ऊर्जा संक्रमण और सुरक्षा में संतुलन | 04 Feb 2025

प्रिलिम्स के लिये:

आर्थिक सर्वेक्षण 2024-25, केंद्रीय बजट 2025-26, ऊर्जा सुरक्षा, कोयला,  प्राकृतिक गैस, UNFCCC COP-29, नवीकरणीय ऊर्जा, महत्त्वपूर्ण खनिज, यूरोपीय संघ, REPowerEU प्लान, राष्ट्रीय महत्त्वपूर्ण खनिज मिशन, परमाणु ऊर्जा मिशन, स्मॉल मॉड्यूलर रिएक्टर (SMR), भारत स्मॉल मॉड्यूलर रिएक्टर (BSMR), प्रेशराइज़्ड हैवी वाटर रिएक्टर (PHWR)।

मेन्स के लिये:

ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित करने में कोयले की भूमिका, ऊर्जा संक्रमण में कोयला और नवीकरणीय ऊर्जा में संतुलन।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

चर्चा में क्यों?

आर्थिक सर्वेक्षण 2024-25 भारत की ऊर्जा सुरक्षा और आर्थिक विकास के लिये एक विश्वसनीय और किफायती ऊर्जा स्रोत के रूप में कोयले के निरंतर महत्त्व पर प्रकाश डालता है।

  • एक अन्य घटनाक्रम में, केंद्रीय बजट 2025-26 में नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र में कुछ पहलों की घोषणा की गई।

ऊर्जा सुरक्षा क्या है?

  • ऊर्जा सुरक्षा: ऊर्जा सुरक्षा से तात्पर्य एक विश्वसनीय, सतत् और सस्ती ऊर्जा प्रणाली को बनाए रखने की क्षमता से है जो व्यक्तियों, उद्योगों और सरकारों  की आवश्यकताओं को पूरा कर सके।
  • अवयव:
    • उपलब्धता: मांग को पूरा करने के लिये विविध स्रोतों से विश्वसनीय ऊर्जा आपूर्ति।
    • सुगम्यता: दूरदराज के क्षेत्रों सहित सभी तक ऊर्जा पहुँचाने के लिये बुनियादी ढाँचा।
    • वहनीयता: उपभोक्ताओं और उद्योगों के लिये स्थिर, लागत प्रभावी ऊर्जा कीमतें।
    • स्थिरता: दीर्घकालिक पर्यावरण संतुलन के लिये स्वच्छ, कुशल ऊर्जा उपयोग।
  • महत्व: यह दैनिक ऊर्जा मांगों को पूरा करने तथा कृषि और विनिर्माण जैसे प्रमुख क्षेत्रों को सहयोग प्रदान करने हेतु आवश्यक है।
    • आर्थिक विकास: औद्योगिक विकास और उत्पादकता को बढ़ावा देता है।
    • राजनीतिक स्थिरता: ऊर्जा की कमी से उत्पन्न अशांति को रोकती है।
    • सतत् विकास: भविष्य के लिये स्वच्छ ऊर्जा सुनिश्चित करता है।
    • खाद्य सुरक्षा: कृषि के लिये आवश्यक, खाद्य उत्पादन, वितरण और कीमतों को प्रभावित करती है।
  • ऊर्जा सुरक्षा को प्रभावित करने वाले कारक: 
    • भौतिक कारक: जीवाश्म समृद्ध क्षेत्रों में ऊर्जा सुरक्षा बेहतर है, जबकि अन्य क्षेत्रों को अभाव की चुनौतियों का सामना करना पड़ता है।
    • लागत : गैर-नवीकरणीय संसाधनों के ह्रास से निष्कर्षण लागत और ऊर्जा की कीमतें बढ़ जाती हैं।
    • प्रौद्योगिकी: प्रगति ने नवीकरणीय ऊर्जा को व्यवहार्य बना दिया है, लेकिन पर्यावरणीय प्रभावों पर भी विचार किया जाना चाहिये।
    • राजनीतिक कारक: भू-राजनीतिक तनाव और संघर्ष ऊर्जा आपूर्ति को बाधित कर सकते हैं।

भारत की ऊर्जा सुरक्षा के लिये कोयला क्यों महत्त्वपूर्ण है?

