशों को वित्तीय एवं तकनीकी सहायता प्रदान करने के लिये स्थापित किया गया था जो जलवायु परिवर्तन के कारण होने वाली हानि एवं क्षति से प्रभावित थे।
- 30 वर्षों से समृद्ध देशों से उनके ऐतिहासिक प्रदूषण के प्रति ज़िम्मेदारी को स्वीकार करने का लगातार आह्वान किया जाता रहा है, जिसने विश्व की औसत सतह के तापमान को 1 डिग्री सेल्सियस से अधिक बढ़ा दिया है।
- बाद के विकास और चुनौतियाँ:
- COP-25:
- COP-19 के बाद L&D के लिये सैंटियागो नेटवर्क COP-25 में स्थापित किया गया था। हालाँकि इस बिंदु पर देशों ने पहल का समर्थन करने हेतु कोई धनराशि नहीं दी।
- COP-26:
- ग्लासगो में वर्ष 2021 में आयोजित COP-26 जलवायु शिखर सम्मेलन का उद्देश्य फंड के संचालन के संबंध में अगले तीन वर्षों में वार्ता को जारी रखना था।
- COP-27 (नवंबर 2022):
- COP-27 में व्यापक चर्चा के बाद UNFCCC के सदस्य देशों के प्रतिनिधि L&D फंड स्थापित करने पर सहमत हुए। इसके अतिरिक्त यह पता लगाने के लिये एक ट्रांज़िशनल कमेटी (TC) की स्थापना की गई थी कि फंड के तहत नए फंडिंग तंत्र का संचालन किस प्रकार से होगा।
- TC को सिफारिशें तैयार करने का काम सौंपा गया था, जिन पर COP-28 के दौरान विचार किया जा सके तथा देशों द्वारा संभावित रूप से उन सिफारिशों को अपनाया जा सके।
- COP-27 में व्यापक चर्चा के बाद UNFCCC के सदस्य देशों के प्रतिनिधि L&D फंड स्थापित करने पर सहमत हुए। इसके अतिरिक्त यह पता लगाने के लिये एक ट्रांज़िशनल कमेटी (TC) की स्थापना की गई थी कि फंड के तहत नए फंडिंग तंत्र का संचालन किस प्रकार से होगा।
- COP-25:
- TC-4 और TC-5 पर गतिरोध:
- TC-4 की बैठक:
- TC-4 की चौथी बैठक में L&D फंड के संचालन पर कोई स्पष्ट सहमति नहीं बन पाई।
- विवाद के प्रमुख बिंदुओं में विश्व बैंक में फंड की मेज़बानी, साझा किंतु विभेदित उत्तरदायित्व (Common But Differentiated Responsibility- CBDR) का मूलभूत सिद्धांत, जलवायु क्षतिपूर्ति से संबंधित मुद्दे और फंड के लिये सभी विकासशील देशों की पात्रता शामिल है।
- TC-5 की बैठक:
- TC5 की सिफारिशों का मसौदा तैयार कर लिया गया है और COP 28 को भेज दिया गया है।
- TC-4 की बैठक:
- ऐतिहासिक जवाबदेही तथा शुरुआत:
लॉस एंड डैमेज फंड के संबंध में क्या चुनौतियाँ हैं?
- विकसित देशों की अनिच्छा:
- विकसित देश, विशेष रूप से अमेरिका जैसे देश फंड के प्राथमिक दाता होने के संबंध में अनिच्छुक रहे हैं। उनका समर्थन स्वैच्छिक है, जो फंड के उद्देश्यों के प्रति प्रतिबद्धता के विषय में चिंताएँ बढ़ाता है।
- धनी देशों की अपनी स्वयं की प्रतिबद्धताओं को पूरा करने की अनिच्छा वैश्विक जलवायु वार्ता में विश्वास को कम करती है और जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिये आवश्यक सहकार की भावना को बाधित करती है।
- विकसित देश, विशेष रूप से अमेरिका जैसे देश फंड के प्राथमिक दाता होने के संबंध में अनिच्छुक रहे हैं। उनका समर्थन स्वैच्छिक है, जो फंड के उद्देश्यों के प्रति प्रतिबद्धता के विषय में चिंताएँ बढ़ाता है।
- फंड को लेकर अनिश्चितता:
- वर्तमान में L&D फंड के आकार को लेकर कोई स्पष्ट संकेत नहीं है और UK एवं ऑस्ट्रेलिया के दबाव में फंड के आकार को निर्दिष्ट करने के किसी भी प्रयास को रद्द कर दिया गया था।
- वर्तमान मसौदा किसी स्पष्ट प्रतिबद्धता या रूपरेखा के बिना केवल विकसित देशों को धनराशि उपलब्ध कराने के आग्रह के साथ उन्हें आमंत्रित करता है।
- वर्तमान में L&D फंड के आकार को लेकर कोई स्पष्ट संकेत नहीं है और UK एवं ऑस्ट्रेलिया के दबाव में फंड के आकार को निर्दिष्ट करने के किसी भी प्रयास को रद्द कर दिया गया था।
- कूटनीतिक विघटन और वैश्विक परिणाम:
- विकासशील राष्ट्र यह मानते हुए असंतोष व्यक्त करते हैं कि उनकी चिंताओं और आवश्यकताओं को अंतर्राष्ट्रीय समुदाय द्वारा पर्याप्त रूप से संबोधित नहीं किया गया है।
- यह जलवायु कार्रवाई की राह को जटिल बनाता है और अन्य वैश्विक मुद्दों को प्रभावी ढंग से संबोधित करने के विषय में संदेह उत्पन्न करता है।
- तत्काल कूटनीतिक और विश्वास-संबंधी नतीजों से परे L&D फंड की कमी के दूरगामी प्रभाव हो सकते हैं। यह जलवायु न्याय के लिये खतरा है और उन विकासशील देशों में कमज़ोर समुदायों की समस्याओं को बढ़ा देता है, जिन्होंने वैश्विक उत्सर्जन में न्यूनतम योगदान दिया है लेकिन जलवायु परिवर्तन का खामियाजा भुगत रहे हैं।
- विकासशील राष्ट्र यह मानते हुए असंतोष व्यक्त करते हैं कि उनकी चिंताओं और आवश्यकताओं को अंतर्राष्ट्रीय समुदाय द्वारा पर्याप्त रूप से संबोधित नहीं किया गया है।
- जलवायु-परिवर्तन-प्रेरित अस्थिरता के सुरक्षा निहितार्थ:
- जलवायु-परिवर्तन-प्रेरित अस्थिरता के कारण सुरक्षा संबंधी प्रभाव देखे जा सकते हैं क्योंकि कमज़ोर देशों में संघर्ष तथा तनाव जैसी स्थिति उत्पन्न हो सकती है।
- इन संघर्षों का सीमा पार प्रभाव सुरक्षा के लिये खतरा उत्पन्न करता है।
- तात्कालिक परिणामों से परे कमज़ोर समुदायों के लिये समर्थन की अनुपस्थिति के कारण भोजन की कमी, व्यक्तियों के विस्थापन और संघर्ष सहित मानवीय संकटों में वृद्धि हो सकती है।
- यह समुदायों को जलवायु संकट और उसके परिणामों से स्वतंत्र रूप से निपटने के लिये मज़बूर करता है।
- जलवायु-परिवर्तन-प्रेरित अस्थिरता के कारण सुरक्षा संबंधी प्रभाव देखे जा सकते हैं क्योंकि कमज़ोर देशों में संघर्ष तथा तनाव जैसी स्थिति उत्पन्न हो सकती है।
आगे की राह
- वैश्विक प्रतिबद्धता: विकसित देशों के लिये मज़बूत वित्तीय प्रतिबद्धता सुनिश्चित करते हुए L&D फंड में प्राथमिक दाताओं के रूप में सक्रिय योगदान करने का आग्रह करना।
- पारदर्शिता और संरचना: फंड के आकार, परिचालन दिशा-निर्देश और आवंटन तंत्र को परिभाषित करने, स्पष्टता और जवाबदेही के लिये पारदर्शी चर्चा का समर्थन करना।
- समावेशी कूटनीति: खुले राजनयिक संवादों को बढ़ावा देना जो विकासशील देशों की चिंताओं को संबोधित करते हैं, प्रभावी जलवायु कार्रवाई और वैश्विक मुद्दे के समाधान के लिये सहयोग को बढ़ावा देते हैं।
- सुरक्षा निहितार्थ: जलवायु-प्रेरित अस्थिरता से सुरक्षा निहितार्थों को सक्रिय रूप से संबोधित करना, मानवीय संकटों से निपटने के उपायों को लागू करना और कमज़ोर समुदायों का समर्थन करना।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नमेन्स:प्रश्न. नवंबर 2021 में ग्लासगो में विश्व के नेताओं के शिखर सम्मेलन में सी.ओ.पी.-26 संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन में आरंभ की गई हरित ग्रिड पहल का प्रयोजन स्पष्ट कीजिये। अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन (आई.एस.ए.) में यह विचार पहली बार कब दिया गया था? (2021) प्रश्न. संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन फ्रेमवर्क सम्मेलन (यू.एन.एफ.सी.सी.सी.) के सी.ओ.पी. के 26वें सत्र के प्रमुख परिणामों का वर्णन कीजिये। इस सम्मेलन में भारत द्वारा की गई वचनबद्धताएँ क्या हैं? (2021) |