  • विशाल कोयला भंडार: भारत में विश्व के कोयला भंडार का 10% हिस्सा है, लेकिन प्राकृतिक गैस भंडार का केवल 0.7% ही है, जिससे कोयला देश में सबसे विश्वसनीय और किफायती ऊर्जा स्रोत बन गया है।
  • आर्थिक व्यवहार्यता: कोयला आधारित विद्युत सयंत्रों में, विशेष रूप से 2010 के दशक के दौरान, महत्त्वपूर्ण निवेश किया गया है, तथा उनके समय से पूर्व बंद हो जाने से उनका उपयोग कम हो जाएगा तथा वे अनुपयुक्त हो जाएंगे।
  • जलवायु वित्तपोषण: बाकू, अज़रबैजान में आयोजित UNFCCC COP 29 में विकसित देशों ने वार्षिक जलवायु वित्तपोषण के लिये केवल 300 बिलियन अमेरिकी डॉलर का वादा किया, जो आवश्यक 1 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर से कम है।
    • परिणामस्वरूप भारत को अपने जलवायु लक्ष्यों में संशोधन करना पड़ सकता है तथा कोयले पर अपनी निर्भरता बनाए रखने के लिये बाध्य होना पड़ सकता है
  • नवीकरणीय ऊर्जा से जुड़ी चुनौतियाँ: सौर और पवन जैसे नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों को निम्नलिखित महत्त्वपूर्ण चुनौतियों का सामना करना पड़ता है:
    • ग्रिड एकीकरण के लिये उच्च निवेश
    • रुकावट को प्रबंधित करने के लिये बैटरी भंडारण से संबंधित समस्याएँ।
    • नवीकरणीय ऊर्जा प्रतिष्ठानों के लिये सघन आबादी वाले क्षेत्रों में भूमि की उपलब्धता सीमित है।
    • नवीकरणीय प्रौद्योगिकी के लिये महत्त्वपूर्ण खनिजों की आवश्यकता है, जो भारत में प्रचुर मात्रा में उपलब्ध नहीं हैं।
  • भू-राजनीतिक जोखिम: नवीकरणीय ऊर्जा प्रौद्योगिकियाँ प्रायः आयातित सामग्रियों और प्रौद्योगिकियों पर निर्भर करती हैं, जिससे भारत की बाहरी भू-राजनीतिक जोखिमों के प्रति संवेदनशीलता बढ़ जाती है, तथा ऊर्जा स्वतंत्रता और राष्ट्रीय सुरक्षा को बढ़ावा मिलता है।
  • विकसित देशों से सबक: अतीत में ऊर्जा परिवर्तन वाणिज्यिक हितों से प्रेरित थे, न कि उन्नत अर्थव्यवस्थाओं से उत्सर्जन को सीमित करने की इच्छा से।
    • फ्राँस ने 1970 के दशक में तेल प्रतिबंधों के कारण अपनी परमाणु शक्ति का विस्तार किया , जबकि 2022 में यूरोपीय संघ ने रूसी गैस आपूर्ति  पर निर्भरता कम करने के लिये REPowerEU योजना शुरू की।
    • वर्ष 2023 में, अमेरिका ने अलास्का में अपनी सबसे बड़ी तेल-ड्रिलिंग परियोजना को मंजूरी दी, जिससे यह उज़ागर हुआ कि विकसित देश भी जीवाश्म ईंधन पर निर्भर हैं।
  • संकुलन लागत: नवीकरणीय ऊर्जा की ओर संक्रमण से संकुलन लागत (Congestion Costs) आती है और इसके कारण कई देशों में विद्युत् की कीमतें बढ़ गई हैं।
    • संकुलन लागत (Congestion Costs) से तात्पर्य सीमित पारेषण या वितरण क्षमता से उत्पन्न अतिरिक्त लागत से है, जो विद्युत् वितरण को अकुशल बनाती है।

भारत की नवीकरणीय ऊर्जा की स्थिति

  • संस्थापित क्षमता: नवंबर 2024 तक, भारत में गैर-जीवाश्म ईंधन स्रोतों से 213,701 मेगावाट विद्युत् उपलब्ध है, जो कुल विद्युत् क्षमता का 46.8% है।
    • भारत का लक्ष्य वर्ष 2030 तक 50% विद्युत् उत्पादन गैर-जीवाश्म ईंधन से करने का है।
  • प्रगति: वर्ष 2022-23 में, 420.8 हज़ार GWh गैर-जीवाश्म ईंधन से आया, जिसने कुल उत्पादन में 22.8% का योगदान दिया।
    • बड़ी जलविद्युत परियोजनाओं का योगदान 8.81% है, परमाणु ऊर्जा का योगदान 2.49% है, तथा सौर, पवन, बायोमास का योगदान 11.52% है।

केंद्रीय बजट में नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र हेतु कौन-सी घोषणाएँ की गई हैं?

  • सीमा शुल्क छूट: कोबाल्ट पाउडर, लिथियम-आयन बैटरी स्क्रैप, सीसा, जस्ता और 12 अन्य क्रांतिक खनिजों को मूल सीमा शुल्क से छूट प्रदान दी गई है।
    • जुलाई 2024 में घरेलू स्तर पर उपलब्ध न होने वाले 25 क्रांतिक खनिजों को सीमा शुल्क से छूट दी गई।
  • नेशनल क्रिटिकल मिनरल्स मिशन (NCMM): प्रौद्योगिकी विकास, कुशल कार्यबल सृजन और स्वच्छ ऊर्जा हेतु वित्तपोषण तंत्र के लिये NCMM को वर्ष 2025-26 के लिये 410 करोड़ रुपए आवंटित किये गए।
    • खान मंत्रालय के अंतर्गत NCMM का उद्देश्य घरेलू उत्पादन को बढ़ाना, क्रांतिक खनिजों का पुनर्चक्रण करना और वैश्विक खनिज परिसंपत्तियों का अधिग्रहण करना है
  • परमाणु ऊर्जा मिशन: परमाणु ऊर्जा मिशन के लिये 20,000 करोड़ रुपए का बजट आवंटित किया गया है, जिसका उद्देश्य स्वदेशी लघु मॉड्यूलर रिएक्टर (SMR) विकसित करना है।

भारत के ऊर्जा संक्रमण को आकार देने वाली पहलें कौन-सी हैं?

निष्कर्ष

भारत का ऊर्जा संक्रमण क्रमिक और रणनीतिक होना चाहिये, जिसमें नवीकरणीय ऊर्जा को अपनाने और ऊर्जा सुरक्षा के बीच संतुलन बनाना शामिल है। हालाँकि कोयला महत्त्वपूर्ण बना हुआ है किंतु नवीकरणीय ऊर्जा, परमाणु ऊर्जा और क्रांतिक खनिजों में निवेश किया जाना आवश्यक है। वैश्विक अनुभवों से सीख लेते हुए, भारत को वर्ष 2070 तक अपने नेट-ज़ीरो लक्ष्य की ओर बढ़ते हुए ऊर्जा संवहनीयता, स्थिरता और आत्मनिर्भरता सुनिश्चित करनी चाहिये।

दृष्टि मेन्स प्रश्न:

प्रश्न. भारत के निम्न-कार्बन ऊर्जा भविष्य की ओर बदलाव में चुनौतियों और अवसरों पर चर्चा कीजिये।

 

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न   

प्रिलिम्स:

प्रश्न. भारत की जैव-ईंधन की राष्ट्रीय नीति के अनुसार, जैव-ईंधन के उत्पादन के लिए निम्नलिखित में से किनका उपयोग कच्चे माल के रूप में हो सकता है? (2020)

  1. कसावा
  2. क्षतिग्रस्त गेहूँ के दाने
  3. मूंँगफली के बीज
  4. कुलथी 
  5. सड़ा आलू
  6. चुकंदर

नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये:

(a) केवल 1, 2, 5 और 6
(b) केवल 1, 3, 4 और 6
(c) केवल 2, 3, 4 और 5
(d) 1, 2, 3, 4, 5 और 6

उत्तर: (a)


प्रश्न. भारत में इस्पात उत्पादन उद्योग को निम्नलिखित में से किसके आयात की अपेक्षा होती है?​ (2015)

(a) शोरा​
​​(b) शैल फॉस्फेट (रॉक फॉस्फेट)​
​​(c) कोककारी (कोकिंग) कोयला​
​​(d) उपर्युक्त सभी​

उत्तर: (d) 


मेन्स

प्रश्न. पारंपरिक ऊर्जा उत्पादन के विपरीत सूर्य के प्रकाश से विद्युत ऊर्जा प्राप्त करने के लाभों का वर्णन कीजिये। इस प्रयोजनार्थ हमारी सरकार द्वारा प्रस्तुत पहल क्या हैं? (2020)

प्रश्न. "प्रतिकूल पर्यावरणीय प्रभाव के बावजूद, विकास के लिये कोयला खनन अभी भी अपरिहार्य है"। विवेचना कीजिये। (2017)